Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
05-14-2019, 11:29 AM,
#17
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
यार बना प्रीतम - भाग (5)

गतान्क से आगे........

संभाल राजा, गिरना नहीं और उचक कर उस'ने अपना पूरा वजन मेरे ऊपर देते हुए अपनी टाँगें उठ कर मेरी जांघों के इर्द गिर्द फँसा लीं और मुझ पर चढ कर हचक हचक कर मेरी गान्ड चोद'ने लगा. उसका पचहत्तर किलो वजन मेरे ऊपर आ गया और मैं लड़खड़ा गया.

अब वह पूरे ज़ोर से लंड करीब करीब पूरा बाहर निकाल'कर और फिर अंदर पेलते हुए मुझे चोद रहा था. मेरे ऊपर वह ऐसे चढ़ा था जैसे घोड़े पर सवार चढत है! उस'के इन शक्तिशाली धक्कों को मैं ना सह पाया और चार पाँच प्रहारों के बाद मुँह के बल बिस्तर पर गिर गया. प्रीतम मुझे चोद'ता रहा और अगले ही क्षण वह भी झड गया. उस'के गर्म वीर्य का फुआरा मेरी गान्ड में छूटा और मैं धन्य हो गया.

कुछ देर सुस्ता'ने पर उस'ने धीरे से अपना लंड मेरी चुदी गान्ड के बाहर निकाला. वह अब सिकुड गया था पर उसपर प्रीतम का वीर्य लगा हुआ था. मेरा लंड भी अब तन्नाया हुआ था, उसे देख'कर वह बोला

जल्दी आ जा मेरे यार, सिक्सटी नाइन कर लेते हैं. फिर बोला.

मेरा झड गया तो क्या हुआ, उसपर काफ़ी मलाई लगी है, चूस ले. हम एक दूसरे के लंड मुँह में लेकर लेट गये. मेरी गान्ड का स्वाद लगे उस लौडे का स्वाद ज़्यादा ही मतवाला हो गया था. जब तक मैने उसका वीर्य से लिपटा लंड सॉफ किया, उस'ने भी बड़ी सफाई से मेरा लंड चूस कर मुझे झाड़ा दिया.

घ्हडी में देखा तो रात के दो बज गये थे. चार पाँच घंटे कैसे निकल गये पता ही नहीं चला. हम दोनों तृप्त थे, लिपट कर एक दूसरे को चूमते हुए पति पत्नी की तरह सो गये. मेरी गान्ड अब ऐसे दुख रही थी जैसे किसीने उसे घूँसों से अंदर से पीटा हो. प्रीतम को बताया तो वह हंस'ने लगा.

तेरा कौमार्य भंग हुआ है, सील टूटी है तो दुखेगा ही! पर आज दोपहर तक ठीक हो जाएगा. तू नींद की गोली ले ले और सो जा. सोते समय उस'ने मुझे समझाया.

यार गान्ड मार'ने के बाद लंड हमेशा चूस कर सॉफ करना, पोंच्छाना नहीं, अरे यह तो हमारे शरीर का अमृत है, इसे व्यर्थ नहीं जा'ने देना चाहिए. शुरू में गान्ड में से निकले लंड को चूस'ने में थोड गंदा लग'ता है पर फिर आदत हो जा'ती है. वैसे सेक्स में शरीर की कोई भी चीज़ गंदी नहीं होती. मैने उसे बताया कि मेरी गान्ड में से निकला उसका लंड चूस'ने में मुझे ज़रा भी गंदा नहीं लगा था.

वे खूबसूरत चप्पलें

हम सुबह दस बजे सो कर उठे. दोनों के लंड फिर खड़े थे. गांद में होते दर्द के बावजूद मैं तो इतना आतुर था कि फिर कामक्रीड़ा में जुट जाना चाह'ता था पर उस'ने कहा कि अब दोपहर को करेंगे. बहुत बार कर'ने से लंड थक जाएगा तो सुख की वह धार निकल जाएगी. चाय पीकर हम नहा'ने गये. प्रीतम बोला.

