Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
04-25-2019, 11:58 AM,
#50
RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
दुलारा भतीजा
भाग -7




पद्मा की चूत अजय के मोटे लण्ड के कारण चौड़ी हुई पड़ी थी और शोभा भी उसे बख्श नहीं रही थी. रह रह कर बार बार चूत के दाने को सहला छेड़ रही थी. पद्मा बार बार अजय की जांघों पर ही कमर को गोल गोल घुमा और ज्यादा उत्तेजना पैदा करने की कोशिश कर रही थी. पद्मा तो पहले से ही चरम सीमा के करीब थी , सो शोभा की इस हरकत से जल्दी ही झड़ने लग़ी “शोभा~आआआआआ”
शोभा तुरन्त समझ गयी कि पद्मा झड़ गयी है। उसने पद्मा के कंधे को छोड़ अपना हाथ उसकी बाहों के नीचे फ़सा दिया और बलपूर्वक पद्मा को अजय के ऊपर से उठाने लगी. दिमाग चलाते हुये उसने तुरंत ही अपने दुसरे हाथ की पांचों उंगलियों को एक साथ कर पद्मा की झड़ती रिसती चुत में घुसेड़ दिया. परंतु शोभा की उन्गलियां अजय के लण्ड की भांति गीली और चिकनी नहीं थी अतः पीड़ा की एक लहर उसके चेहरे पर फ़ैल गई. अजय भी गुर्रा पड़ा. वो झड़ने की कगार पर ही था कि उसकी चाची ने ताई की चूत को लण्ड पर से हटा लिया था. अब उसका पानी भी वापिस टट्टों में लौट गया था. शोभा ने पद्मा को खींच कर जमीन पर गिरा दिया और खुद उसके ऊपर आ गई. औरतों के बीच चलते इस मदन-युद्ध को पीछे से देख अजय भौंचक्का रह गया. दोनों ही उसे प्यारी थी. खुद के आनन्द के लिये वो किसी एक को भी छोड़ने को तैयार नहीं था. अपनी चाची के पुष्ट भारी स्तनों और फ़ुदकती चूत की तस्वीर उसके दिमाग में अब भी ताजा थी जिसे याद कर वो रोज ही मुट्ठ मारता था. उसकी ताई भी रोज रात को उसे स्त्री शरीर का सुख देती थी. दोनों ही औरतों से उपेक्षित अजय ने अपने बेबस तेल पिये लण्ड को मुट्ठी में भर लिया.


अजय के सामने ही शोभा पद्मा को अपने नीचे दबा एक हाथ से उनकी चूत में पांचों उन्गलियां घुसाये दे रही थी और दूसरे से पद्मा के बड़े बड़े स्तनों को निचोड़ रही थीं. चाची के होंठ पद्मा ताई के होंठों से चिपके हुये थे और जीभ शायद कहीं ताई के गहरे गले में गोते लगा रही थी. आंख के कोने से शोभा चाची ने अजय को लन्ड मुठियाते देखा तो झटके से जेठानी की चूत को छोड़कर अजय की कलाई थाम ली. अजय का हाथ उसके लन्ड पर से खींच कर चाची पद्मा के कानों मे फ़ुसफ़ुसाई "दीदी, देखो हमारा अजय क्या कर रहा है?"
