vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
05-13-2019, 12:30 PM,
#7
RE: vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डक�...
अजय बस उसे एकटक देखता रहा और चम्पा अपने काम में व्यस्त रही ,लेकिन कहने को ही वो काम कर रही थी असल में उसका पूरा ध्यान ही अजय की ओर था उसे पता था कि वो उसे घूर रहा है,लेकिन जैसे ही वो पलटती थी अजय अपनी नजरे फेर लेता था ,वो मंद मंद मुस्कुराती लेकिन कुछ नही कहती थी ,
आखिर में वो अजय के पास आकर बैठी ,
और उसे देखने लगी,अजय थोडा असहज हो गया ...और इधर उधर देखने लगा 
“क्यो बाबुजी ऐसा क्या खास है मुझमें जो आपकी नजर मुझसे हट ही नही रही “
अजय बुरी तरह से झेंपा 
“नही नही तो …”
चम्पा मुस्कुराई ,,,वो पहले की तरह खिलखिलाकर हँसी नही,उसकी मुस्कान में एक दर्द की झलक अजय को साफ दिख रही थी…
“क्या हुआ तुम उदास हो “
“नही बाबू बस सोच रही हु की मर्द कैसे जिस्म से आकर्षित हो जाते है और उसे ही प्यार समझने लगते है ,चाहे तुम जैसा अच्छा मर्द ही क्यो ना हो…”
अजय को ऐसा लगा मानो किसी ने उसे आईना दिखा दिया हो ..
वो बिल्कुल ही चुप हो गया ,उसके मन में एक ग्लानि का भाव उभरा और उसकी नजर झुक गई …
चम्पा ने बड़े ही प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा ..
“बाबू तुम बहुत ही अच्छे हो इसलिए नही चाहती की तूम किसी दलदल में फंस जाओ ,जिस्म के आकर्षण को प्यार मत समझ बैठना,यंहा बहुत से शहरी लोग आते है जो यंहा की औरतो के जिस्म से मोहित हो जाते है ,कुछ तो उनसे प्यार की बाते करते है और भोली भाली लड़कियों को बहला कर उनके जिस्म से खेलकर वापस चले जाते है,कुछ को लगता है की वो प्यार में पड़ गए है लेकिन वो बस हवस में होते है…
तुम इन दोनो में से कोई नही हो तुम अच्छे हो ,तुम्हारा दिल साफ है ,इसलिए तुम जिसे अपना मानोगे उसे कभी धोखा नही दोगे ,इसलिए समझा रही हु ,प्यार और जिस्म के आकर्षण में पहले फर्क करना सिख लो फिर आगे जाने की सोचना ….”
अजय ने कभी सोचा ना होगा की ये जंगल की सीधी साधी सी लगने वाली लड़की इतने ज्ञान की बाते करेगी ,लेकिन वो खुस था की चम्पा ने सब कुछ क्लियर कर दिया था उसके मन में भी उठाने वाले अंतर्द्वंद जैसे खत्म से हो गए थे उसे थोड़ा हल्का महसूस हुआ …
वो चम्पा के दमकते हुए चहरे को देखने लगा ,चम्पा के चहरे में अब भी मुस्कान थी लेकिन वो उदास नही थी जैसे की वो अपने दिल की बात कहकर बोझ से मुक्त हो गई हो …
अजय ने हा में सर हिलाया 
“हा लेकिन इन सबका मतलब ये नही है की तुम यंहा आ नही सकते असल में तुम्हारे आने से मुझे बहुत अच्छा लगता है वरना मैं तो बोर ही हो जाती हु ,पूरा जीवन मानो अकेलेपन में ही निकल रही है “
“तूम अपने को अकेला मत समझो चम्पा मैं हु ना ,और तुमने बिल्कुल सही कहा मुझे इस बात की खुसी है की तुमने मुझे फंसने से बचा लिया ,ये मेरे जीवन में पहली बार हुआ है की मैं किसी से आकर्षित महसूस कर रहा हु,और मुझमें तो इतनी हिम्मत भी नही थी की मैं तुमसे कुछ कह पाऊ,शायद मैं इसे ही प्यार समझ लेता लेकिन तुम तो मुझसे बहुत ही ज्यादा समझदार निकल गई तुमने मुझे सोचने का मौका दिया की ये क्या था,......मैं तुम्हारा हमेशा इस बात के लिए आभारी रहूंगा चम्पा “
इस बार चम्पा खिलखिलाकर हँस पड़ी 
“क्या अजीबोगरीब बाते करते हो बाबू आप भी ,संचमे आप बहुत ही शरीफ हो ,पता नही इंस्पेक्टर कैसे बन गए “
उसकी हँसी देखकर अजय भी मुस्कुरा उठा,
“पता नही कैसे बन गया बस गलती से एग्जाम निकल गया था “
इस बार दोनो ही जोरो से हँस पड़े …
“तुम मेरे साथ बाहर हमने चलोगी”
अजय ने हल्के से कहा 
“नही बाबा ,अगर बाहर निकली तो लोग मुझे मोंगरा समझकर डरने लगेंगे या कोई हमला भी कर दे “
“अरे मैं तो हु ना तुम्हारे साथ कुछ नही होगा “
चम्पा सोच में पड़ गई ..
