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sexstories
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RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
आपने पढ़ा कि प्रिया मेरे घर में मेरे साथ अकेली मेरे बेड पर नग्न वक्ष है.
अचानक ही प्रिया ने मुझे पीछे हटाया और उठ कर बैठ गयी; अपने दोनों हाथ पीछे कर के ब्रा का हुक खोल कर ब्रा को परे रख दिया और अपने दोनों हाथ ऊँचे कर के अपने सर के आवारा बालों को संभाल कर, बालों की चोटी का जूड़ा करने लगी.बाई गॉड! क्या नज़ारा था.
नाज़ुक जिस्म, अधखुली नशीली आँखों के दोनों ओर बालों की एक-एक आवारा लट, हाथों की जुम्बिश के साथ-साथ वस्त्र विहीन, सख़्त और उन्नत दोनों उरोजों की हल्की हल्की थिरकन और तन कर खड़े निप्पल जो उरोजों की हिलोर से साथ-साथ ऐसे हिल रहे थे कि जैसे मुझे चुनौती दे रहे हों.
अधखुले आद्र और गुलाबी होंठों में बालों पर चढ़ाने वाला काला रबर-बैंड और बालों में बिजली की गति से चलती दस लम्बी सुडौल उंगलियाँ.यकीनन मेरी कुंडली में शुक्र बहुत उच्च का रहा होगा तभी तो रति देवी मुझ पर दिल खोल कर मेहरबां थी.
तभी प्रिया अपने बाल व्यवस्थित करने के उपरान्त मेरी ओर झुकी, उसकी कज़रारी आँखों में शरारत की गहन झलक थी.
इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता या कर पाता, प्रिया बैठे-बैठे आगे को झुकी, अपना बायाँ हाथ मेरे दाएं कंधे पर रखा और झुक कर मेरे बायें स्तनाग्र पर अपनी जीभ लगा दी. क्षण भर बाद ही प्रिया मेरे बाएं स्तन का निप्पल चूस रही थी.
गहरी उत्तेजना की एक लहर मेरे अंग-अंग को सिहरा गयी. मैं ऐसी कामक्रीड़ा का आदी न था और यह सिनेरिओ मुझे सूट नहीं कर रहा था. कुछ पल तो मैंने ज़ब्त किया लेकिन फिर प्रिया को दोनों कन्धों से पकड़ कर पीछे हटाया और बहुत कोमलता से वापिस बिस्तर पर लिटा कर प्रिया की कैपरी का हुक खोला और साथ ही ज़िप नीचे की और अपने दोनों हाथ प्रिया के कूल्हों के दाएं-बाएं जमा दिये.प्रिया ने तत्काल इशारा समझा और अपनी कमर थोड़ी ऊपर उठा दी; मैंने तत्काल और देर ना करते हुए कैपरी को प्रिया के शरीर से अलग किया.
पाठकगण! आप आँखें बंद कर के जरा कल्पना करें कि बिस्तर पर उस एक पूर्ण जवान और सोलह कला सम्पूर्ण कामविह्ल कामांगी की जो सिर्फ़ एक काले रंग की छोटी सी पैंटी में थी जो बस जैसे तैसे उसकी योनि को अनावृत होने बचाये हुई थी.
मैंने ऊपर से नीचे तक प्रिया के दिलकश शरीर का गहन अवलोकन किया. प्रिया के बायें उरोज़ के निचली ओर हल्के से बाहर की ओर, सफेद त्वचा पर शहद के रंग का एक बर्थ-मार्क था, दाएं उरोज़ के निप्पल के बादामी घेरे के बिलकुल ऊपर साथ में सफेद त्वचा पर एक काले रंग का तिल था. एक तिल दोनों उरोजों के बीच की घाटी की तलहटी में छुपा था. दाएं जाँघ के अंदर की ओर ऊपर की ओर दो तिल आजू-बाज़ू थे.
अभी मेरा अवलोकन पूरा भी नहीं हुआ था कि प्रिया ने जल्दी से मेरा बाज़ू पकड़ कर मुझे अपने ऊपर गिरा लिया और तत्काल अपने दाएं हाथ से मेरे पजामे के ऊपर से ही मेरे गर्म और फौलाद की तरह सख़्त लिंग को अपनी ओर खींचने लगी.
प्रिया प्रेम की पराकाष्ठा पर जल्दी से पहुँचने के लिए तमाम बंधन तोड़ने पर उतारू थी लेकिन मैं आज के अपने इस अभिसार को सदा-सर्वदा के लिए यादगार बनाने पर कटिबद्ध था. आज का मेरा और प्रिया का अभिसार बहुत उन्मुक्त किस्म का था.
एक तो प्रिया अभिसार में मुझ से अधिक से अधिक काम-सुख लेने के लिए, मुझ से मेरी पत्नी की तरह अधिकारपूर्वक व्यवहार कर रही थी, दूसरे… चूंकि आज घर में कोई नहीं था इसलिए अभिसार के दौरान प्रिया के मुंह से निकलने वाली सिसकियों और सीत्कारों को किसी द्वारा सुन लेने का भय ना होने की वज़ह से प्रिया का आज बिस्तर में व्यवहार बहुत ही बिंदास था.
मैं प्रिया के नंगे जिस्म पर पूरा छा गया और धीरे से मैंने प्रिया के दाएं उतप्त उरोज को अपनी जीभ से छुआ, तत्कार प्रिया के शरीर में एक झनझनाहट की लहर सी उठी और प्रिया ने अपने दोनों हाथों से मेरे सर के बाल अपनी मुठियों में कस लिया और खींच कर मुझे अपने तन से साथ लगाने का प्रयत्न करने लगी.