इस प्रश्न के साथ ही शोभा ने पद्मा और अपने बीच में चल रहा अजय का विवाद भी जैसे निपटा दिया. और यही तो उन दोनों के बीच चले लम्बे समलैंगिक संभोग का भी आधार था. जिस्मों की उत्तेजना में कुछ भी स्वीकार कर लेना काफ़ी आसान होता है. हां, अपने भतीजे के सामने पद्मा पूरी तरह से चरित्रहीन साबित हो चुकी थी परन्तु जब उसने शोभा के हाथ को अजय के विशालकाय लण्ड को सहलाते देखा तो उसे शोभा में अपनी प्रतिद्वंद्धी नहीं, बल्कि अजय को उसके ही समान प्यार करने वाली एक और ताई/चाची दिखाई दी. अजय हालांकि रोज अपनी ताई को चोदता था और इस तरह से उसकी शारीरिक जरुरतें सीमा में रहती थी. किन्तु ताई सिर्फ़ रात में ही उसके पास आती थीं. उसके बेडरूम के बाहर वो सिर्फ़ उसकी ताई थीं. अपनी ताई के जाने के बाद ना जाने कितनी ही रातों को अजय ने चाची के बारे बारे में सोच सोच कर अपना पानी निकाला था. अन्जाने में ही सही, एक बार तो चाची की चूत के काफ़ी नजदीक तक उसके होंठ जा ही चुके थे और दोनों ही औरतों ने अपने जिस्म से उसके लण्ड की जी भर के सेवा भी की है. वो भी उन दोनों के इस कृत्य का बदला चुकाने को उत्सुक था. पर किससे कहे, दोनों ही उससे उम्र में बड़ी होने के साथ साथ पारिवारिक परम्परा के अनुसार सम्मानीय थी. दोनों ही के साथ उसका संबंध पूरी तरह से अवैध था. अपने दिल के जज्बातों को दबाये रखने के सिवा और कोई चारा नहीं था उसके पास. इसीलिये जब उसकी चाची ने मात्र एक चादर में लिपट कर उसके कमरे में प्रवेश किया था और अपने भारी भारी स्तनों को ताई के कन्धे से रगड़ना शुरु किया तो वो उन पर से अपनी नज़र ही नहीं हटा पाया था। शोभा की नाजुक उन्गलियां अजय के तने हुये काले लन्ड पर थिरक रही थीं तो बदन पद्मा के पूरे शरीर से रगड़ खा रहा था. दोनों ही औरतों के बदन से निकले मादा खुश्बू अजय को पागल किये जा रही थी. पद्मा ने जब अजय को शोभा के नंगे शरीर पर आंखें गड़ाये देखा तो उन्हें भी अहसास हुआ कि अजय को भरपूर प्यार देने के बाद भी आज तक उसके दिल में अपनी चाची के लिये जगह बनी हुई है. दोनों औरतों के बदन के बीच में पद्मा की चूत से निकलता आर्गैज्म का पानी भरपूर चिकनाहट पैदा कर रहा था.
"देखो दीदी" शोभा ने अजय के फ़ूले तने पर नजरें जमाये हुए कहा. कुशल राजनीतिज्ञ की तरह शोभा अब हर वाक्य को नाप तोल कर कह रही थी. पद्मा को बिना जतलाये उसे अजय को पाना था. अजय को बांटना अब दोनों की ही मजबूरी थी और उसके लिये पद्मा की झिझक खत्म करना बहुत जरूरी था.
"कैसा कड़क हो गया है?" पद्मा के चूतरस से सने उस काले लट्ठ को मुट्ठी में भरे भरे ही शोभा धीरे से बोली.
पद्मा के गले से आवाज नहीं निकल पाई.
“हम इससे अपनी चूत चुसवाना चाहते थे.” शोभा बोली.शोभा ने चेहरा पद्मा की तरफ़ घुमाया और अपने होंठ पद्मा की रसीली चूत के होंठों पर रख दिये. पद्मा के चूत को चूसते हुये भी उसने अजय के लण्ड को मुठियाना जारी रखा. नजाकत के साथ अजय के सुपाड़े पर अंगूठा फ़िराने लगी.