बहुत देर तक ऐसी ही शांति छाई रही 
“क्या हुआ “
“मेरे पास सिर्फ दो साड़ी है “
अजय को उसकी बात समझ आ गई थी ,
“कोई बात नही ...मैं तुम्हे कपड़े ला दूंगा “
चम्पा मानो खुसी से झूम गई 
“सच में “
और अजय के गले से लग गई ,फिर एक बार दोनो के जिस्म मिल गए और अजय को अपने सीने में मुलायम लेकिन बड़े स्तनों का आभस हुआ ,चम्पा ने खुद को काबू में किया ,जब वो अलग हुई तो उसके चहरे में शर्म फैली हुई थी ……….

********************
“सर इसे अगर चेनल में चला दे तो हाहाकार मच जाएगा …”
मेरी अभी डॉ चुतिया के बाजू में बैठी हुई थी दोनो मोंगरा के इंटरव्यू वाले वीडियो को ध्यान से देख रहे थे 
“ह्म्म्म”
डॉ बस इतना ही बोला 
“आपकी जान को भी खतरा हो सकता है “
“ह्म्म्म”
डॉ ने एक अंगड़ाई ली,और कमरे में उपस्थित दोनो लोगो को देखा जिनमे से एक मेरी थी और एक वो कैमरामैन जिसने वीडियो रिकार्ड किया था …
“ये बात बाहर नही जानी चाहिए की मोंगरा ने कोई इंटरव्यू दिया है ...ये वीडियो मेरे पास सही सलामत रहेगा वक्त आने पर ही इसे बाहर निकलेंगे “
दोनो ने डॉ की बात में सहमति में सर हिलाया …

****************
दिन भर अजय के होठो में एक मुस्कान रही और शाम होते ही वो अपने कस्बे से कुछ दूर एक छोटे शहर की दुकान में पहुच गया और लड़कियों के कुछ कपड़े खरीदने लगा,उसने एक दो सलवार सूट और 2 साड़ियां ली ,लेकिन उसे याद आया की वो ब्लाउज तो लिया ही नही ,और चम्पा तो अंडरगारमेंट भी नही पहनती,ये सोचकर ही अजय के होठो में मुस्कान आ गई जिसे हम लोग समाज में गलत मानते है और अंगप्रदर्शन कहते है वो उस जंगल की लड़की के लिए बिल्कूल प्राकृतिक और नैसर्गिक है..
लेकिन अगर उसे बाहर अपने साथ घूमना था तो उसे कुछ समाज में प्रचलित कपड़े देने होंगे …
उसने कुछ अंडरगारमेंट्स भी ले लिए और एक दो ब्लाउज भी लेकिन उसे उसके शरीर के सही माप का अंदाज भी तो नही था,वो बस अपने अंदाजे से ही कपड़े ले रहा था ,लेकिन फिर भी वो संतुष्ट था ..
वो सारे कपड़े पकड़ कर घर आया दिन भर उसे बस चम्पा ही चम्पा याद आ रही थी और साथ ही उसके द्वारा कही गई बाते,वो काम तो कर रहा था लेकिन दिमाग कही और ही लगा हुआ था,वो उसकी बातो को याद करके कभी गंभीर हो जाता तो कभी हँस लेता ..
सुबह बस उसे चम्पा से मिलने का ही इंतजार था ……..

***************
रात के अंधियारे में हल्की केंडल की रौशनी बिखर रही थी और बलवीर अपनी सरदार के शरीर की मालिश कर रहा था ,
मोंगरा अभी बस एक पेटीकोट पहने हुए बैठी थी,ऊपर का बदन पूरा नंगा ही था , उसके बड़े और घने बाल ही उसके वक्षो को छुपा रहे थे ,और बलवीर उसके पीछे बैठा हुआ उसके पीठ पर तेल मल रहा था ,उसके हाथो की फिसलन से चम्पा को बेहद ही सुकून मिल रहा था ..
