RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
दूसरे दिन जब सब सोकर उठे तो नन्दू धीरा और बल्लू जल्दी जल्दी कपडे़ पहनकर जाने लगे तभी ठकुराइन बोली- हवेली के सब लोगों को बता देना कि जिस किसी आदमी की औरत को ठाकुर साहब चुदायी के मजे लेने के लिए रात में बुलायेंगे। वो आदमी अगर चाहे तो उसी रात ठकुराइन से इंसाफ़ मांगने आ सकता है। ठकुराइन ऐसे ही सबको इंसाफ़ देगी।
यह सुनकर वे बोले- कोई बेवकूफ़ ही होगा जो आपका इंसाफ़ नही पसन्द करेगा और फिर हॅंसते हुए चले गये।
ठकुराइन जब उन्हें भेजकर उठी तो उनके बदन का जोड़ जोड़ चुदायी की कसरत के मारे दर्द कर रहा था। रोजमर्रा के काम खत्म करते करते दोपहर हो गयी। दोपहर के खाने के बाद ठकुराइन ने सोचा कि थोड़ा आराम करले क्योंकि बदन का जोड़ जोड़ टूट रहा था। लेटते ही आँख लग गयी। ठकुराइन करीब सात बजे तक सोती रहीं जब उठी तब भी बदन टूट रहा था। वो सोचने लगीं कि उनका ऐलान अबतक तो हवेली में फैल गया होगा और नामालूम आज ठाकुर का मन किस औरत पर आजाये और रात में उसे कैसे मुस्टंडे आदमी से निपटना पड़े। वे अभी सोच ही रही थी कि रामदास माली आ धमका। ठकुराइन ने उस लम्बे तगड़े बलिष्ठ रामदास माली की तरफ़ देखा और पूछा-
“क्या बात है रामदास।”
रामदास ने जवाब दिया- “आज तो हद ही हो गयी मालकिन ठाकुर साहब ने मेरी औरत फुलवा को अभी से बुलवा लिया कहा कि मालिश करवाना है और फुलवा मालिश बहुत अच्छा करती है आपका ऐलान नन्दू धीरा और बल्लू ने बताया सो मैं इधर चला आया।”
ठकुराइन ने एक जोरदार अंगड़ाई लेते हुए पूछा- “बदन तो मेरा भी बहुत टूट रहा है तूने अपनी बीबी से मालिश करना सीखा या नहीं।”
ठकुराइन की अंगड़ाई ने रामदास के होश उड़ा दिये। अंगड़ाई लेते समय उनकी कमर पतली व सीने के बड़े बड़े गोल उभारदार उरोज और भी गोल बड़े बड़े और भारी लगने लगे जैसेकि दो बड़े बड़े गोल खरबूजे या बेल हों। वो आवाक उन्हें देखता रह गया। ठकुराइन ने ये भांप लिया और मुस्कराते हुए बोली तूने जवाब नहीं दिया।
रामदास ने चौंककर हड़बड़ाते हुए जवाब दिया- “मम्मालकिन फुलवा ने मालिश करना मुझसे ही सीखा है।”
ठकुराइन चहकी- “अच्छा ये बात है तो आजा मैदान में ठाकुर तेरी बीबी से मालिश करवा रहा है तू उनकी बीबी की मालिश कर तेरा इंसाफ़ भी हो जाएगा और मेरे बदन का दर्द भी मिट जाएगा। ड्रेसिंग टेबिल पर तेल क्रीम व पाउडर रखे उन्हें उठा ला और अलमारी से एक बड़ा तौलिया निकाल के उधर कोने में पडे़ उस गद्दे पर बिछा दे।”
रामदास बोला बहुत अच्छा मालकिन।