तू चल, मैं पाँच मिनिट में आता हूँ, ज़रा सामान जमा लूँ. मैने प्रीतम से कहा कि अपनी चप्पल मुझे दे दे, मैं अपनी चप्पल के साथ उस'की भी धो देता हूँ. असल में कल से उस'की चप्पल देख देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था, लग'ता था कि कब उसे हाथ में लूँ और मज़े करूँ. पर उससे कह'ने में झिझक रहा था, सोच'ता था की उसे पता नहीं मेरी इस फेटिश पर क्या लगे.

चप्पलें लेकर मैं बाथ रूम गया. शावर लगाया और थोड़ा नहा'कर ब्रश लेकर मेरी और उस'की चप्पलें सॉफ कीं. वैसे वे इतनी सॉफ थी कि उस'की कोई ज़रूरत नहीं थी. फिर मौका देख'कर कि प्रीतम को आने में कुच्छ वक्त लगेगा, मैने प्रीतम की चप्पलें उठाईं और मुँह से लगा लीं. उन्हें प्यार किया, चूमा, अप'ने गालों और आँखों पर फेरा, उस'के पत्ते अप'ने लंड में फँसाए, उन'के चिक'ने तलवों में अपना लंड दबा कर घिसा और फिर उन्हें चाट'ने लगा. स्वर्ग सा सुख मिल रहा था, रब्बर और प्रीतम के पैरों की भीनी खुशबू से मेरा सिर घूम रहा था. इत'ने में अचानक बाथ रूम का दरवाजा खुला और प्रीतम अंदर आया.

यार सामान बाद में जमा लेंगे, अपनी रानी के साथ नहा तो लूँ. मैने घबरा कर चप्पलें नीचे रख दीं. पता नहीं उस'ने देखा या नहीं. वह भी कुच्छ ना बोला और मुझे बाँहों में भर'कर चूम'ने लगा.

हम'ने खूब नहाया और मज़ा किया. एक दूसरे को साबुन लगाया, मालिश की और एक दूसरे के बदन को ठीक से देखा और टटोला. दोनों के लंड खड़े हो गये थे पर हम'ने अप'ने आप पर काबू रखा. नहाते समय पेशाब लगी तो एक दूसरे के साम'ने ही हम मूते. मैं जब मूत रहा था तो उस'ने धार में अपना हाथ रख दिया.

मस्त लग'ता है गरम गरमा, तू भी देख. मैने भी उस'के मूत्र की तेज धार हाथ में ली तो वह गरम गरम फुहार मन में एक अजीब गुदगुदी कर गयी. ज़रा भी अटपटा नहीं लगा. वह अचानक मूतते मूतते रुका और मेरे साम'ने बैठ'कर मेरी धार अप'ने शरीर पर लेने लगा. मैने हड़बड़ा कर मूतना बंद कर दिया तो बोला.

रुक क्यों गये राजा? मूत मेरे ऊपर, मेरे चेहरे पर धार डाल, मुझे बहुत अक्च्छा लग'ता है. मैने फिर मूतना शुरू किया. वह हिल डुल कर उस धार को अप'ने चेहरे और होंठों पर लेते हुए बैठ गया. मेरा मूतना ख़त्म होते होते उस'ने अचानक मुँह खोल कर कुच्छ बूँदें अंदर भी ले लीं. जीभ निकाल'कर चाट'ता हुआ बोला.

मस्त स्वाद है यार, खारा खारा. मैं अब तैश में था. मैं उस'के साम'ने बैठ गया और उसे भी वैसा ही कर'ने को कहा. जब उस'के मूत की मोटी तेज धार मेरे चेहरे को भिगोने लगी तो मैने मन को कड़ा कर के मुँह खोला. आधी धार अंदर गयी और उस गरम गरम खारे कसाले स्वाद से मेरा लंड और उच्छल'ने लगा. मुँह खोल'ने के पहले मैं थोड़ा परेशान था कि अगर गंदा लगे तो मेरे चेहरे के भाव से प्रीतम नाखुश ना हो जाए पर यहाँ तो उलट ही हुआ, मुझे ऐसा मज़ा आया कि उसका मूत ख़तम होने पर मैं कुच्छ निराश हो गया कि वह और क्यों नहीं मूता.

मूतना ख़तम होने पर हम दोनों शवर के नीचे खूब नहाए. जब बदन सुखाते हुए बाहर आए तो मैं तो उससे लिपट लिपट जाना चाह'ता था पर उस'ने मुझे शांत होने को कहा. बोला कि सामान जमा लेना और फिर थोड़ी पढाइ कर लेना. फिर दोपहर का खाना खा'कर मस्ती करेंगे.

