RE: Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी
बस फिर क्या था मै एक दम से पानी में कुद पड़ी और हलके से चिल्लाने लगी ओह भैया आह सी ओह
कालू : अरे क्या हुआ गुडिया।
मैने अपनी हथेली से अपनी चुत को दबाते हुए कहा ओह भईया यहाँ बहुत जलन हो रही है लगता है कुछ काट रहा है।
कालू : चल अच्छा पहले पानी से बाहर चल और भैया ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया, मै लगभग पूरी नंगी ही थी, मेरी पेंटी भी मेरे चूतडो से आधि उतरी हुई थी, भैया ने मेरी जांघो को अपने हाथो में भर रखा था और मेरी नंगी गाण्ड और मेरे चूतडो के दोनों पट खुल कर मेरी मस्त गुदा का नजारा दिखा रहे थे, मै लगतार अपनी चुत को भैया के सामने ही पेंटी के ऊपर से खुजला रही थी और सीसिया रही थी।
भैया ने मुझे नदी से बाहर निकाल कर जमीन पर बैठा दिया और कहने लगे कहा जलन हो रही है कोई कीड़ा तो नहीं काट रहा है, मैंने भैया को अपनी जाँघे फैला कर दिखाते हुए अपनी फुल्ली चुत को पेंटी के ऊपर से सहलाते हुए कहा भैया लगता है मेरी सुसु में कुछ घुस गया है और काट रहा है।
कालू : बड़े गौर से मेरी फुल्ली चुत को देखते हुए कहने लगे तू गुड़िया पेंटी साइड में करके देख न कही कोई कीड़ा न काट रहा हो।
मैने भैया की ओर देखा और एक नजर उनके धोती में खड़े लंड पर डाली मेरी चुत की नसें पूरी फुलने लगी और मैंने अपनी पेंटी साइड से पहले सरका कर अपनी मस्त चिकनी गुलाबी भोस अपने भैया को दिखाई और भैया मेरी मस्त गुलाबी भोस को आँखे फाड फाड देखने लगे, फिर मैंने अपनी गर्दन झुका कर अपनी चुत को देखा वह क्या मस्त फुल कर कुप्पा हो रही थी और फाँके पूरी खुल कर मेरे रसीले गुलाबी छेद को दिखा रही थी, मैंने अपनी चुत की फांको को भैया के सामने और खोल कर अंदर देखा लेकिन कुछ था तो नहीं पर मै जलन का नाटक करते हुए ओह भैया कुछ दिख नहीं रहा है मुझे लेकिन बहुत जलन हो रही है, आप देखिये न और मैंने अपने दोनों हांथो को पीछे जमीन पर टीका कर अपनी दोनों जांघो को खूब फैला कर अपनी मस्त चुत को ऊपर की ओर उभार लिया।
भैया पागलो की तरह कभी मेरे मोटे मोटे दूध कभी मेरा चिकना पेट और कभी मेरी पेंटी में से झाँकती रसीली चुत को देख रहे थे।
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