RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
तत्काल प्रिया बेचैन हो उठी और अपनी उंगली मेरे मुंह में इधर उधर मोड़ने-तोड़ने लगी. तब तक मैं करीब क़रीब आधा प्रिया के ऊपर झुका हुआ था.अचानक ही प्रिया ने अपनी उंगली मेरे मुंह से निकाल ली और उसी हाथ का अंगूठा मेरे होंठों पर दाएं से बाएं, बाएं से दाएं फिराने लगी. बीच बीच में मैं मुंह से प्रिया का अंगूठा पकड़ने की कोशिश भी करता, लेकिन प्रिया अंगूठा किसी तरह छुड़ा लेती.
थोड़ी देर बाद ही मैंने प्रिया के दोनों हाथों की उंगलियाँ अपने दोनों हाथों की उँगलियों में लॉक कर के (अपना दायाँ हाथ प्रिया के बाएं हाथ में और अपना बायाँ हाथ प्रिया के दाएं हाथ में) सिरहाने के आजू बाजू रख दिए और सीधे प्रिया के ऊपर आ कर प्रिया की आँखों में झांका.प्रिया के होंठों पर वही मोनालिसा मुस्कान आयी और प्रिया ने अपनी उंगलियाँ मेरी उँगलियों में ज़ोर से कस दी.
क्या नज़ारा था…!!! साक्षात् रति भी इतनी सुन्दर ना होगी जितनी उस वक़्त प्रिया लग रही थी. मैंने झुक कर प्रिया के होंठों पर एक चुम्बन लिया, फिर धीरे से एक एक चुम्बन दोनों कपोलों पर लिया… एक ठोड़ी पर, एक गर्दन के बीच में ज़रा बायीं और दूसरा ज़रा दायीं ओर…प्रिया की गहरी साँसों में अब आनन्दमयी सीत्कारें निकलने लगी थी.
मैंने एक और चुम्बन ब्रा में कसे हुये दोनों उरोजों के मध्य में लिया और दोनों उरोजों में बनी दरार में अपनी जीभ घुसा दी.बस जी! कहर ही बरपा हो गया जैसे… प्रिया ने जोर से सीत्कार करते हुए ने जबरन अपने दोनों हाथ मेरे हाथों से छुड़ाए और दीवानावार मुझे यहाँ-वहाँ चूमने लगी; मेरे माथे पर… मेरे कंधे पर, मेरी गर्दन पर, मेरे सर पर.
प्रिया का बायाँ हाथ मेरी पीठ पर कस गया और दायाँ हाथ मेरे सर के पृष्टभाग पर जमा कर प्रिया मुझे ऐसे अपनी ओर दबाने लगी जैसे चाहती हो कि मैं उस के उरोजों में ही समा जाऊं. मैं प्रिया के उरोज़ों के बीच की दरार की लम्बाई अपनी जीभ से नापने में मशग़ूल था.“हा… हाँ, यहीं यहीं… और करो… यस! जोर से करो… यहीं हाँ यहीं… ओ गॉड!… आह हाय सी… ई..ई..ई!!! ” प्रिया आनन्द के सागर में अनवरत गोते लगा रही थी.
अचानक मैंने अपना सर जरा सा उठाया तो प्रिया की रोमविहीन आवरणहीन कोमल बायीं काँख पर मेरी नज़र पड़ी. मैंने अपनी जीभ को वक्षों की घाटी से निकला और प्रिया के बाएं वक्ष की ऊपरी सतह की कोमल और नाज़ुक त्वचा को चाटते-चूमते प्रिया की रोमविहीन बायीं बगल की ओर बढ़ा. प्रिया की बेफिक्र ऊंची-ऊंची आनन्दमयी सिसकारियाँ पूरे बैडरूम में गूँज रही थी.
जैसे ही मेरे होंठों ने प्रिया की बगल की नरम-नाज़ुक त्वचा को छुआ, तत्काल प्रिया के मुंह से लम्बी सी सिसकारी निकल गयी और प्रिया का दायाँ हाथ बनियान के अंदर से मेरी पीठ पर जोर जोर से ऊपर-नीचे फिरने लगा.
मैंने प्रिया की बगल में मुंह दे कर एक जोर से सांस ली; एक नशीली सी सुगंध मुझे बेसुध करने लगी; इस सुगंध में प्रिया के जिस्म की ख़ुश्बू, प्रिया के डिओ की ख़ुश्बू, काम-तरंग में डूबे नारी-शरीर में उठती वो अलग एक ख़ास मादक सी खुशबू… सब मिली-जुली थीं.मैंने प्रिया की कांख को चूमा… तत्काल प्रिया के मुंह से एक आनन्दमयी और लम्बी सीत्कार निकल गयी और मैंने प्रिया की बगल की अंदर वाली रेशम रेशम त्वचा को अपनी जीभ से चाटा. प्रिया के पसीने की खुशबू के साथ साथ प्रिया के पसीने का का हल्का सा नमकीन स्वाद साथ में शायद डियो का कसैला सा स्वाद था.
यही सब मैंने प्रिया की दायीं कांख पर दोहराया. कसम से! मजा आ गया. इधर प्रिया मारे उत्तेजना के बिस्तर पर जल बिन मछली की तरह तड़फ रही थी. बिस्तर की चादर पर मुट्ठियाँ कस रही थी, रह रह कर बिस्तर पर पाँव पटक रही थी, ऊँची ऊँची सिसकारियाँ ले रही थी, लम्बी लम्बी सीत्कारें भर रही थी.
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