RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
छोटे ठाकुर हैरान हो गये। उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। लुन्गी पहन कर उसने लाईट बन्द की और नाईट लैम्प जला कर बिस्तर पर उनके पास ही लेट गया। जिस बदन को वो अब तक सिर्फ़ निहारता था उसी के पास लेटा था। भाभी का अधनंगा शरीर बिल्कुल पास था। वो ऐसे लेटी थी कि उनके गुलाबी स्तन लगभग पूरे दिखरहे थे क्योंकि थोडा ही हिस्सा ब्रा में छुपा था।
“इतने महीनों से मैं अकेली नहीं सोई ना इस लिए अब आदत नहीं है अकेले सोने की” - वो बोलीं।
“और मैं कभी किसी के साथ नहीं सोया ” वो लड़खड़ाते हुए बोला।
वह खिलखिलाई और बोली -“अनुभव ले लेना चाहिए जब भी मौका मिले। काम आएगा। मुझे यहां पीठ में कुछ खुजा रहा है जरा खुजलाओ ना।
यह कहकर उन्होंने उसकी तरफ पीठ कर ली और बोली- “लाला ये अंगिया का हुक खोल दो और ठीक से खुजलाओ”
जय ने नाइटी के पीछे की जिप खोलकर अंगिया का हुक खोल दिया और उनकी पीठ खुजलाने लगा। उसका लण्ड अब खड़ा होने लगा था और अन्डरवियर से बाहर निकलने के लिए जोर लगा रहा था। ठकुराइन के उभरे हुए बड़े बड़े चूतड़ों के बिल्कुल पास होने के कारण बीच बीच में उनसे टकरा भी जाता था।
तभी ठकुराइन ने उसका हाथ पकड़ कर धीरे से अपनी ओर खींचा और अपने उभरे हुए सीने पर रख दिया। वो बोली- “यहॉ कुछ सुरसुराहट सी हो रही है जरा सहलादो ”
वो कुछ भी बोल नहीं पाया और ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियों को सहलाने लगा। ठकुराइन ने उससे हाथ ब्रा के अन्दर डालकर सहलाने को कहा और उसका हाथ अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर से ब्रा के अन्दर डाल दिया। अब उसके हाथ में ठकुराइन के बड़े बड़े उरोज थे जिनके निपलों को वो अपनी हथेली में महसूस कर रहा था। वो उन्हें सहलाने लगा। जय की हथेली की रगड़ से ठकुराइन के निप्पल कड़े हो गए। सहलाते सहलाते वो ठकुराइन के बदन के बिल्कुल पास आ गया था और उसका लण्ड उनके बड़े बड़े उभरे हुए भारी नितंबों से रगड़ खा रहा था।
अचानक वो बोली – “लाला यह मेरे पीछे क्या चुभ रहा है जरा देखूं तो।” उन्होंने पूछा ।
लेकिन जय के जवाब देने से पहले ही अपना हाथ उसके लण्ड पर रख कर टटोलने लगीं। अपनी हथेली में लण्ड थाम कर कस कर मुट्ठी बन्द कर ली और बोली – “अरे ये तो तेरा लण्ड है बाप रे ये तो अभी से बहुत बड़ा और सख्त है ठाकुर साहब के जैसा। क्या सभी ठाकुरों के लण्ड बड़े और सख्त होते हैं।”
वह जय की तरफ घूमी और अपना हाथ उसके अन्डरवियर में डालकर फड़फड़ाते हुए लण्ड को इलास्टिक के ऊपर निकाल लिया। लण्ड को कस के पकडे हुए वह अपना हाथ लण्ड की जड़ तक ले गई जिस से सुपाड़ा बाहर आ गया। सुपाड़े का साइज और आकार देखकर हैरानी का नाटक करते हुए बोलीं - मुझे क्या पता था कि तेरा इतना बड़ा होगा। छोटे का लण्ड बड़े के लण्ड के बराबर भी हो सकता है। ”
“लाला कहां छुपा के रखा था इसे इतने दिन –“उन्होंने लण्ड सहलाते हुए पूछा।
“यहीं तो था पर ये आप क्या कर रही हैं मुझे पता नहीं क्या हो रहा है जो ये कड़ा और सख्त होकर दर्द भी कर रहा है ” -जय सकपकाया।
उसे उनकी बिन्दास बोली पर आश्चर्य हुआ जब उन्होंने लण्ड कहा साथ ही बड़ा मजा भी आया। वह लण्ड को अपने हाथ में लेकर सहला रही थी और बीच बीच में कस कर दबा भी देती थी। मुलायम हथेली का स्पर्श बहुत ही अच्छा लग रहा था नाइटी उनके गुलाबी बदन से इस छीन झपट में कब उतर गयी पता ही नहीं चला ब्रा का हुक खुला होने से वो भी नाम मात्र को लटकी थी उसमें से उनके बड़े बड़े भारी गुलाबी स्तन झॉंक रहे थे लेकिन ब्रा के अन्दर हाथ करके सहलाने में जय को दिक्कत सी हो रही थी।
हिम्मत करके उसने कांपते हुए हाथों से ठकुराइन की ब्रा को बदन से उसे उतार दिया। अब उनका कमर के ऊपर का गोरा गुलाबी मांसल बदन पूरी तरह नंगा हो गया गोरे मांसल सुडोल कन्धे मांसल संगमरमरी बाहें बड़े बड़े गुलाबी स्तन देख कर जय बुरी तरह उत्तेजित हो रहा था। अधनंगी ठकुराइन ने उसके दोनों हाथ अपने सीने पर ले जा कर अपने बड़े बड़े दूध से सफेद पर हल्के गुलाबी स्तन थमा दिये और बोली – “अरे थोड़ा कस के दबा ना। ”