हम दोपहर को बाहर खाना खा'कर वापस आए तो लंड त'ने लेकर. सीधे कपड़े उतारे और एक दूसरे से लिपट गये. प्रीतम ने नंगा होने के बाद मेरी ओर देखा और फिर मुस्करा'कर अपनी स्लीपर पहन लीं. इससे मेरे ऊपर जो प्रभाव हुआ वह अवर्णनीय है. उस'के गठे गोरे नग्न बदन और पैरों में वी रब्बर की चप्पलें देख'कर मैं झड'ने को आ गया. वह मुझे बोला.

यार तू भी चप्पल पहन ले, बड़ी प्यारा गुलाबी नाज़ुक चप्पलें हैं तेरी, तुझ पर जच'ती हैं. आपन दोनों ये हमेशा पहना करेंगे. मज़ा आता है हम सोफे पर बैठ'कर चूम चाटी कर रहे थे तभी प्रीतम ने कहा.

चल यार गान्ड मारते हैं. लंड ऐसे खड़े हैं कि जो पहले मरवाएगा उसे बहुत मज़ा आएगा. तू बिना झाडे घंटे भर मरवा सक'ता है? बोल? मरावाता है तो एक मस्त आसन तुझे दिखाता हूँ. मैं बहुत उत्तेजित था और झड़ना चाह'ता था. पर इस हालत में प्रीतम के उस मोटे ताजे लंड से मरा'ने की कल'पना मुझे बड़ी प्यारी लग रही थी. मैने किसी तरह उछलते लंड को थोड शांत किया और तैयार हो गया. प्रीतम सोफे पर बैठ गया और उस'के कह'ने पर मैं उस'के बाजू में खड हो गया. बड़े प्यार से उस'ने मेरे गुदा में मक्खन लगाया और मैने उस'के लौडे पर. फिर वह टाँगें फैला कर बैठ गया और मुझे उस'की तरफ पीठ कर'के अपनी टाँगों के बीच खड कर लिया.

गोद में बिठ कर मारूँगा मेरी रानी. अब झुक जा और गान्ड खोल ले. मैं थोड झुका और अप'ने हाथों से अप'ने चूतड फैलाए. प्रीतम ने सुपाड़ा छेद पर जमाया और बोला.

गांद ढीली छोड मैने जैसे ही गुदा ढीला किया, पक्क से उस'ने एक बार में सुपाड अंदर कर दिया. एक दर्द की टीस मेरे गुदा में उठी पर कल से दर्द कम था और मज़ा भी बहुत आया. अब उस'ने मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींचा और बोला.

मेरे लौडे को अंदर ले ले और बैठ जा मेरी गोद में. कह'ने को आसान था पर इस सूली पर चढ'ने में दो मिनिट लग गये. कल की मराई से मेरी गान्ड खुल ज़रूर गयी थी पर अब भी उस'के लंड की मोटायी के हिसाब से काफ़ी कसी थी. उस'की गोद में बैठ'ने की कोशिश करते हुए एक एक इंच कर'के लंड मैने कैसे अंदर लिया, मैं ही जान'ता हूँ. जब आखरी तीन इंच बचे तो उस'ने ज़ोर से मेरी कमर पकड़ कर खींचा और पूरा लंड सटाक से अंदर लेकर मैं धम्म से उस'की गोद में बैठ गया. फिर से गान्ड में कस कर दर्द हुआ और ना चाहते हुए भी मैं हल्का सा चीख उठा. फिर सॉरी बोला. उस'ने मुझे बाँहों में कसा और मेरे गालों को चूम'ता हुआ मुझे प्यार कर'ने लगा.

सॉरी मत बोल यार, जितना चिल्लाना है उतना चिल्ला. तेरे कुंवारेपन की निशानी है, मुझे तो बहुत मज़ा आता है जब तू कसमसाता है. अच्च्छा लग'ता है कि मेरा लंड इतना बड़ा है कि तेरे जैसे प्यारे गान्डू को भी तकलीफ़ होती है. दर्द के बावजूद मैं सुख में डूबा हुआ था. उस'ने एक हाथ से मेरे लंड को सहलाना शुरू किया और दूसरे से मेरे चूचुक हौले हौले मसल'ने लगा. मैने मुँह घुमाया और हम दोनों एक दीर्घ चुंबन में जुट गये. वह अब धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर अप'ने लंड को मेरे पेट के अंदर मुठियाता हुआ मेरी गान्ड मार रहा था. अचानक उस'ने पूच्छा.