रामदास ने वैसा ही किया। वो तो नहा धोकर तैयार होकर ही आया था क्योंकि नन्दू धीरा और बल्लू की बातों से उसे ऐसा ही होने की उम्मीद थी। ठकुराइन ने साड़ी उतार दी और खाली पेटीकोट ब्लाउज में आकर गद्दे पर बिछे तौलिये पर बैठ गयी और बोली पहले मेरी कमर की मालिश कर दे। रामदास सोचने लगा कहीं ये सचमुच ही मालिश कराके बिना चुदवाये टरका तो नहीं देगी उधर मेरी बीबी को तो ठाकुर बिना चोदे आने नहीं देगा। दोनों हथेलियों में तेल लेकर पीठ की ओर बैठ गया और गद्देदार चूतड़ों के ऊपर कमर पर दोनों हाथों से मालिश करते हाथों को आगे उनके मांसल गुदगुदे पेट पर फेरते हुए दाये हाथ की बीच की उंगली गोल गहरी नाभी में डाल दी। ये बरसों पुराना चुदक्कड़ो़ का इशारा था जिसका मतलब है मैं तेरी चूत चोदना चाहता हूँ चुदवाओगी या नहीं। ठकुराइन पुरानी चुदक्कड़ खिलाडि़न थी रामदास का इशारा समझ गयी उसने मुस्कुराकर रामदास की तरफ़ आँख का इशारा किया जिसका मतलब था कि वो चुदाई के मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार है। रामदास की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो खुशी खुशी कमर की मालिश करने लगा वो बार बार ठकुराइन की कमर पर दोनों हाथों से मालिश करते हाथों को आगे उनके मांसल गुदगुदे पेट पर फेरते हुए पेटीकोट के नारे से टकरा देता चार छ बार ऐसा करने के बाद वो बोला- “मालकिन इस तरह बार बार हाथ नारे से टकरा जाते हैं ठीक से मालिश करते नहीं बनता अगर नारा खोल दें तो ठीक से मालिश कर पाऊँगा।”
ठकुराइन समझ गयी रामदास चूत सहलाना चाहता है उसे मालिश में बहुत मजा आ रहा था वो बोली- “तू ही खोल दे ना।”
रामदास ने नारा खोल दिया। अब उसके हाथ ठकुराइन की रेशमी पावरोटी सी फूली गुदगुदी चूत तक पहुंचने लगे मालिश के बहाने वो बीच बीच चूत को हाथ में पकड़कर दबा भी देता। पेटीकोट नीचे सरक गया था और ठकुराइन के उभरे हुए गद्देदार चूतड़ आधे नंगे हो गए थे। उन्हें भी रामदास बीच बीच में हाथों दबोच लेता था। थोड़ी देर में ठकुराइन के मुंह से सिसकारियॉं छूटने लगी वो अपने ब्लाउज के बटन खोलते हुए बोली अब थोड़ा पीठ पर मालिश कर रामदास। बटन खोल के वो पेट के बल लेट गयीं। लेटने में उनके उभरे हुए बड़े बड़े गुलाबी गद्देदार चूतड़ और भी नंगे हो गए।रामदास का लण्ड अकड़कर फेोलाद हो रहा था। वो उनका मतलब समा गया उसने ब्लाउज पीठ पर ऊपर सरका दिया फिर अपनी एकटांग उनके चूतड़ों के दूसरी तरफ़ ले जाकर उन्हें अपनी टांगों के बीच में कर लिया। अब वो घुटनों के बल होकर उनकी नंगी गदरायी हुयी गुलाबी नर्म चिकनी पीठ पर मालिश करने लगा। मालिश करते समय जब वो आगे पीछे होता तो उसका 7 फौलादी लण्ड जो कि अकड़कर धोती से बाहर आ गया था उनके उभरे हुए चूतड़ों की नाली से रगड़ जाता था। तभी ठकुराइन के मुंह से उत्तेजना भरी
ऊॅऊॅऊॅऊॅऊॅऊॅऊॅऊॅ की आवाज आने लगी।
थोड़ी देर में ठकुराइन पलटी और अपने बड़े बड़े दूध से सफेद उरोजों को सहलाते हुए बोली- “रामदास कल साले नन्दू धीरा और बल्लू ने दबादबाकर चूस चूस कर मेरी चूचियां सुजादी थी फिर सुबह से ब्रा ब्लाउज में कसे कसे इनकी हालत और भी खराब हो गयी है जरा पाउडर लगा कर थोड़ा सहलाओ तो कुछ आराम मिले।”
