Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
05-14-2019, 11:39 AM,
#46
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
अब वो मेरी फ़ैली हुई जाँघों के बीच बैठ गये थे! मेरे मुडे हुये घुटनों के बीच से उनकी फ़ैली हुई टाँगें ऐसी निकल रहीं थीं कि अब मेरी गाँड सीधा उनके लँड पर थी! उनका लौडा अब अपने पूरे फ़ॉर्म में आकर उछल उछल के हुल्लाड मार रहा था! बाप और बेटे दोनो के लँड का साइज़ एक ही था... लम्बा, मोटा, भीमकाय, मोटा फ़ूला सुपाडा, बडे बडे मर्दाने साँवले से आँडूए और रेशम सी घुँघराली झाँटें... उनका गमछा अब बस एक बेल्ट बन कर उनकी कमर पर लिपटा हुआ था!
"तेरी लाल चड्‍डी ने मेरा दिमाग हिला दिया है अम्बर... बस दिल चाह रहा है तुझे मसलता जाऊँ..." उन्होने कहा और मेरे ऊपर झुक कर अपना मुह मेरे पेट में घुस दिया! मैने अपनी टाँगें वैसे ही उनकी कमर के इर्द गिर्द कस लीं! उन्होने अपने दोनो हाथों से मेरे दोनो कंधों को फ़र्श पर दबा दिया और फ़िर मेरी गर्दन में मुह घुसा दिया और वहाँ ज़ोर से चूसने लगे! वो वहाँ कभी अपने होंठों से और कभी अपने दाँतों से चूसते और काटते! मैं तडप के उनका सर भी नहीं पकड पाता क्योंकि उन्होने मेरे बाज़ू दबा रखे थे! फ़िर उन्होने चड्‍डी के ऊपर से ही अपनी एक उँगली मेरे छेद पर रखी और कसमसा कसमसा के उसको दबाने लगे तो मेरा छेद ढीला पडने लगा! मैं उनके लँड पर अपनी गाँड दबा के और उनके पेट पर अपना लँड दबा के उनसे लिपट के उनके ऊपर बैठ गया और मेरे पैर उनकी कमर पर लिपटे रहे!
"मेरी जान... असली चाहत तो ये होती है... मर्द की मर्द से चाहत..."
"हाँ भैया.. आह... हाँ... सिउहहह..."
"एक मर्द की आग को एक मर्द का जिस्म ही बुझा सकता है... वो भी तेरे जैसा चिकना सा जिस्म... जिस पर ना जाने कितने सालों से मेरी नज़र थी... काश तू पहले मिल जाता..."
"सिउउउहहहह... भैया.. आह.. अआह... आप जब.. कहते.. मैं आप..के लिये अप..नी गाँड खो..ल देता..."
अब उन्होने ना सिर्फ़ अपना गमछा खोल के फ़ेंक दिया बल्कि मेरी चड्‍डी भी सहला सहला के नीचे सरका दी और मुझे भी पूरा नँगा कर के अपनी बाहों में भर लिया!
"चल आजा, बिस्तर पर चल मेरी जान... चल अब मेरा बिस्तर गर्म कर ... आज की रात मेरी माशूका बन जा..." कहकर उन्होने मुझे अपनी मज़बूत बाहों में उठाया और सीधा बिस्तर पर लिटा दिया और फ़िर मेरे ऊपर अपनी जाँघ चढा के लेट गये! फ़िर मेरी छाती पर अपने होंठों को रख के मेरे पूरे जिस्म पर काट कर लव बाइट्स बनाने लगे!

