vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
05-13-2019, 12:35 PM,
#32
RE: vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डक�...
मोंगरा की नजर अब भी छत को देख रही थी ,बलवीर उसके बाजू में नींद की आगोश में जा चुका था,लेकिन मोंगरा की आंखों में नींद ही नही था,वो अपने अतीत की यादों में खोई थी ,जब मॉंगर और बलवीर एक साथ ही खेला करते थे,बलवीर उससे बचपन से प्यार करता था,अपने पिता के लाख मना करने के बाद भी उससे मिलता ,आखिरकार परमिंदर ने उसे टोकना भी छोड़ दिया ,लेकिन वो जानता था की वो कालिया की बेटी है,उस हवेली में उसे कोई भी पसंद नही करता था,और मोंगरा का सबसे बड़ा दुश्मन था ,ठाकुर रणधीर सिंह…
रणधीर प्राण का इकलौता बेटा था,और लगभग बलवीर की उम्र का,प्राण और परमिंदर दोनो ही चाहते थे की बलवीर रणवीर का वादफ़ादार बने जैसा की परमिंदर प्राण का वफादार था लेकिन वक़्त को कुछ और ही मंजूर था बलवीर अपने से 15 साल छोटी मोंगरा के साथ खेला करता था,बलवीर को हमेशा ही मोंगरा की ही फिक्र रहती थी,ताकत तो बलवीर में भी परमिंदर जैसी ही थी ,लेकिन वो ताकत मोंगरा की रक्षा के लिए ही खर्च होती थी,लोगो को लगता था की बलवीर मोंगरा को अपनी बहन समझता है ,शायद हा भी और ना भी क्योकि वक़्त के साथ साथ जब मोंगरा जवान हुई तो सब कुछ बदलने लगा,रणवीर और बलवीर दोनो ही मोंगरा की जवानी के पीछे दीवाने होने लगे थे,मोंगरा थी ही इतनी आकर्षक ,कम उम्र में ही उसके जिस्म में भराव आने लगा था,बलवीर तो उसे दिल से चाहता था लेकिन रणवीर की निगाहे उसके जिस्म में रहती थी ,वो भी उससे 15 साल बड़ा था और ना जाने कितनी लड़कियो की इज्जत उसने अपने हाथो से उतारी थी ,लेकिन मोंगरा कभी उसके हाथ नही आती थी,उसके बीच का सबसे बड़ा रोड़ा था मोंगरा की मा और बलवीर…
मोंगरा पलट कर बलवीर के तरफ देखती है जो की उसके बाजू में सोया हुआ था ,सही मायने में मर्द था बलवीर ,चौड़ी छाती ,गठी हुई भुजाएं ,ताकत का जीता जाता नमूना लेकिन मन से बिल्कुल ही बच्चा,खासकर मोंगरा के लिए तो वो बच्चा ही था,मोंगरा के मन में उसे देखकर बेहद प्यार उमड़ गया उसने थोड़ा आगे बढ़कर बलवीर के गालो को चूम लिया ..
अभी उसके शरीर से पसीना बह रहा था और कमरे में जल रहे छोटे से दिए की रोशनी में बलवीर का पूरा नंगा शरीर चमक रहा था,मोंगरा उसके चहरे को ही निहारे जा रही थी,क्या क्या नही किया बलवीर ने उसके लिए ,उसे तब सहारा दिया जब कोई अपना उसके साथ नही था,अगर वो नही होता तो ….तो शायद वो भी नही होती …
मोंगरा को अब अजय की याद आयी,ये बलवीर था जो मोंगरा से प्यार करता था और वो अजय है जिससे मोंगरा प्यार करती है …
मोंगरा की आंखों में फिर से पानी आ गया,उसे याद आया की कैसे वो दिन भर अजय की बांहो में चम्पा बनकर पड़ी रही और ठाकुर ने उसकी बुआ को मरवा दिया,बुआ ने ठिक ही कहा था की अजय को चम्पा की ही रहने दे ,शायद एक डाकू के नसीब में एक पुलिस वाले का प्यार नही था,होता भी कैसे अजय तो चम्पा से प्यार करता हैं ना ही मोंगरा से …
मोंगरा से तो बलवीर प्यार करता है वो भी बिना किसी शर्त के ,बिना कुछ मांग के,.