रामदास टांगें फैला कर बैठ गया और अपनी टांगों के बीच में जगह बना कर बोला मालकिन अगर आप यहॉं बीच में आकर बैठ जाये तो यह काम बढि़या और आसानी से हो सकता है। ठकुराइन ने उसके धोती में अकड रहे साढ़े 7’’ फौलादी लण्ड देखा और मुस्कुराकर उठीं और रामदास की टांगों के बीच में दोनो पैर एक ही तरफ करके बैठ गयीं ताकि वह उनके चूतड़ों के बीच की नाली में अपना लण्ड लगा कर ना रगड़ सके। रामदास उनकी चालाकी पर मुस्कुरा उठा। उसने हाथ में पाउडर लिया और ठकुराइन के आगे से खुले ब्लाउज में से झाँकती थिरकती बड़ी बड़ी चूचियों पर लगा कर सहलाने लगा। उत्तेजना से ठकुराइन की सॉसें तेज हो रही थी। थोड़ी देर में बोला मालकिन मेरा हाथ बार बार ब्लाउज से टकराता है और मैं पाउडर ठीक से नहीं लगा पा रहा हूँ अगर आप ब्लाउज उतार दें तो आसानी होगी पेटीकोट तो आप पहने ही हो। ठकुराइन ने चिकनी संगमरमरी बाहें ऊपर उठा दीं और रामदास ने ब्लाउज उतार दिया। अब ठकुराइन का ऊपर का गोरा गुलाबी गदराया बदन बिलकुल नंगा था जिसपर रामदास पाउडर छिड़क छिड़क के पाउडर लगाने के बहाने जम के सहला रहा था । ठकुराइन की सॉसें और तेज हो गयीं। रामदास फिर बोला- “मालकिन थोड़ा पास आ जायें तो आसानी हो।”
ठकुराइन रामदास की तरफ़ खिसकी तो पेटीकोट का नारा खुला होने से वो उनके चूतड़ों से और नीचे उतर गया। ऐसे ही बार बार बोल बोल के खिसका खिसका के रामदास ने ठकुराइन का गोरा गुलाबी गदराया नंगा बदन अपने सीने से बिलकुल सटा लिया और अपने हाथों और जिस्म से उनकी पीठ बाहों कन्धों और बड़े बड़े उरोजों बुरी तरह रगड़ रहा था। उसका फौलादी लण्ड ठकुराइन की गोरी गुलाबी चिकनी जांघ से टकरा रहा था और बुरी तरह अकड़ रहा था। कुछ सोच के रामदास फिर बोला – “मालकिन अगर आप मेरी तरफ़ घूम जाएं तो मैं आपके निपलों की मालिश कर दूँ क्योंकि इन की मालिश होंठों से की जाती है।” ठकुराइन रामदास की तरफ़ घूमने लगीं तो पैरों में फॅ़सा पेटीकोट उनकी टॉग रामदास के जिस्म के दूसरी तरफ़ नहीं जाने दे रहा था । रामदास फिर बोला –“मालकिन अगर आप पेटीकोट उतार दें तो आसानी होगी। आप चाहें तो मेरी धोती ओढ़ ले।”
यह कहकर उसने अपनी धोती उतार दी। ठकुराइन ने उसका फनफनाता फौलादी लण्ड देखा तो फटाफट पेटीकोट उतार फेंका और उसकी तरफ़ घूम गयी। फिर रामदास की जांघों के ऊपर अपनी मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघें चढ़ा कर बैठ गयी । जिससे उनकी गोरी गुलाबी पावरोटी सी फूली चूत की फॉकें खुल कर चूत का मुँह रामदास के फनफनाते फौोलादी लण्ड के सुपाड़े से टकराने लगा। रामदास अपने दोनों हाथों में उनके बड़े बड़े उरोजों पकड़ कर उनके गुलाबी निपलों को बारी बारी से होंठों में दबा चुभलाने लगा। उसके मुंह से उोजना भरी निपल चुभलाने चूसने की उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मह जैसी आवाजें आ रही थी। ठकुराइन की गोरी गुलाबी पावरोटी सी फूली चूत का मुँह उसके लण्ड के सुपाड़े से टकरा टकराकर बुरी तरह पनिया रहा था उनके मुंह से उत्तेजना के मारे ऊॅऊॅऊॅऊॅऊॅऊॅऊॅऊॅ की आवाजें आ रही थी।
