RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
अब तो आकाश और मैं एक दूसरे की तरफ़ बडे प्यार से देखते थे! मगर वो उसके आगे कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था! खैर फ़िलहाल के लिये उतना ही काफ़ी था! अगले दिन जब मैं लौटा तो नुक्कड पर दीपयान, दीपू और राजू खडे थे! मुझे देख के उनमें कुछ खुसर फ़ुसर हुई! साले आपस में मुस्कुराये और फ़िर मुझे देख के भी मुस्कुराये! राजू का हाथ उसके लँड तक गया! तीनों एक दूसरे को कोहनी मार रहे थे, मगर कुछ बोले नहीं!
फ़िर कुछ दिन बाद लोहडी आयी तो विनोद ने सभी लडको को अपने घर इन्वाइट किया! हम करीब 12 लडके उसके घर पहुँचे! वहाँ बडा सा बोन-फ़ायर था जिसके चारों तरफ़ लोग खूब मस्ती कर रहे थे! हम सब वहाँ नाचने लगे! ढोल बज रहा था! आकाश भी था, जो कालका से टूर्नामेंट जीत के वापस आया था! विनोद, इमरान, कुणाल सभी थे! उस दिन तो सभी फ़न के मूड में मादक लग रहे थे और हाथ उठा उठा के, गाँड मटका मटका के नाच रहे थे! मैं उनकी मचलती गाँड और थिरकती कमर देख रहा था! कुणाल ने उस दिन एक मस्त सी टाइट कार्गो पहन रखी थी! आकाश ने हल्के से कपडे की व्हाइट कार्गो पहनी हुई थी! विनोद जीन्स में था! इमरान व्हाइट पैंट पहने था! धर्मेन्द्र भी जीन्स में था! अंदर एक रूम में दारु का इन्तज़ाम था! हम सब बारी बारी वहाँ जाकर, एक एक पेग लगाकर वापस आ जाते! समाँ बहुत सुंदर था! विनोद के घर के कुछ ही दूर, यमुना नदी भी थी! आग की रोशनी में सबकी जवानियाँ दहक रहीं थी! वहाँ विनोद के एक दो कजिन्स और मोहल्ले के और लडके भी थे! आँखें सेकने के लिये काफ़ी सामान था! एक से एक जवान जिस्म, थिरकती गाँडें और ताज़े ताज़े लँड! नाचते नाचते करीब 11 बज गये! उस रात कोहरा और सर्दी भी बहुत थे! हम सब पीछे की तरफ़ विनोद के रूम में चले गये और जब उसने ब्लू फ़िल्म लगाने का प्रस्ताव रखा तो महफ़िल और जोश में आ गयी! एक तरफ़ नाचने की थकान, दूसरी तरफ़ शराब का नशा और अब ब्लू फ़िल्म! मज़ा ही मज़ा था! कमरे में अब हम 8 लडके थे... मैं, विनोद, आकाश, कुणाल, इमरान, धर्मेन्द्र, विनोद का कजिन आशित और मोहल्ले का रहने वाला हेमन्त!
सभी हरामी नौजवान थे! हमने कमरे की लाइट्स ऑफ़ कर दी थी! नीचे ज़मीन पर गद्दे डाल दिये गये थे, कुछ रज़ाईयाँ थीं और सामने टी.वी और वी.सी.आर. रखा था... कुछ देर में ब्लू फ़िल्म शुरु हुई और धीरे धीरे जब लौंडों के लँड खडे हुये तो ज़बान बन्द होने लगी! सब चाव से उसमें चलता एक्शन देखने लगे! मेरे सर के पास आकाश लेटा था, मैं उसके पेट पर सर रख कर लेटा था! हर साँस पर मुझे उसका बदन हिलता हुआ महसूस हो रहा था! साथ में शराब का दौर भी चल रहा था और रूम में सिगरेट भी थी! मैने एक हाथ मोड के अपने सर के नीचे रख लिया, मतलब आकाश के पेट और छाती के पास! वो सबसे ज़्यादा चुप था! मेरे बगल में कुछ दूर पर कुणाल था! एक और रज़ाई में धर्मेन्द्र और इमरान थे! उनके पास हेमन्त था! मेरी दूसरी तरफ़ विनोद और आशित दूसरी रज़ाई में थे! सभी हैप-हज़ार्डली लेटे हुये थे! कोई टेक लगा के, कोई तकिया लगा के... कोई दीवार के सहारे, कोई टाँगें फ़ैला के... तो कोई टाँगें समेट के! सबको खडे लँड का मज़ा आ रहा था! मैने ऐसे ही बातों बातों में आकाश के लँड के पास चुपचाप हाथ लगाया तो वो चुप ही रहा, उसका लँड खडा था! हमारे बीच वो बस वाली घटना हुये कुछ समय बीत गया था! मुझे अब यकीन हो चला था कि वो इंट्रेस्टेड है और वो बस वाली बात कोई ऐक्सिडेंट नहीं थी! मेरे पैर कुणाल के पैरों से टच कर रहे थे! कुछ देर में आकाश ने एक रज़ाई उठा के अपने पैरों पर डाल ली, तो अब मुझे उसका लँड सहलाने में आसानी होने लगी!
