Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:35 PM,
#32
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
दिन सरपट दौड़ा जा रहा था सुबह कब दोपहर और दोपहर कब साँझ में ढलने लगी थी पता नहीं चला और फिर वो समय भी आ गया जब अंगार उस मैदान में दहाड़ रहा था भीड़ जय जयकार कर रहा था 

भाई- डर तो नहीं लग रहा ना 

मैं- नहीं भाई 

वो- कुंदन हौसला रखना चाहे कुछ भी हो चाहे जितनी बार भी तू गिरे इतनी हिम्मत करना की तू उठ सके अपने दुश्मन को अपने से कम मत समझना हम सब हर पल तेरे साथ है खुद को अकेला मत समझना जैसे ही तू उसके सामने हो तुझे बस इतना याद रहना चाहिए की तू यहाँ किसलिए है तेरा प्रण तेरा लक्ष्य है उसका मान रखना तेरा कर्म है और उसमे कमी नहीं होने पाए ये तेरी कर्मभूमि है तेरा अग्निपथ है जिसे तुझे पार करना है ना खुद क लिए न हमारे लिए बल्कि उस वजह के लिए जिसके कारण तूने जीवन दांव पर लगाया है 

चाहे कुछ हो उफ्फ्फ भी ना करना न कुछ ज्यादा सोचना यही वो लम्हा है जिसका तुमने इंतजार किया था या तो इस पार या उस पार 
मैं- जी भाई जी भाई 

और फिर वो वक़्त आ ही गया जब मैं और अंगार एक दुसरे के सामने खड़े थे आँखों में आँखे डाले हमारे चारो और इतना शोर था की कानो में परदे बुरी तरह से हिल रहे थे पुजारी ने शंखनाद कर दिया था अंगार और मैं बस घुर रहे थे एक दुसरे को और इस से पहले मैं कुछ करता मेरे बदन ने झटका खाया और मैं निचे गिर पड़ा उसने पता नहीं कब मेरी पसलियों में ऐसा जोर दार घूंसा मारा की मेरी आँखों के आगे अँधेरा छा गया 

पसलिया जैसे तिदक सी गयी थी मैं अपनी साँस को संभाल रहा था की तभी एक लात और , और मैं घिसट गया उसने मुझे उठाया और बहुत जोर से धरती पर पटका “आह ” इस बार मैं अपनी चीख नहीं रोक पाया पर मुझे उठाना था उसके अगले प्रहार को रोका मैंने और उठा 

अंगार- छोरे, गलती की तूने बीस बीस गाँवो के जवान मेरे नाम से मूत देते और तू मेरे सामने खड़ा हो गया गलती की तूने 

मैं- आजा फिर दिखा तेरा जोर कितना है आ दिखा तेरा वो डर जिसके आगे बीस गाँवो के जवान मूत देते है आ साले आ 

एक बार फिर हम दोनों गुत्थम गुत्था हो गए थे उसके बाजु मुझे अपने कंधो में धंसते महसूस हो रहे थे पर मुझे हार स्वीकार नहीं थी बल में मुझसे कही ज्यादा था वो और जल्दी ही उसको भीड़ का समर्थन भी मिलने आगा क्योकि बार बार वो मुझ पर भारी पड़ने लगा था कभी वो कभी मैं बस कोशिश थी एक दुसरे पर काबू पाने की क्योंकि ये कोई साधारण मुकाबला नहीं था ना ये आन बान का प्रश्न था मेरे लिए 

तभी मेरा प्रहार उसके चेहरे पर लगा और उसके होंठो से खून बहने लगा मेरी नजर भाई पर पड़ी तो वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया पर उसके चेहरे पर फिकर देखि मैंने और तभी अंगार ने मेरे सर पर वार किया बस यही असावधानी मुझ पर भारी पड़ गयी और एक के बाद एक प्रहार मी बदन पर पड़ने लगे मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे जैसे जान बाकी नहीं रही 

अंगार- बस साले निकल गया जोश तेरा 

मैं- अभी कहा अभी तो शुरुआत है 

जैसे ही वो मेरे पास आया मैंने अपना हाथ उसके पैरो में उलझाया और उसे गिरा दिया और चढ़ गया उसके ऊपर और मारने लगा उसको पर उसने मुझे पलट दिया पर इसी बीच मेरे हाथो उसकी गर्दन आ गयी और मैंने मौका देखते हुए अपनी पकड़ मजबूत कर दी पर वो इतनी आसानी से काबू कहा आने वाला था उसने अपना जोर लगाते हुए मुझे इस तरह फेका की जहा हथियार थे मैं वहा जाकर गिरा मेरा सर पता नहीं किस चीज़ से टकराया पर खून निकल आया 