"चाचीईईईईई", अजय ने सिसक कर झटका दिया और ताई के चूतरस से चिकना लण्ड चाची के हाथ से छुट गया। अंगूठे की सहलाहट दबाव से लण्ड में खून का दौड़ना तेज हो गया था और वो बुरी तरह बौखला रहा था। अजय घूम के चाची के पीछे जा पहुँचा । ताई की चूत पर झुकी होने के कारण चाची के शानदार संगमरमरी गुदाज भारी भारी गोल चूतड़ ऊपर को उठे थे और उनके नीचे उनकी पावरोटी सी चूत अपने मोटे मोटे होठ खोले अजय के लण्ड को आमन्त्रित सा कर रही थी। एक अरसा हुआ जब अजय के लण्ड ने इस चूत का स्वाद एक बार चखा था अब अजय कुछ सोच पाने की हालत में नहीं था उसने अपना फ़ौलादी लण्ड उस पावरोटी सी चूत के मोटे मोटे होठों के बीच रखकर धक्का मारा और उसका लण्ड बुरी तरह से गीली चूत में एक ही धक्के मे समूचा अन्दर चला गया।
शोभा की चूत को जैसे ही अपना मनपसन्द लण्ड मिला उसकी कमर यन्त्रवत चूत को लण्ड पर उछालने लग़ी शोभा आगे सरक आई और खुद को कुहनियों पर व्यवस्थित करते हुये होंठों को पद्मा के उरोजों पर पर जमा दिया. इस समय शोभा की गीली टपकती चूत अजय के प्यासे लण्ड से दनादन चुद रही थी. अपने प्लान की कामयाबी से जेठानी पद्मा का ध्यान बटाने के लिये शोभा ने अपना ध्यान पद्मा के ऊपर लगा दिया. पद्मा के चेहरे के पास जा शोभा ने उनके गालों को चूमा. पद्मा ने भी जवाब में शोभा के दोनों होठों को अपने होठों की गिरफ़्त में ले लिया. दोनों औरते फ़िर से एक दूसरे में तल्लीन हो गईं. अजय ने अपने दोनो हाथों से शोभा चाची की गुदाज सगंमरमरी जाघें दबोच लीं और उनके भारी भारी गद्देदार चूतड़ों पर धक्का मारमारकर उनके गुदगुदेपन का आनन्द लेते हुए चाची की पावरोटी सी चूत को अपने फ़ौलादी लन्ड से चोदे जा रहा था.
अजय ने सिर उठा कर देखा तो उसकी ताई और चाची जैसे किसी दूसरे ही संसार में थी. आज की रात तीनों ही प्राणी एकाकार हो गये थे. अजय ने जब ये दृश्य देखा तो मारे जोश के उसने शोभा चाची के दोनों नितम्बों को और कस के जकड़ लिया. वो चाची की चूत से बहते झरने से वो अपने प्यासे लन्ड की प्यास बुझा लेना चाहता था और शोभा चाची ये होने नहीं दे रही थीं. क्योंकि बीच बीच में वो छिटक कर चूत हटा लेती थी फ़िर थोड़ी देर तक तड़पाने के बाद चूत को अजय के लन्ड के हवाले कर देती ।
पद्मा आंखों के कोनों से पद्मा ने शोभा के मोटे मोटे बड़े बड़े स्तनों को झूलते देखा. थोड़ा सा उठ कर उसने दोनों हाथों से शोभा के उछलते स्तनों को सहार दिया। मन शोभा के लिये कृतज्ञ था कि उसने उसे अजय के और करीब ला दिया है. अजय जो इतनी देर से अपनी आंखों के सामने अपनी ताई और चाची की उत्तेजक हरकतें देख रहा था, अब और सक्रिय हो उठा. थोड़ा सा आगे हाथ बढ़ाकर उसने दोनों हाथों से शोभा के उछलते स्तनों को दबोच लिया. अजय के हाथ अपने बड़े बड़े स्तनों पर पड़ते ही शोभा कराह उठी.

क्षण भर के लिये दोनों को छोड़ शोभा बिस्तर के सिरहाने पर जा कर बैठ गयी. पद्मा "शोभा? तुम किधर जा रही हो?", अजय जल्दी ही झड़ने वाला था वो भी उसी समय बोला “ चाची? कहाँ हो?” दोनो ये पल शोभा के साथ बांटना चाहते थे.
"आपके और अपने लिये इसको कुछ सिखाना बाकी है.." शोभा ने अपनी जीत पर मन ही मन खुश हो जवाब दिया. जब अजय ने शोभा को ये कहते सुना तो वो चौंका. निश्चित ही दोनों औरते उसके ही बारे में बातें कर रही थी.

