Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
05-14-2019, 11:40 AM,
#49
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मस्त कर गया पार्ट --11

चलिये अब उन दिनों से वापस आ जाते हैं... २००७ में! मैं इतने साल यहाँ वहाँ घूमने के बाद फ़िर देहली लौट आया हूँ! अब मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट का ज़माना है! लौंडेबाज़ी तो आप लोगों को पता ही है कि मेरी कैसी चलती होगी! जहाँ लडके दिखते हैं मैं पटाना चाहता हूँ! ज़ायैद का ऑल्मोस्ट डेली मेल आता है, मगर वो ना तो अपना फ़ेस दिखाता है ना फ़ोन नम्बर देता है, बस मेल्स और चैट... इसलिये कभी कभी तो मुझे लगता है कि क्या वो वही है, जो कहता है... या कोई और है! मैने पिछले कुछ दिनों में आशित से दोस्ती कुछ और बढा ली है! अब उसकी जवानी की नमकीन कसक मुझ पर ऐसा जादू करती है कि मैं उसको देखे बिना रह ही नहीं पाता हूँ! उसको भी ऑफ़िस में दोस्तों की ज़रूरत है! मैं तो बस जब भी उसके साथ होता हूँ, जो अब अक्सर ही होता है, उसके चेहरे को बडे पास से देखता रहता हूँ! वैसे वो बहुत गोरा तो नहीं है, हल्का साँवला है... मगर चेहरे पर इतना नमक है कि साला बहुत सैक्सी लगता है! उसकी शेपली बॉडी बडी जानलेवा है! पतली कमर और मज़बूत गाँड की गदरायी फ़ाँकें, टाइट टाइट जाँघें और उभरी हुई कसी ज़िप! उसकी पैंट से उसकी चड्‍डी की लाइनिंग तक दिख जाती है! कभी वो फ़्रैंची पहनता है, कभी जाँघ तक वाली अँडरवीअर, कभी बिकिनी स्टाइल वाली! मगर हर दिन उसकी टाइट पैंट से उसकी अँडरवीअर की लाइनिंग साफ़ दिख ही जाती है! उसकी शर्ट से उसकी बनियान भी झकलती है! उसके कंधे और बाज़ू मज़बूत हैं, कलायी चौडी जिस पर हमेशा पूजा का धागा रहता है! उसके ऊपर के खुले बटन से देख देख कर मैने ये भी अन्दाज़ लगा लिया है कि उसकी छाती पर ज़्यादा बाल नहीं हैं! उसको भी ऑफ़िस में लेट बैठ कर चैटिंग का शौक़ है! जब मैं सामने की डेस्क पर बैठ कर स्टोरीज़ टाइप करता हूँ, वो अक्सर बैठा अपने फ़्रैंड्स से चैट करता रहता है... और शायद ऐसी वैसी साइट्स भी देखता है! अक्सर उसकी आँखें मॉनिटर पर गढी रहती हैं! कभी कभी उसका हाथ भी नीचे की तरफ़ जाता है और वो ऐसे प्रिटेंड करता है जैसे अपने आँडूए अड्जस्ट कर रहा हो!
उस दिन मैं हमेशा की तरह अपना इन-बॉक्स चेक करके ज़ायैद के मेल्स के जवाब देने के बाद, स्पैम डिलीट कर रहा था! मैने स्पैम समझ के एक मेल पर क्लिक किया मगर फ़िर ना जाने क्यों उसको ओपन किया तो सर्प्राइज़्ड रह गया... वो विनोद की मेल थी! विनोद वही जाट लडका था, जो कभी मेरे साथ कम्प्यूटर कोर्स कर रहा था! उसको ना जाने कहाँ से मेरा आई.डी. मिल गया था! शायद उसने ऑर्कुट या फ़ेसबुक से कोई कनेक्शन निकाल लिया था! वो देहली में ही था! अभी उसने बस दो लाइन्स ही लिखी थी! मैने तुरन्त बैठ कर उसको एक लम्बा सा जवाब लिखा! जवाब में फ़िर अचानक एक दिन उसका फ़ोन आ गया, जब मैं किसी काम में बिज़ी था! इतने दिन बाद उसकी आवाज़ सुन कर मैं मस्त हो गया! उसके साथ गुज़ारे पल... लगता था, अभी दो दिन पहले ही हुये थे... ना मैं उन पलों को भूल पाया था और ना शायद वो...

