Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:46 PM,
#49
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
रात को भाई पेग लगा रहा था छत पर तो मैं भी चला गया 

मैं- भाई और बताओ कैसा रहा प्रोग्राम 

वो- बढ़िया ले सलाद खा 

मैंने सलाद खाते हुए पूछा- भाई क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकता हु 

वो- हां यार जो दिल करे 

मैं- पक्का 

वो- पूछ ना 

मैं सवाल करने ही वाला था की भाभी आ गयी और बोली- खाना तैयार है आप कहो तो लगा दू 

भाई-मुझे अभी नहीं खाना तुम कुंदन के लिए लगा दो 

मैं- मुझे भी भूख नहीं है 

भाभी- भूख क्यों नहीं है 

मैं- मेरी भूख मर गयी है 

भाभी- तुम्हारी नाराजगी जायज है पर इसमें मैं कुछ नहीं कर सकती 

भाई- कैसी नाराजगी क्या बात है हमे भी बताओ 

भाभी- आपके भाई को ठाकुर अर्जुन सिंह के बारे में जानना है 

भाई ने अपना गिलास टेबल पर रखा और बोला- कुंदन अभी इन बातो का समय नहीं जब समय आएगा तो तुम खुद जान जाओगे 

मैं- भाई सा मैं जानना चाहता हु की दोनों गाँवो की दुश्मनी की असली वजह क्या है 

भाई- देखो कुंदन कुछ बाते बस बाते होती है और फिर दुश्मनी को कोई वजह नहीं होती है तुम इन पचड़ो में मत पडो राणाजी को पता चला तो घर में कलेश होगा वो वैसे ही नाराज है तुमसे 

मैं- पर भाई 

वो- पर वर कुछ नहीं बात ख़तम चलो खाना खाते है 

मैं- भूख नहीं है मुझे 

भाभी- तो मत खाओ, मैं भी देखती हु कब तक नहीं खाओगे और अगर फिर भी कुछ पूछना है तो निचे राणाजी है उनसे सवाल करो 

भाभी को पता नहीं किस चीज़ का गुस्सा आ रहा था पर तभी चाची आ गयी तो बातो का विषय बदल गया 

वो- कुंदन सुन, आज रात तू हमारे यहाँ सोने आ जा 

मैं- भाभी ने घर से बाहर जाने को मना किया है 

वो- क्यों और क्या वो तेरा घर नहीं है तू कहा घर से बाहर जा रहा है घर में ही तो आयेगा ना वो तो मैं इस लिए बोल रही थी की तेरे मामा ने कुछ गहने दिए है मुझ अकेली को डर लगेगा कल तो राणाजी को दे दूंगी वो बैंक के लाकर में रख आयेंगे 

भाभी- तो अभी दे दो न चाची

चाची- अब रात को कहा सूटकेस खोलूंगी और फिर जस्सी तू इतना क्यों मना कर रही है पहले कभी क्या ये हमारे घर नहीं सोया 

भाई- जाने दे जस्सी, कही भी सोये है तो अपने ही घर 

अब भाई के आगे भाभी क्या कहती इतना ही बोली- ठीक है पर खाना खाके जाना और चाची के घर से सुबह सीधा यही आना कही बाहर ना निकल जाना 

मैं- जी जैसा आप कहे 

उसके बाद मैंने खाना खाया मेरी नजरे बस चाची की मटकती गांड पर ही थी जी कर रहा था अभी भर लू उसको अपनी बाहों में और रगड़ डालू काली साड़ी में उसका हुस्न हिलोरे मार रहा था जब उसने मेरी तरफ देखते हुए अपने होंठो पर जीभ फेरी तो मेरा लंड पेंट में बुरी तरह से फद्फदाने लगा चाची सबसे नजरे बचा कर अपनी कातिल अदाओ की बिजलिया मुझ पर गिरा रही थी निवाला निचे उतरना मुश्किल होने लगा था 

