RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
यार बना प्रीतम - भाग (9)
गतान्क से आगे........
प्रदीप जब दस साल का था तब प्रभा के पिता की मौत हो गयी. प्रभा अकेली हो गयी. सेक्स की भूखी उस औरत को समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करे. उसका ध्यान अब अप'ने बेटे पर गया. अगर उस'के पिता अपनी बेटी को चोद सकते थे तो वो अप'ने बेटे को क्यों नहीं चोद सक'ती, ऐसा उस'के दिमाग़ में आने लगा.
उसे पता चला कि बचपन से प्रीतम बहुत मतवाला था. यार दोस्तों से गान्ड मरावाता और मार'ता था. बिलकुल अपनी मा और दादा पर गया था, उन्ही का गरम चुदैल स्वाभाव उस'ने पाया था. उस'की यह गान्ड मरा'ने की आदत छुडा'ने को प्रभा ने उसे खुद ही रिझाया और अप'ने साथ संभोग करना सीखा दिया. बस, नौ दस साल की उम्र से ही प्रदीप अपनी मा को चोद'ने लगा.
प्रभा को बहुत सुख मिला पर प्रदीप की समलिंगी संभोग की आदत वह नहीं छुडा पाई. वह गे का गे ही रहा. दूसरी औरतों में उस'की रूचि बिलकुल नहीं थी. जब वह बारह साल का था तो प्रदीप से प्रभा को गर्भ रह गया. प्रीतम पैदा हुआ. तब प्रभा अठ्ठायीस साल की थी. इस हिसाब से प्रीतम प्रभा का बेटा भी था और भांजा और पोता भी. और प्रदीप प्रीतम का पिता, मामा और भाई तीनों था.
प्रीतम भी पक्का चोदू निकाला. आअठ साल की उम्र में ही प्रदीप ने उस'की गान्ड मारना शुरू कर दी. प्रदीप के महाकाय लंड से मरा कर प्रीतम की हालत खराब हो गयी. दो तीन दिन वह बिस्तर में रहा. प्रभा पहले बहुत नाराज़ हुई और उस'ने प्रदीप को खूब पीटा पर आख़िर उस'ने अपना हाथ छोड दिया क्योंकि प्रीतम को भी मज़ा आया था. वह समझ गयी की उस'के दोनों बेटे गे हैं. अप'ने खेल में उस'ने प्रीतम को भी शामिल कर लिया. वैसे वह बहुत खुश थी. दो दो जवान बेटे उसे चोदते और उस'की गान्ड मारते थे. और साथ में एक दूसरे से भी खूब संभोग करते थे.
अब प्रीतम बाईस साल का नौजवान था, प्रदीप चौंतीस का हो गया था और प्रभा पचास की. प्रदीप ने शादी कर'ने से सॉफ इनकार कर दिया था. बोला था कि किसी औरत को चोदेगा और चूसेगा तो सिर्फ़ मा को. बा'की मज़े के लिए तो उसका छोटा भाई था ही.
प्रभा बेचारी बहुत चाह'ती थी कि प्रदीप शादी कर ले. एक दिन प्रदीप मज़ाक में बोला था कि अगर कोई शी मेल या अर्ध नारी मिल जाए तो वह शादी कर लेगा. पर ऐसा नाज़ुक छ्हॉकरा मिलना चाहिए जिस'का लंड मजबूत हो और मस्त चिकनी गान्ड और चूचियाँ भी हों, भले ही नकली चूचियाँ हों. वैसे असली हों तो और अच्च्छा है. कहानी सुन कर मेरा ऐसा तंन गया था कि क्या कहूँ. प्रीतम उसे मुठियाता हुआ बोला.
अब समझा मेरी गान्ड ढीली क्यों है? प्रदीप ने मार मार कर ऐसी कर दी है. बहुत मज़ा आता है उससे मरवा'ने में. तू उसका लंड देखेगा तो घबरा जाएगा! मुझसे बहुत बड़ा है. वह आगे बोला.