ऐसे तो बलवीर को मोंगरा अपना सब कुछ ही दिखा चुकी थी लेकिन फिर भी एक पर्दा जरूर रखती थी क्योकि उसे पता था की वो उसकी सरदार है और अगर वो अपनी इज्जत नही करेगी तो गिरोह के लोग उसकी इज्जत कैसे करेंगे …
वो अपने मर्जी से मजे करती थी ना की किसी के जबरदस्ती या दवाब में ,चाहे दबाव प्यार का ही क्यो ना हो …
ऐसा बलवीरर के लिए तो वो उसकी मां थी माना की गिरोह के सभी सदस्य मोंगरा से उम्र और बल में बड़े थे लेकिन फिर भी उसका प्रभाव ऐसा था की वो उसे मां मानते थे ,और मोंगरा अपने गिरोह के सभी सदस्यों को अपना बेटा…
ये अलग बात थी की ये बस एक प्रतीक ही था और सब कुछ मोंगरा के ऊपर ही था………
बलवीर के गर्म हाथो के स्पर्श से मोंगरा के जिस्म की गर्मी भी बढ़ रही थी लेकिन फिर भी ना जाने वो आजकल खुद को क्यो बलवीर से दूर रख रही थी ,बलवीर के दिमाग में ये बात भी चलती थी लेकिन वो फिर भी था बड़ा ही वफादार साथी,
“सरदार आप कुछ अलग सी लग रही हो कुछ दिनों से “
मोंगरा के चहरे में थोड़ी मुस्कान आ गई वो जानती थी की आखिर बलवीर ऐसा क्यो कह रहा है …फिर भी उसने कहा 
“क्यो..”
बलवीर को कुछ भी बोलते नही बना ,वो क्या बोलता की हमारे बीच जिस्मानी संबंध नही बन पा रहे है?
मोंगरा को भी पता था की बलवीर ये नही बोल पायेगा ,मोंगरा पलट कर लेट गई ,उसके घने काले बाल अब भी उसके वक्षो को ढंके थे लेकिन अब उसका चहरा बलवीर के चहरे के नीचे था,दोनो की ही आंखे मिल रही थी ..
मोंगरा ने अपना हाथ आगे किया ,बलवीर इशारे को समझता हुआ उसकी ओर झुका,मोंगरा ने अपने हाथो से बलवीर का सर पकड़ लिया और अपने सीने से लगा लिया ,बलवीर जैसे आनन्द के सागर में डूब गया हो ,उसकी आंखे बंद हो गई ,
बाल अभी भी मोंगरा के छाती पर फैले हुए थे और बलवीर के चहरे से रगड़ खा रहे थे ,लेकिन बलवीर ने कोई भी शिकायत नही की ,वो मोंगरा के ऊपर जबरदस्ती नही कर सकता था,चाहे पूरे गिरोह में उससे बलशाली कोई नही था लेकिन मोंगरा के सामने वो बस एक गुलाम की तरह वफादार था और एक बच्चे के तरह मासूम ..
बलवीर का विशाल शरीर मोंगरा के ऊपर छा गया था और मोंगरा के इशारे से वो उसके वक्षो में अपने जीभ को रगड़ता हुआ उसका दूध निचोड़ने लगा था ,मोंगरा की भी आंखे मजे में बंद हो जाती लेकिन फिर वो बस शून्य को देखने लगती जैसे कोई लाश हो ,बलवीर जब कुछ देर तक उसे ऐसे ही लेटे हुए महसूस किया तो वो उठकर मोंगरा के आंखों को देखने लगा जो की अभी भी शून्य को ही घूरे जा रही थी ..
“क्या हुआ सरदार ..”
जैसे मोंगरा की तंद्रा टूट गई…
“उस इंस्पेक्टर का समझ नही आ रहा है”
“चम्पा को तो उसके पीछे लगाया है ना अपने “
“हा लेकिन वो इतना अच्छा है की चम्पा भी उसके प्यार में पड़ने लगी है…”
उसकी बात सुनकर बलवीर के चहरे का भी रंग उड़ने लगा …
“रास्ते से ही हटा देते है “
बलवीर थोड़ा धीरे से ही कहा लेकिन मोंगरा के चहरे पर डर के भाव आ गए 
“नही हमने कसम खाई थी की किसी बेगुनाह को नही मरेंगे “
“लेकिन वो हमारी सबसे बड़ी मुसीबत बन सकता है “
मोंगरा थोड़ी देर यू ही चुप रही 
“उसे चम्पा ही अपने प्यार से सम्हालेगी…”
बलवीर थोड़ा चिंतित तो था लेकिन मोंगरा के सामने वो क्या कह सकता था ...
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