RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
फ़िर ना जाने कब मुझे नींद आ गयी! मगर जब बगल में इतना गदराया हुआ नमकीन लौंडा पूरा नँगा लेटा हो तो कहाँ चैन आता है! मैने ना जाने कब नींद में, साइड होकर अपनी जाँघ, सीधे लेटे आसिफ़ पर चढा दी! इससे मेरा लँड उसकी कमर में भिड गया और हल्के हल्के उसकी गर्मी पाकर ठनक गया! उस रात उस पर बहुत ज़ुल्म हुआ था! साले को माल नहीं मिला था, कई बार खडा हुआ और हर बार बिना झडे ही उसको बैठ जाना पडा!
मैने नींद में ही आसिफ़ की छाती और पैर सहलाये! फ़िर मेरी नींद कुछ टूटी तो अफ़सोस हुआ क्योंकि ना जाने कब आसिफ़ ने पैंट पहन ली थी! खैर मैं फ़िर भी उसका जिस्म रगडता रहा! जब उसी अवस्था में मेरा हाथ उसके लँड पर पहुँचा तो पाया कि वो भरपूर खडा था! मैं उससे आराम से दबा दबा के खेलता रहा! आसिफ़ ने अपनी एक बाज़ू फ़ैला रखी थी, मैने अपनी नाक वहाँ घुसा दी और उसके मर्दाने पसीने को सूँघता रहा! आलस के मारे, उसने जीन्स के बटन और ज़िप भी बन्द नहीं किये थे!
वो भी अचानक नींद में हिला और मेरी तरफ़ पीठ करके दोबारा नींद की गहरी आग़ोश में खो गया! कमरे में सिर्फ़ एक साइड का नाइट बल्ब जल रहा था, मगर उसमें भी काफ़ी रोशनी थी! मैं पीछे से ही आसिफ़ से चिपक गया और इस बार उसकी पीठ पर अपने होंठ रख दिये और उसके मर्दाने जिस्म की दिलकश खुश्बू और उसकी गदरायी मसल्स का मज़ा लेता रहा! उसका जिस्म गर्म था, जिस वजह से सर्दी की उस रात में, उससे चिपकने में मज़ा आ रहा था! अब मैं आराम से उसकी गाँड पर अपना लँड भिडाने लगा था! मेरा लँड खुला था पर उसकी गाँड जीन्स में बन्द थी! उसने चड्डी नहीं पहनी थी! मैने उसकी कमर सहलायी, फ़िर पीछे से उसकी जीन्स के अंदर हाथ घुसाने की कोशिश की! शुरु में तो हाथ केवल उसकी फ़ाँकों के ऊपरी पोर्शन तक ही गया! उसकी गाँड माँसल थी, और चिकनी भी… शायद बाल भी होंगे तो हल्के हल्के ही होंगे! फ़िर मुझे याद आया कि उसकी गाँड पर तो हल्के से रेशमी भूरे बाल थे! मैने उसकी कमर से जीन्स थोडा नीचे खिसकायी तो अब उसकी फ़ाँकें आधी खुल गयी! उसकी गाँड की फ़ाँकों का वो ऊपरी हिस्सा, जो बस उसकी पीठ से शुरु होता था और जहाँ से गाँड उठान लेती थी, मेरे सामने आया तो मैने उसको कस के रगड दिया! फ़िर मैं हल्के हल्के उसकी दरार पर उँगलियाँ फ़िरा के मज़ा लेने लगा! पर वो चुपचाप सोया रहा… बस एक साइड करवट करके अपने घुटने हल्के से आगे की तरफ़ मोड के अपनी गाँड पर मेरे हाथों को महसूस करता हुआ! मैं उससे और चिपक गया जिस कारण मेरा लँड उसकी पीठ पर रगडने लगा! अब मेरी ठरक जग चुकी थी, मैं आसिफ़ की गाँड मारना चाहता था! मुझे ऐसे मर्दाने लडकों की गाँड मारने का बहुत शौक़ है जिनको अपने लौडे पर घमंड होता है! उनकी गाँड का अपना ही मज़ा होता है… कसमसाया हुआ, कशिश भरा, बिल्कुल मिट्टी पर पहली पहली बारिश की खुश्बू के मज़े की तरह… मगर मुझे ये पता नहीं था कि आसिफ़ की गाँड के सुराख की मिट्टी पर ना जाने कितने लँड बारिश कर चुके हैं!
