RE: vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डक�...
इधर
चौकी में अजय बस चंपा के ख्यालों में खोया हुआ था ,तभी राधे तिवारी आता है
“कहा खोए हो सर,जो काम करने आपको यंहा भेजा गया है उसपर भी कुछ ध्यान देते है “
वो हड़बड़ाया
“अरे हा पंडित जी ,तो पहले मुझे मोंगरा की तस्वीर तो दिखाइए “
तिवारी एक फाइल उसके सामने पटक देता है..
और अजय फाइल खोलते ही उस तस्वीर को बस देखता रह जाता है ….
वही चहरा जिसे वो दिन भर से याद कर रहा था ,उसके खुले हुए बाल और पासपोर्ट फ़ोटो में भी वही मादकता ,वो अपना सर पकड़ लेता है …
“हे भगवान “
“अरे क्या हुआ सर “
“अरे इसे तो मैं आज ही झरने के पास मिला था ,साली मुझे बना के चली गई “
अजय अपना सर जोरो से ठोकने लगता है लेकिन तिवारी आश्चर्य होने के बदले जोरो से हँसने लगता है ..
“अरे सर वो चंपा होगी “
अजय की आंखे फट जाती है
“तूम उसे जानते हो ...लेकिन ये तस्वीर “
“चंपा ,मोंगरा की जुड़वा बहन है ...जब से जमीदार ने उनके माता पिता को मार डाला था तबसे पास के कबीले के सरदार में उसे गोद ले लिया और मोंगरा को डाकु चिराग सिंग अपने साथ ले गए ,दोनो में जमीन आसमान का अंतर है “
अजय बस अजीब सी मनोदशा में उसकी बातो को सुनता रहा
“लेकिन तब तो बड़ी दिक्कत होती होगी ,अगर मोंगरा की जगह किसी के चंपा को मार दिया तो या उसे जेल में डाल दिया तो …”
“नही सर हम यहां के निवासी है तो हमे कोई भी दिक्कत नही है ,हमे ये पहले से पता ही की वो दोनो जुड़वा है ,और इसलिए कबिले के सरदार ने चंपा के ठोड़ी में 3 बड़े बिंदी बनवाये है ,जो की एक टेटू की तरह है जिसे यंहा पर गोदना कहा जाता है वही सबसे बड़ा अंतर है दोनो में ..”
अजय के नजरो में चंपा की तस्वीर उभर गई ,सचमे चंपा के ठोड़ी पर वो गोदना था जिसे देखकर वो सुबह मोहित हो गया था ……
“लेकिन फिर भी ,अगर मॉंगरा ऐसा गोदना बनवा ले तो “
“अरे साहब फिर भी दोनो को पहचानना बहुत ही आसान है ,मॉंगरा एक डाकू है उसके चहरे में वो उजाड़पन है लेकिन चंपा के चहरे में एक कोमलता है,चंपा में एक नाजुकता है जबकि मॉंगरा सामने हो तो अच्छे अच्छे का मुत ही निकल जाता है ,और सबसे बड़ी बात की मोंगरा ने कभी अपने को छिपाया नही अगर वो सामने होगी तो वो खुद ही बता देती है की वो क्या है ,उसके पास इतना जिगर है की वो खुद को कभी नही छिपाती ,और हा मोंगरा चंपा से थोड़ी पतली भी तो है “
अजय को समझ नही आ रहा था की इन सबसे वो कैसे दोनो में भेद कर पायेगा लेकिन तिवारी बड़ा ही काँफिडेंट लग रहा था क्योकि उसने बचपन से दोनो को देखा था …
“अच्छा अच्छा ठीक है लेकिन चंपा को और कबिले के सरदार को कह देना की वो सतर्क रहे “
“वो हमेशा ही सतर्क रहते है इसलिए बेचारी चंपा कही आती जाती भी नही ,बस घर से जंगल और जंगल से घर बाहर गांव या दूसरी जगह इसी डर से नही निकलने दिया जाता क्योकि कोई उसे मोंगरा समझकर मार ही ना दे “
अजय को जाने क्यो लेकिन चंपा के ऊपर बहुत दया आई ,उसने उसके हुस्न को देखा था ,उसकी टपकती हुई जवानी को देखा था,उसे वो मदमस्त होकर नाचना था लेकिन बेचारी अपनी बहन की वजह से बस एक जेल सी जिंदगी जी रही थी ….
अजय थोड़ी देर बस सोचता रहा
“तो कहा से शुरू किया जाए ,मुखबिरों को सूचना भेज दो ,और पता करो की अब मोंगरा कहा मिल सकती है …”
तिवारी भी कुछ सोच रहा था
“साहब एक बात पुछु बुरा तो नही मानोगे “
“हा बोलो ना “
“आप चंपा से कहा मिल गए “
तिवारी के होठो में मुस्कान थी
“वो जंगल के अंदर एक झरना है वही ,वो वँहा जंगल देवी की पूजा कर रही थी ,मैं सुबह दौड़ाता हुआ वँहा पहुच गया था “
अजय ने चंपा के नहाने के बात को पूरी तरह छुपा लिया
“ओह ये बात मैंने पहले किसी इंस्पेक्टर से नही कही लेकिन आपसे कह रहा हु …”
अजय उसके चहरे को बस देखे जा रहा था
“क्योना चंपा का इस्तेमाल मॉंगरा को पकड़ने के लिए किया जाए …”
अजय चौका
“नही नही ...वो एक सीधी साधी सी लड़की है उसे इन सब झमेलो से दूर ही रखो तो अच्छा है “
तिवारी के होठो में एक मुस्कान आ गई
“एक ही दिन में बहुत कुछ जान लिया साहब आपने “
अजय झेप गया
“चलिए कोई बात नही लेकिन मेरी बात पर ध्यान जरूर देना “
अजय बस सर हिला कर रह गया ….
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