और हम दोनों को भी बचपन से चप्पलें चाट'ने का बहुत शौक है. मा की चप्पलें मुँह में लेकर हम चूसाते हैं और चोदते हैं. इसीलिए मा या हम दोनों कभी पुरानी चप्पलें फेकते नहीं. चुदाई के समय पलंग पर बिखरा लेते हैं फूलों जैसे. अब तो सौ के करीब जोड़ियाँ इकठ्थी हो गयी होंगी. तुझे जो पतली वाली सबसे पहले खिलाई वह मैने ही मा से मंगाई थी. वैसे खाईं कभी नहीं यार, तुझे खिला'कर बड़ा मज़ा आया, अब देखेंगे जमे तो
मैने मचल कर उस'की गर्दन में बाँहें डालीं और उसे चूम'ने लगा. वह भी अपना मुँह खोल कर मेरी जीभ चूस'ता हुआ नीचे से ही मेरी गान्ड मार'ने लगा. झड'ने के बाद उस'ने मेरा लंड चूस डाला. इतनी मीठी उत्तेजना मुझे हुई कि मैं करीब करीब रो दिया. घंटे भर हम चुप रहे. सोते समय उससे लिपट कर मैं शरमा कर बोला.
तू सच कह रहा था कि मैं तेरी भाभी बन जाउ? पर फिर तू मुझे नहीं चोदेगा? वह मेरे बाल सहलाता हुआ बोला.
अरे मैने अपनी मा को नहीं छोडा तो तुझे क्या छोडून्गा. समझ ले तीन तीन से तुझे चुदाना पड़ेगा. मैं, प्रदीप और मा. मा है पचास साल की पर बड़ी छिनाल है. साली का मन ही नहीं भरता. मेरे और प्रदीप का संभोग देख'कर बोली कि अगर तुम लोग आपस में चोद सकते हो तो मैं भी क्यों किसी औरत को नहीं चोद सक'ती. उस'ने भी एक दो साथीनें बना लीं. अब कह'ती है कि अगर सुंदर बहू आ जाए तो क्या मज़ा आए. और अगर कोई गान्डू लड़का लड़'की के रूप में मिल जाए तो सोने में सुहागा हो जाए. कुच्छ देर रुक कर वह आगे बोला
अब समझा कुच्छ? हमारे साथ रहना है तो घर की बहू बन कर तुझे सब'की सेवा करनी होगी. पिटाई भी होगी तेरी अगर किसी की बात नहीं मानी. मैं बोला.
यार पीटोगे क्यों मुझे? मैं तो गुलाम हूँ, हर बात मानूँगा. वैसे मुझे प्रदीप से शादी की बात जम'ती है पर डर भी लग'ता है. मेरी हालत कर दोगे तीनों मिल कर. वह सीरियस होकर बोला.
हाँ, यह तो सच है. गाँव में बहू की क्या हालत होती है यह तू जान'ता है. असल में मा, मेरे और प्रदीप के मन में बड़े बुरे विक्ऱुत ख़याल आते हैं. प्रदीप भी कह रहा था कि कोई छोकरा बहू बन के आए तो सब मुराद पूरी कर लेना. मा तो क्या क्या सोच'ती है, तू सुनेगा तो घबरा जाएगा. और एक बात है. हम जैसे रखें रहना पड़ेगा, जो कहें वह करना पड़ेगा. और जो खिलाएँ वह खाना पड़ेगा. ऐसी ऐसी चीज़ें खिलाई जाएँगी कि किसीने सोचा भी नहीं होगा. पक्के गान्डू और चुदैल कुटैल लड़'के को बहुत मज़ा आएगा हमारी बहू बन'कर अपनी दुर्गति करा'ने में भी. और रही पिटायी की बात, वो तो सिर्फ़ मज़े के लिए होगी. मा और प्रदीप के दिमाग़ में बहुत दिनों से ये चल रहा है, कहते हैं कि कोई फँस जाए तो खूब पीटेन्गे और चोदेन्गे. चिक'ने छ्होरों को पीट'ने का मज़ा ही कुच्छ और है
मेरा मन डान्वाडोल हो रहा था. बहुत डर लग रहा था पर दो मस्त बड़े लंड वाले जवानों और एक अधेड चुदक्कड नारी से मिल'ने वाली तरह तरह की कामुक गंदी और विक्ऱुत यातनाओं की सिर्फ़ कल'पना से ही मैं विभोर हो रहा था. मैने प्रीतम से पूच्छा.
खा'ने की क्या बात कर रहा था यार? वह मुस्करा कर बोला.