"और बता, बाकी सब कैसा चल रहा है?"
"मस्त है यार..."
"बाकी सब?"
"बाकी सब भी ठीक है..."
"और सब?"
"और सब भी बढिया ही है यार..."
वो शायद चुदायी के टॉपिक पर आना चाहता था मगर जब उसने बताया कि उसकी शादी हो गयी है और अब एक ९ साल की लडकी, एक ७ साल का लडका और एक ५ साल का लडका है तो मैं समझ गया कि वो शायद चुदायी के बारे में नहीं पूछ रहा है क्योंकि उसके जैसे हरामी लडके शादी के बाद सिर्फ़ चूत के नशे में रहते हैं और अगर उसको चूत का नशा नहीं होता तो तीन तीन बच्चे नहीं पैदा किये होते!

"तेरी शादी हो गयी?" उसने पूछा!
"नहीं यार..."
"मतलब अभी तक लगा हुआ है भाई लोगों के साथ?"
मैं जवाब में सिर्फ़ हँसा!
"कभी मिलते हैं यार... घर आजा, मेरी बीवी से मिल..."
"हाँ आऊँगा..." उसके बाद कई दिन उसका फ़ोन नहीं आया!

इस बार मेरे जीवन में कुछ स्पेशल होने जा रहा था मगर मुझे अभी तक उसका पता नहीं था! मैं आदत के मुताबिक लौंडे ताडने के लिये शाम में पुरानी दिल्ली चला गया! वहाँ के हरामी लौंडे मेरे लिये शराब के नशे से कम नहीं थे! उस शाम भी पहले मैने खाना खाया फ़िर सुंदर सुंदर लडकों को देखता रहा! कोई साला गाँड में घुसी जीन्स पहने था, तो कोई स्मार्ट सी डिज़ाइन वाली शर्ट! कोई गोरा था कोई साँवला! कोई चिकना था कोई मर्दाना! किसी के क्रू कट बाल थे तो किसी के सेन्टर पार्टिंग के! कोई सिगरेट पी रहा था तो कोई अपने किसी दोस्त के कंधे पर हाथ रखे बातें कर रहा था! काफ़ी देर ठरक जवान करने के बाद मैं ऑटो ढूँढने निकल पडा! काफ़ी मेहनत के बाद भी जब कोई ऑटो नहीं मिला, तो पास के सिगरेट वाले की दुकान पर खडा हो गया और सिगरेट लेकर जला ली! अब तो रोड पर भी ऑटो नहीं दिख रहे थे! उस दिन मैने आशित को अपने साथ पुरानी दिल्ली चलने का इन्विटेशन दिया था मगर लास्ट मिनिट पर उसके बॉस ने कुछ काम दे दिया जिस कारण वो मेरे साथ नहीं आ पाया! मैं ऑटो ढूँढ रहा था, कि अचानक विनोद का फ़ोन आ गया!

"अरे, कहाँ गायब हो गया था यार?"
"अरे, एक बडा ऑर्डर मिल गया था, उसमें लगा पडा था... तू कहाँ है कभी?"
"अभी तो मैं पुरानी देहली में हूँ..."
"क्या बात करता है यार, हम भी एक शादी में चाँदनी चौक आये हुये थे.. बस निकलने ही वाले थे! चल हमारे साथ चल, बता तू कहाँ है... मैं तुझे पिक कर लूँगा... तुझसे तो बहुत बातें करनी हैं..."
"अभी तो बहुत थक गया हूँ यार..."
"अरे, थकान मिटाने का इन्तज़ाम है मेरे पास... मैने तेरे बारे में अपनी बीवी को बताया, वो भी तुझसे मिलना चाहती है..."
"अच्छा साले, तूने तो बुराई की होगी..."
"नहीं बेटा, अच्छी वाली बातें भी बतायी हैं..."
"अच्छी वाली कैसी?"
"अब तू बन क्यों रहा है?"
"अच्छा मिलते हैं..." मैं वहीं साइड में फ़ुटपाथ की रेलिंग पर बैठ गया! करीब आधे घंटे में ही विनोद एक वैन में वहाँ आ गया और सीधा उतर के मुझसे गले मिलने लगा! उसके पास से शराब की बदबू आ रही थी!
"बहनचोद, पी के आया है क्या?"
"अबे, शादी में गया था... वहाँ हो गयी कुछ कुछ..."
मैने वैन में देखा अगली सीट पर एक सिल्क की लाल सारी पहने उसकी बीवी बैठी थी!
"शिखा है, मेरी बीवी... कैसी लगी?" उसने आँख मार के पूछा!
"अबे साले, बडा हरामी है... ठीक है..."
"हाँ, जब शादी हुई थी तो और ठीक थी... वो तो मैने कबाडा कर दिया... हाहाहा..."
"बहुत मादरचोद है यार तू... साले किसी को तो जाने दिया कर?"
"अबे, बीवी तो अपनी प्रॉपर्टी होती है..."
"हाँ, तू बेहतर जानता होगा यार..."
"चल, आजा मिलवाता हूँ... तेरे बारे में बहुत कुछ जानती है..."
"अबे क्या-क्या बोल दिया?" मगर मैने सवाल पूरा भी नहीं किया था कि उसने शिखा से मिलवा दिया! उसने मुझे मुस्कुराते हुये नमस्ते किया और मैने उसको गौर से देखा तो १० साल की शादी के लिहाज़ से वो काफ़ी मेन्टेन्ड थी! मैं पिछली सीट पर बैठने लगा!

