RE: Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी
कल्लु : गुड़िया तू आम चूस तब तक मै और दूसरे आम देखता ह, गुड़िया पेड़ के निचे बैठ गई और मै इधर उधर के पेडो पर आम देखने लगा तभी गुड़िया ने आवाज देकर मुझे बुलाया और एक दुसरा आम दीखाते हुए कहने लगी भैया वो वाला तोड़ो देखो कितना मस्त पका है, मै गुड़िया की बात सुन कर उसके मोटे मोटे चोली में कसे उरोजो को देखने लगा, फिर मैंने कहा गुड़िया वह भी बहुत ऊपर है, तब गुड़िया ने झट से अपना हाथ मेरी ओर लम्बा करते हुए कहा तो फिर उठाओ अपनी बहन को अपनी गोद में।
गुडिया की बात सुन कर मेरे लंड की नशे और भी तन गई और गुड़िया जैसे ही मेरे पास आई उसकी मादक ख़ुश्बू ने अलग पागल कर दिया मै झुका और गुड़िया के भारी भरकम चूतडो को अपनी बांहो में कस कर
उसे ऊपर उठा दिया, जब गुड़िया का चिकना पेट मेरे मुह के पास पहुच गया तब गुड़िया ने मेरे सर को पकड़ते हुए कहा भैया और ऊपर करो न अभी तो आम
बहुत दुर है।
मैने गुड़िया की मोटी जांघो को पकड़ा और दुसरा हाथ गुड़िया की गुदाज चौड़ी गाण्ड के निचे लगा दिया, मुझे ऐसा लग रहा था की मेरा लंड फट जाएग, गुड़िया क
गुदाज चूतडो के नरम नरम माँस को दबोचने में बड़ा मजा आ रहा था, तभी मेरी ऊँगली गुड़िया की गाण्ड के जडो में घुस गई और मै तब चौक गया जब गुड़िया की गाण्ड के गैप में उसका घघरा गीला हो रहा था, मै समझ गया की गुड़िया की रसीली बुर खूब पानी छोड़ रही है, मै बिना घबराये गुड़िया की दोनों जांघो की जडो में अपने हाथ को भर कर गुडिया को और ऊपर उठाने लगा।
मेरे हाथ का पूरा जोर गुड़िया की जांघो की जडो में यानि उसकी फुली हुई बुर और गाण्ड के छेद पर लगा हुआ था, जहा से मैंने गुड़िया को दबा रखा था वही उसका घाघरा काफी गीला लग रहा था, अब मुझे गुड़िया की नीयत पर शक होने लगा था, क्या गुड़िया जानबूझ कर चड्ढी पहन कर नहीं आई थी, क्या गुड़िया भी लंड लेने के लिये तडपने लगी है, पर मै तो उसका भाई हु फिर वह.
मैं सोच में डूबा हुआ था तभी गुड़िया ने कहा भैया अब उतारो भी और मैंने फिर से उसे नीचे उतारा और इस बार फिर उसका गुदाज रसीला बदन मेरे बदन से रगड खाता हुआ निचे आया और फिर से गुड़िया की चुत में मेरे खड़े लंड का एह्सास हुआ, गुड़िया के चेहरे पर मंद मंद मुस्कान
थी। जिसे वह दबाते हुए कहने लगी वाह भैया क्या मस्त आम है, उसके बाद एक दो आम और तोड़ने के बाद मैं और गुड़िया खेत में आ गये, गुड़िया खाट पर बैठ कर आम चुस्ने लगी और मै बाबा के साथ काम में
लग गया, मै दुर से गुड़िया को देख रहा था लेकिन वह मोबाइल में न जाने क्या कर रही थी, तभी मुझे ध्यान आया की मैं किताब झोपड़ी में ही मै भूल गया था
जाकर उसे कही छुपा देता हु नहीं तो गुड़िया के हाथ न लग जाए, जब मै गुड़िया की ओर जाने लगा तब गुड़िया को मैंने फ़ोन पर यह कहते सुना की चल रंडी मै तुझसे बाद में फ़ोन करती हूँ।।
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