RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
यार बना प्रीतम - भाग (16)
गतान्क से आगे.......
मैं उससे चिपट'कर अप'ने पति की गान्ड मार'ने लगा. मेरी चूचियाँ उस'की पीठ पर दब रही थी. उससे प्रदीप को भी मज़ा आ रहा था. प्रदीप भी मुझे हिम्मत दे रहा था.
मार रानी, मार मेरी गान्ड . मा ! मैं पहला पति होऊँगा जिस'ने सचमुच के लंड से अप'नी पत्नी से गान्ड मरवाई है! तीव्र सुख के साथ मैं अचानक झड गया और रोने लगा. रुलाई खुशी की भी थी और इस अफ़सोस से भी थी कि और देर मैं यह सुख नहीं ले पाया. मा ने मुझे दिलासा दिया.
बहू अब तू रोज मार सक'ती है तू. दिल छोटा ना कर, तेरा ही आदमी है, कभी भी इस'की गान्ड मार लिया कर. तुझे ना थोड़े कहेगा! ऐसा किया कर कि रोज इस'की टट्टी खा'कर इस'की गान्ड मारा कर. बहुत मज़ा आएगा. और कल से अब मैं टट्टी कर'ने का टाइम टेबल बना रही हूँ, आख़िर तीन तीन गान्डो का सवाल है. टट्टी खा'ने के बाद बहू का हक होगा उस गान्ड पर अगर वह मारना चाह'ती हो. प्रीतम तू आज बच गया. चल कल मरा लेना. फिर वे अप'ने दोनों मस्ताये बेटों से बोलीं.
अब बहू को स्नान कर'ने दो, सॉफ होने दो. बाद में इसे इस घर के तौर तरीके सीखा देंगे. एक टाइम टेबल भी बनाना है. प्यारी आ'टी होगी. उसे कहूँगी बहू को नहला दे. किसीने बाथ रूम का दरवाजा खटखटाया. माजी बोली.
लो प्यारी आ गयी. आ जा चंदा, तेरी ही राह देख रहे थे. दरवाजा खुला और पैंतीस की उम्र की एक साँवली भरे पूरे बदन की औरत अंदर आई. एकदम सेक्सी और देसी माल था. बड़ा सिंदूर, आधी खुली चोली जिस'में से बड़े बड़े मम्मे दिख रहे थे, और गाँव की स्टाइल में बाँधी साड़ी जिस'में से उस'की मोटी चिकनी टाँगें दिख रही थी. होंठ पान से लाल थे. मुझे घूरते हुए वह बोली.
तो ले आए बहू को? मैं तो मरी जा रही थी देख'ने को पर आप ने कहा कि सुहागरात के बाद ही आना इस'लिए कल रात ऐसे ही सदका लगा'कर सब्र कर लिया. बड़ी सुंदर है बहू, कितनी चिकनी है, कोई कह नहीं सक'ता कि लड़का थी, बस इस लंड से पता चल'ता है. लंड तो बहुत प्यारा है दीदी. और मम्मे? मैं तो वारी जाउ, क्या चूचियाँ हैं? पर बड़ी मसली कुचली और थ'की लग रही है बहू रानी. लग'ता है खूब मस्त सुहागरात हुई है दीदी. और हंस'ने लगी. माजी मुझे बोली.
बहू, यह है चंदा. हमारी नौकरानी है पर घर की है. इससे कोई बात छिपी नहीं है. मेरी ख़ास सहेली है. हम दोनों ने बहुत मज़ा किया है, अब तेरे साथ और करेंगे. आज से यही तेरा ख़याल रखेगी. तुझे हमारे भोग के लिए तैयार किया करेगी. इसका भी तुझ पर इतना ही हक है जितना हमारा. इसका कहा मानना. प्यारी तू बहू को नहला दे और तैयार कर. फिर बहू को सब समझाना है
मुझे प्यारी के सुपुर्द कर'के वे तीनों चले गये. जाते जाते प्रदीप उस'की चूची दबा कर बोला.
अब चढ मत जाना बहू पर प्यारी बाई, हम'ने काफ़ी ठुकायी की है!