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SATISHSuper memberPosts: 5451Joined: 17 Jun 2018 16:09
Re: हसीन गुनाह की लज्जत
Post by SATISH » 08 Dec 2018 13:37
यूं तो मेरा सारा बदन प्रिया के बदन के साथ ही लगा हुआ था लेकिन मैं जानबूझ कर थोड़ा सा ऑफ़-लाईन था… बोले तो… मेरी दायीं जाँघ प्रिया की दोनों टांगों के बीच में थी,प्रिया की दायीं टांग मेरी दोनों टांगों के बीच में कसी हुई थी, प्रिया की योनि की गर्मी मेरी दायीं जाँघ का बाहर वाला ऊपरी सिरा झुलसाये दिए जा रही थी. मेरा फ़ौलादी लिंग प्रिया की नाभि की बग़ल में टक्करें मार रहा था.
धीरे धीरे मैंने अपनी जीभ और होंठों को नये आयामों, नयीं ऊंचाइयों तक पहुंचाना शुरू किया. प्रिया के दाएं वक्ष के शिखर पर बादामी घेरे को जीभ से पहले छूना फिर हल्के हल्के जीभ से चाटना शुरू किया. मैं उस वक्ष के बादामी घेरे पर अपनी जीभ निप्पल को बिना छूए दाएं से बाएं और फिर बाएं से दाएं फ़िरा रहा था और बेचैन प्रिया अपने एक हाथ से अपना वक्ष पकड़ कर निप्पल मेरे मुंह में देने का बार बार प्रयास कर रही थी लेकिन मैं हर बार साफ़ कन्नी काट जाता था.
अचानक प्रिया ने मेरे सर के पीछे के बाल अपने बाएं हाथ में कस कर जकड़ लिए और दाएं हाथ से अपना वक्ष पकड़ कर निप्पल बिलकुल मेरे होंठों पर रख दिया. जैसे ही मैंने अपने तपते होंठो में प्रिया के उरोज़ का निप्पल लिया तत्काल ही प्रिया के मुंह से एक तीखी किलकारी सी निकली और फ़ौरन ही प्रिया ने अपना दायाँ हाथ नीचे ले जा कर पजामे के ऊपर से ही मेरा लिंग सख्ती से दबोच लिया और उसे आगे-पीछे हिलाने लगी.
मैंने प्रिया का दायाँ निप्पल अपने मुंह में चुमलाते चुमलाते ज़रा अपने बायीं ओर करवट लेते हुए अपना दायें हाथ नीचे कर के अपने पजामे का नाड़ा खोल कर और पजामा घुटनों तक नीचे सरका कर प्री-कम से सराबोर अपना लिंग प्रिया के हाथ में थमा दिया.
तत्काल प्रिया अपनी उंगलियाँ मेरे लिंग के शिश्नमुंड पर फेरने लगी और मुठी में ले कर अपनी उँगलियों से मेरे लिंग की लम्बाई नापने लगी. इधर मेरे मुंह में अंगूर का दाना और सख्त, और बड़ा होता जा रहा था जिसे जब मैं बीच बीच में हल्के से अपने दाँतों से दबाता था तो न सिर्फ प्रिया के मुंह से आनन्द भरी सीत्कारें निकलती थी बल्कि मेरे लिंग पर प्रिया की उंगलियाँ और ज़्यादा कस जाती थी.
मैंने प्रिया के निप्पल को मुंह से निकला और प्रिया के वक्ष से ज़रा सा परे उठ बैठा तो प्रिया को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं आया और तत्काल प्रिया ने नाराज़गी की सिलवटों भरे माथे सहित मेरी और देखा.मुस्कुरा कर मैंने प्रिया का बायाँ गाल ज़रा सा थपथपाया अपना पजामा उतार कर साइड में रख दिया और अपने दोनों हाथ प्रिया की पैंटी पर रख दिए.
प्रिया फ़ौरन मेरी मंशा समझ गयी और उसने मुस्कुराते हुए अपने कूल्हे जरा से ऊपर हवा में उठा दिए. मैंने प्रिया की आँखों में देखते देखते, अपनी दोनों हथेलियों को प्रिया के कूल्हों, प्रिया की दोनों जाँघों पर हल्के से रगड़ते हुये पैंटी को हौले हौले नीचे सरकाना शुरू किया. प्रिया की पूरी पैंटी प्रिय के योनि स्राव से सनी पड़ी थी.
इस समय प्रिया बला की हसीन लग रही थी. कामवेग के कारण रह रह कर उसकी आँखें बंद हो रही थी, वो बार बार अपने चेहरे पर हाथ फेर रही थी, उरोज़ों पर हाथ फेर रही थी, रह रह कर अपने होंठों को जीभ से गीला कर रही थी और अपना निचला होंठ बार बार अपने दांतों में कुचल रही थी.
प्रिया की पैंटी अब घुटनों तक नीचे आ चुकी थी. तभी प्रिया ने अपनी बायीं टांग को मोड़ा और एकदम से अपने बाएं पैर से अपनी पैंटी छिटक दी और इधर मैंने प्रिया की दायीं टांग को पैंटी की पकड़ से मुक्त कर दिया. अब हम दोनों ही बर्थडे सूट में थे. ना तो कपड़े की एक भी धज़्ज़ी प्रिया के तन पर थी ना ही मेरे.
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