तू ही समझ ले, कोई ज़बरदस्ती नहीं है. चप्पल तो तू खाता ही है. मूत भी पीता है. अब ऐसा और क्या है जो अप'ने शरीर से हम तीनों तुझे खिला सकते हैं? तू ठीक से सोच कर बता. तेरी परीक्षा ले रहा हूँ ऐसा समझ ले. रात भर हम'ने संभोग किया, इत'ने हम इन गंदी बातों से उतावले हो गये थे. सुबह देर से उठे. प्रीतम तैयार होकर कॉलेज को निकला. मैने मना कर दिया. बोला आज मूड नहीं है. वह मुस्कराया और चला गया.
मैं झट से तैयार हो कर बाजार गया. अपनी छा'ती और कूल्हों का नाप मैने ले लिया था. चौंतीस और छत्तीस. फेमिन में ब्रा का नाप लेने का लेख आया था, वा मैने पढ़ा था. बाजार से 34 डी डी कप साइज़ की नाइलान की पैडेड ब्रा और 36 साइज़ की पैंटी खरीदी. शाडी पेटीकोट और ब्लओज़ का कपड़ा लिया. एक दर्जी से दुग'ने पैसे देकर साम'ने ही ब्लओज़ सिलवाया. झूट मूट कहा कि बहन के लिए चाहिए. फिर हाई हील की सैंडल ली. अंत में एक लंबे बालों का विग खरीदा.
वापस आया तो बुरी तरह लंड खड़ा था. किसी तरह मूठ मार'ने से खुद को रोका और सो गया. शाम को उठ'कर अप'ने सिंगार में जुट गया. नहा कर पहले पैंटी और ब्रा पहनी. ब्रा के अंदर बहुत सारे रुमाल ठूंस लिए जिससे वह फूल जाए. फिर विग लगाया. आईने में देखा तो विश्वास ही नहीं हुआ. मैं बहुत ही सेक्सी बड़े स्तनों वाली अर्धनग्न कन्या जैसा लग रहा था. बस पैंटी में तंबू बनाता मेरा लंड यह ब'ता रहा था कि मैं मर्द हूँ. उसे पेट से सटा'कर पेटीकोट पहन और नाडी से लंड पेट पर बाँध लिया.
फिर मैने साड़ी और ब्लओज़ पह'ने. साड़ी दो तीन बार उतारना और पहनना पड़ी पर आख़िर में जम गयी. अंत में सैंडल पह'ने और लिपस्टिक लगा ली. अब प्रीतम के आने का इंतजार था. बेल बजी और मैने धडकते दिल से दरवाजा खोला. प्रीतम चकरा गया कि कहीं ग़लत घर तो नहीं आ गया.
आप कौन? सुकुमार कहाँ है? मैने दरवाजा लगा लिया और उससे लिपट कर चूमते हुए बोला.
हाय सैंया, अपनी रानी को नहीं पहचाना? उस'की आँखों में वासना छलक आई.
क्या दिख'ता है यार तू सुकुमार, सॉरी, मैं कहना चाह'ता था कि क्या दिख'ती है तू माधुरी रानी, एकदम ब्यूटी क्वीन. साला प्रदीप, अब देख'ता हूँ कैसे शादी नहीं करता! कह'कर वह मुझे खींच कर पलंग पर ले गया और मुझे पटक कर मुझ पर चढ कर मुझे बेतहाशा चूम'ने लगा. जल्द ही उसका तन्नाया लंड मेरी गान्ड में था.
दो घंटे बाद जब वह रुका तो लस्त हो गया था. दो बार उस'ने मेरी गान्ड मारी थी. मुझे पूरा नंगा नहीं किया था, ब्रा और पैंटी रह'ने दिए थे. मेरा अर्धनग्न रूप उसे बहुत उत्तेजक लग रहा था. पैंटी में छेद कर'के उसीमेंसे उस'ने मेरी गान्ड मारी थी. जब उस'ने मेरी गान्ड में से लंड निकाला तो मैं उसे मुँह में लेता हुआ बोला.
अपनी रानी की प्यास नहीं बुझायेँगे क्या स्वामी? मैने कब से पानी नहीं पिया. आपका इंतजार कर'ती रही. मैं जान बूझ कर घर की बहू जैसा बोल रहा था. मेरा सिर पकड़'कर पेट पर दबाते हुए वह मेरे मुँह में मूत'ने लगा.
