RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
जब मैने विशम्भर को भेज के दरवाज़ा बन्द कर रहा था तो सामने से एक बडा मादक लौंडा आता दिखा! वो कुछ नये से अन्दाज़ में इधर उधर देख रहा था और उसके कंधे पर एक बैग टंगा था! यही कोई 17-18 साल का चकाचक पीस था जो एक सुंदर सा मल्टी कलर्ड स्वेटर और ब्राउन कार्गो पहने था! मस्त सा देसी चिकना था जिसके चेहरे पर अभी बाल भी नहीं आये थे और आँखों मदमस्त भूरी थीं! उसने मुझसे गौरव के बारे में पूछा, जो मेरे रूम के ऊपर वाले रूम में सैकँड फ़्लोर पर रहता था! वो लडका चला गया मगर मैने उतनी सी देर में उसके जिस्म के हर कटाव को देख-पढ लिया!
अभी मैं दरवाज़ा बन्द करके लौटा ही था कि फ़िर नॉक हुआ! खोला तो पाया, वही लडका था!
'गौरव तो शायद है नहीं, क्या मैं कुछ देर यहाँ बैठ जाऊँ?' वो जब कमरे में आकर मेरी पलँग पर बैठा तो मैने पाया कि वो उससे कहीं ज़्यादा खूबसूरत था, जितना मुझे पहली नज़र में लगा था! मैने उसको जी भर के निहारा! काफ़ी देर होने पर भी गौरव नहीं आया!
'चिन्ता मत करो, यहीं सो जाना...' मैने उसको आश्वासन दिया!
'ये रह कहाँ गया?'
'पता नहीं, मुझे तो कभी कभी मिलता है...' उस नये लडके का नाम निशिकांत शुक्ला था और वो उन्नाव से इंजीनीरिंग डिप्लोमा के फ़ॉर्म्स लेने आया था मगर उसको ये नहीं मालूम था कि गौरव तो तीन दिन के लिये अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ शिमला गया हुआ था! उसकी मौजूदगी में विशम्भर का आना भी बेकार था सो मैं उसके साथ ढाबे पर चला गया! वहाँ असद मिला तो मैने उससे हाथ मिलाया!
'कहाँ हो यार, तुम तो दिखे ही नहीं...'
'बस ऐसे ही काम में लगा हूँ...' ना उसकी बातों से और ना मेरी बातों से हमारे बीच बने उस नये सम्बन्ध की झलक दिखी!
मैने और निशिकांत ने साथ में खाना खाया! वो खाते हुये भी सुंदर लग रहा था! हमारी टेबल पर विशम्भर खाना ला रहा था! मैने धीरे धीरे निशी से सैक्सी बातें शुरु कर दी थीं और वो भी खुलने लगा था जिससे मुझे उसकी हरामी गहरायी का पता चलने लगा था! लौंडा शातिर था, तभी सामने से एक लडकी जीन्स पहन के निकली तो वो बोला!
'देखो साली की गाँड देखो... साली के छेद में सुपाडा भिडा देंगे तो साँस रुक जायेगी!'
'हाँ यार, बढिया माल है...'
'हाँ साली गाँड उठा उठा के चूत देगी... रात भर में ही साली को लोड कर देंगे...'
वो खूब मस्ती से सैक्सी बातें कर रहा था! फ़िर जब हम रूम पर आये तो हमने सिगरेट पी!
'यार लगता है, आज तुमको यहीं सोना पडेगा...'
'अब क्या करें यार... तुम्हें दिक्कत तो नहीं होगी?'
'नहीं साथ में सो जायेंगे...' मेरे ये कहने पर वो चँचलता से मुस्कुराया!
'ध्यान से सोना पडेगा...'
'जाडे में सही रहता है...'
'हाँ, मगर गर्मी चढती है तो डेंजर हो जाता है...'
'तो क्या हुआ?'
'अभी तो कुछ नहीं हुआ, मगर वॉर्निंग दे रहा हूँ...'
'बेटा डरायेगा तो सोयेगा कहाँ? बाहर सडक पर?' मैने हँसते हुए कहा!
'हाँ यार... सोना भी है... मजबूरी है..'
तेज़ ठँड थी! उसने बाथरूम में जाकर कपडे चेंज किये और ठिठुरते हुये शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहन के आया और रज़ाई में घुस गया!
