Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:49 PM,
#66
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
वो- देखो शायद अर्जुन को बेटा था नहीं और उससे बेहतर वो कहा जानता था की उसकी बेटी की हिफाज़त हुकुम सिंह के घर से ज्यादा कहा होगी ऊपर से दोनों दोस्तों का वादा दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल देने का पर गड़बड़ बस ये हो गयी की वक़्त का पहिया घूम गया और सब चीज़े गड़बड़ा गयी पर इसी शर्त के कारण आज भी हवेली महफूज़ है क्योंकि हक़दार है नहीं और कोई उसपे कब्ज़ा या बेच सकता नहीं
मैं- ह्म्म्म और असली हक़दार कहा मिलेगी
वो- इसका जवाब देने की मुझे कोई जरुरत नहीं कुंदन
मैं- क्यों 
वो- क्योंकि तुम जवाब जानते हो तुम्हारी इतनी दिलचसपी एकाएक क्यों बढ़ गयी क्यों तुम अतीत के पन्नो को पलटने में इतने उत्सुक हो इसका कोई ठोस कारण होगा तुम्हारे पास
मैं-मैं तो बस दोनों गाँवो की दुश्मनी खत्म करना चाहता हु 
वो- नही तुम्हे गाँवो की परवाह नहीं तुम्हे किसी और की परवाह है 
मैं- जो आप समझे समझ सकती है मैं चलता हूं 
वो- आज और रुको हमे अच्छा लगेगा
मैंने भी कामिनी की बात को नहीं टाला और एक रात हमारी एक दूसरे की बाहों में कटी अगले दिन मैं वापिस हुआ कुछ नयी बातें पता चली पर सब और उलझ गया था और जवाब कुछ नहीं था मुझे लग रहा था की वसीयत में जो शर्त थी वो इसलिए भी हो सकती थी की अर्जुन ठाकुर की प्रॉपर्टी हमारे पास जाये
अँधेरी गुफा में भटकने वाली हालत हो गयी तो मेरी हर कड़ी बहुत गहरे तक जुडी थी मुझसे कौन अपना कौन पराया सब बेमानी बातें थी और इतना सब मालूम पड़ने के बाद अब रिश्तो से विश्वास उठ ही गया था मेरा जबकि एक सवाल अभी भी था की जब दोनों दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलना चाहते थे तो ऐसी क्या बात हुई की दुशमनी हो गयी
मामला हद से ज्यादा उलझ गया था हवस लालच रिस्तो की गिरावट और इन सब के बीच मेरी मोहब्बत और मोहब्बत भी कैसी दिल भी साला दगाबाज़ दो दो के लिए धड़क रहा था मैं उस पल के लिए सोचने लगा जब दोनों लडकिया एक दूसरे के सामने होंगी क्या होगा
पूजा मेरी ज़िंदगी में सुकून था तो आयत जलती धुप में छाया थी मेरे लिए इन दोनों के अलावा भाभी भी थी ये ज़िन्दगी जाने क्या करवाने वाली थी आगे कौन जानता था पर इतना जरूर था की ये तो बस शुरुआत थी तूफ़ान आने तो बाकी थे

अपने आप में खोया हुआ मैं कच्चे रस्ते से जा रहा था तभी घण्टी की आवाज सुनी पलट कर देखा वो आ रही थी तो मैं रुक गया 
वो- कहा से आ रहे है 
मैं- शहर तक गया था कुछ काम से
वो- आजकल ज्यादा काम नहीं हो रहे आपको इतना भी क्या मसरूर होना की अपनों के लिए समय ही न रहे 
मैं- आप ही बताओ फिर क्या करूँ
वो-मिलते जुलते रहा कीजिये सरकार हमे भी जीने का बहाना मिल जायेगा 
मैं- इस तरफ कैसे 
वो- किसी ने बतलाया की आप आजकल भटकते बहुत है तो सोचा की हम भी भटक ले सुना है की दो भटकते हुए मिल जाये तो ज़िन्दगी पार हो ही जाती है 
मैं- बात तो दुरुस्त है 
वो- हमने सुना आपने घर छोड़ दिया ये ठीक नहीं किया आपने 
मैं- देखो आपसे मैं कुछ छुपाना नहीं चाहता पर बात ही कुछ ऐसी हो गयी थी 
वो- आप हम पर विश्वास कर सकते है 
मैं- ज़िन्दगी के खेल अलग होते है अब जैसे वो नचाये नाचना पड़ता है 
जितना उसे बताना चाहिए था मैंने उसे बता दिया 
वो-देखो मैं जैसी भी हु हरदम आपके साथ हु पर अकेले रह कर आप क्या करेंगे 
मैं- मेरा एक मकसद है बस वो पूरा हो जाये उसके बाद बस आप और मैं
वो शर्मा गयी
मैं- मेरा साथ निभाओगी न
वो- क्या लगता आपको
मैं- आप ही बता दो ना
वो- प्रेम परीक्षा मांगेगा सरकार
मैं- आप साथ होंगी तो पास कर जायेंगे
वो- मैंने कहा ना मैं हरदम आपके साथ ही हु 
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया 
मैं- निभा देना सरकार भटक ही रहे है पनाह देना
वो मुस्कुरा पड़ी बोली- चलो जाती हूं देर हो रही है
मैं- फिर कब मिलोगी
वो- मिल जायेंगे ऐसे ही भटकते हुए 
दो चार और बातो के बाद वो अपने कुवे पर चली गयी मैं अपने रास्ते पर मैं सोच रहा था अगली गर्मी तक तीन चार पक्के कमरे बनवा लूंगा ताकि सर पर छत आ जाये और जीने में आसानी हो थोड़ी घर के साथ ऐशो आराम भी गया
पूजा के घर ताला लगा था मैंने सोचा कहा घूमती रहती है ये पागल लड़की अभी शाम का टाइम हो रहा है पर घर नहीं थी तो मैं आगे बढ़ गया झोपडी में सामान रखा और फिर एक बाल्टी भर के हाथ मुह धोये और आराम करने लगा 
रात को वो आयी खाना लेके मैंने खाना खाया वो मेरे पास बैठ गयी

