RE: Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी
मेरा इतना सुनना था की मैंने गुड़िया को ऊपर किया इस बार गुड़िया की मोटी गाँड बिलकुल मेरे मुह पर दबी थी और मै अपने मुह से गुड़िया के भारी चूतडो को महसूस कर रहा था, इतने में गुड़िया ने कहा भैया बस थोड़ा और उपर, गुडिया का इतना कहना था की मैंने गुड़िया की गाण्ड में हाथ भर कर उसे और ऊपर उठा दिया, मेरा लंड झटके मारने लगा मेरा हाथ गुड़िया की मस्त उभरी हुई चूत और गाण्ड की जडो में फसा हुआ था।
उसकी भरी गदराई जवानी ऐसी थी मनो मैंने किसी बड़ी औरत को ऊपर उठा रखा हो, कुल मिला कर यह था की गीतिका एक मस्त पका हुआ माल हो चुकी थी जिसे अब चुसना बहुत जरुरी हो गया था, मैंने गीतिका के चूतडो और चुत को इस दौरान अपने हाथो से दबा कर देख लिया था, तभी गीतिका ने आम तोड़ लिया और मैं उसे धीरे से निचे उतारने लगा लेकिन वह एक दम से निचे सरक गई और मेरे दोनों हाथो में गुड़िया के सुडौल खूब मोटे मोटे और कसे हुये
मस्त दूध दब गए और तब मुझे एह्सास हुआ की गीतिका के मस्त बड़े बड़े आम खूब मोटे मोटे और खूब कसे हुए है जब मेरा हाथ अपनी बहन के पके
आमो पर पड़ा तो मुझे एक अजीब सा आननद आया और गीतिका मजे से आम चुसने लगी।
वह बीच बीच में मुझे भी आम चुस्ने को दे देति थी।
कुछ देर हम वही आम खाते रहे और फिर गुड़िया को मैंने साईकल पर बैठा लिया और गांव की ओर चल दिया।
हम जब घर पहुचे तो गुड़िया माँ से लिपट गई और फिर मै वहाँ से खेतो में चला गया कुछ देर बाबा के साथ काम किया।
उसके बाद मैं झोपड़ी में चला गया और बाबा खेतो में काम में लगे रहे वहाँ जाकर मैंने अपनी धोती से किताब निकाल कर पढना शुरू किया।
जब मैंने पहली कहानी पढ़ी तो पहली कहानी ही अपनी सगी बहन को चोदने की थी जिसे पढ़ कर मै मस्त हो रहा था, लेकिन किताबे तो मै बहुत बार पढ चूका था पर इस बार मुझे बार बार गुड़िया ही याद आ रही थी गुड़िया की गदराई जवानी रह रह कर मेरे लंड को खड़ा कर रही थी।
कहानी पढने के बाद मै थोड़ी देर लेट गया
शाम को घर पर जब मै पंहुचा अभी मै दरवाजे के बाहर ही था दरवाजे से एक रास्ता घर के अंदर और दुसरा पास के बाथरूम में जाता था।
बाथरूम ऐसा था की उसमे दरवाजा नहीं था और वह तीन तरफ लकड़ी के पटिये लगा कर बनाया गया था।
निर्माला : अरे गीतिका जल्दी नहा ले खाना बन गया है।
गीतिका : बस माँ आती हूँ।
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