Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
04-25-2019, 11:59 AM,
#60
RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
कुछ देर बाद ठकुराइन ने पूछा- “क्यों लाला कैसी लगी चुदाई।”
छोटे ठाकुर -
“हाय भाभी जी करता है जिन्दगी भर इसी तरह तुम्हारी चूत में लण्ड डाले पडा रहूं।”
ठकुराइन –
“जब तक बडे़ ठाकुर नहीं आते तब तक तो दिन हो या रात ये चूत तुम्हारी है। जो मर्जी हो कर सकते हो। फ़िलहाल अब थोड़ी देर आराम करते हैं।”
छोटे ठाकुर –
“नहीं भाभी। कम से कम एक बार तो और हो जाए। देखो मेरा लण्ड अभी भी बेकरार है ।”
ठकुराइन ने छोटे ठाकुर के लण्ड को अपनी गुदाज हथेली में कस लिया और बोली –
“ये तो ऐसे रहेगा ही चूत की खुशबू जो मिल गई है। पर देखो रात के तीन बज गए हैं। अगर सुबह टाईम से नहीं उठे तो हवेली के नौकरों को शक हो जाएगा। अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के भी कई दिन हमारे हैं। जी भर कर मस्ती लेना। मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखाउंगी।”
ठकुराइन का कहा मान कर छोटे ठाकुर ने जिद छोड़ दी ठकुराइन करवट लेकर लेट गई। छोटे ठाकुर उनकी गदरायी पीठ से सट बगल से हाथ डालकर दोनों हाथों में बड़ी बड़ी चूचियों थाम उनके बड़े बड़े गद्देदार गुलाबी चूतड़ों की दरार में लण्ड फंसा दिया और उनके मांसल कन्धों पर होंठ रख कर लेट गया। नींद कब आगई इसका पता ही नहीं चला।


भाग 2
सुबह जब अलार्म घड़ी बजी तो छोटे ठाकुर ने समय देखा। सुबह के सात बज रहे थे। ठकुराइन भाभी ने उसकी तरफ मुस्करा कर करवट लेकर देखा और एक गरमा गरम चुम्बन होठों पर जड़ दिया। उसने भी ठकुराइन भाभी को जकड़ कर उनके चुम्बन का जोरदार जवाब दिया। फिर ठकुराइन उठ कर अपने रोज के काम काज में लग गई। वह बहुत ही खुश थी और उनके गुनगुनाने की आवाज उसके कानों में शहद घोल रही थी। तभी घन्टी बजी और नौकरानी आशा आ गई।
उस दिन जय ठाकुर कालेज नहीं गये। नाश्ता करने के बाद वो पढ़ने बैठ गया। जब बेला की बेटी आशा कमरे में झाडू लगाने आई तब भी वो टेबल पर बैठा पढ़ाई करता रहा। पढ़ाई तो क्या खाक होती। बस रात का ड्रामा ही आँखों के सामने घूमता रहा। सामने खुली किताब में भी भाभी का संगमरमरी बदन उनकी दूध सी सफेद बेल सी चूचियां और पाव सी चूत ही नजर आ रही थी।
बाबू जरा पैर हटा लो झाड़ू देनी है।
छोटे ठाकुर चौंक कर हकीकत की दुनिया में वापस आये। देखा आशा कमर पर हाथ रखे पास खड़ी है। वो खड़ा हो गया और आशा झुक कर झाड़ू लगाने लगी। वो उसे यूं ही देखने लगा। आशा का रंग गेंहुआ अपने बाप बल्लू के जैसा, और भरा भरा बदन अम्मा के जैसा। तीखे नाक नक्श । बडे़ ही साफ सुथरे ढंग से सज संवर कर रहती थी। आज से पहले मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। वो आती थी और अपना काम कर के चली जाती थी। पर आज की बात ही कुछ और थी। चुदाई की ट्रेनिंग पाकर एक रात में ही उसका नजरिया बदल गया था। अब वो हर औरत को चुदाई के नजरिये से देखने लगा था। उसे पता था कि आशा की गोरी चिट्टी मुटल्ली अम्मा बेला बड़े ठाकुर से जम के चुदवाती है हो सकता है ये भी चालू हो। आशा लाल हरी