vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डकैत
05-13-2019, 12:35 PM,
#33
RE: vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डक�...
मोंगरा अभी बलवीर की आगोश में थी वही अजय अपने ही ख्यालों में खोया हुआ था,रात का सन्नाटा उसे सोने नही दे रहा था,वो बेचैन था,हर एक कड़ी को जोड़ने की नाकाम कोशिस करता हुआ वो और भी बेचैन हो जाता था …
आखिरकार कुछ पेग पी लेने के बाद वो अचानक ही अपने कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और ना जाने क्या सोचकर कही निकल गया,जंगलों के बीच उसकी साइकिल चल रही थी ,उस सुनसान जंगल के उबड़खाबड़ रास्ते के लिए ही उसने ये छोटी सी स्पोर्ट साइकिल की थी,जुगनुओं की झिंगुरिओ की आवज से माहौल और भी डरावना हो रहा था लेकिन अजय के दिमाग में कोई भी डर नही था,वो बेख़ौफ़ था,लेकिन अधीर भी ,उसके दिमाग में बार बार वही तस्वीर आ रही थी जिसे उसने आज विक्रांत के घर में देखा था,वो मोंगरा की तस्वीर जिसमे वो एक बड़ा सा पिस्तौल लिए खड़े थी ,और पीछे का वो मंदिर ….
पहाड़ की चोटी में बना हुआ वो मंदिर ऐसे तो तस्वीर में बहुत ही छोटा सा दिखाई दे रहा था लेकिन फिर भी वो अजय के दिमाग में बस चुका था और वो मोंगरा की उस मंदिर से दूरी का अंदाजा लगा रहा था,तस्वीर पहाड़ी के नीचे से नही बल्कि सीधी ऊँचाई से खिंची गई थी ,मतलब था की किसी दूसरी पहाड़ी से ,क्योकि तस्वीर में वो मंदिर मोंगरा के नीचे दिख रहा था,मतलब की आसपास की कोई पहाड़ी जो की उस मंदिर वाली पहाड़ी से ऊंचा होगा,अजय इतने देर से यही सोच रहा था की आखिर वो कौन सी पहाड़ी होगी जंहा मोंगरा अपने पूरे गैंग के साथ छुपी होगी ..
ऐसे तो उसे सुबह तक का इंतजार करना था लेकिन ये उत्तेजना ही उसे सोने नही दे रही थी और वो अपनी साइकिल लेकर निकल पड़ा था…
दो घंटे की मसक्कत के बाद वो उस मंदिर वाली पहाड़ी के नीचे खड़ा था और ध्यान से बाकी सभी पहाड़ी को देख रहा था,उसने अपना मोबाइल निकाला और मेप से आसपास की ऊची पहाड़ी खोजने लगा,मोबाइल की रोशनी से आसपास के कीड़ो ने उसे जरूर परेशान किया लेकिन आखिर उसे समझ में आ ही गया की क्यो मोंगरा ने उस जगह को चुना होगा…
अपनी साइकिल झड़ियो में छिपा कर वो पहाड़ में चढ़ना शुरू कर दिया ,बड़े छोटे पत्थरो का सहारा लेकर वो आगे बढ़ता गया,चांद की रोशनी ही उसकी मददगार थी ,एक पत्थर के ऊपर सोए हुए बंदुखधरि को देखकर उसे ये निश्चित हो गया की मोंगरा यही कही होगी…..
परिस्थिति तो ऐसी थी की उसे डरना चाहिए था लेकिन फिर भी उसके दिल दिमाग में ऐसा जनून था की उसे डर लेशमात्र भी नही हो रहा था,वो खुद भी अपने किये पर अचंभित हो रहा था वो मंजिल की ओर ऐसे बढ़ रहा था जैसे कोई शक्ति ही उसे उस ओर खिंच रही हो …
वो पहाड़ी के बीच तक आ चुका था,कुछ घोड़े और समतल जगह भी उसे दिखाई दे गई ,एक छोटे से गुफा नुमा जगह से कुछ रोशनी छन कर आ रही थी जैसे अंदर दिया जलाया गया हो,और बाहर बस लकड़ियों से बनाया गया एक दरवाजा था जिससे अंदर देख पाना बहुत ही आसान था ...वो हल्के कदम से और बहुत ही आहिस्ते आहिस्ते उस ओर बड़ा ,अंदर का नजारा देखकर वो दंग ही रह गया ,क्योकि अंदर उसकी सपनो की रानी पूरी नंगी किसी और लंबे चौड़े मर्द के साथ लेटी हुई दिखाई दी…
वो वही लड़की थी जिसके आगोश में उसने पूरी सुबह से दोपहर बिताई थी या वो इसकी जुड़वा बहन थी ,अजय दोनो में बिल्कुल भी फर्क नही कर पा रहा था,अभी मोंगरा छत को देख रही थी जैसे किसी ख्याल में खोई हो …
पुलिस रिकार्ड को याद करके अजय को याद आया की मोंगरा के बाजू में सोया हुआ शख्स कोई और नही बल्कि मोंगरा का वफादार और परमिनन्दर का बेटा बलवीर है..
