RE: Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी
गीतिका : हेलो
मोनिका : क्यों राजकुमारी पहुच गई अपने गाँव।
गेटिका : हाँ यार बड़ा मस्त माहौल है गांव में बड़ी सुहानी हवा चल रही है।
मोनिका : क्या यार तू वहाँ चलि गई यहाँ अब मुझे अकेले ही टाइम पास करना पड़ रहा है, आज एक मस्त डीवीडी ले कर आई हूँ, एक निग्रो एक गोरी को मस्त चोद रहा है।
उस निग्रो का लंड तो बड़ा मस्त है।
गीतिका : अरे यार अभी नहीं बाद में बात करते है।
मोनिका : क्यों क्या हुआ।
गीतिका : मै भैया के पास बेठी हूँ।
मोनिका : मुस्कुराते हुये, भैया के पास बेठी है या भैया की गोद में बेठी है।
गीतिका : चुप कर जो मुह में आया बक देति है।
मोनिका : सच कह रही हु रानी, एक बार अपने भैया की गोद में बैठ कर देख ले तेरे जवान चौड़े चूतडो के वजन से तेरे भैया का लंड न डगमगा जाए तो कहना।
गीतिका : मंद मंद मुस्कुराते हुये, मै फ़ोन रख रही हु।
मोनिका : अच्छा मेरी बात तो सुन।
गीतिका :क्या।
मोनिका : अच्छा तो कुछ मत बोल मै तुझे मूवी का लाइव शो बताती हूँ।
गीतिका : चल तेरे पास ज्यादा बैलेंस है तू बोल मै तो चुपचाप यही बेठी हु।
मोनिका : वो गोरी उस निग्रो के काले काले मस्त मोटे लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही है, तू देखति तो तेरा भी मन चुसने का होने लगता।
गीतिका : और वह निगरो।
मोनिका : वह निग्रो उस गोरी की चुत की तरफ मुह करके लेटा हुआ है और अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उस गोरी की मस्त चुत को चाट रहा है दोनों ६९ की पोजीशन में एक दूसरे के लंड और चुत को खूब कस कस कर चूस चाट रहे है।
गीतिका : बस कर मोनिका मै अब फ़ोन रख रही हूँ। तुझसे बाद में बात करती हूँ।
मोनिका : अच्छा चल जब फ्री हो तो मिस कॉल कर देना।
कल्लु : तेरी दोस्त थी क्या गुडिया।
गीतिका : हाँ भैया मेरी सबसे पक्की सहेली है
मै केवल धोती पहने हुए था और गीतिका की नजरे मेरे चौड़े सिने की तरफ बार बार चलि जाती थी लेकिन मै कुछ समझ नहीं पाया फिर रात को सब सो गए और
सूबह वही दिनचर्या।
सूबह सुबह गीतिका मस्त घाघरा चोली पहन कर नजर आई मै तो उसकी गोरी गोरी टाँगो को देखता ही रह गया।
जीतिका : भैया मै भी आपके साथ खेतो में चल रही हु।
कालू : ठीक है चल पर खेत दुर है तू थक जायेगी तो।
गीतिका : निकालो न अपनी खटारा साईकल उसी पर बैठ कर चलते है।
कालू : ठीक है चल और मैंने अपनी साईकल निकाली और गीतिका को फिर से कहा चल बैठ डण्डे के उपर, मेरे इतना कहने पर गीतिका मुस्कुराते हुए डण्डे पर
बैठ गई और कहने लगी, भैया आराम से चलाना आपका डंडा मुझे बहुत चुभता है।
गीतिका की बात सुन कर मेरा लंड अकडने लगा था, पर मजा भी बहुत आ रहा था।
कालू : तू क्यों तैयार हो गई सुबह।
गीतिका : भैया कल के रसीले आमो ने बड़ा मजा दिया, आज फिर मुझे ऐसे ही रसीले आम खाना है।
कालू : हाँ हाँ क्यों नहीं अपने खेतो के पास तो बहुत बड़ा बगीचा है वैसे तुझे आम खाता देख मेरा भी मन आम चुसने का होने लगा था नहीं तो मैं
वेसे आम चुसता नहीं हूँ।
गीतिका ; मुस्कुराते हुये, भैया जब आपको अच्छे मस्त रसीले आम चुसने को मिलेँगे तो आप भी नहीं छोडोगे।
कालू : गांव में आम तो बहुत है पर चुसने का समय कहा मिलता है।
गीतिका : फिकर न करो भैया मै आ गई हु न अब मस्त आम चुसाउंगी आपको।
कालू : तू तो दो चार दिन रहेगी और फिर चलि जाएगी, अगली बार कुछ ज्यादा दिनों की छुटटी लेकर आ तो मजा आएगा तब तक शायद बारिश भी हो जाये तो नदी में पानी भी आ जायेगा और फिर मस्त नदी में नहाने का मजा ही अलग होगा।
जीतिका : भैया आपको तैरना आता है।
कालू : हाँ मै तो एक साँस में इस छोर से उस छोर तक तैर कर जा सकता हूँ।
गीतिका : भैया मुझे भी तैरना सीखा दोगे क्या।
कालू : क्यों नहीं पर पहले नदी में पानी तो आने दे।
गीतिका : अगली बार जब आउंगी तब तक बारिश हो ही जायेगी।
कालू : हाँ वह तो है।
जब हम खेतो में पहुच गए तो कुछ देर मैंने काम किया और फिर गीतिका ने रट लगा दी की चलो भैया आम के बगीचे में।
उधर बाबा उसकी रट सुन रहे थे और फिर मुझसे कहने लगे अरे बेटा कल्लु दो दिनों के लिए बिटिया आई है जाता क्यों नहीं उसे मस्त मीठे आमो का रस तो चखा दे।
मै वहाँ से गीतिका को लेकर पास के बगीचे में चल दिया और फिर गीतिका आम देखने लगी तभी वह चिल्लाइ वाह भैया क्या मस्त बड़ा सा पका हुआ आम लगा है।
उसको तोड़ो न, मैंने कहा गुड़िया वह तो बहुत ऊपर है।
गीतिका : तो मुझे उठाओ न अपनी गोद में, मैंने गीतिका के पीछे आकर उसकी कमर पकड़ कर उसे उठाया और जब उसके गुदाज चोदने लायक चूतडो का स्पर्श मेरे लंड से हुआ तो वह गीतिका के घाघरे में घूसने को तैयार हो गया, लेकिन गीतिका को ऊपर उठाने पर भी आम उसके हाथो से थोड़ी दुर ही रह गया और मैंने गीतिका को थक कर निचे उतार दिया
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