साड़ी पहने हुई थी जिसका पल्लू छाती पर से लाकर कमर में दबा लिया था। छोटा सा पर गहरे गले का चोलीनुमा ढीला ब्लाउज उसकी चूचियों को संभाले हुए था। जब वो झुक कर झाडू लगाने लगी तो ब्लाउज के गहरे गले से उसकी गोल गोल बेल सी चूचियां साफ दिखाई दे रही थी। छोटे ठाकुर का लण्ड फनफना कर तन गया। रात वाली ठकुराइन भाभी की चूचियां मेरे दिमाग में कौंध गई। तभी आशा ने नजर उठाई तो छोटे ठाकुर को एक टक घूरता पाकर उसने एक दबी सी मुस्कान दी और अपना आंचल संभाल कर चूचियों को छुपा लिया। अब वो छोटे ठाकुर की तरफ पीठ कर के टेबल के नीचे झाडू लगा रही थी। उसके चूतड़ तो और भी मस्त थे। गोल बड़े बड़े और गद्देदार। छोटा ठाकुर मन ही मन सोचने लगा कि इसके गद्देदार चूतड़ों पर लण्ड रगड़ने और चूचियों को मसलने में कितना मजा आएगा। बेखयाली में उसका हाथ तन्नाए हुए लण्ड पर पहुंच गया और पाजामे के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा। तभी आशा अपना काम पूरा कर के पलटी और छोटे ठाकुर की हरकत देख कर मुंह पर हाथ रख कर हंसती हुई बाहर चली गई। छोटा ठाकुर झेंप कर कुर्सी पर बैठ पढ़ाई करने की कोशिश करने लगा।
जब आशा काम कर के चली गई तब ठकुराइन ने खाने के लिए बुलवा भेजा। जय डाईनिंग टेबल पर आ गया। ठकुराइन भाभी ने खाते समय पूछा-
“क्यों छोटे , आशा के साथ कोई हरकत तो नहीं की।”
वो अचकचा गया-
“नहीं तो। कुछ बोल रही थी क्या?”
ठकुराइन –
“नहीं कुछ खास नहीं। बस कह रही थी कि आप के देवर छोटे ठाकुर अब जवान हो गये हैं जरा खयाल रखना।”
वो कुछ नहीं बोला और चुपचाप खाना खा कर अपनी स्टडी टेबल पर आ कर पढ़ने बैठ गया। ठकुराइन ने हवेली का काम निबटवा कर नौकरों की बाकी के आधे दिन की छुटटी कर दी कि ठाकुर साहब हैं नहीं सो कोई खास काम शाम को है नहीं सो तुम लोग भी आराम करो। सबको भेज भाज कर ठकुराइन कमरे में आई और छोटे ठाकुर के सामने उसकी स्टडी टेबल पर बैठ गई और पैर सामने कुर्सी पर बैठे छोटे ठाकुर की दोनो जॉघों पर रख लिये। उसके हाथ से किताब लेते हुए बोली-
“ज्यादा पढ़ाई मत कर। सेहत पर असर पड़ेगा।”
और अपनी एक आंख दबा कर कनखी मार दी। फिर छोटे ठाकुर की दोनो टॉगों के बीच में अपने पैर के अंगूठे से उसका लण्ड सहलाते हुए बोली-
“छोटे ठाकुर तेरा लण्ड तो बहुत जोरदार है। कितना मोटा लम्बा और सख्त। रात जब तुने पहली बार मेरी चूत में डाला तो ऐसा लगा कि ये तो मेरी बुर को फाड़ ही डालेगा। सच कितना अच्छा होता अगर एक रात मैं बारी बारी से दोनों ठाकुरों के लण्ड अपनी चूत में लेकर मजे लेती और देखती दोनो ठाकुरों से एक साथ चुदवाकर कि कौन ऊंचा कलाकार है ।”
जय के हाथ उनके पैरों को सहलाते हुए धीरे धीरे उनकी पिण्डलियों की तरफ बढ़ने लगे उनका लंहगा ऊपर सरकने लगा।
“तुम कितनी अच्छी हो भाभी”
वो बोला- “मुझे अपनी चूत देकर चोदना सिखाया।”