मोंगरा उसके ओर पलटी और बलवीर को प्यार भरी निगाहों से देखने लगी,
अजय को पता नही क्यो लेकिन इतनी जलन सी महसूस हुई की वो वँहा से जाने को हुआ और इसी में एक गलती उससे हो गई वो दरवाजे से टकरा गया,अचानक ही मोगरा पलटी और जैसे दोनो की नजर मिल गई,..
अजय तो जैसे किसी मूर्ति सा स्थिर हो गया था,मोंगरा ने थोड़ी देर ही उसे घूरा जैसे उस अंधेरे में देख रही हो की वो कौन था और अनायास ही उसके होठो में मुस्कुराहट सी आ गई ..वो बलवीर की ओर हुई और उसकी छाती को चूमने लगी …
अजय ये समझ नही पा रहा था की मोंगरा ने उसे देखा की नही ,कमरे में पर्याप्त रोशनी थी की अजय मोंगरा को देख पा रहा था वही बाहर चांद ने इतनी रोशनी बिखेर दी थी कोई शख्स किसी को देखकर पहचान जाए लेकिन इतनी भी नही की उस लकड़ी के दरवाजे के बाहर से झकता हुआ शख्स अंदर से दिखाई दे जाए …
लेकिन अगर मोंगरा ने अजय को नही देखा तो वो मुस्कुराई क्यो ???
ऐसा अजय को क्यो लगा की मोंगरा उसकी आंखों में ही देख रही थी ..
अजय बस इसी सोच में था की बलवीर भी उठ गया था और दोनो की प्रेम लीला चालू हो गई थी ,मोंगरा ने बलवीर के लिंग को अपने मुह में ले लिया था और उसकी आंखे बार बार उस आंखों से मिल जाती थी जो की बाहर से उन्हें झांक रहा था ….
अजय के दिल में तेज दर्द सा होने लगा था,एक अजीब सी जलन उसके अंदर होनी लगी,मन किया की अभी पिस्तौल निकाल कर दोनो ही उड़ा दु ,लेकिन ...वो फिर से घबराया,वो जल्दबाजी में पिस्तौल ही भूल आया था,जब जब मोंगरा और अजय की आंखे मिलती थी मोंगरा मुस्कुरा देती ,अजय को अब यकीन हो गया था की मोंगरा ने उसे यंहा देख लिया और शायद पहचान भी लिया है ……..
अजय को ये दर्द क्यो हो रहा था शायद इसलिए क्योकि उसे अभी मोंगरा में चम्पा का अश्क दिख रहा था,और अपनी चम्पा को किसी दूसरे मर्द की बांहों में देखकर उसका खून जल रहा था,वो खुद को बार बार समझा रहा था की ये चम्पा नही बल्कि मोंगरा है उसकी चम्पा ऐसा नही कर सकती…
और अगर मोंगरा ने उसे देख लिया था तो वो उसपर वॉर क्यो नही कर रही बल्कि उसे जलाए जा रही है ..
क्योकि शायद वो अजय से प्यार करती है,लेकिन प्यार करने का ये कौन सा तरीका था की खुद के जिस्म को दूसरे के सामने सौपते हुए दिखाना..
अजय को याद आया जो विक्रांत ने उससे कहा था की मोंगरा उससे बेहद प्यार करती है ...लेकिन यंहा तो ये देख कर नही लग रहा था की मोंगरा उससे पैर करती होगी …
“साली रांड “
अजय ने मन में ही कहा और वँहा से निकल गया …
मन में कई टन जितना बोझ लेकर ,आज मोंगरा इतने पास होते हुये भी वो कुछ नही कर पाया लेकिन अब वो पुलिस के साथ आएगा और साथ ही मोंगरा की ईट से ईट बजा देगा ….
वो जल्दी से नीचे उतारना चाहता था ,वो भागता हुआ उतारने लगा…
तेजी ने उसकी पोल खोल दी और एक डाकू चिल्ला पड़ा 
“कौन है वँहा “
अजय हड़बड़ाया और पैर के फिसल जाने से गिरता हुआ एक पेड़ से जा टकराया…..
माथे से खून बहने लगा था और उसका सर घूमने लगा,धीरे धीरे उसकी आंखे बंद हो गई …….