फ़ाइनली जब मैने उसकी जीन्स, उसकी जाँघों तक सरका दी तो उसकी खुली घूमी गाँड, उसके कटाव, मस्क्युलर गोलाई, कमसिन चिकनाहट, और चुलबुला मर्दानापन देख कर मुझसे ना रहा और मैं नीचे खिसक कर ऐसा लेटा कि उसकी गाँड की दरार और सुराख मेरे मुह के पास आ गये! मैने पहले उसके छेद को प्यार से सहलाया! वो बस नींद में हल्का सा कसमसाया, एक बार पैर हल्के से सीधे किये, फ़िर वापस मोड लिये! मैने उसकी दरार को हाथों से हल्का सा फ़ैलाया और फ़िर उसके छेद पर नाक लगा का एक गहरी साँस लेकर उसके मर्दानेपन को सूंघा!
“उम्म…अआहहहह..” मैने उसके छेद की खुश्बू सूंघते हुये गहरी साँस ली! उसके छेद पर पसीने की खुश्बू थी! मैने अपनी ज़बान से हल्के से उसको छुआ, फ़िर जैसे अपनी ज़बान उस पर चिपका दी… वो फ़िर कसमसाया, मैने जब उँगली रखी तो उसका छेद बिल्कुल सिकुडा हुआ था… कसा हुआ टाइट, बिल्कुल चवन्नी के आकार का! मैने उसको कुछ और चाटा और साथ में उसकी जाँघ सहलाते हुये उसकी जीन्स और नीचे उतार दी! उसका जिस्म सच में बडा माँसल, सुडौल, कटावदार और चिकना था!
मैने अपना लँड उसकी दरार पर रखा और अब हाथ के बजाय लँड से उसकी दरार को रगडा! मेरा लौडा उसकी नमकीन गाँड पर लगते ही फ़नफ़नाया! मैं उससे लिपट गया और वैसे ही अपना लँड कुछ देर उसकी दरार पर रगडता रहा! लँड उसकी पीठ से होकर उसके आँडूओं की जड तक जाता था, वहाँ मेरा सुपाडा उसकी अंदरूनी जाँघ में फ़ँस जाता था, जिसको वापस बाहर खींचने में बडा मज़ा आता था! फ़िर कभी मैं उसकी गाँड हाथ से फ़ैला के उसका छेद खोल देता और उसके छेद पर डायरेक्टली सुपाडा रख के रगड देता! तो उसका छेद वाला पोर्शन जल्द ही मेरे प्री-कम से भीग कर चिकना होने लगा और शायद थोडा खुलने भी लगा! फ़िर उस पर मेरा थूक तो लगा ही था! जब मेरा सुपाडा पहली बार सही से उसके छेद पर फ़ँसा तो उसने पहली बार सिसकारी भरी… मतलब वो भी जग चुका था और उसको कोई आपत्ति नहीं थी! मैने अपनी उँगली से उसका छेद चेक किया जो अब खुल रहा था! उसने हाथ पीछे करके मेरा लँड थामा! मैने अपना हाथ लगा के उसको छेद पर लगाया और कहा!
“लगा के रखो…”
“नहीं, बहुत बडा है… जा नहीं पायेगा…” मुझे काम की कसक में उसकी आवाज़ बदली बदली सी लगी!
“चला जायेगा यार… बहुत आराम से जायेगा…”
“गाँड फ़ट जायेगी…” उसकी आवाज़ में भारीपन था!
“नहीं फ़टेगी बे… मेरी नहीं देखी थी, तेरा कितने आराम से लिया था…”
“नहीं यार… अच्छा पहले ज़रा चूसने दो…” उसने कहा!
“लो, चूस लो…” मैने कहा तो वो मेरी तरफ़ मुडा!
उसके मुडते ही मैं चौंक गया क्योंकि वो आसिफ़ नहीं था! इतनी देर से मेरे साथ वसीम था… मैं हल्का सा हडबडाया भी और खुश भी हुआ! मेरी वासना एकदम से और भडक गयी…
“अरे तुम… आसिफ़ कहाँ गया?”
“वो तो कब का चला गया… मैं जब आया तो आप सो रहे थे…”
“कहाँ गया?”
“हलवाई को उसके घर से लेने गया है…”
“तो तुमने इतनी देर से कुछ कहा क्यों नहीं?”
“कह देता तो आप रुक जाते क्या??? इसीलिये तो इतनी रात में वापस आया था…”
“पहले कह देते…”
“ये बात आसिफ़ को नहीं पता है…”
“क्या बात?”
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