अरे तू जा ना! मैं देख लूँगी बहू के साथ क्या करना है उलाहना देकर उस'ने सब को बाहर निकाला और दरवाजा लगा लिया. फिर कपड़े उतारते हुए बोली.
आओ बहू रानी तुम्हें नहला दू. पेट तो भर गया ना? कब से तैयारी हो रही थी तुम्हें खिला'ने पिला'ने की. कह'कर वह एक कुटिल हँसी हँसी और मेरी चूची ज़ोर से मसल दी. मैं कराह उठा. लग'ता है वह भी अपनी मालकिन और उस'के बेटों जैसी दुष्ट थी. पर थी बड़ी सेक्सी.
उस'के मोटे मम्मे, घनी झाँटें और तगडी जांघें देख'कर मेरा लंड उच्छल'ने लगा.
ओहो, तो मैं पसंद आई बहू रानी को! मुझे भी तू बहुत पसंद है बहू, बस अप'ने आप को मेरे हवाले कर से, देख मैं तुझे कहाँ से कहाँ ले जा'ती हूँ. चल अब नहा ले
प्यारी ने मुझे खूब नहलाया. मेरे बदन की मालिश की, मेरे बॉल धोए और अंत में मेरा लंड चूस डाला. दो मिनिट में मुझे झाड़ा'कर मेरा वीर्य पीकर वह उठ खड़ी हुई. मैं ना न करते रह गया क्योंकि मुझे डर था कि उन लोगों को पता चल गया कि मैं झड गया हूँ तो ना जा'ने क्या करें. प्यारी ने मुझे दिलासा दिया.
बहुत स्वाद है तुझ'में बहू. तू मत डर, किसी को पता नहीं चलेगा, अभी तुझे फिर मस्त कर देती हूँ, और पता चल भी जाए तो क्या, मेरा भी हक है तेरे बदन पर. अब चल, मेरी बुर चूस, तेरी सास तो दिवानी है इसकी, तू भी चख ले. फिर दूध पिला'ती हूँ तुझे मेरे चेहरे पर के भाव देख'कर वह हंस'ने लगी.
अरे तेरे पति को, तेरे देवर को मैने ही तो पिलाया है. अब भी पीते हैं बदमाश, जो बच'ता है उन'की मा पी लेती है. अब बैठ नीचे. मुझे नीचे बिठा'कर वह मेरे मुँह में अपनी चूत देकर खड़ी हो गयी और मुझे चूस'ने को कहा. एकदम देसी माल था उसका, चिपचिपा और तीव्र गंध वाला. उस'की बात सच थी. उस'की चूत चूस कर मेरा फिर ऐसा खड़ा हुआ जैसे बैठा ही ना हो.
फिर उस'ने प्यार से वहीं बाथ रूम के फर्श पर बैठ'कर मुझे गोद में लिया और अपना दूध पिलाया. एकदम मीठा और गरम दूध था. मैं तो निहाल हो गया. उस'की मोटी चूची पकड़'कर बच्चे जैसा उसका स्तनपान कर'ने लगा. दोनों स्तन आधे आधे पीला कर प्यारी ने मेरा बदन पोंच्छ कर जल्दी जल्दी साड़ी और चोली पहनाई. मेरे होंठों पर लिपस्टिक लगाई और माग में सिंदूर भरा
ब्रा बाद में पहन लेना. अभी काम है. चल बाहर, सब इंतजार कर रहे होंगे.
मेरी जिंदगी कैसी होगी
बाहर सब नहा धोकर मेरी राह देख रहे थे. आओ बहू, बहुत सुंदर लग रही हो. प्यारी ज़रा नज़र उतार देना मेरी बहू की. बहू अब तुझे समझा'ती हूँ कि तेरा दिन भर का क्या टाइम टेबल है. तुम लोग भी सुनो. माजी फिर मुझे गोद में बिठा'कर चूमते हुए बोली.