“अरे मेरी जान को चोट तो नही आयी “
अजय चौक गया क्योकि ये चम्पा की आवाज थी ,चम्पा या मोंगरा ??
उसने झट से अपनी आंखे खोली..
वो किसी की गोद में पड़ा हुआ था ,दीये की रोशनी में वो उसे पहचान सकता था ,जिस्म नंगा ही था और होठो में वही मुस्कान और सामने खड़ा बलवीर उसे गुस्से से घूरा जा रहा था...बलवीर भी नंगा ही था जिससे उसका वो गठीला विशालकाय बदन अब अजय के सामने था…
“बलवीर तुम जाओ ..”
मोंगरा ने हुक्म दिया ..
“तुम्हे अकेले इसके साथ छोड़कर ???? “
बलवीर ने खा जाने वाली निगाह से अजय को देखा ,लेकिन अजय के चहरे में एक शिकन तक नही आयी ..
“तुम फिक्र मत करो मैं सम्हाल लुंगी …”
बलवीर अजय को घूरता हुआ वँहा से निकल गया ..
“ऐसी क्या जल्दी थी की रात में ही आ गए मुझसे मिलने “
मोंगरा की हँसी से अजय का खून जल गया वो झटके से उठा ,उसका चहरा गुस्से से तमतमा रहा था …
“ओह मेरी जान गुस्सा है “
मोंगरा की बात अजय को ऐसी लगी जैसे वो उसे चिढ़ा रही हो ..
“चुप कर साली रंडी ..तेरे ठिकाने का मुझे पता चल चुका है अब देखना मैं तेरे गिरोह की ईट से ईट बजा दूंगा ..”
अजय का चहरा गुस्से से तमतमा गया था लेकिन मोंगरा जोरो से हँस पड़ी…
“ओह मेरा बच्चा गुस्सा है लेकिन पुलिस को तुम तब बलाओगे जब तुम यंहा से जाओगे...तुम्हे क्या लगता है की तुम खुद ही यंहा आये हो …?वो तस्वीर मैंने ही रखवाई थी मुझे पता था की तुम इस मंदिर के बारे में जानते हो और तुम जरूर अपना दिमाग लगाओगे और मुझे ढूंढते हुए यंहा तक आ जाओगे लेकिन …….लेकिन सोचा नही था की इतनी जल्दी ,बहुत ही बेचैन था मेरा बाबू मुझसे मिलने के लिए ,बहुत प्यार करते हो मुझसे ..”
मोंगरा के होठो पर एक कमीनी सी मुस्कान थी …
“प्यार ??? तुझे लगता है की मैं तुझसे प्यार करता हु ?? साली रंडी …”
अजय का चहरा गुस्से से जल रहा था लेकिन मोंगरा के होठो पर अब भी वही मुस्कान थी ..
“मैं चम्पा से प्यार करता हु तुझसे नही ,और जितना मैं उससे मोहोब्बत करता हु उतना ही तुझसे नफरत ..”
अजय की दशा को देखकर मोंगरा खिलखिलाई ..
“ओह मेरी जान लेकिन तुम किस चम्पा से मोहोब्बत करते हो 7745 वाली से या 4577 वाली से ….”
मोंगरा जोरो से हँस पड़ी और अजय पिला पड़ गया …
“चम्पा नाम की कोई भी लड़की नही है जो भी है बस मैं ही हु ,तुम्हारी चम्पा भी और तुम्हारी मोंगरा भी …”
मोंगरा जोरो से हँसने वाली थी लेकिन रुक गई कारण था अजय के आंखों में आया हुआ आंसू …
अजय को लगा जैसे उसकी पूरी दुनिया ही खत्म हो गई …वो नीचे बैठ गया था और सर पकड़े हुए रो रहा था ,उसे विस्वास ही नही हो रहा था की उसके साथ ऐसा कुछ हुआ है ...वो बार बार चम्पा को याद कर रहा था उसने उसकी आंखों में देखा था ,उसके दिल की धड़कने सुनी थी वो गलत कैसे हो सकती थी ???
चम्पा का अजय के लिए प्यार गलत कैसे हो सकता था ,अजय का दिल ये मानने को तैयार हि नही था की चम्पा नाम की कोई लड़की नही है या मोंगरा ही चम्पा बनाकर उस धोखा दे रही थी …….
अजय की हालत देखकर मोंगरा की आंखों में भी आंसू आ गए …
“मुझे माफ कर देना अजय लेकिन ...मैं तुमसे इतना प्यार करती हु की तुम्हे पाने का मुझे और कोई रास्ता नही दिखा “
अजय तुरंत ही खड़ा हो गया और पास ही पड़ी हुई बंदूख उठा लिया और सीधे मोंगरा पर तान दिया …
“बोल मेरी चम्पा कहा है “वो गरजा …
उसे कमरे के बाहर बड़ी हलचल सी महसूस हुई ,लगा की बाहर फ़ौज का जमावड़ा हो चुका है …
“बोल नही तो अभी तेरे दिन में ये सारी गोलियां दाग दूंगा “
मोंगरा के चहरे में कोई भी शिकन नही थी बस आंखों में थोड़े आंसू थे..