शोभा पद्मा को वही छोड़ अजय के चेहरे के पास जाकर होंठों पर किस करने लगी. दोनों ही एक दूसरे के मुहं में अपना अपना रस चख रहे थे. "अजय चलो.. गेट रैडी..वर्ना ताई, ताई नाराज हो जायेंगी". शोभा ने अजय का ध्यान उसकी दोबारा से प्यासी हुई ताई की तरफ़ खींचा. अजय एक बार को तो समझ नहीं पाया कि चलने से चाची का क्या मतलब है. उसकी ताई तो यहीं उसके पास है.शोभा ने अजय को इशारा कर बिस्तर पर एक तरफ़ सरकने को कहा और पद्मा को खींच कर लिटा लिया. अजय से अपना ध्यान हटा शोभा ने जेठानी के स्तनों पर अपने निप्पलों को रगड़ा और धीरे से उनके होंठों के बीच अपने होंठ घुसा कर फ़ुसफ़ुसाई,"अब उसे मालूम है कि हम औरतों को क्या पसन्द है. आपको बहुत खुश रखेगा." कहते हुये शोभा ने जेठानी को अपनी बाहों में भर लिया. अजय अपनी चाची के पीछे लेटा ये सब करतूत देख रहा था. लन्ड को पकड़ कर जोर से चाची कि चूतड़ की दरार में घुसाने लगा, बिना ये सोचे की ये कहां जायेगा. दिमाग में तो बस अब लण्ड में उठता दर्द ही बसा हुआ था. किसी भी क्षण उसके औजार से जीवनदाय़ी वीर्य की बौछार निकल सकती थी. घंटों इतनी मेहनत करने के बाद भी अगर मुट्ठ मार कर पानी निकालना पड़ा तो क्या फ़ायदा फ़िर बिस्तर पर दो-दो कामुक औरतों का. शोभा ने गर्दन घुमा अजय की नज़रों में झांका फ़िर प्यार से उसके होंठों को चूमते हुये बोली, "बेटा, मेरे नहीं, ताई के ताई के. शोभा को अजय के लण्ड का सुपाड़ा अपनी चूतड़ के छेद पर चुभा तो था पर इस वक्त ये सब नये नये प्रयोग करने का नहीं था.
रात बहुत हो चुकी थी और शोभा एवं अजय अभी तक ढंग से झड़े नहीं थे. उस्के लिए ताई का थक के सोना जरूरी था अजय ने ताई के चेहरे की तरफ़ देखा. पद्मा की आंखों में शर्म और वासना के लाल डोरे तैर रहे थे. ताई, जो उसकी रोजाना जरुरत को पूरा करने का एक मात्र सुलभ साधन थी पद्मा ने हाथ बढ़ा अजय के चेहरे को सहलाया
"आ जा बेटा?".
अपनी ताई से किये वादे को निभाने के लिये अजय शोभा से अलग हो गया.
शोभा ने राहत की सांस ली. अजय उठ कर पद्मा के ऊपर चढ गया. इस तरह पद्मा अब अपनी देवरानी और भतीजे के नंगे जिस्मों के बीच में दब रही थी. शोभा के चेहरे पर अपना गोरा चेहरा रगड़ते हुये बोली "शोभा, तुम हमें कहां से कहां ले आई?".
"कोई कहीं नहीं गया दीदी. हम दोनों यहीं है.. आपके पास". कहते हुये शोभा ने अपने निप्पलों को पद्मा के निप्पलों से रगड़ा.
"हम तीनों तो बस एक-दूसरे के और करीब आ गये हैं." शोभा ने अपनी उन्गलियां पद्मा के पेट पर फ़िराते हुये गीले चूत-कपोलों पर रख दीं. "आप तो बस मजे करो.." शोभा की आवाज में एक दम से चुलबुलाहट भर गई. आंख दबाते हुये उसने अजय को इशारा कर दिया था.
पद्मा ने अजय के गरम बदन को महसूस किया. अजय ने एक हाथ पद्मा की कमर पर लपेट कर ताई को अपनी तरफ़ दबाया. यहां भी अनुभवहीन किशोर का निशाना फ़िर से चूका. लन्ड सीधा पद्मा की चूतड़ के सकरे रास्ते में फ़िसल गया.