मारे उत्तेजना के जय उनके बड़े बड़े उरोजों से जम कर खेलने लगा और जोर जोर से दबाने लगा।
ठकुराइन को भी बहुत मजा आ रहा था वो अपनी गुदाज हथेली में लेकर उसका फ़ौलादी लण्ड सहला रही थी। उनकी चूचियों को सहलाते दबाते जय उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और उसका 8 इन्च का फनफनाता लण्ड पूरे जोश में उनकी मोटी मोटी जांघों में रगड़ रहा था।
फिर वह जय की तरफ करवट ले कर लेट गई और अपना पेटीकोट अपनी कमर के ऊपर उठा लिया और उसके तने हुए लण्ड को अपनी मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघों के बीच दबा कर मसलने लगी। बड़े बड़े बेल से उरोजों पर चेरी से भूरे रसीले निप्पल जय के मुंह के बिल्कुल पास थे और वह उन्हें बीच बीच में पकड़कर मसल देता था। अचानक उन्होंने अपना बायां निप्पल उसके मुंह में ठेलते हुए कहा – “हाय इनको मुंह में लेकर चूस ना। ”
जय ने उनके बायें स्तन का निप्पल अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा।
फिर क्या था। भाभी की हरी झन्डी पाकर छोटे ठाकुर टूट पड़े ठकुराइन भाभी की चूचियों पर। उसकी जीभ उनके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी। उसने अपनी जीभ ठकुराइन भाभी के उठे हुए कडे़ निप्पलों पर घुमाई। वो दोनों बेलों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से निप्पलों को चूस रहा था। वो ऐसे कस कस कर चूचियों को दबा रहा था मानो इनका पूरा का पूरा रस ही निचोड़ लेगा। ठकुराइन के मुंह से
आह उई सी स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्ससी
की आवाज निकल रही थी। वो जय के लण्ड को मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघों के बीच ले कर बुरी तरह से मसल रही थी और उससे पूरी तरह से सटती जा रही थी। उन्होने अपनी बाईं टांग उसकी जांघ के ऊपर चढ़ा दी । जय के लण्ड को उनकी जांघों के बीच एक मुलायम मुलायम रेशमी अहसास हुआ। यह उनकी चूत थी। भाभी ने पैन्टी नहीं पहनी थी और उसके लण्ड का सुपाड़ा उनकी झांटों में घूम रहा था और उसकेे सब्र का बान्ध टूट रहा था।
भाभी मुझे कुछ हो रहा है़ मैं अपने आपे में नहीं हूं। प्लीज मुझे बताओ मैं क्या करूं।
अरे तो क्या तुम्हें कुछ नहीं मालुम तुम जैसे खेल रहे थे उससे तो लगा था कि सब जानते हो।
ये सब तो सुना पढ़ा और वयस्क पिक्चरों में देखा था।
वो अपनी गुदाज हथेली में लेकर उसका फ़ौलादी लण्ड सहलाते हुए बोली – “इतना तगड़ा लौंड़ा ले के भी कुछ नहीं किया। कितने दुख की बात है। कोई भी लड़की इसे देख कर कैसे मना कर सकती है। क्या शादी तक ऐसे ही रहने का इरादा था।”
जय बोला – “ये तो मालुम है कि क्या करना है पर कैसे ये नहीं मालुम।
“वाह कैसे ठाकुर हो क्या शादी के बाद बीबी से पूछोगे या क्या करोगे। ”- ठकुराइन बोली।
जय के मुंह में कोई शब्द नहीं थे। वो चुपचाप नजर नीची किये उनके हुए स्तनों से खेल रहा था। उन्होंने अपना मुंह उसके मुंह से बिलकुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली- “कोई बात नहीं अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा अपनी ठकुराइन भाभी से सीख लो।
“क्क क्यों नहीं ” जय बड़ी मुश्किल से बोल पाया।
उसका गला सूख रहा था। वह बड़े मादक अन्दाज में मुस्करा दी और उसके लण्ड को आजाद करते हुए बोलीं ष्तब ठीक है। अपने अनाड़ी देवर राजा को ठकुराइन भाभी सब सिखा देगी। पर गुरू दक्षिणा देनी पड़ेगी ।
क्या गुरू दक्षिणा देनी होगी। ”-जय ने पूछा।
“चोदना पडे़गा मूरख और क्या वो भी जब और जितनी बार मैं बुलाऊॅं आखिर सिखाने में मुझे अपनी चूत का इस्तेमाल करना पड़ेगा और मुझे तेरे इस लण्ड की आदत पड़ जायेगी कि नहीं। चल अपनी चडढी उतार कहते हुए ठकुराइन ने उसकी चडढी खीच कर उतार दी।
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