पेट भर कर पी मेरी जान. मैं भी दिन भर नहीं मूता. सुबह जल्दी में तुझे पिलाना भूल ही गया. मेरा लंड अब बुरी तरह से खड़ा था. प्रीतम ऑंढा लेट गया और मैं उस पर चढ'कर उस'की गान्ड मार'ने लगा. आईने में यह द्ऱुश्य बड ही कामुक दिख रहा था कि एक युव'ती एक जवान मर्द की गान्ड मार रही है. प्रीतम भी उत्तेजित होकर बोला.
मा की याद दिला दी तूने. उस'के पास भी दो तीन डिल्डो हैं. जब मूड में आ'ती है तो मेरी या प्रदीप की गान्ड मार लेती है. आज तुझसे मरवा कर ऐसा लग रहा है जैसे उसीसे मरवा रहा हूँ. रात को दो बार और उस'ने मेरी मारी. इस बार मुँह में चप्पल ठूंस कर मेरी गान्ड को उस'ने चोदा. आज मेरे मुँह पर रब्बर बैंड लगा'ने की भी ज़रूरत नहीं पड़ी. मैं वैसे ही उस'की चप्पल चबा चबा कर खा गया. मेरा लंड चूस कर आख़िर उस'ने मुझे झड़ाया और फिर प्यार से मेरा मूत पिया. सोने के पहले वह बड़े प्यार से बोला.
तू करीब करीब पास हो गया है यार परीक्षा में. बस एकाध और चीज़ बची है जिससे मुझे पता चल जाएगा कि तू सच में हमारी दासी बन'कर रह लेगा. मैं जान'ता था. मन ही मन बोला कि सुबह तक रुक मेरे राजा, तुझे पता चल जाएगा कि मैं तुझ से कितना प्यार कर'ता हूँ.
यार का हालुआ
सुबह हम देर से उठे. रविवार था. मेरी नींद जल्दी खुल गयी थी. पड़ा पड़ा मैं प्रीतम के नितंब सहला'ने और चूम'ने लगा. उस'की गुदा को चूमा तो वह जाग गया. वह कुच्छ देर मज़े से गान्ड चुसवाता रहा, फिर उठ कर बैठ गया. चप्पल पहन'कर जब बाथ रूम जा'ने लगा तो मैं भी साथ हो लिया. अंदर पहुँच कर वह बोला.
तू क्यों आ गयी रानी? तेरा अभी काम नहीं है. जा सो जा, मुझे टट्टी करनी है. मेरी ओर वह बड़े गौर से देख रहा था. उस'की आँखों में एक उत्तेजना थी और अपना लंड कस कर मुठिया रहा था. मैं अब भी नारी रूप में था. ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी और विग भी लगाया हुआ था. मैं उस'के साम'ने ज़मीन पर बैठ गया और झुक कर उस'के पैर चूम'ने लगा.
मेरे स्वामी, मुझे माफ़ कीजिए. मुझसे बड़ी गल'ती हुई है. पैर उठा'कर मेरे गालों को अप'ने अन्गूठे से कुरेद'ता हुआ वह बोला.
क्या हुआ रानी? मुझे तो बता. इत'ने दिन आप'के शरीर की यह अमूल्य भेंट मैने बरबाद की है. आज से नहीं कर'ने दूँगी. इसपर मेरा अधिकार है. मैं आप'के शरीर से निकली हर चीज़ खाना चाह'ती हूँ. मेरा यह कर्तव्य है. मेरे स्वामी, मेरे मुँह में टट्टी करो, मुझे खिलाओ अपनी गान्ड का माल, मेरे लिए यह सोने से ज़्यादा कीम'ती है मेरे यार. मेरी यह कामुक बातें सुन'कर प्रीतम वासना से काँप'ने लगा.
सच कह'ता है यार? देख, एक बार शुरू करेगा तो हमेशा करना पड़ेगा. फिर मैं नहीं सुनूँगा तेरी, ज़बरदस्ती किया करूँगा. हाथ पैर बाँध कर तेरे मुँह पर बैठ जाऊँगा मैने ज़मीन पर लेटते हुए कहा.
क्रमशः................
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