"अबे, मैने बहुत पी रखी है... गाडी तू चला..." मैने ऑफ़र मान लिया! मैने एक्स्पैक्ट किया था कि शिखा पीछे चली जायेगी और विनोद आगे! मगर शिखा तो वहीं बैठी रही मेरे बगल वाली सीट पर! गाडी चलते ही विनोद की ज़बान भी चलने लगी!
"अब पूछ, तू क्या पूछना चाहती थी?" उसने अपनी बीवी से पूछा जो बहुत शरमा रही थी!
"नहीं जी, रहने दो..."
"अरे पूछ ले, ये मेरा पुराना दोस्त है... बुरा नहीं मानेगा..."
"हाँ मालूम है... मगर..."
"अरे, फ़िर पूछ ले ना..."
"क्या पूछना चाहती हैं आप?" आखिर मैने ही पूछ लिया तो शिखा और शरमा गयी! मैने ध्यान दिया कि उसने भी शराब पी रखी थी!
"अरे पूछ ले ना..." विनोद फ़िर बोला!
"अच्छा मैं ही कह देता हूँ..."
"अबे, क्या बात है?" मैने कहा!
"कुछ... कुछ नहीं..." शिखा बोली!
"ये पूछ रही थी, तूने शादी क्यों नहीं की... तेरा काम कैसे चलता होगा?"
मैने शिखा की तरफ़ देखा तो पाया वो मुझे गौर से देख रही थी!
"काम.. मतलब क्या काम?"
"घपचिक घपचिक वाला काम..." विनोद बोला! वो दिखने में, बात-चीत में बिल्कुल नहीं बदला था!
"अबे रहने दे..."
"मैने बताया तो इसको यकीन नहीं हुआ..."
"अबे क्या बता दिया?"
"वही कि तेरा काम कैसे चलता है..."
"क्या बात करता है?" इस बार मैने जब शिखा की तरफ़ देखा तो वो मुस्कुराने के साथ हल्की सी खोयी खोयी लगी और अब पहले से थोडी कम हैज़िटेंट...
"क्यों, इसने ये कहा था?"
"हाँ, कहा तो यही था..."
"अबे, और क्या-क्या कह दिया?"
"अबे कहूँगा वही ना, जो मुझे पता होगा... वो याद नहीं है, तेरे रूम वाली बात... बस वही बतायी है.. कसम से..."
अब मैं शर्मिन्दा और उत्तेजित दोनो महसूस करने लगा!
"साले, तू शादी के बाद भी नहीं बदला?"
"बेटा, हम बदलने वालों में से नहीं हैं..."
"क्या मतलब है तेरा?" मैने शिखा की तरफ़ देखते हुये विनोद से पूछा!
"मतलब, बेटा एक रास्ता पकड के उसी पर चलते हैं..."
"क्यों शिखा, ये सही कह रहा है?"
"हाँ, आपकी हमेशा बात करते हैं..."
"अच्छा... अबे तेरा इरादा क्या है यार? और तूने अपनी बीवी को भी सब उल्टा पुल्टा बता दिया... बडा हरामी है यार तू..."
"अरे, अब इतने साल के बाद इतना विश्‍वास तो है ही... जब देख लिया, कि बुरा नहीं मानेगी तो बताया..."
"तुम इससे ये सब बात कर लेती हो?" मैने शिखा से पूछा!
"हाँ, अब और किससे करूँगी?"
"इसने क्या क्या बताया?"
"बताया तो बहुत कुछ है... लडको... लडको के बारे में... मतलब आप और लडके..."
"मतलब... साले ने सभी कुछ बता दिया... बडा हरामी है..."
"हाँ बेटा, अब शरमाने की नौटंकी छोड दे और खुल के बात कर ले..."
"खुल के क्या साले... तुझे लँड चुसवा दूँ?"
"सिउहहह..." मैने जैसे ही कहा, शिखा ने एक सिसकारी भरी!
"देख, तेरी बीवी गर्म हो रही है... ऐसी बात मत कर..."
"इसको तो मैं रातों में खूब गर्म करता हूँ..." उसने पीछे से हाथ आगे करके अपनी बीवी की चूची दबायी तो शिखा ने बस उसके हाथ पर हाथ रख के गहरी साँस लेकर अपना सर हल्का सा पीछे कर लिया!
"अबे, पल्लू गिरा के बैठ जा, थोडा ये भी देख लेगा... शायद इसे भी कुछ हो जाये..." उसके कहे पर शिखा ने अपनी सारी का पल्लू गिरा दिया तो मैने देखा उसका ब्लाउज़ कसा हुआ था और चूचियाँ बडी बडी थीं!
"देख... दबा दबा के, चूस चूस कर इनका साइज़ कैसा कर दिया है..."
"और क्या क्या बडा कर दिया है?"
"इसकी फ़ुद्‍दी... देख ले..." विनोद बोला!
"पहले तेरा लँड देखूँगा..."
"बेटा, गाँड भी देख लियो..."

