RE: vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डक�...
तिवारी की बात सुनकर अजय जैसे नींद से जागा …
वो अभी शराब के नशे में था लेकिन इतना भी नही की उसे कुछ समझ ना आ रहा हो वही तिवारी नशे में कुछ ऐसा कह गया था जो उसे नही कहना चाहिए था …
“तो तिवारी जी अपने कालिया की मदद की जो बाद में सब के सर का दर्द बना था ,कालिया डाकू ,,,मोंगरा का गुरु कालिया ????”
तिवारी को अपनी गलती का अहसास तो हुआ लेकिन फिर भी बोले हुए शब्द तो वापस नही लिए जाते …
“हा साहेब लेकिन आप ही सोचो की उस समय मैं कर भी क्या सकता था वो इंस्पेक्टर भी कमीना था और ठाकुर तो है ही कमीना अगर कालिया ने हथियार नही उठा लिया होता तो वो गांव की सभी औरतो को धंधे वाली बना देता …”
तिवारी की बात से अजय के दिल में ठाकुर के लिए एक बहुत ही तेज नफरत का भाव जागा लेकिन उसे पता था की उसकी ड्यूटी क्या है और अब उसे ये भी पता चल गया था की डाकुओं को पुलिस की तरफ से मदद करने वाला कौन है …
“हम्म तो तिवारी जी अपने जो किया सही ही किया शायद आपकी जगह मैं होता तो मैं भी यही करता ….”
अजय ने एक घुट अंदर किया ..वो तिवारी से सच उगलवाना चाहता था और सच तभी बाहर आता जब तिवारी को लगता की उसकी बात का अजय पर सही असर हो रहा है …
“तो तिवारी जी वो शख्स कौन था जिसने गांववालो की पुलिस से बचने में मदद की और क्या इसके बाद भी ठाकुर ने गांव में दहसत फैलाने की कोशिस की “
तिवारी एक गहरी सांस लेता है और पास रखे बोतल से एक जाम बना कर अपने हलक के अंदर करता है …
“ह्म्म्म साहब वो शख्स तो उसी दिन आ गया ,sp साहब और ठाकुर भी पधारे ठाकुर ने अपना रंडी रोना रोया और कुछ पैसे sp की झोली में डाल दिए ,लेकिन डॉ चुतिया जी तब तक पधार चुके थे …”
“डॉ चुतिया ?????? वो जो की आजकल प्रेस खोलकर बैठे है ”
अजय की आंखे बड़ी हो गई थी …
“हा वही पहले तो युवा दल के नेता हुआ करते थे ,मेडिकल की पढ़ाई हो चुकी थी लेकिन फिर भी छात्र संघ में बड़ा दबदबा था ,मैं उन्हें पहले ही मिल चुका था ,उन्हें एक फोन करने की देरी थी की वो खुद भी पधार गए और साथ ही अखबार के लोगो को भी ले आये ,बेचारे sp चाहते हुए भी कुछ नही कर पाए लेकिन फिर भी कई गांव वालो से पूछताछ की गई और जो सामने आया वो सब अखबारों की हेडलाइन बन गई ठाकुर के सारे कारनामो का भांडा फुट गया,ठाकुर जैसे गांव के लोगो को भूल ही गया था क्योकि केंद्र से भी उसके ऊपर प्रेसर आने लगा था,वो खुद को बचने में ही लगा रहा लेकिन फिर भी उसकी दहसत कम नही हो रही थी आखिर पुलिस भी तो उसकी ही थी ,लेकिन फिर भी वो चुप ही था,”
अजय तिवारी की बातो को ध्यान से सुन रहा था ,की दिन की पहली किरण ने खिड़की से दस्तक दी …….
दोनो के सर भारी हो रहे थे और आंखे बंद होने लगी थी…
…
*************
दोपहर जब अजय उठा तो तिवारी जी जा चुके थे ,अजय के मन में रात की सब बाते गूंज गई थी …
आखिर कालिया और मोंगरा का संबंध क्या है ???
वो इसी सोच में डूबा हुआ तैयार हुआ और पुलिस स्टेशन चला गया ,तिवारी जी आज नजर नही आ रहे थे …
“तिवारी जी कहा है ..??”
अजय ने एक दूसरे कांस्टेबल से पूछा
“क्या पता सर कह के गए है की अगर सर आये तो उन्हें बोल देना की चम्पा ने याद किया है घर आयी थी लेकिन सोए थे …”
जैसे अजय के लिए इस थाने में दो ही केस थे एक ही चम्पा और दूसरी मोंगरा ,,लेकिन वो बेचारा तो अब खुल कर प्यार भी नही कर सकता था क्योकि उसे ये भी नही पता था की आखिर चम्पा कौन है और मोंगरा कौन है ……….
वो वही झरने के किनारे पहुचा ,
दोपहर का समय था और बहुत ही गहरी शांति वँहा फैली हुई थी ..
वँहा उस समय कोई भी नही था वो जाने को पलटा ही था की उसे चिरपरिचित झम झम की आवाज आनी शुरू हो गई उसके चहरे में एक मुस्कान खिल गई ,वही जंगल के लिवास में आयी हुई वो परी उसके सामने थी ,अजय के मन की हर शंका जाने कहा भाग चुकी थी वो जो भी हो लेकिन अजय उससे बस वैसे ही प्यार करना चाहता था ,उसके नशीले आंखों की मस्तियो में खो जाना चाहता था,उसके उन्नत वक्षो से दूध चखना चाहता था ,उसके भरे हुए होठो के मदमस्त प्यालों से झलकती हुई शराब को पीना चाहता था ,उसके रेशमी लहराते हुए केशुओ में उलझना चाहता था ,उसके कमर के नीचे और जांघो के बीच की छोटी सी सुराही को सोच कर अजय के तन मन में एक आग दौड़ गई ,वो मन ही मन सोचने लगा
‘मा चुदाये वो कोई भी हो मुझे क्या दोनो ही तो मुझे कितना प्यार देती है और दोनो का ही प्यार तो मुझे सच्चा लगता है क्यो ना मैं दोनो के साथ हो लू ,और साथ रहकर ही जानने की कोशिस करू की वो कौन है …’
अजय की वासना उसपर हावी थी ??? नही सिर्फ वासना नही बल्कि वो प्यार जो उसे इन लड़कियों से मिला था ,जो उसे जमाने में कही नही मिल पाया था ,वो सिर्फ जिस्म का सुख नही था जिस्म के ऊपर भी मन के ऊपर भी वो रूह तक की संतुष्टि उसे मिली थी वो इसे यू ही नही खोना चाहता था सिर्फ इसलिए की उसे नही पता की वो कौन थी …
वो उसे प्यार भरी निगाहों से आते हुए देखता रहा ..
वो मचलते हुए उसके पास आ रही थी उसके कमर की हर लचक में अजय का दिल भी मचल जाता था,वो पास आई इतना की दोनो की सांसे ही टकराने लगी और
चटाक …
एक जोरदार तमाचा अजय के गालो में पड़ा ,चम्पा के आंखों में आंसू थे ..
अजय चम्पा के इस कारनामे से हड़बड़ा ही गया था …
“क्या क्या हुआ तुम्हे “
“क्या हुआ पूछते हो शर्म नही आती तुम्हे मेरी बहन के साथ ...छि ..वो भी उस नागिन के साथ जिसे पकड़ने तुम आये हो मैने रात में ही तुम्हे उसके साथ देखा था ,तुम और वो छि …”
|