Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:49 PM,
#65
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
इधर पद्मिनी सब कुछ भूल कर अपनी तंत्र साधना में लगी रहती पर जवानी की दस्तक को वो भी महसूस कर रही थी इधर दोनों ठाकुर पागल थे की कैसे उस खजाने को हासिल कर सके पर एक तांत्रिक ने बताया की घंटाकर्ण के नाहरवीरो को अगर बाँध लिया जाये तो बात बने
कुछ दिन और गुजरे और फिर लाल मंदिर में मेला लगा और पद्मिनी भी आई समय का फेर देखो पहली नजर में ही अर्जुन सिंह दिल हार बैठा नजरे चार हुई तो अरमान मचल गए इधर राणाजी का भी हाल बुरा था पद्मिनी को देखने के बाद पर चूँकि अर्जुन का दिल लगा था तो वो टाल गया
अर्जुनगढ़ से पद्मिनि के घर विवाह प्रस्ताव गया परन्तु उसके भाई को ऐतराज़ था क्योंकि उसे अर्जुन के बारे में पता था पर पद्मिनी के पिता चाहते थे की रिश्ता हो जाये क्योंकि अर्जुन के खानदान की तूती बोलती थी उन दिनो
पर उनके मन में भी एक संशय था की क्या अर्जुन सच में उनकी बेटी से प्रेम करता है या बस जी बहलाने की बात है परंतु पद्मिनी और अर्जुन एक दूसरे के प्रेम में डूबे हुए थे गहरायी तक और एक दिन ऐसा भी आया जब दोनो का विवाह हो गया 
सब ठीक चल रहा था पद्मिनी ने साल भर बाद ही एक कन्या को जन्म दिया परन्तु अर्जुन खुश नहीं था क्योंकि उसे बेटा चाहिए था गुजरते वक़्त के साथ उसका समय पद्मिनी से हट कर बाहर ही गुजरने लगा 
दोनों दोस्त अय्याशीयो के सागर में बहुत गहरे उतर चुके थे इधर न जाने कितने पल आते जब पद्मिनि को अपने साथी की जरुरत होती पर अपना मन मसोस कर रह जाती शायद वो रक्षा बंधन का दिन था ठाकुर हुकुम सिंह बहुत उदास थे क्योंकि आज ही के दिन उनकी बहन की मौत हो गयी थी
जब ये बात पद्मिनि को पता चली तो वो राणाजी को राखी बांधने गयी और शायद ये पहला अवसर था जब हुकुम सिंह को भान हुआ था कि शारीरिक संबंध के अलावा भी जीवन में कुछ रिश्ते होते है जबसे पद्मिनि ने राणाजी की कलाई पर राखी बांधी थी वो बदलने से लगे थे
अर्जुन को भी बहुत समझाते पर ठाकुर का दम्भ इधर वक़्त उड़ता जा रहा था पद्मिनि ने अपने जादू वाले शौक को फिर से जिन्दा कर लिया और फिर जिसने 9 नाहरवीरो को बाँध लिया हो उसकी तो बात ही निराली होगी ना
इधर अर्जुन कई कई दिनों तक घर नहीं आता पद्मिनि अकेली पड़ने लगी थी तो उसके अकेलेपन का फायदा अर्जुन के बड़े भाई ने उठाने का सोचा अब पद्मिनी बेइंतेहा खूबसूरत जो थी पर पद्मिनि उसके इरादों को भांप गयी परंतु खानदान की इज्जत के कारण चुप रही
इस बीच खजाने की बात जो कुछ समय के लिए दब गयी राणाजी के कहने पर पद्मिनि मान गयी और उसने ये सोचकर की अगर इससे उसके पति फिर से उसकी परवाह करने लगेंगे उसने हाँ की पर ये काम इतना आसान नहीं था 
परंतु पुरे 21 दिन के बाद आखिर पद्मिनि ने अपना लोहा मनवा लिया 
मैं- फिर क्या हुआ 
वो- वही जो शायद कभी नहीं होना चाहिए था वो हुआ जिसने सबकी ज़िन्दगी को बदल दिया