वैसे भी जब जिस्म की प्यास जागती है तो बाकि हर भूख-प्यास की उसके आगे क्या कहानी पर मैं अभी और इंतजार करना चाहता था और ये भी चाहता था की भाभी से अब सामना न हो क्योंकि एक तो वो पुरे दिन से नाराज थी और अब जब मैं चाची के साथ जाने वाला था तो वो और किलस गयी थी तो मैंने सिलसिले को दूसरी बातो की तरफ मोड़ दिया करीब घंटे भर तक मैं और चाची बस इधर उधर की गपे लड़ाते रहे वो पिछले दो दिन की कहानी बताती रही 

तो करीब घंटे भर बाद मैं चाची के साथ उसके घर आ गया जैसे हमने दरवाजा बंद किया मैंने लपक कर उसको अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके लाल सुर्ख होंठो को अपने मुह में भर लिया और वो भी बिना किसी लाग लपेट के मेरा सहयोग करने लगी किस करते करते मेरे हाथ साड़ी के ऊपर से ही उसकी गांड को सहलाने लगे थे तो वो भी उत्तेजित होने लगी 

पांच-सात मिनट तक बस उसके होंठो को ही निचोड़ता रहा मैं और फिर उसको अपनी गोदी में उठा कर उसके कमरे की तरफ बढ़ गया उसने भी अपनी बाहे मेरे गले में डाल दी मैंने उसे बिस्तर पर पटका और उसपे चढ़ गया चाची ने मेरी आँखों में आँखे डालते हुए अपने होंठ एक बार फिर से मेरे लिए खोल दिए और हमारी जीभ एक बार फिर फिर से आपस में रगड़ खाने लगी 

चाची के अन्दर एक आग थी कामुकता की और इस आग में आज मैं एक बार फिर से जलना चाहता था कुछ देर की चूमा चाटी के बाद मैं धीरे से उसके कान में बोला- पूरी रात चोदुंगा मेरी जान 

वो- चोद ले 

मैंने चाची के आँचल को साइड में किया और उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाने लगा चाची मस्ताने लगी और उसका हाथ मेरे लंड पर पहुच गया तो मैंने अपने कपडे उतार दिए चाची ने भी साड़ी खोल दी अब वो बस ब्लाउज और पेटीकोट में थी चाची ने खुद अपने ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किये और मेरा लंड झटके पे झटके खाने लगा काले ब्लाउज के अन्दर सफ़ेद ब्रा में कैद उसके कबूतर बाहर आने को तड़प रहे थे 


और कुछ पल बाद ही ब्रा भी उतर गयी उसके चुचुक देख कर मेरे मुह में पानी आने लगा पर तभी चाची ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे लंड पर टूट पड़ी उसने बड़ी तेजी से लंड को अपनी मुट्टी में कसा और फिर अपना हाथ ऊपर निचे करने लगी उसकी आँखों में जैसे नशा उभर आया था उसने अपना मुह थोडा सा खोला और अपने दहकते होंठ मेरे लंड के सुपाडे पर रख दिए

मेरे तन बदन में मस्ती भरने लगी और मेरा लंड और बुरी तरह से ऐंठने लगा चाची कुछ देर बस सुपाडे को ही किसी टॉफी की तरह चुस्ती रही और फिर उसने लगभग आधा लंड अपने मुह में ली लिया और उसको मजे से चाटने लगी चूसने लगी मैं इस कदर मस्ती में डूब चूका था की चाची के सर को अपने लंड पर दबाने लगा जैसे मैं पूरा लंड उसके हलक में उतार देना चाहता हु 

वो भी मजे से चुप्पे मारते हुए मुझे मुखमैथुन का भरपूर मजा दे रही थी वो बहुत अनुभवी थी चुदाई के खेल की और किसी खेली खायी औरत के साथ चुदाई का सुख प्राप्त करना हमेशा से ही आनंद दायक रहा है और आज भी ऐसा ही था पर मुझे झड़ने का भी डर था तो मैंने अपना लंड उसके मुह से निकाल लिया और चाची का पेटीकोट भी खोल दिया 
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RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:46 PM

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