“इतना प्यार करते हो तुम मुझसे ...मैं ही तो तुम्हारी चम्पा हूं ..”वो रोते हुई बोली 
अजय को लगा की उसका वो रोना बेहद असली है ,जैसे दिल से ही निकल रहा हो ,लेकिन वो कैसे मान सकता था की ये ही उसकी मासूम सी चम्पा है ,नही ये मोंगरा थी और वो उसे फंसा रही थी ...अजय अपने दिल को बार बार समझाने लगा ..
“देखो मैं किसी को नही बुलाऊंगा ,और चम्पा के साथ सब कुछ छोड़कर चला जाऊंगा ,लेकिन कह दो की मेरी चम्पा का भी अस्तित्व है ,वो है...मैं जानता हु की तुम दोनो अलग अलग हो “
अजय सुबकने लगा ..
“तुम चम्पा से प्यार नही करते अगर करते तो ठाकुर को मारने में मेरी मदद करते “
“चम्पा किसी को मरना नही चाहती ..”
“लेकिन तुम तो चाहते हो ...मुझे मारना चाहते हो ,इसीलिए तुमने ठाकुर से हाथ मिलाया ..”
“मैं ठाकुर के करीब जाकर उसे फसाना चाहता था जिससे उसे उसके कर्मो की सजा कानून दे सके …”
मोंगरा हँस पड़ी …
“कानून क्या सजा देगा ,सजा तो मैं उसे दूंगी …लेकिन याद रखो अजय तुम चाहे जिससे प्यार करते हो मैं तुमसे ही प्यार करती हुई और मैं तुम्हे पा के रहूंगी …चाहे इसके लिए मुझे चम्पा को मरना क्यो ना पड़े ”
मॉंगर शेरनी जैसे गरजी …
अजय के होठो में मुस्कान आ गई …
“मतलब की मेरी चम्पा है ,और मेरे रहते तुम उसे छू भी नही सकती ,”
अजय ने वो दरवाजा खोल दिया ,बाहर सभी की बंदूक की नली अजय के ऊपर ही थी ,सूर्य की धुंधली सी किरण फिजाओं में फैल चुकी थी ,और मोंगरा के सभी सिपाही तन कर खड़े थे सभी की नजर अजय के ऊपर ही थी …
बलवीर अब भी उसे गुस्से में घूर रहा था ….
“खबरदार जो किसी ने कोई भी जुर्रत की तुम्हारी सरदार को यही उड़ा दूंगा “अजय गरजा ..
वो कमरे से बाहर आ चुका था साथ ही मोंगरा भी कमरे से बाहर आ गई ,अभी भी अजय के बंदूक की नली मोंगरा के ऊपर ही थी .मोंगरा अब भी नंगी थी और सुबह की किरणों में उसका जिस्म चमक रहा था ,लेकिन गिरोह के सभी सदस्यों के सामने नंगी खड़ी होने पर भी उसके चहरे में कोई भी शर्म नही था,बल्कि बस एक मुस्कान के साथ वो अजय को देख रही थी ,अजय को मन हुआ की अभी उसके सीने में सारी गोलियां डाल दे लेकिन वो ये नही कर सकता था …
वो धीरे धीरे पीछे हट रहा था और बंदूख की नोक पर मोंगरा को लेकर वँहा से निकल जाना चाहता था ..
अचानक ही बलवीर ने पास पड़ा हुआ डंडा उठा लिया ,अजय ने तुरंत उसकी ओर बंदूक घुमा कर फायर कर दिया और …………………….
और सभी जोरो से हँस पड़े क्योकि बंदूक में गोली ही नही थी ,अजय बंदूक का टिगर दबाता रहा और सभी उसकी मूर्खता पर जोरो से हँस रहे थे यंहा तक की मोंगरा भी उसे देखकर हँसने लगी थी ,लेकिन बलवीर अब भी गुस्से से उसे घूरे जा रहा था ,उसने आपके हाथो में पकड़ा हुआ डंडा उठाया और सीधे अजय के उनपर घुमा दिया,जो की सीधे ही उसके सर में आकर लगा…
अजय का सर फिर से चकरा गया था और वो फिर से धड़ाम से नीचे गिर गया…..
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RE: vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डक�... - by sexstories - 05-13-2019, 12:35 PM

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