RE: Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी
लेकिन अभी मेरी माँ की तो यह हालत है की उसको देख कर हर किसी का मन उसे चोदने का होता है यह बात मैंने गांव के लोगो की जो नजर मेरी माँ पर
पडती है उससे मैंने जाना। माँ बहुत गदरा गई है और उसके बदन पर चर्बी भी बढ़ गई है जिसके कारन उसका पेट काफी उभरा हुआ नजर आता है वह घाघरा भी नाभि के निचे ही पहनती है, हमारे यहाँ घाघरा और चोली पहनने का ही चलन है माँ का घाघरा घुटनो तक और बहुत घेरे वाला होता है, उनके चुचे और उनकी गाण्ड बहुत उठि हुई और मोटी है, उनकी गाण्ड देखते ही लौंडा खड़ा हो जाये इस बात की ग्यारंटी है, वह भी हमारे साथ खेतो में काम करती है।
हाँ तो जब मैंने देखा की आवाज पास की झाड़ियो के पीछे से आ रही है तब मै झाड़ियो के पास जाकर पीछे देखने लगा, लेकिन खोदा पहाड और निकली चुहिया वाली बात थी, संतोष चाची के पैर में कान्टा लगा हुआ था और उसका बेटा बिरजु उसके पैरो से काँटे
को निकाल रहा था संतोष चाची अपने दोनों हांथो को जमीन पर पीछे टेके हुए अपनी एक टाँग उठा कर अपने बेटे के मुह की ओर देख रही थी।
लेकिन मैंने देखा बिरजु का ध्यान काँटा निकालने की बजाय अपनी माँ के घाघरे के अंदर उसकी जांघो की जोडो की ओर देख रहा था।
संतोष : क्या हुआ मुये कितनी देर लगाएगा तुझसे एक कांटा भी नहीं निकाला जाता है, जल्दी कर मेरा पैर उठाये उठाये दर्द करने लगा है।
बीरजु : अरे माँ काँटा भी तो देखो कितनी बीच में घुसा है जरा चुप चाप बैठो निकाल रहा हु और अपने पैर न हिलाओ।
संतोष चाची आँखे बंद किये हुए अपने चहरे पर सारा दर्द समेटे आह ओहः कर रही थी और बिरजु था की अपनी माँ की बुर देखने की कोशिश कर रहा था, तभी बिरजु ने अपनी माँ की टाँगो को थोड़ा चौड़ा कर दिया और बिरजु तो बिरजू, संतोष चाची की चुत की फटी हुई फाँके मुझे भी साफ नजर आ गई, वह दोनों नहीं जानते थे की मै बिरजू के जस्ट पीछे वाली झाडी के पीछे बेठा था, अब संतोष चाची की फुली हुई बड़ी बडी फांको वाली बुर साफ नजर आ रही थी, कुछ देर बाद बिरजु ने कहा ले माँ निकल गया तेरा काँटा और फिर संतोष चाची उठ गई और लंगड़ाते लंगडाते चलने लगी।
बिरजु उसके पीछे पीछे जाने लगा और मै चाची की घाघरे में उठि लहराती गाण्ड को देख कर मस्त हो रहा था, यह पहली दफ़ा था जब मैंने चाची की गुदाज
गाँड पर ध्यान दिया था।
चाची के जाने के बाद मै वहाँ से अपने खेतो में आ गया और अपने बाबा के साथ खेत के कामो में हाथ बटाने लगा।
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