Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:32 PM,
#15
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
मैं कुछ देर चाची की पीठ को सहलाता रहा फिर मैंने चाची का हाथ अपने लंड पर रख दिया उसने हाथ हटाया नहीं और धीरे धीरे उसे अपनी मुठी में लेके सहलाने लगी उसके छूने से ही मेरा बुरा हाल होने लगा था एक बार फिर मुरझाये लंड में तनाव होने लगा था उसने अब मेरी गोलियों को भी सहलाना शुरू कर दिया था जल्दी ही मेरा लंड पूर्ण रूप से उत्तेजित होकर चाची के हाथ में झूल रहा था 



“तू बहुत सुन्दर है चाची” मैं बोला और साथ ही चाची के चूतडो पर हाथ फेरने लगा 



“तेरे चुतड बहुत ही शानदार है चाची जी करता है इनको चूमता रहू तेरे बदन की ये महक मुझे पागल कर रही है जी चाहता है की पूरी रात तुझे ऐसे ही प्यार करू ”


चाची कुछ नहीं बोली बस धीरे धीरे मेरे लंड से खेलती रही मुझे गरम करती रही मैं उसके होंठो पर टूट पड़ा और एक बार फिर से चाची की जीभ मेरे मुह में गोल गोल घूम रही थी उत्तेजना फिर से हमे कह रही थी की आओ और एक बार फिर से एक दुसरे में समा जाऊ चाची अब टेढ़ी हो गयी थी हमारे पैर आपस में उलझे थे उसको चुमते चुमते मेरी उंगलिया उसकी गांड की दरार पर रेंगने लगी थी 



और तभी मेरी बीच वाली ऊँगली ने उसकी गांड के छेद को छुआ तो चाची के बदन में बिजली दौड़ गयी “क्या कर रहा है चुदाई के बाद वो पहली बार बोली ”


“प्यार कर रहा हु और क्या कर रहा हु ” कहते हुए मैंने गांड के छेद को थोडा सा कुरेदा तो चाची ने मेरे लंड को अपनी मुठी पर भींच लिया और आँखों को बंद कर लिया “पुच पुच ” मैंने उसके गाल को चूमा और उसे अपने ऊपर खीच लिया चाची की गांड के छेद को सहलाते हुए मैंने उसे अपने ऊपर लिटाया हुआ था मेरा लंड एक बार फिर से उसकी चूत में जाने को फनफनाया हुआ था आज जी भर के मैं चाची की चूत मारना चाहता था 



“कुंदन एक काम करेगा ”


“दो करूँगा बोलो तो सही ”


“मेरी इसको प्यार कर न ”


“किसको चाची ”


“मेरी छु............ चूत को ” चाची बेहद लरजते हुए बोली 



“कर तो रहा हु ”


“ऐसे नहीं ”


“तो कैसे ”


“सबकुछ मुझसे ही कहलवाए गा नालायक ” इस बार वो थोडा तुनकते हुए बोली 



“अब बताओगी नहीं तो क्या समझूंगा मैं ”


“मेरी चूत को प्यार कर नालायक जैसे मेरे होंठो को कर रहा है ”चाची थोड़े गुस्से से बोली 



ओह! अब समझा चाची चाहती थी मैं उसकी चूत की पप्पी लू मैंने उसे अपने ऊपर से उतारा और पेट के बल लिटा दिया उसकी चिकनी जांघो को फैलाया और मैं खुद बीच में आ गया अपने चहरे को उसकी जांघो के जोड़ में घुसा दिया मेरी नाक उसकी चूत के बिलकुल पास थी चाची की चूत की काली पंखुड़िया बार बार खुल और बंद हो रही थी 



जैसे ही मैंने साँस छोड़ी गारम हवा चाची की चूत से जा टकराई तो चाची बस आह भर कर ही रह गयी मैंने अपना मुह थोडा और पास किया उस जन्नत के दरवाजे के जिसके लिए लोग पता नहीं क्या क्या कर जाते है चाची थोड़ी देर पहले ही मूत कर आई थी तो मुझे मूत की लपट आई पर उसमे भी एक नशा था जो मुझे बहुत पागल कर गया 



माध्यम आकर के झांटो से भरी चाची की कोमल चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी ऊपर से जब उसकी चूत की वो पंखुड़िया जो बार बार खुल और बंद हो रही थी उत्तेजना के मारे मैंने चाची के पैरो को पूरी तरह से विपरीत दिशाओ में खोल दिया था ताकि अगर मेरे सामने कुछ रहे तो बस उसकी चूत , वो चूत जो लपलपाते हुए मुझे अपनी और बुला रही थी की आओ और समा जाओ मुझमे 



अपने होंठो पर जीभ फेर कर मैंने उन्हें गीला किया और अगले पल अपने होंठो को चाची की चूत पर रख दिया आह मेरा निचला होंठ जैसे जल ही गया इतनी गरम चूत थी वो और जैसे ही मैंने अपने होंठो से चूत को छुआ चाची तड़प उठी अचानक से “पुच ” मैंने चूत की एक पुप्पी ली कसम से मजा ही आ गया और अगली ही पल चूत से कुछ खारा सा रिस कर मेरे मुह में आ गया जैसे हल्का सा नमक चख लिया हो 



कुछ देर मैं अपने होंठ वहा पर रगड़ता रहा चाची अपने हाथ पैर पटकने लगी थी तो मैं समझ गया की जितना इसकी चूत को ऐसे करूँगा उतना ही चाची को मजा आएगा मैंने अपनी उंगलियों से चूत की फानको को अलग किया और फिर अपने मुह में भर लिया “आह कुंदन मार इया रे आह आः रे जालिम ” चाची ने पुरे कमरे को अपने सर पर उठा लिया उसकी चूत से रिश्ते उस खारे पानी से मेरा चेहरा ठोड़ी की तरफ से पूरा सन गया था पर चाची का क्या हाल था ये आप खुद समझ सकते है 



कुछ देर बस मैंने उन फांको को अपने मुह में लिए रखा चाची अपनी कमर को उचकने लगी थी खुद मेरा लंड ऐंठा हुआ था तभी चाची ने मुझे अपने ऊपर इस तरफ से आने को कहा की मेरा मुह उसकी चूत पर और टांगे उसकी मुह की तरफ थी इस तरह से होते ही मैं एक बार फिर से उसकी चूत टूट पड़ा मैं इस कदर उसकी चूत को चूस रहा था की दुनिया का सबसे स्वादिष्ट पदार्थ वो ही


सूप सूप मेरी जीभ चाची की चूत में अन्दर बाहर हो रही थी पर क़यामत जब हो गयी जब मैंने अपने लंड पर कुछ गीला लिज्लिसा सा महसूस किया चाची ने भी मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया था उफ्फ्फ्फ़ ये हो क्या रहा था एक पल में ही मैं इस कदर मस्त हो गया की मामला हद से ज्यादा गरम हो गया चाची की गरम जीभ मेरे सुपाडे पर घूम रही थी और उसकी मुट्ठी में मेरी गोलिया कैद थी 



काम्ग्नी में जलते हुए हम दोनों एक दुसरे के अंगो को चाट रहे थे चूस रहे थे जब चाची ने तेजी से मेरे लंड पर अपना मुह चलाना चालू किया तो मस्ती में चूर मैंने धीरे से उसकी गांड के छेद को चूम लिया चाची ऊपर से निचे तक कांप गयी जिस अदा से वो मेरे लंड को चूस रही थी मैं तो कायल हो गया था उसका मैंने फिर से उसकी चूत को अपने मुह में भर लिया और उसने मेरे लंड को 
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