बहू, तेरा काम है सिर्फ़ संभोग, दिन रात हमसे चुदवाना और गान्ड मरवाना और जैसा हम कहते हैं वैसा करना. जब कोई चाहेगा , तुझे जैसे मन आए भोग लेगा. और हमारे लिए अपना मुँह हमेशा तैयार रखना. हम उस'में जो दें, वह प्यार से प्रसाद समझ कर खाना. मैं दिन भर घर में रह'ती हूँ इस'लिए मेरी सेवा तो तू हमेशा करेगी. प्रदीप सुबह काम पर जाता है और दोपहर में आता है. सुबह वह तुझे अपनी टट्टी खिला'कर और मूत पीला कर नाश्ता करा'कर जाएगा. जा'ने से पह'ले जैसे चाहे तुझे चोद लेगा. उस'के बाद तेरा नहाना धोना होगा. प्यारी तुझे नहलाएगी और तैयार करेगी. तेरी चूची में दिन में तीन चार बार दूध भी वही भरेगी. इस'के बाद प्रीतम तुझे दोपहर तक चोदेगा. मैं तो रहूंगी ही. दोपहर को प्रीतम अपनी गान्ड से तुझे खाना खिलाएगा और फिर काम पर जाएगा.
प्रदीप आ'कर सो जाएगा कि रात को तुझे ठीक से चोद सके. दोपहर को तू मेरी सेवा करेगी. प्यारी भी अपनी सेवा तुझसे कराएगी. मैं रात का खाना तुझे खिलाऊँगी बेटी, अपनी गान्ड में से मस्त टट्टी दूँगी तुझे. प्रीतम भी आ'कर आराम कर लिया करेगा. फिर हर रात तेरी ठुकायी होगी जैसे कल सुहागरात में हुई थी. हम तीनों मिल'कर तुझे चोदा करेंगे. आज से प्यारी भी अब साथ रहा करेगी. जब भी किसी भी कारण से तू खाली रहे, वह तुझे चोद लिया करेगी. तुझे यह भी अपनी गान्ड से खिलाएगी फिर कोई भी अपनी गान्ड में इसे फिट कर'के तुझे अपनी टट्टी खिला सक'ता है मैं डरते डरते बोला.
पर स्वामी, माजी, देवराजी, मैं तो खुद बड़े चाव से आप'की टट्टी खा'ती हूँ, हमेशा तैयार रह'ती हूँ. इस'की ज़रूरत क्या है?
ज़रूरत क्यों नहीं है रानी प्रदीप अपना लंड मुठियाता हुआ बोला.
मान लो मुझे, मा और प्रीतम को और प्यारी को भी एक साथ एक ही समय तेरे मुँह में हगाना हो तो तू ले नहीं पाएगी. मुँह बंद कर लेगी. ऐसे में ये यंत्र फिट कर'के तुझे तीन क्या, दस लोगों की टट्टी खिला सकते हैं ज़बरदस्ती. मान लो मा ने कभी अपनी सहेलियों को बुलाया रात को, तेरी मुँह दिखाई को, वे कभी कभी अपनी सहेलियों के साथ चुदाई का रतजगा कर'ती है. अब तो सोने में सुहागा हो जाएगा. औरतें तुझे आशीर्वाद के साथ साथ अपनी गान्ड का प्रसाद भी देना चाहेंगी, तब तुझे इतनी औरतों की टट्टी खिला'ने के लिए ये ज़रूरी होगा.
और एक बात है, तू मस्त रह'ती है तो खुद खा'ती है. एक बार तुझे खूब झड कर तेरी मस्ती गायब करके, तुझे चप्पालों से खूब पीट कर, तेरी सारी मस्ती उतार'कर फिर मैं तेरे मुँह में हगाना चाह'ता हूँ. तब पता चलेगा कि मेरी, अप'ने पति की या फिर मा या प्रीतम की टट्टी तुझे कैसी लग'ती है? तब तू नहीं खाएगी अप'ने आप, तब ये यंत्र काम आएगा. मैं डर'के रोने लगा. मा'ने मुझे पुचकारते हुए कहा.
रो मत बहू, आज थोड़े ना कर'ने वाले हैं. ये तो तुझे ब'ता दिया कि किसी दिन करेंगे. और एक बात है, वो जानवरों वाली पुस्तक तो लाना प्रीतम बेटा! प्रीतम जा'कर एक किताब ले आया. मेरी ओर देख'कर वह मंद मंद मुस्करा रहा था.
