RE: Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी
कल्लु : अपने भैया के हाथ से नहा लेगी तु।
गुडीया : क्यों नहीं पहले जब मै छोटी थी तब भी आप मुझे नहलाते थे की नही।
कालू : गुड़िया के दूध को देखता हुआ गुड़िया की गुदाज जांघो को अपनी हंथेली में भर कर मसलता हुआ कहता है, अब तो तू पूरी जवान हो गई है।
अब भला मै तुझे कैसे नहला सकता हूँ।
गडिया : क्यों कभी कभी आप माँ को नहीं नहलाते हो। तो क्या माँ जवान नहीं है, वह तो और भी ज्यादा जवान है।
कालू : अरे कहा मै तो सिर्फ कभी कभी उनकी पीठ रगड देता हु बस।
गुडिया : भले ही पीठ रगडते हो पर माँ है तो मुझसे भी ज्यादा जवान और बड़ी है, गुड़िया ने महसूस किया की भैया से जब वह माँ की बात कर रही थी
तो वह अपने लंड को खूब तेजी से उसकी गाण्ड की दरार में दबा देते थे ऐसा लग रहा था जैसे अपनी बहन की गाण्ड चुत सब फाड देंगे।
कल्लु : अच्छा तू कहती है तो चल तेरी भी पीठ रगड देता हूँ। मै गुड़िया की नंगी पीठ को सहलाने लगा और जब मै उसकी बगल में पहुचता तो वह जान बूझ कर अपने हाथो को ऊपर कर देती और मै उसकी काँख को सहलाने लगता उसकी बगल में बारीक़ बारीक़ बाल उगे हुए थे।
गुडिया : भैया क्या माँ को भी तैरना आता है।
कालू : नहीं लेकिन थोड़ा बहुत तैर लेती है।
गुडिया : आपने माँ को क्यों नहीं सिखाया।
कालू : पहले कई बार सिखाया है।
गुडिया : क्या माँ को सीखने का मन नहीं करता था।
कालू : करता था मुझसे कहती भी थी लेकिन मै कभी उसके साथ नदी आता और कभी नहीं आता।
गुड़िया को भैया की बातो से भोंदुपने की झलक नजर आ रही थी, वैसे भी भैया की गोद में गुड़िया जैसा गरम माल थी। लेकिन वह ज्यादा कुछ कर नहीं रहे थे, पर यह तो था की लंड उनका यह सब समझ रहा था इसीलिए तबियत से तना हुआ था।
गुडिया : भैया अब पीठ ही रगडते रहोगे या यहाँ वह भी रगडोगे, लो मेरे सिने पर रगड़ो बहुत मैल हो गया है। और गुड़िया ने भी अन्जान बनते हुए अपने मोटे मोटे दूध भैया के मुह के सामने रख दिए, भैया काँपते हाथो से गुड़िया के दूध को छु रहे थे तभी गुड़िया ने उनके हाथ को अपने दूध पर दबा कर कहा भैया जरा रोज से रगड़ो नहीं तो मैंल कहा से निकलेगा।
गुड़िया का कहना था की भैया अब थोड़ा जोर से उसके मोटे मोटे थनो को रगडते हुए सहलाने लगा, पर फिर भी उनके हाथ में वह मर्दाना पकड़ नजर नहीं आ रही थी जो उसे चाहिये थी वह तो चाहती थी की भैया उसके मोटे मोटे आमो को खूब दबा दबा कर चुसे और खूब मसले, तभी उसने भैया से कहा भैया तुम माँ को तो बड़ी जोर जोर से रगडते हो फिर आज क्या हुआ है
जरा तेज रगडो।
कालू : गुड़िया तेरे दूध में मेल है ही कहा जो उन्हें रगड कर निकालूं।
भैया की बाते सुन कर गुड़िया को हसी आ गई और उसने कहा दूध के ऊपर का मेल नजर नहीं आता है जब रगडोगे तभी निकलेगा और यह रगडने से जब लाल हो जाएगे तो समझ लेना की इनका मैंल निकल गया है।
कालू भैया अब गीतिका के मोटे मोटे दूध को अब कस कस कर दबा रहे थे और कहने लगे गुड़िया वैसे मैंने माँ के दूध को कभी नहीं रगडा है मै तो सिर्फ उनकी पीठ कभी कभी रगड देता हु बस ।
गुडिया : आह हाय भैया अब तुम सही रगड रहे हो देखना कुछ देर में यह पूरे लाल हो जाएगे और इनका सारा मैल निकल जायेगा पर आप जरा अपने दोनों हांथो से रगडो, उसकी बात सुन कर कल्लु भैया उसके दूध को अब तबियत से मसलने लगा था।
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