RE: vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डक�...
कालिया एक कमरे में बड़े ही बेताबी के साथ घूम रहा था ,थोड़ी देर बाद ही पुनम वँहा आयी,
“कहा है रोशनी …”
कालिया की बेचैनी उसके आवाज से ही पता चल रही थी
“अच्छी है तुम्हारी रोशनी फिक्र मत करो”पूनम हल्के से हँसी
“तुम्हारी बेचैनी सही है कालिया लेकिन अभी तुम्हे थोड़ा तो धैर्य धरना होगा ,ये कमरा सभी के नजर के बाहर ही है और तुम यंहा खिड़की से आ जा सकोगे,बाहर ताला पड़ा होता है इसलिए यंहा कोई आता भी नही मैं तुम्हारी रोशनी को यंहा तक लाने का प्रयास करूंगी,लेकिन अभी नही अभी वो ही बहुत पहरे में है,,,”
पूनम की बात तो कालिया को सही लगी लेकिन उसके दिल में अभी एक डर था जो उसने पूनम के सामने रख दिया
“लेकिन इतने दिनों में अगर उसे कुछ हो गया तो..”
पूनम कालिया को ध्यान से देखती है उसे भी पता था की ठाकुरों का कोई भरोसा नही है की कब उनका हवस जाग जाए ..
“तुम्हरी रोशनी को कोई चोट तो यंहा नही लगने दी जाएगी लेकिन हो सकता है की उसके जिस्म से खेला जाए ,जो माहौल अभी है मुझे नही लगता की रोशनी के मर्जी के बिना प्राण या विक्रांत उसे छूने वाले है “
“वो कभी नही मानेगी “
कालिया गरजा ,लेकिन पूनम के होठो में मुस्कान आ गई
“वो तो तुम्हे आज ही दिख गया था …..कालिया जिस्म का कोई भरोषा नही की वो कब मचल जाए ,और रोशनी की आज की हरकतों से तो मुझे लगता है की वो भी जल्दी ही बहक जाएगी ,और बस एक बार की देर है फिर इस रास्ते से वापस नही आया जा सकता ..”
कालिया गहरे सोच में पड़ गया था
“तब तो मुझे जल्द ही कुछ करना होगा,”
“क्या करोगे ,यंहा से उसे ले जाओगे ,ले जा सकते हो ,तुम्हारा आना मुमकिन हो सकता है लेकिन उसको यंहा से ले जाना ,,,,दोनो मारे जाओगे ,और उसमे तुम्हारे तरह ताकत और लचक काबिलियत नही है की वो इस बड़े दीवार को खुद जाए …”
कालिया जानता था की रोशनी को ले जाना उसके लिए मुसीबत बनने वाला था …
“लेकिन मैं उससे अभी मिल तो सकता हु ना “
पूनम थोड़ी देर सोचते रही .
“तुमने एक चीज गौर की कालिया तुम इतने देर से बस रोशनी की ही बात कर रहे हो ,कनक के बारे में तुमने कुछ पूछा ही नही ..”
कालिया का चहरा मायूस हो गया था
“उसे यंहा की खुसिया ही भा गई है तो पूछने का सवाल ही पैदा नही होता,शायद मेरी परवरिश में ही खराबी थी जो उसे झोपड़ा नही महल को चुन लिया,एक भाई की नजर से देखु तो लगता है की अगर वो यंहा रहे तो ही सही है ,कम से कम खुस तो रहेगी जो उसे बचपन से चाहिए था वो सब उसे यंहा मिल जाएगा,बचपन में वो बोला करती थी उसे महल में रहना है ,नॉकर चाहिए,दौलत की भूख तो उसे हमेशा से थी लेकिन गरीबी ने सब कुछ मार दिया था शायद इसलिए वो अपने को समर्पित कर गई और थोड़ा भी नही सोचा ….”