"उधर नहीं". पद्मा कराही. अपना हाथ पीछे ले जा कर अजय के सिर को पकड़ा और उसके गालों पर एक गीला चुम्बन जड़ दिया. आज रात एक पारम्परिक भारतीय घर में जहां एक दूसरे के झूठे गिलास में कोई पानी भी नहीं पी सकता था सब कुछ उलट पलट गया था. लण्ड और चूतों का रस सभी सम्भावित तरीकों से मिश्रित थे.
शोभा अजय की ओर मुँह कर पद्मा के चेहरे के दोनों तरफ़ अपने घुटने रखकर इस तरह से बैठ गई कि उसकी चूत पद्मा के होठों से छूने लगी जैसे पद्मा से अपनी चूत चुसवाना चाहती हो । शोभा दोनों के साथ आज रात एकाकार हो गई थी. विचारों में खोई हुई पद्मा को पता ही नहीं चला कि कब शोभा ने उसकी टांगें उठा कर अजय के कन्धों पर रख दीं और उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच हाथ डालकर हाथकर अजय के सख्त लन्ड को पकड़ लिया था और सहलाने लगी. उसकी खुद की चूत में अभी तक हल्के हल्के झटके आ रहे थे. शायद अजय के द्वारा की अधूरी चुदाई के बाद कहीं ज्यादा संवेदनशील हो गई थी. आज रात दुबारा अजय का लन्ड उसकी चूत पायेगी या नहीं। सिर्फ़ सोचने मात्र से ही लिसलिसा जाती थी. दिमाग को झटका दे शोभा ने अजय तेल पिये लट्ठ को पद्मा की रिसती चूत के मुहं पर रखा.
"अब डाल", अजय के चेहरे की ओर देखती शोभा बोली जो इस समय अपने बिशाल लण्ड को ताई की चूत में गुम होते देख रहा था.
"आह. बेटा धीरे...शोभा आह", पद्मा चित्कारी. चूत की निचली दीवारों से सरकता हुआ अजय का लन्ड ताई के गर्भाशय के मुहांने को छू रहा था. इतने सालों की चुदाई के बाद भी पद्मा की चूत में ये हिस्सा अनछुया ही था. अजय के साथ संभोग करते समय भी उसने कभी इस आसन के बारे में सोचा नहीं था. कृतज्ञतावश पद्मा शोभा चूत पर चुम्बन बरसाने लगी. इस आसन में अजय के हर धक्के के साथ पद्मा के चूतड़ ऊपर उठकर चूत के साथ एक लाइन में होने के कारण लण्ड के आसपास कराकर गुदगुदे गद्दे का मजा दे रहे थे। अजय दनादन धक्को मार रहा था उसे भरोसा नहीं था कि वो पूरी रात में एक बार भी झड़ भी पायेगा या नहीं, पूरे वक्त तो शोभा के इशारों पर ही नाचता रहा था. अजय ने ताई के एक चूंचे को हाथ में कस के दबा लिया. पद्मा को अपने फ़ूले स्तनों पर अजय के कठोर हाथ सुहाने लगे. वो अपना दूसरा स्तन भी अजय के सुपुर्द करना चाहती थी. शरीर को हल्का सा उठा अजय को दूसरा हाथ भी इस्तेमाल करने के लिये उकसाया. अजय ने तुरन्त ही ताई के बदन के उठे बदन के नीचे से दूसरा हाथ सरका के दूसरे चूंचे को दबोच लिया . अब दोनों ही चूंचे अजय के पंजों में जकड़े हुये थे और वो उनके सहारे शरीर के निचले हिस्से को ताई की चूत पर जोर जोर से पटक रहा था. अजय के जबड़े भींच गये. शोभा की नज़रें उसी पर थी. पद्मा के ऊपर चेहरा आगे कर दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. पद्मा ने गर्दन मोड़ कर अपने सिर के पीछे चलती चाची भतीजे की हरकत को देखा और उसने अपने होंठों को शोभा की चूत पर टिका दिया. तीनों अब बिना किसी भेद-भाव के साथ चुमने चाटने लगे. अजय के होठ चाची के होठों से नीचे गरदन पर सरकते हुए नीचे चाची के थिरकते हुए बड़े बड़े स्तनों पर आ टिके। अब अजय हाथों से ताई के बड़े बड़े स्तनों को गूथ कर लालकर रहा था और चाची के उछलते दूधिया उरोजों पर मुँह मार रहा था। 