भीड़ जैसे पागल ही हो रही थी और एक पागलपन मैंने अंगार की आँखों में भी देखा मेरा सारा जोश मेरी ताकत ना जाने कहा गायब हो गयी थी मैंने देखा उसने अपने हाथ में तलवार उठा ली थी और अगले ही पल उसका वार मेरी पीठ को चीर गया मैं बहुत जोर से चिल्लाया और मेरा कुरता तार तार होकर जमीन पर गिर गया

बड़ी मुस्किल से अपने आप पर काबू पाते हुए मैंने उसका प्रहार रोका अगले कुछ मिनट मैं बस बचने का प्रयास करता रहा और इसी बीच मैंने ढाल फेक कर मारी उसके हाथ पर तो तलवार निचे गिर गयी और मैं फिर से भीड़ गया उस से आस पास हल्का हल्का अँधेरा होने लगा था भीड़ ने मशाले, लालटेने जला ली थी पर शोर में किसी तरह की कमी नहीं आई थी 

कभी लात कभी घूंसे तो कभी ताकत का मोल हम दोनों अपनी अपनी ओर से हर तरीका अपना रहे थे और कही ना कही मुझे ये भान भी होने लगा था की वो थक रहा है पर वो हर बार मेरे अंदाजे को गलत साबित कर देता उसकी वो लात जो मेरे पेट में पड़ी तो मैं दोहरा हो गया खांसी सी चल गयी राल बहने लगी और तभी उसने तलवार उठा ली 

“उठ ” उसने कहा और सीधा तलवार जो घुमाई तो इस बार मेरी बाह चिर गयी 

अंगार- आज इस धरती की प्यास तेरे खून से बुझेगी 

मैं- तो बुझा ना किसने रोका है तुझे 

मैंने भी तलवार उठा ली और जैसे ही हमारी तलवारे आपस में टकराई वातावरण में गर्मी बढ़ सी गयी तन्न तन्न की आवाज उस शोर में गूंजने लगी उसके वार को बचाते हुए जैसे ही मैंने उसकी पीठ को काटा तो पता नहीं क्यों पर मुझे भी जूनून सा चढ़ने लगा मैंने एक वार और किया और वो जमीन पर गिर पड़ा मैंने उसके कुलहो पर एक लात मारी खीच कर और फिर मारने लगा उसको 

इस बार मैं उस पर भारी पड़ने लगा था कुछ देर तक बस वो पिटता रहा पर तभी उसने चाल खेल दी उसने मेरी आँखों पर मिटटी उठा के मारी और कुछ पल के लिए मैं अँधा सा हो गया मेरी आँखों में तेज जलन हुई और तलवार हाथो से छुट गयी इसी का फायदा उठाते हुए उन मेरी टांगो के बीच एक लात मारी खीच कर और मेरी साँस अटक गयी किसी डाली की तरह लहराते हुए मैं गिरा जमीन पर 

और चारो तरफ जैसे सन्नाटा सा छा गया पता नहीं लोग खामोश हो गये थे या मेरे कान काम से गए थे और अगली ही लात फिर से मेरी गोलियों पर पड़ी और मैं शांत पड़ गया उसके बाद मुझे बस सीने में तेज दर्द महसूस हुआ और फिर मार पे मार पड़ती गयी आँखों के आगे अँधेरा छाया था और तेज दर्द से बदन टूट रहा था 

तभी जैसे कोई मुझे खड़ा कर रहा हो और अगले ही पल जैसे मैं दूर जा गिरा ऐसे कई बार हुआ मेरे साथ और फिर मैं जमीन पर गिर गया जैसे सब कुछ ख़तम हो गया हो उसने मेरे सीने पर पैर रखा और चीखते हुए बोला- देखो इस कल के लौंडे ने मुझे चुनौती थी देखो कैसे मेरे कदमो में पड़ा है इसका आज वो हाल होगा की अंगार के नाम से लोगो की हड्डिया कांप जाया करेंगे देखो गौर से इसको इसका क्या हाल करता हु 

अंगार- मर गया क्या अभी मत मारना तू अभी तो मैंने मारा ही नहीं तुझे अभी तो खेला है तेरे साथ 

