RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
बाबू जी ने धीरे धीरे, रुक रुक कर अपना पूरा लंड बहु की गांड में पेल दिया।बहू दर्द से बेचैन थी, उसका बदन पसीना पसीना हो चूका था, दाँत के दबाव से होंठ लाल हो चुके थे और उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। कुछ देर तक शांत रहने के बाद बाबू जी ने बहू की गांड को धीरे धीरे चोदना शुरु किया। बहू की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर बाबूजी अपने लंड को उसकी गांड में धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहे थे। बाबू जी ने इतनी टाइट गांड में लंड कभी नहीं पेला था। बाबू जी जब लंड को अंदर घुसाते तब बहू की टाइट गांड उनके लंड के ऊपर की त्वचा को जकड लेती और उनके लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से नंगा हो कर तन जाता। फिर बहु की गांड के भीतर के कोमल और चिपचिपी त्वचा से नंगे सुपाडे की रगड बाबू जी को बहुत आनंद दे रहा था।
बहू का दर्द भी अब शांत हो गया था। गाँड में मोटा सा लंड जब अंदर घुसता तो बहु को अपनी चूत पर दबाव महसुश होता, ये एहसास बहुत ही मादक था। बहू को अब मजा आने लगा था। वो बाबूजी के लंड के साथ लय मिला कर अपने गांड को हिलाने लगी। जैसे बाबू जी लंड अंदर घुसाते, बहू अपना गांड पीछे कर देती। बहू को मजा लेता देख बाबूजी ने भी चुदाई की गति काफी तेज़ कर दी। चूतड़ के पास दोनों हाथों से बहू की कमर को पकड़ कर बाबू जी पूरे अंदर तक अपना लंड पेल रहे थे।
जैसे जैसे बहू गांड मरवाने में सहज हो रही थी वैसे वैसे बाबूजी की चुदाई की गति बढ़ती जा रही थी। अब बाबू जी मस्ती में आधा लंड अंदर बाहर कर बहू की गांड में लंड पेल रहे थे। अब बहू भी मस्ती में आ चुकी थी। बाबु जी ने झुक कर अपने दोनों हाथों से बहू की दोनों चूचि को पकड़ा और उसकी चूचियों को भींचते हुए उन्होंने बहू को घुटने के बल खड़ा कर दिया। बहू घुटने के बल खडी, उसके पीछे उसकी गांड में अपना लंड घुसाए बाबू जी घुटने के बल खडे उसकी चूचियों को मसलते हुए उसकी गर्दन चूम रहे थे। बहू ने अपने दोनों हाथों को उठा कर बाबू जी के सर को पकड़ लिया और मुँह पीछे घुमा कर बाबूजी को चूमने लगी। बाबू जी बहू की गांड में लंड तो पेल ही रहे थे अब वो उसकी मुंह में अपना जीभ पेलने लगे। एक हाथ से चूचियों को मिसते हुए उन्होंने अपना दूसरा हाथ नीचे बढाया। पेट पर रेंगता हुआ उनका हाथ नीचे जांघों के बीच में सांप के बिल तक पहुँच गया। थोड़ी देर तक गीली चूत की मालिश करने के बाद उनकी ऊँगली अंदर बिल में घुस गयी। बहू तीनो मोर्चे पर एक साथ प्रहार से विचलित थी; उसकी गांड में बाबू जी का लंड ड्रिल कर रहा था तो चूत में उनकी ऊँगली और मुंह में उनका जीभ। तीनो मोरचे पर बस एक ही मोरचा, उसकी गांड़, पर पूरे ज़ोर शोर से लडाई चल रही थी बांकी मोर्चों पर तो बस छिट पुट हमले ही हो रहे थे। अगर इस लडाई में ऐसा मजा है तो तीनो मोरचे पर एक साथ घमाशान युद्व हो तो कितना मजा आएगा। बहू के आँखों के सामने फिर से तीनो मोर्चे पर लंड लेती पोर्न स्टार की तस्वीर आ गयी। अब तीन लंड एक साथ लेने की बहू की अभिलाषा बन चुकी थी।
जब बाबूजी जी ने बहू की चूत में दो ऊँगली घुसायी तो बहू ये भूल चुकी थी की वो कहाँ है।। वो आनंद में इस तरह मतवाली हो चुकी थी की वो बाबूजी के ऊँगली को लंड मान रही थी। उसने बाबू जी के हाथ की ऊँगली को मुंह में रखा और उसे लंड की तरह चूसने लगी। वो एक साथ गांड में लंड का दबाव और चूत में दो ऊँगली के दबाव से मतवाली हो कर मचलने लगी। वो बिस्तर पर झुक गयी और अपने ही ऊँगली को चूसने लगी। बाबू जी ने बहू को मस्ती में देख कर चुदाई तेज़ कर दी। वो पूरे ज़ोर से बहू की गांड में लंड और चूत में ऊँगली पेल रहे थे।
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