उधर ब्लू फ़िल्म में धकाधक चुदायी चल रही थी इधर मैं आकाश का लँड उसकी पैंट के ऊपर से दबा के रगड रहा था! फ़िर जब आकाश एक पेग लेने के लिये उठा तो कुणाल भी उसके साथ उठ गया और वापस आने पर कुणाल के कहा कि वो आकाश की जगह लेटना चाहता है!
"क्यों यार?"
"अरे एक जगह बैठे बैठे गाँड दुख गई है... थोडा साइड चेंज होगा... तू इधर लेट जा..."
"अरे यार, मैं आराम से उसके ऊपर सर रख के लेटा था..." मैने कहा!
"अरे तो मेरे ऊपर सर रख के लेट जा... मैं कहाँ मना कर रहा हूँ..." कहकर कुणाल ठीक वैसे ही लेट गया, जैसे आकाश लेटा था और मेरा सर अपनी कमर के पास रखवा लिया और पैरों पर रज़ाई डाल ली! मुझे कुणाल के बदन की गर्मी भी दिल्चस्प लग रही थी! कुछ देर हिलने डुलने के बाद मेरा सर आराम से उसकी जाँघ पर आ गया! उसका एक पैर घुटने पर मुडा हुआ था और वो पैर, जिस पर मेरा सर था, सीधा था! मैने अपना एक हाथ मोड के उसके उठे हुये घुटने पर रख लिया और अपने पैर ऐसे सीधे किये कि वो आकाश की रज़ाई में घुस गये और मैं हल्के हल्के अपने पैरों से उसके पैरों को सहलाता रहा!
फ़िर आदत से मजबूर और नशे में सराबोर, मुझसे रहा नहीं गया! मैने जब अपना सर थोडा पीछे करके हल्का सा ऊपर की तरफ़ किया तो वो सीधा कुणाल के खडे लँड पर जा लगा! उसने कुछ कहा नहीं! कुणाल के लँड में अच्छी सख्ती और अच्छी हुल्लाड थी! साथ में बदन की गर्मी, ब्लू फ़िल्म और शराब का नशा! समाँ रँगीन था! मैने अपना मुह थोडा मोडा तो उसने रज़ाई ऊपर कर ली जिससे मेरा सर रज़ाई के अंदर उसके लँड के ऊपर हो गया! अब मैने अपने गालों को उसके लँड पर दबाया तो उसने जवाब में मेरे बालों में उँगलियाँ फ़िरानी शुरु कर दीं! मुझसे और ना रहा गया और मैने ज़िप के ऊपर से ही उसके लँड पर अपने होंठ रख दिये! उसने मुझे कस के दबोच लिया और मेरा सर अपने लँड पर दबा लिया! हमने ये कुछ देर किया और फ़िर किसी की नज़र पड जाने के डर से मैने रज़ाई से सर बाहर निकाल लिया! अब मैं बीच बीच में रज़ाई में घुस के वही सब बार बार करता! आकाश इस सब में हम पर कडी नज़र रखे हुये था!
फ़िर कुणाल ने विनोद से कहा "ओये वो उस दिन वाली फ़िल्म लगा ना, जिसमें लौंडिया गाँड मरवाती है..."
