RE: vasna story मेरी बहु की मस्त जवानी
समधि जी - वाओ बेटी तुम तो बहुत अच्छी लग रही हो इस ब्लाउज में। तुम कपडे बदल रही थी क्या?
सरोज - हाँ पापा, मैंने साड़ी उतार दी थी और ब्लाउज खोल रही थी तभी शालिनी ने फोटो खीच लिया। लेकिन मुझे वो ब्लाउज के डिज़ाइन चाहिए था इसलिए ले आयी। मैंने ऐसे ही २ और ब्लाउज बनवाई है।
समधि जी - हाँ बेटी तुम्हारी पीठ इस ब्लाउज में मांसल लग रही है, और कहाँ बनवाया तुमने ब्लाउज?
सरोज - पास में ही एक टेलर है उसको दिया, वो तो कभी कभी घर आ के मेरा नाप ले जाता है। बहुत अच्छा टेलर है, मैंने उसे ये फोटो दिखाइ और उसने डिज़ाइन देख कर मेरा नाप लिया और बिलकुल ऐसी ही ब्लाउज बना के दे दिया।
समधि जी - बेटी तुमने टेलर को ये फोटो दिखाए, मेरा मतलब ऐसे ब्लाउज खोलते हुए?
सरोज - ओह पापा, टेलर बुजुर्ग हैं मैं उन्हें चाचा बुलाती हूँ और वो बहुत मानते हैं मुझे।
समधि जी - ओके फिर ठीक है, और ब्लाउज बना के उन्होंने तुम्हे ये फोटो वापस कर दिया।
सरोज - नहीं नही, ये तो दूसरी फोटो है। मैंने उनसे फोटो माँगा तो वो बोले की उनको डिज़ाइन बहुत पसंद है और इसलिए वो फोटो अपने पास ही रख लिये।
मै समझ गया की समधी जी क्या जानने की कोशिश कर रहे थे, मुझे भी ये बात आज ही पता चली। उस बुजुर्ग टेलर को ब्लाउज के डिज़ाइन में कोई इंटरेस्ट नहीं रहा होगा। वो तो बहु की खुली पीठ का दिवाना हो गया होगा। और अबतक तो वो न जाने वो कितनी बार बहु के पीठ देख कर मुट्ठ मार लिया होगा।
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