रामदास का लण्ड भी बुरी तरह पनिया रहा था। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अब बात आगे कैसे बढ़ाये। तभी ठकुराइन बोली- “रामदास तूने मेरे पैरों की मालिश तो की ही नहीं।”
रामदास ने तीन चार तकिये अपने पैरों की ओर रखे और कहा- “आप इनपर लेट जायें मैं अभी किये देता हूँ।” तकिये इतने ऊँचे थे कि ठकुराइन उनपर अधलेटी सी हो पायी थी। रामदास यही तो चाहता था इससे उसका बदन अभी भी ठकुराइन के बदन ऊपर के गोरे गुलाबी गदराये हिस्से के बिलकुल करीब था पर उनकी गोरी गुलाबी पावरोटी सी फूली चूत उभर कर सामने आ गयी थी। रामदास बारी बारी से उनकी संगमरमरी टांगें अपने कन्धों पर रखकर मालिश करने लगा। दोनों बुरी तरह उत्तजित हो रहे थे। ठकुराइन की मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी गोरी गुलाबी जांघों पिण्डलियों पर रामदास के हाथ फिसल रहे थे। कभी कभी मारे उत्तेजना के रामदास उनकी गोरी गुलाबी पिण्डलियों पर मुँह भी मार रहा था। रामदास के हाथों नंगी नर्म चिकनी मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघों को सहलाने नितंबों को दबाने स्तनों के साथ खेलने से ठकुराइन के मुँह सिसकारियां छूट रही थी। तभी ठकुराइन ने अपनी दोनों टांगें उसके कन्धों पर रख ली और उनकी मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी गोरी गुलाबी जांघों पिण्डलियों को रामदास दोनों हाथों में दबोचने जोरजोर से सहलाने लगा। बीच बीच में मारे उत्तेजना के उनकी गोरी गोरी गुलाबी पिण्डलियों पर दॉत गड़ा देता था। ठकुराइन की मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी गोरी गुलाबी जांघों के बीच में से गोरी पावरोटी सी फूली चूत की फॉकें जो कि टांगें रामदास कन्धों पर रखी होने के कारण फ़ैल गयी थी और चूत का मुँह ठीक सुपाडे़ के सामने आ गया। लण्ड और चूत एक दूसरे से टकरा टकराकर बुरी तरह पनिया रहे थे। ठकुराइन रामदास की तरफ़ खिसकीं उनकी चूत लण्ड से फिर टकराई ठकुराइन बोली – “रामदास तू क्या सोचता है ठाकुर और तेरी फुलवा अभी क्या कर रहे होंगे।”
रामदास बोला – “फुलवा ठाकुर साहब की मालिश खतम कर राजरानी सी आराम से लेटी होगी और ठाकुर साहब के लण्ड से अपनी चूत की मालिश करवा रही होगी यानि चुदवा रही होगी ।”
ठकुराइन बोली – “तो क्या मैं और तू उनसे कम हैं।”
रामदास बोला- “बिलकुल नहीं मालकिन।”
ठकुराइन हाथ से उसके फौलादी लण्ड का सुपाड़ा पकड़ अपनी चूत के मुँह से लगा कर बोली- “तो फिर लगा धक्का।”