"ओये वो मेरे पास कहाँ है, वो तो तू ले गया था..."
"अरे हाँ..."
"लाऊँ क्या?" कुणाल बोला!
"जा, देखनी है तो ले आ..."
"लाता हूँ... मेरे घर पर कहीं है... ढूँढनी पडेगी..." कहकर कुणाल उठा और उठते उठते मेरे कान में बोला "चल..." जब मैं उठने लगा तो उसने ज़ोर से कहा!
"ओये अम्बर, साथ चल साले... गली में कुत्ते होंगे... साथ में आराम रहेगा..."
जब हम वहाँ से उठ के बाहर आये तो गली में अँधेरा और सन्नाटा था! बाहर आते ही कुणाल ने फ़िर मेरा हाथ पकड लिया! मैं अब मस्ती में था, मैने जवाब में अपनी उँगलियाँ उसकी उँगलियों में डालकर, अपनी हथेली उसकी हथेली में छिपा के उसका हाथ पकड लिया! हम उसके घर की तरफ़ बढे, मगर बीच रास्ते में उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और मैने उसके कंधे पर हाथ रख लिया और हम वैसे ही चिपक के चलने लगे! चलते चलते अचानक उसका हाथ सीधा मेरी गाँड पर आ गया और मेरी सिसकारी निकल गयी और मैं रुक गया और पास की एक बॉउंड्री के सहारे खडा हो कर अपनी गाँड पर उसके हाथ का मज़ा लेने लगा!
वो सामने से मेरी तरफ़ आया और चिपक के बिना कुछ कहे ऐसे खडा हुआ कि हमारे लँड आपस में दब गये और उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और देखते देखते हमने एक दूसरे के होंठों पर होंठ रख दिये और वहीं गली के अँधेरे हिस्से में मैं और कुणाल मस्ती से चुम्बन का आनन्द लेने लगे! उसकी किस में नमक और शराब की सुगन्ध थी और उसकी किस में कामुकता की ताक़त थी! वो काफ़ी फ़ोर्सफ़ुली मुझे किस कर रहा था और साथ में मेरी गाँड दबोच रहा था! हमने कुछ देर के बाद अपनी किस खत्म की!
"चल यार..." कुणाल ने थूक निगलते हुये कहा, जिसमें शायद अब मेरा थूक भी था!
"चल..." मैने भी अपने थूक के साथ साथ उसका थूक निगलते हुये कहा! मगर हम हाथ पकडे रहे! अब मैने भी उसकी कमर में हाथ डाल कर उसकी गाँड सहलाना शुरु कर दिया था, जो उम्मीद से ज़्यादा मुलायम और गदरायी हुई थी! अपने रूम में घुसते ही उसको वो कसेट मिल गया!
"मुझे तो पता ही था, ये यहाँ है..."
"तो मुझे क्यों लाया?"
"जैसे तुझे नहीं पता??? यार, तेरे साथ लेट कर मज़ा आ गया था ना..." उसने कहा और हम फ़िर एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे! मैने उसका लँड सहलाना शुरु कर दिया और फ़िर उसकी पैंट खोल के उसका लँड बाहर कर लिया तो उसकी उमँग से मैं कमज़ोर हो गया! मैने तुरन्त अपनी पैंट खोली और अपनी चड्डी घुटने पर करके पलट गया और अपनी गाँड से उसके लँड की मालिश करने लगा! उसने मेरे पेट में अपने हाथ डाल कर मुझे उसी पोजिशन में पकडे रखा! उसका सुपाडा मेरे छेद पर बडा मादक लग रहा था और मेरी गाँड खुद-ब-खुद ढीली पड रही थी!
"तू बडी देर से यही चाह रहा था ना?"
"हाँ यार..."
"अंदर घुसा दूँ?"
"हाँ घुसा दे..."
"रुक तेल लगा लूँ..." उसने अपने लँड पर तेल लगाया और फ़िर मुझे झुका के मेरी गाँड पर अपना सुपाडा दबाया! मैने गाँड उसके लिये ढीली की तो उसका सुपाडा एक दो धक्कों में मेरी गाँड के अंदर घुसने लगा!
"अआहहह..." मैं करहाया!