सुकुमार मेरे यार, तुझे सच में मेरी चप्पलें इतनी अच्छी लग'ती हैं? सुन'कर मैं शरमा गया. ज़रूर उस'ने बाथ रूम में मुझे उस'की चप्पलें चाटते हुए देख लिया था.

तूने देख लिया क्या? मैने पूचछा तो वह हंस'ने लगा.

आज ही नहीं, मैं दो दिनों से देख रहा हूँ तू बार बार मेरे पैरों को क्यों देख'ता है. अरे शरमाता क्यों है, यार को नहीं बताएगा तो किसे बताएगा? कोई चीज़ शरमा'ने लायक नहीं है, तुझे मज़ा आता है ना? बस किया कर जो मन में आए मेरी चप्पालों के साथ. वैसे तेरी ये गुलाबी चप्पलें भी बड़ी प्यारी हैं मैने शरमाते हुए कहा,

प्रीतम, असल में उस रात जब तेरी चप्पलें तेरे पैर में देखी थी, मेरा खड़ा हो गया था. बहुत प्यारी हैं, पहन पहन कर घिसी हुई, मुझे बहुत अच्छी लग'ती हैं तेरी चप्पलें. और तू चल'ता भी है कैसे उन्हें चटक चटक'कर. वो आवाज़ सुन'कर लग'ता है कि उन्हें . . . और चुप हो गया. समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ! फिर बोला.

चातेगा राजा मेरी चप्पल? उतारूं? मेरा दिल धडक रहा था. यह तो ऐसा हो गया जैसे भगवान पूच्छ रहे हों कि वर चाहिए तुझे? मैने कसमसा कर हां कर दी. प्रीतम बोला,

पहले ही बोलना था मेरी जान, ऐसे मामलों में शरम नहीं करते. क्या मज़ा लेगा अगर शरम करेगा. ले अब मन भर कर स्वाद ले मेरी चप्पालों का कह'कर उस'ने झुक कर अपनी चप्पलें उताऱी और हाथ में ले लीं. पहले उन्हें उलट कर'के उन'के अंदर के सोल मेरे लंड पर रगडे. उस मुलायम चिक'ने स्पर्श से मैं झड'ने को आ गया. तब उस'ने एक चप्पल के पत्ते में मेरे लंड को डाल कर उसे लंड पर लटका दिया और दूसरी हाथ में लेकर मेरे मुँह पर रख दी.

पास से मेरे यार की उस चप्पल को देख'कर और सूंघ'कर मैं वासना से पागल होने को आ गया. इतनी मीठी टीस मेरे लंड में हो रही थी. मैं जीभ निकाल'कर चप्पल चाट'ने लगा. उस'ने घुमा घुमा कर बड़े प्यार से चप्पल का इंच इंच चटवाया. रब्बर का खारा सा स्वाद बड़ा मादक था.

पट्टे मुँह में ले ले और चूस. उस'ने कहा. मैने वे पत्ते मुँह में भर लिए और चूस'ने लगा. कुच्छ देर बाद उस'के कह'ने पर मैने चप्पल का पंजा मुँह में ले लिया और चबा चबा कर चूस'ने लगा.

यार, और मुँह में ले ना. मेरे ख्याल से तो तू पूरी भी ले लेगा. तुझे बहुत मज़ा आएगा. चल मैं हेल्प कर'ता हूँ उस'ने मेरे सिर को एक हाथ से सहारा दिया और दूसरे से अपनी चप्पल की हील पकड़'कर उसे मेरे मुँह में पेल'ने लगा. मैं चूस'ता जाता और निगल'ता जाता. आधी चप्पल जब मेरे मुँह में समा गयी तो मैं थोड़ा कसमसा'ने लगा. मुँह पूरा भर गया था और गाल फूल गये थे.

क्रमशः................
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RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ - by sexstories - 05-14-2019, 11:29 AM

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