RE: Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी
गीतिका : सच भैया आप भी ना।
कालू : अब हँसती ही रहोगी या हमें उसका मतलब भी बतायेगी।
गीतिका : हस्ते हुए भैया मै आपको बाद में उसका मतलब बताऊँगी, मै पगडण्डी से होता हुआ गांव के रास्ते पर पहुच गया। वहाँ आम का बगीचा था और पके हुए आम नजर आ रहे थे, तभी गीतिका ने इशारा करते हुए कहा भैया वो देखो कितना मस्त पका हुआ आम है प्लीज उसे तोड़ो ना।
कल्लु : मैंने साईकल रोकी और फिर गीतिका अपने भारी चूतडो को डण्डे से हटा कर उतर गई, मैंने साईकल खड़ी कर दी और उचक कर उस पके आम को तोड़ने लगा लेकिन वह मेरे हाथ से थोड़ा ऊपर था, मै बार बार ऊपर उचक कर उस आम को तोड़ने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह मेरे हाथ से टच होकर रह जाता था।
तभी गुड़िया ने कहा भैया ऐसे नहीं टूटेगा आप एक काम करो मुझे अपनी गोद में उठाओ मै तोड़ती ह, मैंने गीतिका की बात सुन कर उसे अपनी गोद में उठाया, गुड़िया की सलवार इतनी पतले कपडे की थी की मुझे तो ऐसा लगा जैसे मै गुड़िया को नंगी करके उठा रहा हूँ।
मैने गुड़िया की मोटी जांघो पर दोनों हाथो का
घेरा डाल कर उसे ऊपर उठाया, गुड़िया काफी हेल्दी हो गई थी 55 के जी के लगभग वजन होगा मेरे हाथ उसकी जांघो से गुजरते हुए जब गुड़िया के भारी चूतडो
पर पहुचे तो गुड़िया की जांघो और भारी चूतडो के गर्म मांस के एह्सास ने मुझे पागल कर दिया था मै गुड़िया को उठाये हुए उसके मोटे मोटे चूतडो को खूब कस कर दबोचे हुए था और मेरे लंड महराज धोती में टनटना चुके थे, मै गुड़िया के चूतडो को दबाये ऊपर देखने लगा तभी गुड़िया ने मुझे हँसते हुए देखा उसके हाथ में पका हुआ आम था और वह कहने लगी अब उतारो भी आम तो मैंने तोड़ लिया, मैंने धीरे से गुड़िया को छोडना चालु किया।
आउर गुड़िया मेरे बदन से रगड ख़ाति हुई निचे आई और मेरा लैंड गीतिका के चुत वाले हिस्से से रगड खाता गया, गुड़िया ने आम की ख़ुश्बू लेते हुए कह
वाह भैया क्या मस्त पका है।
गीतिका : आओ न भैया थोड़ी देर इस आम की छाया में बेठते है फिर चलते है, मै वही बैठ गया और गीतिका भी बैठ गई और आम के ऊपर के हिस्से को अपने
दान्तो से थोड़ा सा काट कर उसने आम को दबाया और उसका रस चुसते हुए कहने लगी।
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