मैं- क्या हुआ था आखिर ऐसा
वो-पद्मिनि की मौत हो गयी 
मैं- पर ऐसा क्या हुआ था की उनको आत्महत्या करनी पड़ी
कामिनी ने मुझे घूर कर देखा और बोली- तुम कैसे जानते हो इस बात को
मैं- क्योंकि मैंने उसे जलते हुए देखा है अपनी आँखों से ,उसकी जलन को महसूस किया है अपने आगोश में 
वो- कैसे हो सकता है ये सब जबकि पद्मिनि की मौत 25 साल पहले हुई थी उस समय तो तुम पैदा भी नही हुए थे 
मैं- आपका कहना सही है परंतु मेरी बात भी सही है
मैंने कामिनी को वो सब बता दिया जो उस दिन मेरे साथ खारी बावड़ी पे हुआ था
कामिनी के आँखे हैरत से फ़टी रह गयी मेरी बात सुन कर और वो बस खामोश हो गयी
मैं- पद्मिनी की मौत की क्या वजह थी 
वो- मैं नहीं जानती 
मैं- तो आखिर ऐसा क्या हुआ की दो बेहद खास मित्र लाल मंदिर में एक दूसरे के आगे आ खड़े हुए वो भी एक दूसरे के खून से अपनी तलवारो की प्यास बुझाने के लिए
वो- इसी सवाल का जवाब तो मैं पिछले 12 साल से तलाश रही हु
मैं- तो असली बात का आपको भी नहीं पता खैर उस खजाने का हुआ
वो- वो उसी खारी बावड़ी में कही दफ़न हो गया और जिसने भी उसे पाने की कोशिश की उसकी लाश मिली 
मैं- बस मेरे दो सवाल और है पहला ये की पद्मिनि की बेटी का क्या हुआ 
वो- अर्से से कोई खबर नहीं मुझे पहले सुना की अर्जुन ने उसे विदेश भिजवा दिया फिर सुनने में आया की अर्जुन के बाद उसके भाइयो ने उसे मरवा दिया क्या पता 
मैं- आपका पद्मिनि से क्या रिश्ता है
वो- मेरी बहन थी वो 
कामिनी ने जैसे हथौड़ा मार दिया था मेरे सर पर रिश्तो की ये कैसी भूल भुलैया में उलझा था मैं लग रहां था कि हर रिश्ता झूठ पर टिका है 
मैं- मै एक बार फिर से पूछना चाहूंगा की अर्जुनगढ़ की हवेली का वारिस कौन है
वो- तुम्हे क्या लगता है 
मैं- कायदे से तो अर्जुन और पद्मिनि की बेटी हुई न 
वो- हां हुई पर यहाँ पर एक क़ानूनी पेंच है 
मैं- क्या 
वो- अर्जुन सिंह की वसीयत , तुम्हे पता होगा ना की उसने अपने पीछे कितनी जायदाद छोड़ी है यहाँ तक की उसके भाई जगन की आधे से ज्यादा प्रॉपर्टी भी अर्जुन की है जो उसने दबा ली है 
मैं- क्या लिखा है उस वसीयत में 
वो- यही की उस प्रॉपर्टी का मालिकाना हक अर्जुन की बेटी का सिर्फ एक दशा में होगा जब उसकी शादी राणा हुकम सिंह के बेटे से होगी पर चूँकि इन्दर की शादी हो चुकी है बचे तुम तो एक तरह से मालिक हुए न पर यहाँ पेंच है की हकदार नहीं है 
मैं- ये शर्त लगाने की क्या वजह रही होगी
वो- यही की दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाये तुम तो जानते हो अपने समाज में कब माँ बाप बच्चो का रिश्ता तय करदे कोई कह नहीं सकता
मैं- आपकी बात सही है पर मुझे लगता है ये शर्त दवाब में लिखी या वसीयत में डाली गयी है
मैं- क्योंकि अगर हवेली की हकदार की मुझसे शादी हो तो टेक्निकली मैं मालिक अपने आप बन जाता हूं है ना 
वो- यही पर तुम गलत साबित होते हो कुंदन
मैं-कैसे
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