'यार, गाँड फ़ाडू सर्दी है आज...' मैने बाथरूम में चेंज करने गया और देखा कि उसकी कार्गो दरवाज़े के पीछे खूंटी पर टंगी है! उसके अंदर उसकी चड्डी थी, ब्लैक फ़्रैंची... मुझसे रहा ना गया और मैने उसकी चड्डी हाथ में लेकर उसमें मुह घुसा के उसकी जवानी की खुश्बू सूंघी और मस्त हो गया! लौंडों की चड्डियाँ सूंघना मेरा पुराना शौक़ है! शायद उसका लँड खडा भी हुआ था क्योंकि उसकी चड्डी पर एक दो हल्के सफ़ेद धब्बे भी थे! मैने उनको ज़बान से चाटा और फ़िर अपनी शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहन के बाहर आ गया और सर्दी का ड्रामा करते हुए जब रज़ाई में घुसा जो उसकी जवानी की गर्मी से पहले ही गर्म हो चुकी थी! कुछ देर में हम दोनो ही गर्म हो गये और हमने रूम की लाइट ऑफ़ कर दी मगर फ़िर भी बाहर से काफ़ी लाइट आ रही थी!
कुछ देर तो हम सीधे लेटे रहे, फ़िर जब एक दूसरे की तरफ़ करवट ली तो एक दूसरे की साँसें एक दूसरे के चेहरे को छूने लगीं! उसकी साँस में मस्त खुश्बू थी, देसी जवानी की! वो मुझे बेक़ाबू कर रहा था! हमारे पैर भी आपस में टच कर रहे थे! निशिकांत का जिस्म गदराया और गर्म था! अभी मैं सम्भल भी नहीं पाया था कि उसने एक करवट ली और अपनी एक जाँघ मेरी कमर पर चढा के अपना एक हाथ मेरे पेट के अक्रॉस रख दिया! मुझे उस शाम पहली बार उसकी ताक़त का आभास हुआ! वो मेरे ऊपर अपना वज़न दिये हुए था! मैने उसको छेडा नहीं और उसकी उस पकड का मज़ा लेता रहा! मैं चित्त लेता था और वो करवट से! उसकी जाँघ मेरे लँड से कुछ ही दूर थी, मेरा लँड खडा होने की कगार पर था! मैं भी चुपचाप लेटा सोने का नाटक करता रहा! उस करवट में उसका मुह भी मेरी गर्दन पर साइड से बहुत नज़दीक आ गया था जिस से उसकी गर्म साँस मेरी गरदन से टकरा रही थी!
कुछ देर बाद निशिकांत ने अपना पैर मेरे ऊपर कुछ और चढाया! अब उसकी जाँघ सीधे मेरे लँड पर आ गयी और अब मैं लँड के ठनकने को नहीं रोक पाया! मैने सोचा सोने का ड्रामा करता रहता हूँ, अगर वो उठ के मेरे लँड को खडा पायेगा तो खुद ही पैर हटा लेगा! मगर मुझे तो अब नींद आ ही नहीं रही थी! अभी मैं कुछ समझ ही पाता कि अचानक निशी का पैर हिला और मेरे लँड पर उसकी जाँघ हल्के हल्के रगडी! मैने अभी सोचा वो नींद में है! मेरा लँड अब हुल्लाड मार रहा था! इसी बीच उसका हाथ मेरे पेट से नीचे की तरफ़ सरका! उसकी जाँघ हल्के से मेरे लँड से अलग हुई और देखते देखते निशिकांत की हथेली मेरे खडे हुये लँड के ऊपर रगडने लगी! जब उसने अगले कुछ पल में मेरे लँड को अपनी मुठ्ठी में पकड के हल्का सा दबाया तो मेरी समझ में आया कि वो एक्चुअली जागा हुआ है! क्योंकि तब मुझे अपनी कमर पर उसके लँड की गर्मी और सख्ती का भी आभास हुआ! उसने अब अपने लँड को हल्के हल्के धक्कों से मेरी कमर पर रगडना शुरू कर दिया! मैने इस बार अपना हाथ नीचे किया और पहली बार उसके लँड की सख्ती को अपनी हथेली की उलटी तरफ़ महसूस किया और देखते देखते मैने उसके लँड को थाम लिया! उसका लँड जवानी के जोश में हुल्लाड मार रहा था! ज़्यादा मोटा नहीं था मगर सख्त और लम्बा था! मैने कुछ उँगलियों से उसको पकड के नापा और उसके सुपाडे को अपनी उँगली और अँगूठे से दबाया! कुछ देर एक दूसरे का लँड सहलाने के बाद बिना कुछ कहे हम एक दूसरे की तरफ़ पलटे और एक दूसरे से चिपक के भिड गये!