रामदास ने धक्का मारा। सुपाड़ा अन्दर घुस गया और रामदास उसे गोल गोल घुमाने लगा। चूत की दीवारों से घूमकर रगड़ते सुपाड़े का मजा लेते हुए ठकुराइन ने सिसकारी ली और बोली - “वाह माली राजा बगिया खोदने में तेरी खुरपी तो जबरदस्त घूमती है ही चूत में लण्ड तो उससे भी जबरदस्त घूमता है अगर पूरा लण्ड डाल के घूमाता तो और भी मजा आता।”
रामदास धक्का मारते हुए बोला- “ये लो मालकिन पूरा लण्ड।”
इस धक्के से रामदास का पूरा का पूरा फ़ौलादी लण्ड ठकुराइन की पावरोटी सी फूली हुयी चूत में समा गया और रामदास अपना लण्ड चूत में गोल गोल घुमाने लगा। ठकुराइन मजे से कराहते हुए बोली- “अबे जोर जोर से चोद ये ठकुराइन की चूत है अगर तुझसे न बने तो मैं चोदूँ तुझे पटक के।”
इतना रामदास के लिए काफी था। उसने जोर जोर से चोदना शुरू किया। अब रामदास ठकुराइन की गद्देदार फूली हुयी चूत पर अपनी कमर पटक पटक के चोद रहा था ठकुराइन की दोनों टांगें रामदास के कन्धों पर होने के कारण उनकी गद्देदार फूली हुयी चूत मोटी मोटी गोरी गुलाबी चिकनी जांघें भारी गद्देदार चूतड़ रामदास के लण्ड के आस पास टकराकर डनलप के गुदगुदे गद्दे का मजा दे रहे थे और उनसे फटफट की आवाज आ रही थी। रामदास ने दोनों हाथों से ठकुराइन के उछलते बड़े बड़े गोरे गुलाबी उरोजों को थामकर एकसाथ दोनों काले काले निपल होंठों में दबा लिये फिर ठकुराइन की नंगी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी संगमरमरी मांसल बाहों को उँगलियॉं में दबोच कर निपल चूसने लगा। अचानक ठकुराइन ने अपनी बायीं टांग रामदास के कन्धे से उतार ली और बायीं करवट ले ली। ठकुराइन के आदेश पर रामदास ने उनकी दूसरी टांग भी बायीं तरफ़ ही उतार दी। अब वो बगल से चोद रहा था। इसी तरह करीब आधे घंटे तक तरह तरह से जैसे जैसे ठकुराइन ने बताया वैसे वैसे रामदास ने अगल बगल दायें बायें ऊपर नीचे घुमा घुमाकर उठापटककर रगड़ते हुए चुदाई करने के बाद अचानक ठकुराइन के मुँह से जोर से निकला- “उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्हआाााहहहहह।”
और उन्होंने रामदास को पलट दिया ऊपर चढ़कर जोर जोर से उछलते हुए अपनी पावरोटी सी फूली चूत में जड़ तक रामदास का लण्ड धॉंसकर उसे लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए झड़ने लगी। रामदास भी ठकुराइन की आग हो रही चूत की गर्मी झेल नहीं पाया उनके बड़े बड़े गुलाबी चूतड़ों को दोनो हाथों में दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़ तक लण्ड धॉंसकर झड़ने लगा दोनों एक दूसरे की बाहों मे पडे़ हॉफ रहे थे एक दूसरे की बाहों में लिपटे लिपटे ही सो गये।
दूसरे दिन जब रामदास जाने लगा तो ठकुराइन ने कहा- “मैं बुधवार को उन तीनों का दरबार लगाती हूँ बहुत थक जाती हूँ बदन का जोड़जोड़ दर्द करता है तू हर वृहस्पतिवार को मालिश के लिए आजाया कर।”
रामदास- “जी बहुत अच्छा ।”
उधर फुलवा ठाकुर साहब के कमरे में पहुंची। ठाकुर अपने लम्बे चौड़े पलगं पर अधलेटा था।
क्रमश:………………
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