धीरे धीरे छोटे ठाकुर ने ठकुराइन का लंहगा उनके घुटनों तक ऊपर सरका दिया और उनकी पिण्डलियों को दोनों हाथों से सहलाने हथेलियों में दबोचने लगा। बीच बीच में उत्तेजित हो उनकी गोरी गोरी गुलाबी पिण्डलियों पर दॉत भी गड़ा देता था। धीरे धीरे ठकुराइन का लंहगा उनकी के जांघों तक ऊपर सरककर पहुंच गया और जयठाकुर उनकी मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी गोरी गुलाबी जांघों पिण्डलियों को दोनों हाथों से सहलाने हथेलियों में दबोचने लगा। बीच बीच में उत्तेजित हो जहॉ तहॉ मुँह भी मार रहे थे। फिर छोटे ठाकुर मारे उत्तेजना के खड़े हो गये और ठकुराइन के रसीले होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूसने लगे और उनका लंहगा अपने हाथों से उनकी के जांघों से ऊपर कर उनकी चूत और चूतड़ों को नंगा करने की कोशिश करने लगे ठकुराइन ने टेबिल पर बैठ बैठे बारी बारी से दायें बायें झुककर अपने बड़े बड़े भारी चूतड़ों को उठा कर उनकी मदद की अब उनका लंहगा उनकी कमर तक सिमट गया था आज ठकुराइन नीचे कुछ भी नहीं पहने हुई थी और अब वो कमर के नीचे बिलकुल नंगी थी। उनके बड़े बड़े गद्देदार गुलाबी चूतड़ गोरी गुलाबी रेशमी पावरोटी सी फूली चूत मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरे गुलाबी जांघें और पिण्डलियां देख कर छोटे ठाकुर उत्तेजना के मारे जहॉ तहॉ नोचने हथेलियों में दबोचने मुँह मारने लगे। ठकुराइन के मुँह से सिसकारियॉं छूटने लगी। ठकुराइन ने छोटे ठाकुर का सर दोनों हाथों में थाम उसका मुँह अपने उभरे सीने पर रख दिया। छोटे ठाकुर अपने हाथ उनकी गदराई पीठ पर कस कर उनके बड़े बड़े उरोजों पर अपना चेहरा रगड़ने लगे। छोटा ठाकुर एक हाथ पीछे ले जाकर उनके ब्लाउज के बटन खोलते हुए दूसरा हाथ ब्लाउज के अन्दर डाल उनके उरोज सहलाने लगा और निपल पकडकऱ मसलने लगा। फिर एक हाथ से उरोज सहलाते हुए दूसरा हाथ नीचे ले जाकर ठकुराइन का विशाल चूतड़ पकड़ लिया।ठकुराइन से रहा नहीं गया तो छोटे ठाकुर के नारे को ढीला कर के ऊपर से ही हाथ घुसा कर छोटे ठाकुर के फौलादी लण्ड को सहलाने लगी फिर अपनी दोनों मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों के बीच दबाकर मसल़ने लगी अब छोटे ठाकुर के होंठ और हाथ उनके सारे गदराये जिस्म की ऊँचाइयों व गहराइयों पर पहुँच रहे थे और सहला टटोल दबोच रहे थे उनके गदराये जिस्म पर जॅहा तॅहा मुँह मार रहे थे और ठकुराइन धीरे धीरे टेबिल के पीछे की दीवार से सटती जा रही थी धीरे धीरे वे पूरी तरह सट गयीं, केवल दोनों टांगे छोटे ठाकुर की कमर से लपेट ली थी। छोटे ठाकुर उनके गदराये जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी चूचियों और सारे गदराये जिस्म की ऊँचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मार रहे थे बीच बीच मे उनके निप्पलो को बारी बारी से होंठों में ले कर चुभला व चूस रहा था। ठकुराइन छोटे ठाकुर का लण्ड अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली –
“टेबिल चुदाई सीखेगा।”
छोटे ठाकुर –
“ये क्या होता है?”
ठकुराइन –
“सीखेगा तब तो जानेगा। इसके बड़े फायदे हैं जैसेकि कपड़े नहीं उतारने पड़ते और यदि किसी के आने की आहट हो तो जल्दी से हट सकते हैं जैसे कुछ कर ही नहीं रहे थे इसे चोरी की चुदाई या फ़टाफ़ट चुदाई भी कहते हैं।”
छोटे ठाकुर –
“तब तो जरूर सीखूँगा।”
ठकुराइन –
“तो जल्दी से आजा।”
छोटे ठाकुर-
“जैसा आप कहें, पर कैसे?”
