RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
आपने पढ़ा कि प्रिया मेरे घर में मेरे साथ अकेली है, रात हो चुकी है, वो एक बेडरूम में गयी और उसने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.
मैं मायूस सा हुआ और हस्तमैथुन करके आकर अपने बेडरूम में सो गया.
अब आगे:
रात नींद में ही मैंने करवट ली तो किसी नर्म-गुदाज़ चीज़ से मेरा हाथ टकराया. यह एक जनाना कंधा सा था. मैंने झट्ट से आँखें खोली तो पाया कि बैडरूम का दरवाज़ा भी बंद था और बैडरूम की ट्यूब-लाइट तो बंद थी ही अपितु फुट-लाइट भी बंद थी. पूरे बैडरूम में घुप्प अँधेरा छाया हुआ था.
मैंने कपड़ों की हल्की सी सरसराहट और साँसों की मध्यम सी आवाज़ सुनी. मेरे ही बैड पर, मेरे दायीं ओर कोई था. एक पल को तो मेरे रौंगटे खड़े हो गए लेकिन जैसे ही मुझे प्रिया के वहाँ होने का ध्यान आया तो मेरे लिंग में भयंकर तनाव आ गया. मैंने अपना बायाँ हाथ आगे बढ़ाया तो प्रिया का मरमरी और नाज़ुक हाथ मेरे हाथ पर कस गया.
अँधेरे में साईड-वॉल पर रेडियम वाल-क्लॉक 1:10 का टाइम दिखा रही थी. दो चार पल मैं बिना कोई हरकत किये ऐसे ही करवट लिए पड़ा रहा. अचानक मैंने अपने सिरहाने लगी टेबल लैंप ऑन कर दिया.सचमुच यह प्रिया ही थी. प्रिया ने तत्काल मेरा हाथ छोड़ा और चादर अपने सर तक ओढ़ ली और अपना सर जोर जोर से दाएं-बाएं हिलाती हुयी घुटी सी आवाज़ में बोली- प्लीज़… नहीं! लाइट बंद कर दीजिये.“मगर क्यों?”“मुझे शर्म आती है.”“शर्म आती है… मगर किस से?”“मुझे नहीं पता… लेकिन आप लाइट बंद कर दीजिये.”“लेकिन यहाँ तो मैं और तुम ही हो और तीसरा तो कोई है ही नहीं.”“पता है… पर प्लीज़ लाइट बुझाइये.”“प्रिया! लाइट बंद कर दी तो वादा कैसे पूरा होगा? ”“मुझे नहीं पता… लेकिन आप लाइट बंद कीजिये.”
अगर मेरी प्रियतमा को ये सब छुप छुप कर करना पसंद था तो ठीक है… मैं जो उस को पसंद है वैसे ही करूंगा. मैंने हाथ बढ़ा कर टेबल लैम्प बंद कर के हल्की नीली लाइट वाली नाईट लैंप जला दी.प्रिया ने चादर से सर बाहर निकाला और नीली लाइट जलती देखकर मेरी ओर शिकायत भरी नज़रों से देखा लेकिन कहा कुछ नहीं. चलो! बात थोड़ा तो आगे बढ़ी. अब तक मैं पूर्ण तौर पर चैतन्य हो चुका था.
“सुनो!” अचानक प्रिया ने सरगोशी की.“सुनो!” की प्रिया की आवाज़ सुन कर मुझे हल्का सा झटका सा लगा. यह संबोधन मेरे लिए सिर्फ सुधा प्रयोग करती थी. मैंने तकिये पर से सर उठाया और प्रिया की ओर सवालिया नज़रों से देखा.“उठो तो… ज़रा!” प्रिया ने इल्तिज़ा सी की.” ठूँ…?? बोले तो…?”“अरे बाबा! उठ कर खड़े हो जरा…!”“बैड पर…?”“ज़मीन पर!!… बुद्धू राम!”
एक झटका और लगा. सिर्फ सुधा ही कभी-कभार एकांत में मुझे बुद्धूराम कहती थी. भगवान् जाने… क्या चल रहा था लड़की के दिमाग में? मैं आहिस्ता से उठा और बैड से नीचे उतर कर फर्श पर खड़ा हो गया.“ज़रा ट्यूब-लाइट जलाओ तो.”प्रिया के लफ़्ज़ों में एक अधिकारपूर्ण और सत्तात्मक गूँज सी थी. मैंने नाईट-लैंप ऑफ़ कर के ट्यूब-लाइट ऑन कर दी. तभी प्रिया बैड के परली तरफ से नीचे उतर आयी और आ कर ठीक मेरे सामने खड़ी हो गयी. अजीब हालत थी मेरी… बिना अंडरवियर के मेरा लिंग पजामे को तम्बू बनाये हुये था.“अब आगे क्या?” मैंने मज़ाकिया लहज़े में पूछा.
अचानक ही प्रिया ने झुक कर अपने दोनों हाथों से मेरे पैर छू कर अपना दायाँ हाथ अपनी मांग में ऐसे फेरा जैसे सिन्दूर लगाते हैं.पल-भर के लिए मैं स्तब्ध रह गया- यह… यह क्या कर रही हो… प्रिया?कहते हुए मैंने प्रिया को दोनों कांधों से पकड़ कर उठाया.देखा तो काली कजरारी आँखों में आंसू बस गिरने की कगार तक भरे थे.
“मेरा ईश्वर गवाह है कि आप मेरे जीवन में आये प्रथम पुरुष हैं और उस रात के बाद से मैंने हमेशा आप को अपने पति के रूप में ही देखा और चाहा है. आज के बाद हम दोनों की जिंदगी में क्या क्या मोड़ आएं… मैं नहीं जानती लेकिन जो अभिसार अभी आप के और मेरे बीच में होने वाला है, मैं चाहती हूँ कि उसका स्वरूप एक पति-पत्नी के अभिसार का हो… ना कि प्रेमी-प्रेमिका के अभिसार का. आने वाले चंद घंटे मैं पूर्ण तौर पर आप की अर्धांगिनी की तरह गुज़ारना चाहती हूँ. इन चंद घंटों की मीठी याद के सहारे मैं जिंदगी की मुश्किल से मुश्किल दुश्वारी हसीं-ख़ुशी सह लूंगी. क्या आप आज मुझे यह अधिकार देंगें?”
बाप रे! … तो ये सब चल रहा था प्रिया के दिमाग में! अब मैं समझा सारी बात. मेरे गले लग कर बेवज़ह रोना, अधिकारपूर्ण मुझे पुकारना, मेरे पांव छूना और फिर मेरे पांव की वही धूल अपनी मांग में लगाना… प्रिया खुद को सुधा के स्थान पर रख कर मुझे अपना पति कह रही थी.“प्रिया! आने वाले चंद घंटे तो क्या तू हमेशा मेरे दिल में मेरी अपनी बन कर रहेगी. हो सकता है कि हम बरसों ना मिले लेकिन याद रखना कि मुझ पर तेरा इख़्तियार और अधिकार सुधा से कम नहीं.” कहते हुए मैंने भी कुछ भावुक हो गया और प्रिया को अपने अंक में समेट कर उस के माथे पर प्यार की मोहर लगा दी
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