RE: Porn Kahani चली थी यार से चुदने अंकल ने ...
फिर वे मेरे कान के पास आकर बोले- आज काँफी हॉट लग रही हो!
मैं यह बात सुनकर अवाक रह गई कि ये मेरे पापा के दोस्त हैं और ऐसी बातें कर रहे हैं।
अंकल जाते-जाते मेरी गांड दबा कर चले गये।
अंकल के गांड दबाने से मैं गर्म सी हो गई थी।
तभी बारात आ गई, सब डांस कर रहे थे, मुझसे भी जबरन डांस करवाने लगे।
बारात के कुछ लड़के मेरे साथ चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे या यूँ कहें कि भीड़ का फायदा उठा रहे थे।
मुझे भी काफी मजा आ रहा था, कोई चूची दबा देता तो कोई गांड!
एक ने तो हद कर दी, मेरी टॉप में हाथ डालकर चूचियाँ मसल दी। मैंने सोचा कि अगर मैं यहाँ रुकी तो ये लोग छोड़ेंगे नहीं!
मैं जैसे तैसे वहाँ से निकली।
मैं इतनी गर्म हो गई थी कि मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। पार्टी में जिसे भी मौका मिलता, चूची या गांड दबाते चलता।
मैंने सोचा कि खाना खाकर सो जाती हूँ, नहीं तो आज बच नहीं पाऊँगी।
मैं खाना खाने जैसे ही गई तो मेरी नजर संतोष पर पड़ी, उसने भी मुझे देखा और खुशी से भागते हुए मेरे पास आया और बोला- तुम भी आई हो!
और मुझे गले से लगा कर एक चुम्मी ली और बोला- यार, आज तो क्यामत ढा रही हो!
मैं बोली- अच्छी नहीं लग रही हूँ क्या?
संतोष बोला- बम लग रही हो!
फिर संतोष बोला- चलो, घूम कर आते हैं।
मैं बोली- इतनी रात को कहाँ जायेंगे?
वह बोला- बाहर घूम कर आते हैं!
मैं समझ गई कि यह क्या चाहता है, मैं बोली- ठीक है, खाना खाकर चलते हैं।
वह बोला- आकर खा लेंगे!
और हम बाहर निकल गए।
थोड़ी दूर चलने पर एकदम सुनसान जगह मिलते ही मुझ पर टूट पड़ा, मेरे गालों कोम होंठों को काटने लगा।
मैं बोली- सब्र रखो, काट क्यों रहे हो?
वह चूची मसलते हुए बोला- सब्र अब नहीं होता जान!
फिर उसने मेरा टॉप उतार दिया।
मैं बोली- यह क्या कर रहे हो?
वह मेरी बात को अनसुना करते हुए मेरी चूची पीने लगा और एक हाथ से चूत में उंगली करने लगा।
चूत पर हाथ पड़ते ही मैं मदहोश हो गई, ऐसा लगा कि किसी ने जलते तवे पर पानी छिड़क दिया हो।
हम दोनों एक दूसरे में खो चुके थे, मेरी चूत ने एक बार फिर पानी छोड़ दिया।
फिर मैं थोड़ी सी संभली मगर संतोष आज पागल हो गया था। जैसे तैसे उसे होश में लाई… मगर वह मुझे चोदना चाहता था।
आज मैं भी मूड में थी लेकिन उसे तड़पा रही थी।
वह गिड़गिड़ाने लगा, बोला- प्लीज यार, आज चोदने दो, मौका भी है और जगह भी!
उसके बहुत कहने पर मान गई, मैं बोली- चोदोगे कहाँ?
वह बोला- जान तुम टेंशन मत लो, आज हम सुहागरात मनायेंगे।
मैं बोली- कुछ समझी नहीं कि तुम क्या कह रहे हो?
वह बोला- यार बस तुम पार्टी के पीछे वाले कमरे के पास पहुँचो, सब समझ जाओगी।
फिर हम फार्म हाउस पहुँचते ही अलग हो गये, मैं सबसे बचते बचते उस रूम के पास जाकर खड़ी हो गई।
तभी किसी ने मुझे पीछे से जकड़ लिया, मैं समझ गई कि संतोष है।
वह मेरी चूचियाँ मसलने लगा, मेरी गर्दन, गाल चूमने लगा।
मैं भी मदहोश होने लगी, मैं बोली- सब कुछ यहीं करोगे क्या?
तब तक एक हाथ से चूत मसलने लगा।
मैं बोली- छोड़ो भी अब!
बोल कर अपने आप को छुड़ाया।
जैसे ही मैं पीछे मुड़ी तो देखते ही मेरे पैरों तले की जमीन खिसक गई क्योंकि वह संतोष नहीं था।
वो अंकल थे।
मैं तो शर्म से एकदम लाल हो गई थी, मैं गुस्से में बोली- अंकल यह क्या कर रहे थे? आपको शर्म नहीं आती? मैं आपकी बेटी जैसी हूँ। अंकल बेर्शमी से बोले- जो तुम चाह रही थी मेरी जान!
और बोले- बेटी जैसी हुई तो क्या हुआ, हो तो एकदम हॉट माल!
मैं गुस्सा होकर जाने लगी, तब अंकल बोले- उस लड़के के साथ तो बीच सड़क पर मजे कर रही थी और मेरे छूने पर इतना गुस्सा?
मैं समझ गई कि अंकल ने सब कुछ देख लिया है।
फिर मैं थोड़ी सी ठंडी हुई और बोली- आप क्या बोल रहे हो, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा?
अंकल बोले- ठीक हैं रहने दो मैं तुम्हारे पापा को समझा दूँगा।
यह सुनते ही मैं डर गई और बोली- प्लीज अंकल, पापा को कुछ मत बताना।
इस पर अंकल बोले- ठीक है, नहीं बोलूँगा पर तुम्हें मेरी एक बात माननी पड़ेगी?
मैं बोली- ठीक है, पर करना क्या होगा?
अंकल बोले- जो तुम उस लड़के के साथ करने वाली थी वह अब मेरे साथ कर लो!
मैं बोली- आप क्या बोल रहे हो, मैं समझी नहीं?
अकंल बेर्शमी से बोले- मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।
मैं बोली- अंकल, आप यह क्या बोल रहे हो? मैं यह नहीं करवा सकती!
यह बोल कर मैं जाने लगी।
तब अंकल बोले- ठीक है, जाओ… मैं तुम्हारे पापा से बात कर लूँगा।
मैं यह सुनकर फिर से डर गई और बोली- प्लीज अंकल, ऐसा मत करो!
वे बोले- कभी नहीं बोलूँगा, बस एक बार मुझे अपनी चूत चोदने दे, इसके बाद मैं कभी तेरे रास्ते मैं नहीं आऊँगा, बस एक बार मुझे चोदने दे।
मैं ना चाहते हुए भी मान गई और बोली- अंकल, मुझे यह ठीक नहीं लग रहा है।
अंकल बोले- थोड़ी देर में सब ठीक लगने लगेगा!
और मेरी गांड पर चपत लगा कर हँसने लगे।
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