मैं निचे पड़े पड़े- तो मार ना साले, मारता क्यों नहीं मैं भी तो देखू 

वो- बड़ा ढीठ है तो कुत्ते की पूँछ की तरह उठ तो सही जरा मुकाबला तो कर मेरा 

उसने मुझे उठाया और फिर से मुझे दूर फेक दिया एक बार फिर मैं घिसटता हुआ गया मेरी पूरी छाती लहुलुहान थी बल्कि पूरा बदन कहू तो कोई बात नहीं मैं अपनी आँखे खोलने की कोशिश कर रहा था मेरे आंसुओ स मिटटी हट तो रही थी पर दिख धुंधला सा रहा था पर फिर भी जैसे तैसे मैं उसका मुकाबला कर रहा था बल्कि बस पिट रहा था उसके वार बार बार मुझे काट रहे थे तडपा रहे थे 

मुझे वो फिर मेरे पास आया और बोला- साले मुकाबला नहीं कर पायेगा तूने तो अपनी कसम नहीं निभाई पर मैं तुझे एक बात बोलता हु यहाँ से जाने से के बाद सबसे पहले तेरी उस चमक्छ्लो को उठाके ले जाऊंगा और फिर उसके साथ क्या क्या करूँगा 

उसकी उस मतवाली गांड को अपने इन्ही हाथो से रगडू गा उसके बदन से एक एक कपडा उतारूंगा और फिर उसे अपनी रखैल बनाऊंगा जब मेरा जी करेगा उसको अपने लंड पर बिठाऊंगा पर तू , तू तो देखने के लिए रहेगा नहीं यहाँ पर पर वो हमेशा याद करेगी जब जब मैं उसके हुस्न को मसलुंगा पर पहले तेरा किस्सा ख़तम करूँगा 

उसने जैसे ही ये बाते बोली मेरी आँखों क सामने पूजा का चेहरा आ गया और मेरी आँखे झट से खुल गयी उसने अपनी तलवार ऊपर उठाई और मैंने उसे झट से पकड़ ली मुझे अपने बाजुओ में एक नया खून जोर मारता महसूस हुआ और मैं अपने हाथो से उसकी तलवार थामे हुए खड़ा हो गया और उसकी आँखे आश्चर्य से फ़ैल गयी 

मैं- क्या करेगा तू फिर बोल के दिखा बोल साले एक बार फिर बोल के दिया मैंने उसकी छाती में लात मारते हुए कहा 

मैं- तू उसके कपडे उतरेगा तू उसको अपनी रखैल बनाएगा उठ अंगार और दिखा बनाके दिखा 

मैंने अबकी बार उसके घुटने पर लात मारी और कड़क की तेज आवाज आई साथ ही वो जोर से चीखा पर उसकी चीख से ज्यादा मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था की कैसे ये फिर से पूजा के बारे में इतना गलत बोल गया 

मैं- अंगार मैंने तुझसे कहा था की जहा जहा तूने उसको हाथ लगाने को बोला था वहा वहा से मैं तेरा मांस उतारूंगा याद है या नहीं 

मैंने अब पहली बार उसकी आँखों एक खौफ देखा मैंने उसे उठाया और बोला- देख अपने चारो और देख आज ये सब देखेंगे और सीख लेंगे की किसी भी औरत या लड़की की इज्जत करना सीखे बिना उसकी मर्ज़ी के उसका कोई मालिक नहीं बन सकता नहीं बन सकता 

मैंने इएक तलवार उठा ली और पूरी ताकत सी प्रहार किया और अंगार की चीख गूंजने लगी लोगो का शोर शांत हो गया जैसे कोई मरघट जिन्दा हो गया हो उसका इक चुतड काट दिया था मैंने 

मैं- तैयार हो देख मैं अपनी कसम पूरी कर रहा हु उसको अपनी गोद में बिठाएगा तू चल दिखा बिठा के दिखा मैंने एक वार और किया उसकी पेट पर और खून का दरिया बह चला अंगार की चीख चारो दिशाओ में गूंज रही थी 

पता नहीं मैं क्या क्या बोल रहा था और वो धाती पर पड़ा तड़प रहा था पर मुझे चैन नहीं था मेरे बदन में दर्द था जो खून बन कर बह रहा था मैंने अपनी तलवार उठाई और अगले ही पल घुटने से उसका पैर काट डाला और इसी के साथ जैसे खून की गाढ़ी धारा बह चली धरती की प्यास बुझाने को मुझे उसकी चीखो से कोई वास्ता नहीं था जहा जहा उसने कहा था मैंने वही से उसका मांस काटा मैंने आखिर मैंने पूजा से वादा जो किया था की उसकी बेइज्जती का बदला जरुर लूँगा 
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