अब माहौल गर्म था! हमने कुछ बात नहीं की मगर मैने सीधा अपने गालों से उसके चिकने गालों को सहलाया, और फ़िर जब मैने अपने होंठ उसके होंठ पर रख कर उनको सहलाया तो उसने मुह खोल दिया और हम एक दूसरे के होंठों को चूम कर चूसने लगे और हमारी ज़बान एक दूसरे से गुँथने लगीं! वो लपक लपक के मेरे होंठ चुस रहा था और भूखे शेर की तरह अपने मुह को मेरे मुह पर दबा रहा था! जब उसने अपना हाथ मेरी गाँड पर रख कर मेरे छेद के पास अपनी उँगलियाँ दबायी तो मैने अपना एक पैर उसके ऊपर चढा के अपनी गाँड उसके लिये सही से खोल दी!
मैने उसके लँड को उसकी शॉर्ट्स के निचले हिस्से से बाहर करके उसको थाम के दबाना शुरु कर दिया! उसने मेरी शॉर्ट्स थोडा नीचे खिसका दी और मेरी गाँड को अपने हाथों से नोचने लगा और मेरे छेद को अपनी उँगलियों से कुरेदने लगा! मेरा छेद तो फ़ौरन खुलने लगा! अब मैं नीचे हुआ और अपना सर उसकी जाँघों के बीच रख दिया! उसने मेरे सर को एक बार कस के जकड लिया! वहाँ उसके पसीने और बदन की मादक खुश्बू थी! मैने उसकी जाँघ पर किस किया और फ़िर ऊपर होकर सीधा उसके सुपाडे को मुह में ले लिया! उसका सुपाडा अपने आप खुल गया और वो मेरे मुह को चोदने लगा! इस बीच मैने उसकी शॉर्ट्स सरका के उतार दी और फ़िर खुद भी नँगा हो गया! फ़िर वो मेरी छाती पर चढ गया और मुझसे अपना लँड चुसवाने लगा! मैने वैसा करने में उसकी गाँड की दोनो फ़ाँको को पकड के दबाना शुरु कर दिया! फ़िर वो पलट के बैठ गया, अब उसकी गाँड मेरे मुह की तरफ़ थी! उसने उसी पोज़िशन में अपना लँड अड्जस्ट करके मेरे मुह में डाला और मेरे ऊपर झुक गया! कुछ देर में मुझे अपने सुपाडे पर जब उसके होंठ महसूस हुए तो मेरी गाँड भी उठने लगी और मैं उसके गर्म मुह का मज़ा लेने लगा! उसने अपने हाथों को मेरे चूतड के नीचे फ़ँसा के मेरी गाँड दबाना शुरू कर दी! फ़िर उसने मुझे पलट दिया और जब पहली बार मेरी गाँड को किस किया तो मैं मचल गया और मेरी गाँड बेतहाशा कुलबुला गयी!
उसने मेरी गाँड को फ़ैला रखा था और फ़िर उसने आराम से मेरी गाँड की फ़ाँकों के बीच की दरार में अपना मुह घुसा दिया और साथ में एक उँगली को मेरे छेद पर दबाने लगा! अब वो कभी मेरे छेद को किस करता कभी उसमें उँगली करता! उसकी उँगली धीरे धीरे मेरे छेद में घुसने लगी!
'तेल है?' उसने पहली बार कुछ कहा!
'हाँ सामने टेबल से ले ले...' उसने बस एक पैर नीचे उतार के टेबल से चमेली के तेल की बॉटल उठा ली! फ़िर तो उसकी उँगली सटासट मेरे छेद में घुसने लगी!
'चढ जाऊँ ऊपर?' वो कुछ देर बाद फ़िर बोला!
'हाँ चढ जा ना...' मैने कहा! उसने अपने लँड पर तेल लगाया और जब मैने उसको देखा तो उसका चिकना और गोरा शरीर दमक रहा था! उसकी छाती के और बाज़ुओं के कटाव साफ़ दिख रहे थे! फ़िर उसका सुपाडा सीधा मेरे छेद पर आकर टिका तो मैने कसमसा कर सिसकारी भरते हुए अपने छेद और गाँड को भींच लिया! उसने अपने लँड को हाथ में लेकर मेरी दरार पर एक दो बार दबा दबा के पूरा रगडा! वो कमर से शुरु होकर सीधा मेरे आँडूओं की जड तक अपना लँड रगडता! मेरी गाँड अपने आप ही मस्त होकर उचक जाती और जाँघें फ़ैल जाती! उसने रुक कर मेरी जाँघ का पिछला हिस्सा, चूतड और कमर रगड के दबाये!
'अआहहहह... नि...शी... अआहहह... सी.. उउउहहह...' मैं सिर्फ़ सिसकारी भरता!
