RE: Porn Kahani चली थी यार से चुदने अंकल ने ...
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह मेरे साथ क्या हो रहा है। चूत चुदवाने किसी से आई थी और जा किसी और के साथ रही थी।
अंकल बोले- मेरे साथ चलो!
मैं बोली- कहाँ?
वे बोले- बस साथ आओ!
मैं अंकल के पीछे पीछे चल दी, हम एक कमरे के आगे जाकर खड़े हो गये।
अंकल ने पहले चारों तरफ देखा कि कोई आ तो नहीं रहा… फिर अंकल ने जेब से चाबी निकाली और अंदर गये और मुझे झट से अंदर खींचकर दरवाजा बन्द कर लिया।
जैसे ही मैं उस रूम में गई, देखकर दंग रह गई, यह तो दूल्हा दुल्हन के सुहागरात मनाने वाला कमरा था, एकदम मनमोहक सजावट थी।
मैं बोली- अंकल, यह तो दूल्हा-दुल्हन के लिए है।
अंकल मुझे चूमते हुए बोले- हम भी तो वही काम करेगे जान!
अंकल मुझे खड़े खड़े बेतहाशा चूमने लगे, चूची दबाने लगे, चूत सहलाने लगे।
मैं भी अपनी शर्म छोड़कर अंकल का साथ देने लगी, सोचा कि जब चुदना ही है तो शर्म कैसी! मुझे गर्म तो मेरे यार ने ही कर दिया था। मुझसे अब बर्दाशत नहीं हो रहा था और चूत में एक अलग सी कुलबुलाहट थी। बस मन हो रहा था कि कोई ढंग से मेरी चूत चुदाई कर दे।
लेकिन अंकल को कुछ बोल भी नहीं सकती थी और अंकल इससे आगे बढ़ ही नहीं रहे थे, मैं अंदर ही अंदर वासना से जल रही थी लेकिन अंकल अभी भी मुझे गर्माने में ही लगे थे।
आखिरकार मुझे बोलना ही पड़ा, मैं बोली- अंकल जब यही सब और ऐसे ही करना था तो बाहर ही कर लेते, इस कमरे में आने की जरूरत क्या थी?
अंकल समझ गये कि मैं क्या चाहती हूँ, वे बोले- नहीं मेरी रानी, आज मैं तुम्हारे साथ इस सुहाग सेज पर सुहागरात मनाऊँगा।
मैं भी अब अंकल के साथ खुल सी गई थी, मैं बोली- अगर हम यहाँ सुहागरात मनायेंगे तो दूल्हा-दुल्हन कहाँ जायेंगे?
तब अंकल बोले- क्या बात है मेरी जान, अब तुम्हें चोदने में मजा आयेगा।
यह बोलकर अंकल ने मुझे गोद में उठाया और बोले- चलो जल्दी से हम सुहागरात मनाते हैं। हमारे बाद यह रूम किसी और के लिए भी बुक है।
यह बात बोल कर अंकल मुस्कुराने लगे और मुझे सुहागसेज पर पटक दिया।
सुहाग सेज पर गिरते ही मैं मदहोश होने लगी। ऐसे सुगन्धित फूले बिछे थे जो किसी को भी उत्तेजित करने के लिए काफी थे।
अब अंकल मेरे ऊपर सवार हो गये टॉप के ऊपर से ही मेरी चूची को काटने लगे।
मैं बोली- अंकल, ऐसे मत करो, टॉप फट जायेगी।
अंकल अब जोश में आ गये थे, उन्होंने जल्दी से मेरी टॉप निकाल दी।
टॉप निकलते ही मेरी चूची को देखकर पागल हो गये और चूची को ऐसे मसलने लगे कि जैसे आटा गूंथ रहे हों और ब्रा जल्दी खोलने के चकर में मेरी ब्रा की एक स्ट्रैप तोड़ दिया।
मेरी नंगी चूचियों को देखकर जैसे पागलों की तरह मसलने लगे, काटने लगे। मुझे दर्द भी हो रहा था थी और मजा भी आ रहा था।
अब बिना समय गवाँए उन्होंने मेरी स्कर्ट और पेंटी निकाल फेंकी, अब वे मेरी छोटी सी चिकनी चूत देखकर मानो पूरा पागल हो गये हों, वे जीभ से मेरी चूत चाटने लगे।