बलवीर ने तो आज तक कभी मोंगरा से उसका जिस्म भी नही मांगा लेकिन मोंगरा ही थी जो उसके प्यार को देखकर ही उसे अपना सब कुछ देने को तैयार हो गई थी ,और आज भी वो यही सोच रही थी की बलवीर के लिए ये जिस्म क्या ये जान भी दे दु तो कम होगा,
जिस्म का भोग बलवीर को लगा कर वो बलवीर के अंदर के जानवर को थोड़ा शांत रख पाती थी,लेकिन बलवीर खुद से कभी आगे बढ़ने की कोशिस नही करता और करता तो भी मोंगरा के एक बार रोकने पर ही रुक जाता,मोंगरा उसे प्यार से देखती जैसे एक मां अपने भूखे बेटे को देखती है,और उसे अपने जिस्म का भोग वैसे ही करवाती जैसे एक मा अपने बेटे को खाना खिलाती है,बलवीर किसी भूखे कुत्ते सा मोंगरा के ऊपर टूट पड़ता था,लेकिन वो मोंगरा ही थी जो बलवीर के ताकत को ना सिर्फ सह पाती थी बल्कि अपनी जिस्मानी और मानसिक जरूरतों के हिसाब से उसे नियंत्रित भी कर सकती थी …
मोंगरा का ध्यान अपने योनि के ऊपर गया जिससे अब भी बलवीर का गढ़ा वीर्य समाया हुआ था,उसने पास ही पड़े एक कपड़े से उसे पोछना चाहा लेकिन फिर ना जाने क्यो रुक गई,वो बलवीर से सटी और उसके गालो पर प्यार से हाथ फेरा..
उसे कुछ आहट सी सुनाई दी ,जब मोंगरा ने उस ओर देखा ,लेकिन फिर बेफिक्री से बलवीर के सीने में एक चुम्मन किया ,
बलवीर थोड़ा मचला ,और मोंगरा ने उसे अपने पास और भी जोरो से खिंच लिया ..बलवीर की आंखे खुल गई..
मोंगरा ने फिर से बलवीर के लिंग को पकड़ा जो की सोया हुआ होने के बावजूद भी इतना बड़ा लग रहा था की किसी लड़की की गहराई में पहुच जाए ,
मोंगरा के हल्के हाथो से सहलाने से उसका लिंग फिर से फुंकार मारने लगा,मोंगरा अपने होठो को बलवीर के कानो के पास ले गई,
“और घुसना है क्या “
बलवीर की नजर वैसे ही ललचाई थी जैसे किसी बच्चे की चाकलेट को देखकर ललचाती है…
मोंगरा को उसकी उस नजर को देखकर ही हँसी आ गई ,और उसके लिंग के पकड़ कर अपने सिर को नीचे किया,
जैसे बलवीर जन्नत में पहुच गया हो ,मोंगरा के होठो की गर्मी से उसका लिंग फिर से फुंकार मारने लगा था ,मोंगरा ने अब फिर से लिंग को उसी योनि में डाल लिया जिसमे अब भी बलवीर का वीर्य भरा हुआ था,बलवीर को अपने ही वीर्य का ठंडा अहसास हुआ और ये सोचकर ही उसके लिंग में अधिकतम अकड़ आ गई की अभी तक मोंगरा ने उसके वीर्य को साफ नही किया था…
दोनो की कमर फिर से मिल गई और दोनो फिर से एक अलग दुनिया की सैर में निकल पड़े …
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