उसने फ़िर अपने उलटे हाथ से अपने लँड को पकड के मेरे छेद पर लगाया और दूसरे हाथ की एक उँगली और अँगूठे से मेरे छेद को फ़ैलाया और जब दबाव दिया तो पहले से ही मस्त हो चुकी मेरी गाँड कुलबुला गयी और उसका सुपाडा मेरे छेद में समा गया! इस बार उसने भी मस्ती से भर के सिसकारी भरी!
'अआहहह... सु...उहहह... सु..हहह...' और अपने लँड पर ज़ोर बढा कर उसको धीरे धीरे करके तब तक दबाता रहा जब तक वो पूरा का पूरा मेरी गाँड के अंदर नहीं घुस गया! फ़िर उसने अपने दोनो हाथों से मेरे कंधे पकड लिये और अपने गालों को पीछे से मेरे गालों के बगल में लाकर चिपकाता रहा और हल्के हल्के धक्के देकर मेरी गाँड चोदना शुरु कर दी! उसके हर धक्के में अच्छी देसी ताक़त थी! मेरी गाँड तुरन्त भरपूर ठरक में आ गयी! मैं भी उससे गाँड उठा उठा के चुदवाने लगा! उससे धक्कों में इतनी ताक़त थी कि कुछ देर में कमरे में चुदायी की चपाचप चप चपाचप गूँजने लगी और साथ में हम दोनो की सिसकारियाँ...
वो जब थक जाता तो वैसे ही गाँड में लँड डाले डाले ही मेरे ऊपर पस्त होकर लेट जाता! वैसे ही लेटने में उसने कहा!
'मज़ा आ रहा है ना?'
'हाँ यार बहुत...'
'देख, कैसे किस्मत से मिल गये...'
'हाँ वो तो है...'
'ओए यार, किसी से ये सब बताना नहीं... पता चले कि तू गौरव से कह दे... साला पूरे में फ़ैला देगा... ये सब मैं बस चुपचाप करता हूँ...'
'कहूँगा क्यों यार... मैं भी चुपचाप करता हूँ और वैसे भी गौरव से ज़्यादा दोस्ती नहीं है...'
सुस्ताने के बाद उसने फ़िर मेरी गाँड मारना शुरु कर दिया!
'साली सारी थकान मिट गयी... थकान मिटाने का बेस्ट तरीका है...'
'हाँ, पूरी एक्सरसाइज़ हो जाती है...'
'चल राजा, थोडी गाँड ऊपर उठा... कुतिया की तरह...' मैने उसके ये कहने पर अपने घुटने मोड के गाँड पूरी ऊपर उठा दी! उसने फ़िर अपने एक हाथ से चप चप एक दो बार मेरी गाँड पर अपनी हथेली मारी!
'वैसे तेरी चिकनी है...'
'थैंक्स यार...' उसके बाद वो मेरी गाँड के पीछे घुटनो के बल बैठा और फ़िर लँड मेरी गाँड के अंदर बाहर करने लगा! उस रात उसने काफ़ी देर चोद चोद के मेरी गाँड को मस्त कर दिया! फ़िर वैसे ही चिपक के मेरे साथ नँगा सो गया! जब सुबह मेरी आँख खुली तो तो वो बाथरूम में नहा रहा था! उस सुबह हमने पिछली रात की कोई बात नहीं की, बस एक दो बार हसरत भरी नज़रों से एक दूसरे को देखा!
उस दिन हम साथ ही निकले! मैने उसको बस पकडवा दी और लौटने का टाइम फ़िक्स कर लिया और खुद अपनी क्लासेज़ के लिये चला गया! उस दिन कॉलेज के गेट पर घुसते ही धर्मेन्द्र मिल गया! उस दिन उसने जब मुस्कुरा के मुझसे हाथ मिलाया तो उसकी पकड और उसकी नज़रों में जानी पहचानी ठरक थी! इन्फ़ैक्ट वो अब मुझे भी बहुत ज़्यादा सैक्सी लग रहा था! उस दिन से धर्मेन्द्र और मैं भी ठरक के कारण क्लोज़ आने लगे थे! उसको देखते ही मेरा मन तो कर रहा था कि उसको नँगा करके उसके सामने नँगा हो जाऊँ मगर कॉलेज में बना के रखनी पडती है! बातों बातों में पता चला कि धर्मेन्द्र को उस दिन 11 बजे स्पोर्ट्स प्रैक्टिस के लिये जाना था! वो कॉलेज की वॉलीबॉल टीम में खेलता था! मैने फ़िर उसके मज़बूत हाथ देखे जो वॉलीबॉल खेल कर मस्त गदरा गये थे! बीच बीच में मुझे निशिकांत के साथ गुज़ारी हुई रात भी याद आती रही!
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