"जानेमन सुबह जब इनको देखेगा ना, तब मर्द की चाहत का अन्दाज़ लगेगा..." इस बार उन्होने मेरा एक घुटना मोडा और उसको मेरी छाती में घुसा दिया जिससे मेरी गाँड साफ़ खुल गयी! उन्होने इस बार मेरे मुडे हुये पैर की जाँघ पर अपने होंठ रखे और पहले घुटने के पिछले हिस्से से लेकर पैरों तक उनको खूब चाटा! फ़िर मेरी गाँड की फ़ैली हुई फ़ाँक पर अपने होंठों से चूसना शुरु कर के अपनी उँगलियों से मेरी गाँड की खुली हुई दरार और मेरे छेद को मसलने लगे! फ़िर उन्होने मुझे पलटा और मेरे पैर और गाँड चिपकवा दी! उसके बाद उन्होने मेरी दरार में शराब डाली और वो बह ना जाये, इसलिये अपने एक हाथ को नीचे की तरफ़ लगा दिया और मेरी दरार में अपना मुह घुसा के चाट चाट के शराब पीने लगे!

"मैने चूत में भी शराब डाल के बहुत पी है... मगर जो मज़ा लौंडों की चिकनी गाँड में है, वो चूत में नहीं मेरी जान... मेरे माशूक..." और जब उनकी ज़बान पहली बार मेरे छेद पर आयी तो मैं तडप के मचल गया! उनकी ज़बान में लँड की ठनक और ताक़त थी! उन्होने मेरी चुन्‍नटों को अपनी ज़बान से कुरेदा और ज़बान से ही हल्के हल्के फ़ैलाया! सहारे के लिये उन्होने अपने दोनो मज़बूत चौडे हाथों से मेरी दोनो फ़ाँकों को फ़ैलाया तो मेरी गाँड मस्ती में आ गयी और मैने अपने घुटने हल्के से मोड के उसको ऊपर उठाया तो उन्होने अपने होंठ सीधे मेरे छेद पर रख दिये!
"अआहहह... सिउहहह... भै..या... अआह... आह..."
"हाँ... मेरी गाँडू जानेमन... मेरी एक रात की गाँडू रंडी... आज तेरी जवानी का भरपूर मज़ा लूटूँगा... तुझे आज की रात कुचल डालूँगा..."
"आइ..उ..उ..उह... भै..या... तुम्हारी.. ये बातें... मुझे.. पा..गल कर देंगी..."
"पागल तो तू तब होगा, जब मैं अपना खम्बा तेरी गाँड के भीतर पूरा जड तक डाल के तेरी जवानी का रस निचोड दूँगा... गाँडू..."
"हाँ... मु..झे... गाँडू ब..ना... के खू..ब चोदो.. भै..या..."

अब वो मेरे ऊपर चढ गये और उनका सुपाडा मुझे अपने छेद पर महसूस हुआ! वो गर्म और सख्त था! मेरे छेद पर सुपाडा महसूस होते ही मेरी चुन्‍नटें खुद-ब-खुद फ़ैल गई! वो मेरी गाँड को इतना गर्म कर ही चुके थे कि अब गाँड मस्ती के कारण ढीली पढ चुकी थी! जब उनका सुपाडा मेरे छेद पर दबा तो नॉर्मली भिंचने के बजाय वो खुला और उसने जैसे मुह खोल के उनके सुपाडे को किस किया! वो भी मस्ती में गये और उन्होने सिसकारी भरी!
"सिइइइ..अआआहहह... बडी प्यासी गाँड है तेरी... साली चिकनी, नमकीन और प्यासी... लौडा खुश हो जायेगा... बहुत खुश..."
"हाँ... भैया... लौडा मैं खुश कर दूँगा, गाँड आप खुश कर दीजिये..."
"हाँ, मेरी गाँडू चाहत... आज की रात, तेरी गाँड को सुबह तक खुश कर दूँगा... आज तेरी गाँड उठा उठा के बजाऊँगा... तेरी गाँड को गहरायी तक चोदूँगा..."