"क्यों दर्द हुआ?"
"नहीं ज़्यादा नहीं..."
"अच्छा बेटा ले" उसने मुझे पकड के अपनी गाँड भींच के मेरी गाँड में अपना लँड हल्के हल्के करके पूरा ही डाल दिया! उसके कुछ देर बाद मैं वहीं ठंडी ज़मीन पर लेट गया और वो मेरे ऊपर चढ गया! उसका गर्म गर्म लँड मेरी गाँड को चौडी करके उसमें अंदर बाहर हो रहा था! मेरी गाँड गर्म होकर मस्त हो गयी थी, वो गाँड उठा उठा के मेरी गाँड में धक्के देने लगा फ़िर जल्दी ही बोला!
"अब माल गिरा दूँ? वापस भी चलना है ना यार... वरना साले शक़ करेंगे..."
"हाँ गिरा दे..."
"फ़िर किसी दिन तेरी आराम से लूँगा..." उसने कहा और कुछ पल में उसने और धक्के दे देकर मेरी गाँड में अपना वीर्य भर दिया!
वापस आने पर वो अकेला रज़ाई में लेटा और देखते देखते सो गया तो मैं फ़िर आकाश के साथ लेट गया! अब मैं आराम से उसी तरह रज़ाई में सर घुसा के उसका लँड भी तडपाने लगा! उसने भी मेरे बालों में उँगलियाँ चलनी शुरु कर दीं! फ़िर कुछ देर के लिये हमने ब्रेक लिया! जिसको मूतना था, मूतने चला गया! बाकी सब बैठे रहे! धर्मेन्द्र, कुणाल और इमरान सो गये थे!
"तुम कुछ करने गये थे?" मौका देख के आकाश ने मेरे कान मैं पूछा!
"हाँ" मैने सिर्फ़ सर हिलाया!
"साले, क्या किया?"
"बस ऐसे ही जल्दी जल्दी..."
"हाँ, मुझे शक़ तो हो गया था क्योंकि तू बहुत देर से उसके लँड पर मुह रखे था... क्यों उसने तुझे चुसवाया?"
"हाँ और भी..." मैं उसे बातों बातों मे ही तडपाने लगा!
"यार मेरा भी मूड गर्म है... चल ना कहीं..."
"कहाँ चलेगा?" आकाश के मुह से वो बातें बडी मस्त लग रहीं थी!
दूसरी फ़िल्म में विनोद भी पस्त हो गया और मैं बिन्दास आकाश की रज़ाई में घुस के उसके बगल में लेट गया! अब पहली बार हमारे पूरे बदन आपस में मिले तो मेरा हाथ सीधा नीचे उसके लँड की तरफ़ बढ गया! वही लँड जो कुछ दिन पहले मैने बस में दबाया था! मैने अपनी एक जाँघ उसकी जाँघों के बीच घुसा दी और उसने अपना मुह मेरी गर्दन में घुसा के वहाँ अपने होंठों से चुम्बन दिया! उसका हाथ मेरे पेट पर आया और वो वहाँ दबा के सहलाने लगा! उसने देखते देखते अपनी एक जाँघ मेरी जाँघों पर चढ दी, फ़िर उसका हाथ मेरे लँड पर आ गया! वो मेरा लँड दबाने और मसलने लगा तो मैं भी पूरे जोश में आ गया! अभी तीन लडके तो जगे हुये थे इसलिये उसके आगे कुछ करना खतरनाक था! अब मैने देखा कि विनोद और उसका कजिन आशित जिस रज़ाई में थे उसमें भी कुछ वैसी ही हलचल थी जैसी हमारी रज़ाई में थी! मैं समझ गया कि वहाँ भी कुछ चल रहा है! मगर फ़िर भी शायद आकाश ओपनली कुछ करने का रिस्क नहीं लेना चाहता था! फ़ाइनली दो बजे रात में हमने वहाँ से निकलने का मूड बनाया! विनोद ने रोकना चाहा, मगर वो समझ गया कि हम रुकेंगे नहीं और उसको हमारे इरादों पर शक़ भी हो गया था! उसको भी आशित से गाँड मरवाने का मौका मिल रहा था! आशित पतला दुबला नमकीन सा साँवला लडका था!
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