वो मुझे अपने रैगुलर घर ना ले जाकर अपने एक और फ़्लैट में ले गया जो उसने थोडी दूर पर बनवाया था!
"ये चुदायी का अड्‍डा है... यहाँ जम के अय्याशी का सामान है..."
जब तक उसने दरवाज़ा खोला, हम तीनो ही बहक चुके थे! विनोद ग्रे सूट में था जो उसकी मस्क्युलर बॉडी के कारण टाइट था और जिसमें से उसका लँड दिखने लगा था और शिखा तो रोशनी में आग लगा रही थी! हम उसके बेड पर बैठे थे!

"यार, तेरी बातों पर यकीन नहीं होता..." मैने फ़ाइनली कहा क्योंकि मेरे साथ तब तक कभी ऐसा नहीं हुआ था!
"बेटा, दुनिया में ना... सब कुछ हो सकता है और मैं उनमें से नहीं हूँ जो पुराने यारों भूल जाऊँ... कभी तू मेरे काम आया था, ज़रुरत में तूने साथ दिया था, भूल कैसे सकता हूँ..."
"ये तो अच्छी बात है" मैने कहा!
"सबसे बडी ज़रूरत तो यही होती है... इसमें बहुत कम लोग साथ देते हैं... और जबसे इसको बताया, ये भी देखना चाह रही थी..."
"वाह यार, सही बीवी मिली तुझे, इतनी को-ऑपरेटिव... वरना बीवियाँ तो बडा नखरा करती हैं..."
"यार, हम साफ़ साफ़ बात करते हैं..." उसने कहा!
"अब, एक ही फ़ुद्‍दी कितनी बार चोदूँगा.. फ़ैल के फ़ाटक हो गयी है... हाथ लगा के देख ले..." उसने कहा!
"अबे कैसे?"
"देख ले, देख ले... अपना ही माल समझ..."
मुझे यकीन तो नहीं हुआ! मगर मैने शिखा की जाँघ पर हाथ रखा और हाथ को नीचे उसके पैर की तरफ़ ले गया तो वो मुझे मना करने के बजाय सिसकारी भरने लगी!
"वाह यार..." कहकर मैने उसके पैर सहलाये और अपना हाथ उसकी साडी में नीचे की तरफ़ से ऊपर ले जाना शुरु किया तो उसकी जाँघें भी गाँडू लडकों की तरह खुलने लगीं! मेरा हाथ उसकी चिकनी जाँघ पर चलने लगा और फ़ाइनली उसकी पैंटी पर जा कर रुक गया! मैने बहुत सालों बाद किसी लडकी की चूत पर हाथ लगाया! चूत छूने से ज़्यादा, मैं उस समय की सिचुएशन पर उत्तेजित था!