ठकुराइन ने टेबिल से लगी दीवार से पीठ लगा अपने दोनों पैर मोड़कर टेबिल पर कर लिए और दोनों हाथों से अपनी चूत की फांके फैलायी और बोली–
“ऐसे।”
बसछोटे ठाकुर ने अपने फौलादी लण्ड का सुपाड़ा उस पर धरा। ठकुराइन ने अपने हाथ से उसका लण्ड पकड़कर निशाना ठीक किया। ठकुराइन की मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघों भारी नितंबों के बीच मे उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का मुँह खुला था। चूत के मुँह की दोनों फूली फांको के ऊपर धरा अपना फौलादी लण्ड का सुपाड़ा देख छोटे ठाकुर अपना सुपाड़ा ठकुराइन की चूत पर रगड़ने लगे।
ठकुराइन से जब उत्तेजना बरदास्त नहीं हुई तो चिल्लाई “अबे जल्दी लण्ड डाल।”
और तभी उत्तेजना में आपे से बाहर हो छोटे ठाकुर ने झपट़कर दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी चूचियाँ दबोच झुककर उनके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखकर लण्ड का सुपाड़ा चूत मे धकेला सुपाड़ा अन्दर जाते ह़ी उनके मुँह से निकला “उम्म्म्म्म्म्महहहहहहहहहहह शाबाश छोटे अब धीरे धीरे बाकी लण्ड भ़ी चूत मे डालदे।”
वो बड़ी बड़ी चूचियों को जोर जोर से दबाने गुलाबी होंठों को चूसने लगा। ठकुराइन की चूत बैठे होने से बेहद टाइट लग रही थी पर जैसे लण्ड अन्दर खिचा जा रहा हो या चूत अपने मुंह की दोनों फूली फांको मे लण्ड दबाकर उसे अन्दर चूस रही हो। पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी ठकुराइन के मुँह से निकला-
“आहहहहहहहहहहहहहहह आह वाहहहह छोटे शाबाश अब लगा धक्के।”
छोटे ठाकुर ने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर वापस धक्का मारा दो तीन बाहर ह़ी धीरे धीरे ऐसा किया था कि ठकुराइन –
वाहहहह बेटा शाबाश अब लगा धक्के पे धक्का धक्के पे धक्का और जोर जोर से लगा धक्के पे धक्का । चोद ठकुराइन की चूत को अपने लण्ड से। मेरी चूचियों और जिस्म का रस चूस और जोर जोर से चोद।”
छोटे ठाकुर ने ठकुराइन की मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघों को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलते और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारते हुए जोर जोर से धक्के पे धक्का लगाकर चोदने लगे। हर धक्के पे उनके मुंह से आवाजें आ रही थीं आह आहहहह आहहहहहहहहहहहहहहह।
ठकुराइन ने अपनी दोनों टांगे मोड़कर टेबिल पर कर रखी थी जिससे उनकी संगमरमरी जांघें छोटे ठाकुर सीने की सीध में और पावरोटी सी फूली चूत बड़े बड़े गद्देदार गुलाबी भारी चूतड लण्ड की सीध में हो गये थे जिन्हें देख देख जय पगला रहा था साथ ही उसका लण्ड भी ठकुराइन की चूत की जड़ तक धॉंसकर जा रहा था हर धक्के पे उनकी चिकनी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ छोटे ठाकुर की जांघों और लण्ड के आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे जब ठकुराइन के थिरकते हुए बड़े गद्देदार गुलाबी भारी चूतड़ों से छोटे ठाकुर की जांघें टकराती तो लगता कोई तबलची तबले पर थाप दे रहा हो। पूरे कमरे में चुदाई की थप थप फट फट गूंज रही थी। छोटे ठाकुर दोनों हाथों मे उनकी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को दबोचकर उनकी गुलाबी मांसल पिण्डलियों पर जॅहा तॅहा कभी मुंह मारते कभी दांतों मे दब चूसते हुए चोदने लगा ठकुराइन भी अपने चूतड़ हिला हिला कर गोरी पावरोटी सी फूली चूत मे जड़तक लण्ड धॅंसवाकर चुदवा रही थी। करीब आधे घ्ंटे तक वो पागलों की तरह उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलते तो कभी दांतों मे दबा निप्पलो को तो कभी बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाते व चूसते हुए और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर संगमरमरी जांघों और भारी चूतड़ों पर जहॉ तहॉं मुंह मारते हुए चोदता रहा। ठकुराइन बार बार ललकार रही थी- 
“चोद ले छोटे राजा चोद ले अपनी भाभी की आज फाड़ डाल इसे। शाबाश मेरे शेर। मजा ले ले जवानी का। और जोर से छोटे राज्जा और जोर से। फाड़ डाल तू आज मेरी तो। नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवाती रही कि अचानक ऐसा लगा जैसे जिस्म ऐठ रहे हों तभी ठकुराइन ने नीचे से जोर से अपने चूतड़ों को उछाला और छोटे ठाकुर ने अगला धक्का मारा कि उनके जिस्मों से जैसे लावा फूट पडा़ । ठकुराइन के मुँह से जोर से निकला- “उहहहहहहहहहहह ।”
नीचे से अपनी कमर और चूतड़ों का दबाव डालकर अपनी चूत मे जड़ तक लण्ड धॉंसकर झड रही थी और वो भी उनके गदराये जिस्म को बुरी तरह दबाते पीसते हुए दोनों हाथों मे उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड रहा था। जब दोनों झड चुके तब भी बुरी तरह चिपटे हुए थे ।दोनों उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गए और थकान की वजह से सो गए।


क्रमश:……………॥
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