कालिया के आंखों में आंसू थे ,पूनम उसके पास गई और उसके कंधे पर अपना हाथ रखा,
“कोई बात नही शायद उसे ये चकाचौंध पसंद आ रहा होगा लेकिन कब तक ,और मैं तुमसे ये पूछना चाहती थी की अगर रोशनी को भी ये सब पसंद आ रहा हो तो ,या आने लगा तो ...तो क्या तुम उसे भी अपने साथ नही ले जाओगे “
कालिया बुरी तरह से चौक गया ,ये सच भी हो सकता था …
“क्या तुम देखना चाहोगे की अखिर क्या रोशनी को ये सब पसंद आ रहा है या नही …”
कालिया अवाक था .,,
“मैं चाहती हु की तुम अभी उससे मत मिलो अगर तुम चाहो तो उसे देख जरूर लो ,क्या पता उसे भी इस शानोशौकत की आदत लग जाए और तुम जिस पत्नी को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नही कर रहे हो वो पहले वाली लड़की ही ना रह जाए ...ये भी हो सकता है की वो तुम्हारे साथ जाने से ही माना कर दे,या अगर पत्नी धर्म निभाते हुए अगर तुम्हारे साथ चले भी जाए तो भी हमेशा अपने फैसले पर दुखी रहे …”
कालिया बुरी तरह से मचल गया था ,वो बेचैनी से पूनम की बात को सोचने लगा,उसका दिल कहता था की रोशनी ऐसा नही करेगी लेकिन क्यो नही ???
अगर उसे ऐसा शानो शौकत मिलता तो क्या वो छोड़ देता,अपने परिवार के लिए क्या वो ये सब छोड़ देता,..???
कालिया इसी सोच में था ,
परिवार के लिए ये शब्द उसके दिमाग में घुमा,
‘कौन है परिवार मेरा या रोशनी का सिर्फ मैं ही तो ऐसा बच गया हु जिसे वो परिवार कह सकती है …
या शायद मैं भी नही ,....
रहता ही कितने दिन हु उसके साथ ,दिया ही क्या है आजतक उसे ,सिर्फ दर दर की ठोकरों के सिवा,क्या वो फिर से सारी जिंदगी ऐसे ही जीने के लिए मेरे साथ चली आएगी,जबकि यंहा उसे सारे सुख मिलेंगे,जिस्मानी सुख भी …’
जिस्मानी सुख की सोच कर कालिया के रग रग में खून का प्रवाह तेज हो गया ,चहरा तमतमा गया ,वो किसी और के बांहो में रोशनी की कल्पना भी कैसे कर सकता था वो भी तब जब रोशनी खुद ही अपना जिस्म किसी को सौप दे …
लेकिन ये होने ही वाला था अगर रोशनी यंहा रहती है तो आज नही तो कल ये होकर ही रहेगा ,...ये भी हो सकता है की रोशनी मेरी ही राह देख रही हो ,और अगर मैं उसके सामने ना आऊ तो फिर उसके सामने फिर और क्या रास्ता बचेगा सिवाय इसके की वो मर जाए या फिर प्राण की रखैल बन कर रहे …
“नही नही मुझे उसके सामने जाना ही होगा वो भी मेरी ही प्रतीक्षा कर रही होगी “
कालिया जोरो से बोल गया ,पूनम उसे देखती रही..
“ठीक है अगर तुम यही चाहते हो ठीक है ,लेकिन मेरी बात पर भी गौर करना “
“मैं के सब कुछ सोच कर ही बोल रहा हु ,अगर उसे यंहा का सुख पसंद हो तो मैं उसे यही छोड़ कर चला जाऊंगा लेकिन अगर वो मेरे साथ आना चाहे तो दुनिया की कोई भी ताकत मुझे नही रोक पाएगी ,लेकिन पहले मुझे उसे भी ये बताना होगा की मैं उसे लेने आ चुका हु और आज नही तो कल उसे लेकर ही जाऊंगा …”
कालिया के चहरे पर आये दृढ़ निश्चय के भाव को देखकर पूनम भी कुछ नही कह पाई ,और बस उससे बिदा लेकर एक दरवाजे से बाहर चली गई ……...
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