RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
क्या कहना चाह रही थी लड़की? क्या उसे मेरे दिल में पल रही ख्वाहिश का पता चल गया था? हो ही नहीं सकता. यह बात तो मैंने ख़ुद अपने से भी नहीं कही थी किसी और से कहने की बात तो बहुत दूर की कौड़ी थी. मैं नज़रें फेर कर चुप सा ही रहा और प्रिया अपनी गहन दृष्टि सर मेरे चेहरे के भाव पढ़ती रही.“ओ.के! अब अगर मैं आप से कुछ माँगूँ तो क्या आप मुझे देंगें??” कुछ पल बाद प्रिया ने पूछा.“तेरे लिए… कुछ भी! जान मांगे तो जान भी!!” कहते-कहते जाने क्यों मेरी आँख भर आयी.
प्रिया ने हाथ बढ़ा कर मेरा मुंह अपनी ओर किया और मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोली- लाखों, करोड़ों दुआएं क़ुबूल होने पर मिली मुराद जैसा उस रात का मिलन… एक बार! सिर्फ़ एक बार और… फिर से मुझे दे दीजिये.प्रिया की यह बात सुन कर मैं भौंचक्का सा रह गया.हे भगवान्… यह चमत्कार कैसे हुआ? क्या प्रिया ने मेरा दिमाग पढ़ लिया था?“लेकिन इस बार अँधेरे की बजाए उजाले में…” मैंने पलट कर कहा.
क्षण भर के लिए प्रिया के चेहरे पर उलझन की बदली सी छायी… लेकिन जैसे ही उस को बात समझ में आयी तो उस के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, चेहरे पर हया की लाली छा गयी और उसने दोनों हाथों से अपना चेहरा छिपा लिया.“अगर ऐसा करने में तुम्हें कोई परेशानी है तो रहने दे प्रिया!”
प्रिया ने तिरछी नज़र से मेरी ओर देखा और बोली- ठीक है! जैसा आप चाहो… पर समय सीमा कोई नहीं.”“लेकिन यक़ीनन तेरी शादी से पहले!”“देखेंगे!!” प्रिया के हाव भाव में फिर से शरारत लौट आयी.मैंने कार स्टार्ट की और हम घर वापिस आ गए.
तमाम शिक़वे-शिकायतें दूर हो गए थे और मन हल्का हो गया था. इक अनाम सी ख़ुशी दिल में हिलोर मार रही थी. जिंदगी फिर शुरू हो गयी थी. प्रिया वापिस अपने कमरे में सैटल हो गयी थी. पाठक-गण! आज भी हमारे घर में उस कमरे को ‘प्रिया वाला रूम’ ही कहते हैं.
प्रिया रोज़ 9 बजे तैयार हो कर एक्टिवा लेकर कम्प्यूटर इंस्टिट्यूट चली जाती थी और करीब ढ़ाई बजे वापिस आ कर खाना खा कर थोड़ी देर आराम करती थी. पांच से सात सुधा के साथ रसोई आदि का काम, सात से नौ अपने कम्प्यूटर पर प्रेक्टिस, नौ बजे डिनर, साढ़े नौ से सोने के टाइम तक बच्चों और सुधा के साथ गप-शप.मेरा और प्रिया का आमना-सामना आम तौर पर डिनर टेबल पर या कभी कभार जब मैं ऑफिस से आता था तो प्रिया मुझे पानी देने आती थी… तब होता था. पानी का गिलास मुझे थमाते वक़्त प्रिया के होंठों पर वही ‘मोनालिसा मुस्कान’ देख कर मेरा मन तो कई बार मचला लेकिन क्या करता… वचन-बद्ध था.
दो-एक महीने बाद मैंने गौर किया कि प्रिया भी सुधा के साथ हर शनिवार शाम को ब्यूटी-पॉर्लर-कम-स्पा जाने लगी थी.एक रात सोने से पहले मैंने सुधा से इस बारे में पूछा तो उसने हंस कर कहा- अब उसकी शादी होने वाली है तो अपने शरीर को अपने पति का स्वागत करने के लिए तैयार कर रही है.“पति के स्वागत की तैयारी? मैं समझा नहीं?”“अरे बुद्धूराम! मैनिक्योर, पैडीक्योर, नेल-कलरिंग, नेल-पॉलिशिंग, स्किन-टोनिंग, फुल बॉडी वैक्सिंग, थ्रैडिंग, हेयर स्टीमिंग, हेयर कंडिशनिंग, स्टीम-बाथ, फुल बॉडी ऑइल-मसाज़ आदि आदि.”
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