उन्होने इस बार जब अपना लँड दबाया तो मेरा छेद कुलबुला के खुला और गाँड की चुन्‍नटॊं ने प्यार से उनके सुपाडे को चूम के अपनी बाहों में हल्के से कस लिया! मगर सुपाडा शायद इस हल्के से आलँगन से खुश नहीं था इसलिये वो थोडा और अंदर घुसा! वो मेरी गाँड की बाहों में पूरी तरह खो जाना चाहता था! उन्होने मस्त होकर अपने लँड को मेरी गाँड पर साधे रखा और फ़िर ज़ोर से मेरे छेद पर दबाया तो उनका सुपाडा पूरा अंदर आ गया! इस बार गाँड फ़ैली तो मुझे हल्का सा दर्द हुआ! उन्होने तुरन्त लँड बाहर खींचा और जब दोबारा उसको रख के दबाया तो मेरा छेद अड्जस्ट हो चुका था! इस बार उनका लँड 3 इँच तक अंदर घुस गया!
"सिउ..उउहहह... बडी गर्म और बडी मस्त गाँड है तेरी, गाँडू... अआइ...आह..." उन्होने सिसकारी भरते हुये कहा! अब उनका लँड मोटा पडने लगा था, इसलिये जब वो और अंदर देने लगे तो मेरी साँस उखडने लगी! फ़िर भी गाँड मानी नहीं तो मैने अपनी टाँगें और फ़ैला के गाँड को ऊपर उठाया! ऊपर उठने पर उन्होने ज़ोर बढाया और अब लौडे के लगभग 6 इँच अंदर थे! उन्होने इस बार और अंदर घुसाने के बजाय उसको उतना ही अंदर रखा और फ़िर आहिस्ता आहिस्ता उसको मेरी गाँड के छेद की चुन्‍नटों से रगडते हुये अंदर बाहर देने लगे! मैने अपना सर घुमा के उठाया और उनका सर पकड के गाँड मरवाते मरवाते ही अपने होंठों से उनके होंठ चूसना शुरु कर दिये! उन्होने भी एक हाथ से मेरे कंधे को पकडा हुआ था!

उनकी एक्स्पर्ट चुदायी का सही असर हुआ! मेरी गाँड पूरी खुल गयी फ़िर उनका लँड जड तक पूरा अंदर घुसा तो उनके आँडूए मेरी जाँघों के बीच फ़ँस के टकराये! वो मेरे ऊपर अपना पूरा वज़न डाल के लेट गये और मेरी गर्दन और पीठ पर भी चूस चूस के निशान बनाने लगे!
"हाय मेरी जान... मेरे मर्द माशूक... तूने दिल खुश कर दिया..." उन्होने मेरी गाँड के अंदर लँड का एक ज़ोरदार धक्‍का लगाते हुये कहा! फ़िर वो ठीक वैसे ही लेट गये, जैसे कभी उनका बाप लेटे थे और उन्होने मुझे अपने लँड पर चढवा के अपना लँड सीधा किसी तीर की तरह मेरी गाँड में घुसा दिया और मुझे उछाल उछाल के मेरी गाँड मारने लगे! अब मैं उनके ऊपर झुका और उनके होंठ चूसने लगा और पीछे मेरी गाँड में उनका लँड अंदर बाहर हो रहा था! वो अपने घुटने मोड के अपनी गाँड को ऊपर उठा उठा के मेरी गाँड में लँड डाल रहे थे!

"अआह... जानेमन... थोडा आराम कर लें?" हमारी चुदायी शुरु हुये लगभग देर दो घंटे हो चुके थे... राशिद भैया ने अपने गज़ब के स्टेमिना से मेरी गाँड हिला के रख दी थी!
"मेरी जान, जब गाँड मारता हूँ ना, ऐसे ही गाँड से गू निकाल देता हूँ... साला, दो साल के बाद गाँड मिली है..."
"आपको कैसे लडके पसंद है?"
"चिकने... तेरी तरह, और नमकीन... कमसिन..." फ़िर हल्का सा पॉज़ हुआ और वो बोले "... काशिफ़ की तरह के..."
"वाह भैया... हाँ, साला बडा नमकीन है..."
"तूने तो साथ सुलाया था... कुछ किया तो नहीं?"
"नहीं..."
"चल, फ़िर बुला लूँगा... कर लेना..."
"हाँ भैया..."