मैं- बैग में मिठाई है निकाल ले लाया हूँ तेरे लिए
वो- शुक्रिया 
उसने बर्फी निकाली और हम दोनों में थोड़ी थोड़ी खायी फिर वो बोली- कहा गया था तू 
मैं- कुछ काम से गया था पर तू एक बात बता तू हर टाइम मेरी हवेली मेरी हवेली करती है वो हवेली तो मेरी है 
वो- और तू किसका है पगले
मैं- तूने वसीयत पढ़ रखी है ना
वो- हां 
मैं- तो क्या इरादा है कही मुझे अपने जाल में फंसा के सबकुछ अपने नाम करना तो नहीं चाहती
वो- क्या मेरा क्या तेरा कुंदन ऐसी हज़ार वसीयतें तुझ पर वार के फेंक दू प्यारे तेरे मेरे बीच ये धन की दीवारे कभी नहीं होंगी
मैं- चिंता न कर किसी वकील से मिल कर कोई तोड़ निकालता हु फिर सब तेरा 
वो- मुझे नहीं चाहिए कुछ पर तू बता तुझे वसीयत के बारे में किसने बताया 
मैं- अजी आप नहीं बताएंगी तो क्या हुआ आपको हवेली दिलवाने का बीड़ा लिया है तो करेंगे कुछ न कुछ
वो- तुझे अगर दौलत और मेरे में से एक चुनना हो तो क्या फैसला करेगा 
मैं- मेरी दौलत तो तू ही है जब तेरे जैसा खरा खजाना मेरे पास है तो और क्या चाहिए
वो- तू नहीं पूछेगा की मैं दौलत और तुझमे किसे चुनूंगी
मैं- अजी सरकार, हम भी आपके दौलत भी आपकी जिसे चाहे ले लीजिए पर ऐसे इन होंठो पर जीभ न फेरिये दिल तड़प जाता है 
वो- लो चुम लो
मैं- जरूर सरकार पर एक बात जानने की बड़ी इच्छा है की आप विदेश में कौन देश गयी थी 
वो- लन्दन 
मैं- तभी इतनी गोरी चमड़ी हो 
वो- ये बात किस ने बताई तुझे 
मैं- बस आईडिया लगाया ऐसी मुलायम खाल किसी विलायत वाले की ही होगी
वो- मैं कभी नहीं गयी विदेश में कही और थी 
मैं- हां मालूम है भटक रही थी जादू टोना सीखते हुए , तू माहिर है न इसमें 
वो- हां 
मैं- तू यहाँ वापिस बस उस खजाने के लिए आई थी ना 
वो- नहीं रे मैं आयी थी कुछ और काम से और मिल गयी तुझसे और तेरी होकर रह गयी
मैं- मैं तुझसे तेरा काम नहीं पूछुंगा पर इतना जरूर कहूंगा तुझे सफलता मिले तेरी हर मुराद पूरी हो पर इतना ध्यान रखना अगर कभी ऐसा मोड़ आये जोकी पक्का आएगा तो तू हिचकना मत समझ रही है न मैं क्या कह रहा हु 
वो- तू मेरी बात सुन अगर तू है तो मैं हु ये बात कान खोलके सुन ले बाकी दुनिया मेरे लिए एक पल भी मायने नहीं रखती अगर कुछ है तो बस तू,बस तू 
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने दिल पर रखा और बोला- क्या सुनाई देता है 
वो- कुछ नहीं 
मैं- फिर से सुन 
वो- कहा न कुछ नहीं 
मैंने उसको देख उसने मुझे देखा और मेरे पास लेट गयी 
वो- ऐसे न देखो सही तो कहा कुछ नहीं सुनाई दिया क्योंकि जो चीज़ वहाँ थी वो अब यहाँ धड़क रही है
उसने मेरा हाथ अपने सीने पर रख दिया एक छोटी सी बात में बहुत कुछ कह गयी थी वो 
वो- अगर ज़िन्दगी हो तेरे साथ हो 
मैं- चाहने लगी है मुझे
वो- तुझे क्या लगता है 
मैं- अपने आप से पूछ ले 
उसने धीरे से मेरी गर्दन पर चुम्बन लिया और मुझसे चिपक कर लेट गयी बोली- जमींन प्यासी है कुंदन 
मैं- ह्म्म्म 
वो- पानी का क्या होगा 
मैं- बिजली के लिए बात की थी पर राणाजी की वजह से बिजली नहीं मिल पायेगी और बिना बिजली के इतना पानी कैसे निकलेगा कुवे से 
वो- हम अपने खम्बे लगा लेते है सारी दुनिया ही चोरी की बिजली इस्तेमाल कर रही है थोड़ी चोरी हम भी कर लेते है 
मैं- पर खम्बे कहा से आएंगे 
वो- आएंगे कुंदन आएंगे खम्बे भी आएंगे पर पानी की बड़ी मोटर भी लेनी पड़ेगी और पाइप भी
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RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:49 PM

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