उत्तेजना से बौखलाये अजय का बलशाली पुरुषांग पद्मा की चूत को रौंद उसके होश उड़ाये दे रहा था।
अजय की हालत भी खराब थी. हे भगवान, ये चाची चोदने की सब कलाओं में पारंगत है. प्रणय क्रीड़ा के चरम पर खुद को महसूस कर अजय लण्ड को जोर जोर से मशीनी पिस्टन की भांति ताई की चिकनी चूत में भरने लगा. पद्मा खजुराहों की किसी सुन्दर मूर्ति के जैसी बिस्तर पर भतीजे और देवरानी के बीच पसरी पड़ी थी. गोरा गदराया शरीर अजय के धक्कों के साथ बिस्तर पर उछल रहा था.
पद्मा की चूत भतीजे के द्वारा चुद रही थीं चूचियां का मर्दन होरहा था और शोभा की चूत और चूचियां चूसी जा रही थी. शोभा ने अजय के लण्ड के साथ तालमेल बैठा लिया था. जब अजय का लन्ड ताई की चूत में गुम होता ठीक उसी समय शोभा अपनी चूचियों को बारी बारी से अजय के होंठों में दे देती. फ़िर जैसे ही अजय लन्ड को बाहर खींचता, वो भी अपनी चूची छुड़ा लेती। अजय तड़पकर रह जाता। चूत की दिवारों पर घर्षण से उत्पन्न आनन्द, लाल सुर्ख क्लिट से निकलते बिजली के झटके और अजय के हाथों में दुखते हुये बड़े बड़े स्तन, कुल मिलाकर अब तक का सबसे वहशीयाना और अद्भुत काम समागम था ये पद्मा के जीवन में.
अगले कुछ ही धक्कों के बाद दोनों अपने चरम सीमा के पास पहुंच गये. अब किसी भी क्षण वो अपनी मंजिल को पा सकते हैं. पहले पद्मा की चूत का सब्र टूटा. अजय के गले में "म्म्म." की कराह के साथ ही पद्मा ने शोभा की चूत को होठों मे दबा लिया. अजय के हाथों ने पहले से ही दुखते पद्मा के स्तनों पर दवाब बढ़ा दिया. जैसे ही उसे लन्ड में कुछ बहने का अहसास हुआ, उसने लन्ड से पद्मा की चूत पर कहर बरसाना शुरु कर दिया. बेतहाशा धक्कों के बीच पद्मा के गले से निकली घुटी हुई चीखें सुन नही सकता था. आर्गैज्म के बाद आते हल्के हल्के झटकों के बाद दिमाग सुन्न और शरीर निढाल हो गया. मानो किसी ने पूरी ऊर्जा खींच कर निकाल ली हो. परन्तु अभी तक अजय का लण्ड तनिक भी शिथिल नहीं हुआ था. बार बार धक्के मार कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा था. शोभा रुक कर ये सब देख रही थी. बिचारा, अब ताई की झड़ती झटकती चूत उसे झेल नहीं पा रही थी. अजय ने ताई की चूत को आखिरी झटके तक तक आराम से चूत में धक्के मार मार के झड़ने दिया. अजय आनन्द के मारे कांप रहा था. उत्तेजना से भर कर अपने दांत शोभा चाची के सुन्दर नरम कंधों में गड़ा दिये. जब ताई की चूत में कोई हरकत न रही तो ताई की चूत में से अजय ने लन्ड के साथ चूत से बाहर निकाल लिया । जिससे "पॉप" की आवाज आयी। थकान से चूर होकर पद्मा बेसुध सो गयी।

क्रमश:………………
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