"और सनी की तरह के... साला, दो साल पहले उसकी ही ली थी... "
"सनी की???"
"हाँ..."
सनी उनका वही कजिन था, जिसके साथ मेरा भी चक्‍कर रह चुका था...
"दो साल पहले तो वो और भी चिकना रहा होगा?"
"हाँ, बिल्कुल लग रहा था कि कैडबरी डेरी-मिल्क में लँड डाल रहा हूँ..."
"वाह भैया, वाह... आप सही हो... बिलकुल मेरी पसन्द के..."

फ़िर जब वो मूतने उठे तो मैं भी उठ गया और इस बार फ़िर मैने उनका लँड पकड के उनको मुतवाया! और आधे पिशाब में मुझसे ना रहा गया और मैं उनके सामने कमोड पर बैठ गया और उनके लँड को अपने मुह में लेकर उनके पिशाब की गर्म धार अपने मुह में ले ली! उनकी धार गर्म और मर्दानी थी! सीधे मेरी हलक में जा रही थी! इस बार उन्होने मुझे कमोड पर पलट के बिठा दिया! मेरी गाँड सामने खुल गयी थी! उसका कोई बचाव नहीं था! वो मेरे पीछे अपने घुटने पर बैठे और फ़िर सीधा लँड अंदर बाहर देने लगे! उन्होने मेरी गर्दन कस के पकड ली और मेरा सर कमोड के सिस्टर्न पर दबा दिया!
"गाँडू जानेमन, तेरी गाँड में बाँस डाल रहा हूँ... मज़ा आ रहा है ना गाँडू?"
"हाँ भैया बहुत..." अब उनके धक्‍कों से, मेरी गाँड से "फ़चाक्‍क फ़चाक्‍क" की आवाज़ें आने लगीं थी! फ़िर उन्होने मुझे खींच के वहीं बाथरूम की ज़मीन पर लिटा दिया! फ़िर उनके धक्‍के इतने तेज़ हो गये कि ना सिर्फ़ मेरी गाँड बल्कि बाकी बदन भी दुखने लगा! फ़िर वो चिल्लाये, सिसकारी भरी...
"अआह..सी..अआहह... आह... साले... गाँडू... गाँडू, तेरी... गाँड में... लँड... अआह..."
"हाँ, भैया... हाँ... मारो, मेरी गाँड... मारो... खूब.. फ़ाड.. दो..."
"हाँ, बहनचोद... गाँडू... एक रात.. की राँड, गाँडू... तेरी गाँड... फ़ा..डूँ..गा... हमेशा फ़ाडूँगा... तेरी चिक..नी.. गाँड... अआह... अआह... हाँ..."
और फ़िर उनका लँड मेरी गाँड में उछलने लगा और उनका माल मेरी गाँड की गहरायी में समाँ गया!
उसके बाद हम उठे और बिस्तर पर जाकर एक दूसरे से लिपट के लेट गये और ना जाने कब हमें नींद आ गयी! बाप के बाद अब मुझे बेटा भी मिल गया था! बेटे में यकीनन ज़्यादा ताक़त और ज़्यादा स्फ़ुर्ती थी! उसने मेरी गाँड को ऐसा मज़ा दिया कि मेरी गाँड मस्त हो गयी! उसके बाद मैने अपने सभी आशिक़ों से रिश्ते बना के रखे! मगर जैसे जैसे जीवन आगे बढा, कुछ लोग छूट गये, कुछ अपने जीवन के रास्ते पर कहीं और चले गये! कुछ को गे सैक्स में मज़ा आना बन्द हो गया! कुछ की शादी हो गयी, कुछ ने ज़बरदस्ती शादी कर ली... मेरे जीवन में भी लोग आते रहे, जाते रहे...
मैं भी कभी कानपुर, कभी बनारस, कभी मुम्बई, कभी चण्डीगढ, कभी दुबई, कभी काठमाण्डू, कभी ग़ाज़ियाबाद, कभी नॉयडा में रहा!
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