माजी ने किताब खोली और मुझे चित्र दिखा'ने लगीं. उन'में जानवरों और इंसानों के संभोग के चित्र थे. औरतों को चोदते कुत्ते या घोड़े, जानवरों के लंड चूसते स्त्री पुरुष और अंत में बाँध कर रखे किशोर लड़कों और लड़कियों को चोदते हुए जानवर. उस'में कयी छोकरे और छ्हॉकरियाँ डर और दर्द से रो भी रहे थे और कुच्छ बड़ी वासना से मस्ती में दिख रहे थे. कहीं कहीं तो एक किशोर या किशोरी पर तीन तीन चार चार जानवर चढये हुए थे. हर छेद में एक लंड था. एक चित्र में एक जवान खूबसूरत पुरुष की गान्ड में घोड़े का लंड घुसा हुआ था!
हम सोच रहे थे कि कुच्छ जानवर पाल लेना. प्रदीप दो माह बाद जा'कर खरीद लाएगा. इंसानों से रति कर'ने के लिए सीखे सिखाए मिलते हैं ऐसा मैने सुना है. सोच रहे हैं कि तीन चार बड़े कुत्ते और एक घोड़ा पहले ले आएँ. ह'में कबसे उत्सुक'ता है कि जानवरों के साथ रति करें. पर डर भी लग'ता है. अब तू आ गयी है तो पहले तुझे चुदवायेन्गे कुत्तों से और घोड़े से. तुझे उनका लंड चूस'ने पर मजबूर करेंगे. उत्तेजना से अब माजी अपनी बुर में उंगली कर रही थी. प्रदीप और प्रीतम भी ज़ोर ज़ोर से साँसें भरते हुए अप'ने लंड मुठिया रहे थे.
बड़ा मज़ा आएगा जब तीन कुत्ते तुझ पर चढ़ाएँगे. एक गान्ड मारेगा, एक लंड चूसेगा और एक मुँह चोदेगा. वैसे कुतिया भी ला सकते है कि तेरे लंड को उस'की चूत में दे दें या किसी कुत्ते की गान्ड में डाल दें. घ्होडे से तेरी गान्ड ज़रूर मरवाएँगे. और तू सही सलामत बच गयी तो फिर मैं भी चुदवा कर देखूँगी. प्रदीप से बड़ा लंड अब सिर्फ़ अरबी घोड़े का ही मिलेगा मुझे! हम लोग भी शुरू हो जाएँगे. तेरे साथ उन जानवरों की फिल्म निकाल'ने का भी प्लान है, बहुत पैसे मिलेगे. हमारी बहू हमारे लिए पैसे भी कमाएगी. मैं डर और वासना से बेहोश होने को था. रुलाई भी छूट रही थी और लंड तन कर उच्छल भी रहा था. मा बोलीं.
बहू को बात पसंद आ गयी, देखो कैसी खुश है!. चल बहुत हो गया. प्यारी जा, उसे तैयार कर. प्रीतम और प्रदीप के लंड अब फट जाएँगे बहू को नहीं चोदा तो. देखा बहू तू कित'ने प्यारे परिवार में आ गयी है! और सुन, आज चोद'ने के पहले सब मिल'कर ज़रा चप्पालों से उस'की पिटायी करो. कल पिटायी नहीं हुई थी उसकी, बुरा मान जाएगी, बोलेगी कैसी ससुराल है जहाँ मन भर के पिटायी भी नहीं होती बहू की. आज सटासट चप्पलें लगा लगा कर उसे पहले कुचल डालो, इतना पीटो की इसका कोमल शरीर गुलाबी हो जाए, फिर चढ जाना! वैसे वे रबड के कोडे भी पड़े हैं, कल इसे उलट लटक'कर इस'की सुनताई करना, मुँह में चप्पल भर देना कि चीख ना पाए.
प्यारी मुझे पकड़'कर ले गयी और मैं अपनी अगली जिंदगी के बारे में सोच'ता सिसक'ता हुआ खिंचाखींचा उस'के पीछे चल दिया.
तो दोस्तो कैसी लगी ये मस्त कहानी आप लोगो को बताना ज़रूर आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
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