जीभ के चूत पर लगते ही मैं मदहोशी में बड़बड़ाने लगी, मेरे मुँह से मादक आवाज सुनते ही अंकल और तेज चाटने लगे।
मुझसे अब बर्दाशत कर पाना मुश्किल था और टाइम भी कम था, मैं अंकल से बोली- जो करना है, जल्दी करो… मेरे से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है और टाइम भी नहीं है।
अंकल ने घड़ी देखी तो 11:20 बज चुके थे, उन्होंने अपने कपड़े जल्दी से उतार दिये।
मैं उनका लंड देखकर डर गई, तकरीबन 8-9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा होगा।
मैं बोली- अंकल, मैं यह नहीं ले पाऊँगी।
अंकल बोले- एक बार लेकर तो देख मेरी रानी, अपने यार को भूल जायेगी।
अंकल ने मेरी टाँगें चौड़ी की और बिना कुछ लगाये लंड को मेरी नाजुक चिकनी चूत में पेल दिया।
मेरी तो जैसे जान निकल गई, मैं जोर से चिल्लाने, छटपटाने लगी लेकिन अंकल ने मेरे ऊपर ध्यान ना देते हुए एक और तेज झटका मारा और पूरा लंड डाल दिया, मैं दर्द के कारण रोने लगी, मेरी चूत से शायद खून निकल रहा था।
अंकल मेरे होंठों को चूसने लगे और धीरे धीरे चोदने लगे। करीब 10 मिनट बाद दर्द थोड़ा सी कम हुआ और थोड़ा थोड़ा मजा आने लगा और मैं भी अंकल का साथ देने लगी, मैं भी कमर उचका कर चूत चुदवाने लगी, अंकल के हर झटके का जबाब दे रही थी।
करीब दस मिनट बाद मैं झड़ने को आई, तब मैं बोली- अंकल और तेज… और तेज… फाड़ दो मेरी चूत को!
यह सुनकर अंकल ने स्पीड बढ़ा दी और मैं कुछ देर में झड़ गई।
अंकल भी थोड़ी देर बाद मेरी चूत गर्मागर्म वीर्य से भर कर मेरे ऊपर ही लेट गये।
थोड़ी देर बाद मैं अंकल को अलग कर के उठी तो दर्द के कारण मुझसे उठा नहीं जा रहा था, जैसे तैसे मैं उठी, उठते ही मेरी आँखें फटी रह गई।
मैंने देखा खून से बिस्तर लाल हो गया है, मेरी चूत से अभी भी वीर्य और खून निकल रहा था।
मुझे अपने इस हाल पर रोना आ रहा था, मैंने अंकल को हिला कर उठाया, अंकल भी खून देखकर थोड़े से डर गये और पूछने लगे- जान, तुम्हारी चूत कुंवारी थी क्या? इससे पहलेनहीं चुदी थी क्या?
मैं बोली- नहीं… वैसे भी अब पूछने का क्या फायदा? जब रो रही थी तब तो सुना नहीं।
अंकल मुझे गले से लगाकर बोले- थैंक यू जान, मेरे से सील तुड़वाने के लिए
और एक जोर की पप्पी लेकर बोले- चलो जान, बाथरूम में अच्छे से साफ कर देता हूँ।
मैं उठ कर खड़ी हुई लेकिन दर्द इतनी ज्यादा था कि चल भी नहीं पा रही थी।
जैसे तैसे अंकल बाथरूम ले गये और हम दोनों साफ हुए।
बाहर निकली तो अंकल स्कर्ट और टॉप दिये, मैंने पूछा- ब्रा, पेंटी कहाँ हैं?
तब अंकल ब्रा दिखा कर बोले- ये लो, ब्रा फट गई और पेंटी मैं अपने पास रखूंगा निशानी के लिए!
तभी अंकल की मोबाइल बजी, अंकल फोन पर बोल रहे थे- बस अभी आया!
फोन काटते ही अंकल बोले- जान, जल्दी से निकलो, शादी खत्म हो गई, जल्दी से कपड़े पहनो और निकलो, दूल्हा- दुल्हन आने वाले हैं।
मैंने जल्दी से स्कर्ट टॉप पहनी लड़खड़ाते रूम से निकल गई।
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