विनोद ने इस बीच अपनी शर्ट और कोट उतार दिये थे और अपनी पैंट का हूक और ज़िप खोल दिये थे जिस कारण से उसकी काली चड्‍डी का कुछ हिस्सा और ऊपर चौडी सी इलास्टिक दिख रहे थे! उसने कुछ वेट गैन कर लिया था जिस कारण वो और सैक्सी लग रहा था!
"तू नहीं आयेगा क्या?" मैने उससे पूछा!
"रुक आता हूँ... ओये, ज़रा बॉटल निकाल कर ठुमका दिखा ना..."
शिखा सामने की कैबिनेट से बॉटल निकाल लायी और फ़्रिज से पानी और सोडा! उसने अपने हाथ से एक ग्लास में बडा सा पेग बनाया और अपने पति को देने लगी!
"पहले इसको पिला..." उसने कहा तो उसने ग्लास मेरी तरफ़ बढाया!
"अबे पिला दे ना... अपने हाथ से पिला दे..." विनोद बोला तो शिखा ने अपने हाथ से ग्लास लेकर मेरे होठों पर लगा दिया! मुझे तो लगा कि कोई सपना देख रहा हूँ! मैने उसको खींच के उसके ब्लाउज़ के ऊपर से चूचियों में एक बार अपना मुह दबा दिया!
"वाह... लगता है, तेरा टेस्ट चेंज हो गया है..." विनोद बोला!
"नहीं, बस ऐसे ही सोचा, तेरा माल चख के देखूँ..." मैने कहा! इस बीच शिखा उसके लिये भी ग्लास ले आयी तो उसने पूरा का पूरा ग्लास उसको झुका के उसके ब्लाउज़ में डाल दिया और वो गीली हो गयी! उसके लाल ब्लाउज़ से उसकी व्हाइट ब्रा दिखने लगी!
"जा ना साली, ज़रा ठुमका तो लगा..." कहकर विनोद ने उसका पल्लू पकडा और उसको सामने की तरफ़ धक्‍का दिया तो वो गोल गोल घूमती सामने की तरफ़ गयी और उसकी साडी उतरती चली गयी! फ़ाइनली विनोद ने उसका पल्लू मुझे दे दिया!
"ले, खोल दे..." मैने कस के खींचा तो उसकी साडी उसके पेटीकोट से अलग हो गयी!
उसने स्टीरिओ पर 'डॉन' फ़िल्म का गाना लगाया और धीरे धीरे थिरकने लगी!
"...ये... मेरा दिल, प्यार का दिवाना..."
मेरे लिये सच, ये सब जैसे एक सपना था! शिखा की कमर में बढिया लचक थी! विनोद ने मेरे हाथ पर हाथ रखा तो मैने बैठे बैठे ही उसकी तरफ़ देखा! हमारी आँखें मिलीं तो हम मुस्कुराये और फ़िर अपने अपने मुह खोल कर एक दूसरे के मुह पर रख दिये और चूसने लगे! हमारे हाथ एक दूसरे के बदन, जाँघों और हुस्न पर थिरकने लगे! कानों में कुछ देर तो गाने की आवाज़ आना भी बन्द हो गयी! हमने एक दूसरे को पकड लिया और वैसे ही पैर नीचे लटकाये हुये हम बिस्तर पर लेट गये! मैं थोडा उसके ऊपर उसकी छाती पर छाती चढा के लेट गया और अपनी जाँघ उसकी जाँघों के बीच रगडने लगा! कुछ देर में हम ठरक गये!

"देख, वहाँ देख..."
मैने जब शिखा को देखा तो अब वो बस एक लाल पैंटी और ब्रा में थी! विनोद ने उसकी तरफ़ इशारा किया तो वो हमारे पास आ गयी!
"इसकी पैंट उतार दे..." शिखा ने मेरे लँड पर हाथ रख के दबाया!
"सिउउहहह... आईईहहह..." उसने सिसकारी भरी और मेरी बैल्ट खोल दी! फ़िर मैं उस सिचुएशन के कारण मस्त हो गया! शिखा ने जब सहला सहला के पहले मेरी, फ़िर विनोद की पैंट उतारी तो विनोद का नँगा बदन देख कर मेरी पुरानी यादें ताज़ा हो गयी... मेरे लँड ने हुल्लाड मार कर एक उछाल मारी और शायद विनोद के जिस्म से बोला "...तुमको ना भूल पाये..."
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