RE: Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी
गुडिया : मुस्कुराते हुए क्या हुआ भैया काम में मन नहीं लग रहा क्या या फिर भूख लगी है, अगर भूख लगी हो तो आम चूस लो काफी पके और बड़े बड़े है,
मैने गुड़िया के तने हुए आमो को देखते हुए कहा
हाँ भुख तो लगी है पर तू अपने आम मुझे कहा चुसने देगी।
गुडिया : मुस्कुराते हुये, तुम मुझसे कहते ही नहीं।
नहीं तो मै क्या अपने भाई को अपने आम न चुसा दूँ।
कालू : चल ठीक है जब मुझे चुसना होगा मै तुझसे कह दुँगा।, इतना कह कर मै झोपड़ी के अंदर गया लेकिन जहा मैंने किताब रखी थी वह वहाँ नहीं थी, अब तो
मै पक्का समझ गया की किताब गुड़िया ने ली है, तभी आज वह पूरी रंडी की तरह मेरे ऊपर चढ़ चढ़ कर मजे ले रही थी, जरुर उसने भाई और बहन की चुदाई वाली कहानी पढ ली थी इसीलिए आज उसकी चुत इतनी गरमा रही है।
मै बाहर आया और गुड़िया की ओर देखा तो वह मुसकुराकर मुझे देखते हुए पहले आम को दबा कर उसका रस बाहर निकाली और फिर मुझे देखते हुए अपनी रसीली जीभ बाहर निकाल कर उसे चाटने लगी, मेरा मन तो किया की अपनी रंडी बहना को वही नंगी करके खूब कस कस कर उसकी मस्त फुली चुत में लंड पेल दू लेकिन मै मन मार कर रह गया और गुड़िया कहने लगी, आओ भइया बैठो।
कल्लु : नहीं गुड़िया बाबा अकेले काम कर रहे है मुझे भी उनकी मदद करना होगा।
गुडिया : माँ कब आएगी खाना खाने का टाइम तो हो गया बड़ी भुख लगी है।
कालू : बस आती ही होगी थोड़ी देर और राह देख ले और फिर मै बाबा के साथ काम में लग गया, कुछ देर बाद माँ नजर आई, और फिर मै और बाबा हाथ मुह धोकर पेड़ की छाँव मै बैठ गए सामने गुड़िया और माँ बैठी थी और उनके सामने मै और बाबा, हमने खाना खाया और फिर बाबा कहने लगे की भाई मेरी तो आज तबियत ठीक नहीं लग रही है इसलिए मै तो घर जाकर आराम करुँगा, निर्मला तु और कल्लु वो सामने की घास बची है उसे मिल कर काट लेना और उधर गट्ठर बना कर रख देना।
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