RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
फ़ाइनली वसीम चला गया तो मैं और आसिफ़ कमरे में अकेले हो गये! फ़िल्म में गे चुदायी धकाधक चल रही थी! क्लोज अप से गाँड में लँड आता जाता दिख रहा था!
"आपने कभी ऐसा किया है?" तभी अचानक आसिफ़ ने पूछा!
"ऐसा मतलब क्या? चुदायी?"
"हाँ... मतलब... लौंडा चुदायी... छोटी लाइन... मतलब समझे आप?"
"क्यों यार?"
"बस ऐसे ही... क्योंकि आपने इतनी देर से चैनल चेंज करने को नहीं कहा ना..."
"चैनल तो तुमने भी नहीं चेंज किया..." मैने कहा!
"शायद मुझे मज़ा आ रहा हो...."
"शायद मुझे भी..."
आसिफ़ की भरी भरी जाँघें फ़ैली हुई थीं और उसकी हथेली बार बार कभी जाँघ कभी ज़िप को रगड रही थी!
"इसमें भी मज़ा आता है..."
"हाँ, उसमें क्या है... तुमने ही तो कहा कि बस चुदायी होनी चाहिये..."
"वो तो ऐसे ही कहा था..."
"अब क्या मालूम" उसने कहा फ़िर एक ठँडी सी आह भरी!
"हाय... आज कोई लडका ही मिल जाता तो उसी से काम चला लेता... आज मूड बहुत भिन्नौट है..."
"अच्छा कहाँ मिलेगा?"
"आप ही बुला दो किसी को... वो.. वो शाम में जिसके साथ थे..."
"कौन... वो ज़ाइन??"
"कोई भी हो... ज़ाइन फ़ाइन... उससे क्या... अभी तो साला कोई भी चलेगा..."
"बडे डेस्परेट हो?"
"हाँ बहुत ज़्यादा... आप इस वक़्त चड्डी के अंदर की हालत नहीं जानते... बस ज्वालामुखी होता है ना, वो हाल है..."
"मगर इस ज्वालामुखी का लावा सफ़ेद है... हा हा हा..." मैने कहा!
"हाँ, अभी तो साला चड्डी ही गीली कर रहा है... ज़रा सा मौका मिला ना, तो बुलेट की तरह निकलेगा..."
"अच्छा?"
"तो बुलायो ना... उस लडके को... उसी को ही बुला लो..."
"अबे पागल है क्या... रहने दे..."
"पागल तो हूँ... बहुत बडा... आप मुझे जानते नहीं हो..."
"खोल दू क्या? फ़िर वो अचानक अपना लँड सहलाते हुये बोला!
"क्या?
"लौडा...
"पागल हो?
"हाँ... अच्छा चलो, नीचे वाले बाथरूम के कैबिन में ही चलो..." उसने कहा तो मैं सब कुछ समझ गया!
"अरे भैया... आप हमें जानते नहीं हो... इलाहबाद के नामी लोगो में हमारा नाम है..." उसने अपनी ज़िप खोलते हुये कहा तो मेरी तो ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी!
"ये क्या कर रहे हो आसिफ़?" मैने कहा!
"मुठ मारने जा रहा हूँ... आप सोच लो फ़िल्म है..."
"नहीं करो ना आसिफ़..."
"क्यों नहीं? क्यों.. उस भँगी की याद आ जायेगी?" उसने कहा और अपनी ज़िप के अंदर से अपना मुसलाधार गोरा, लम्बा मोटा खडा हुआ लौडा बाहर निकाला तो उसका जादू तुरन्त मेरे ऊपर छा गया!
"किस भँगी की यार?"
"जिसके साथ आप कैबिन में बन्द थे..." उसने अपने लौडे को अपनी मुठ्ठी में दबाते हुये कहा! उसके ऐसा करने से लँड हुल्लाड मार रहा था और वीर्य की कई बून्दें बाहर आ कर सुपाडे से बहती हुई उसके हाथ पर आ गयी! मैं तो अब तक ठरक चुका था! मैने अपनी कोहनी बेड पर टिका दी और अधलेटी अवस्था में एक सिसकारी भरी... मगर आसिफ़ उतने पर ही नहीं रुका! उसने अपनी जीन्स का बटन खोल दिया! जीन्स बहुत चुस्त थी, इसलिये वो उसको बडी मुश्किल से अपनी जाँघ तक खींच पाया और फ़िर अपने लँड को मेरी नज़रों के सामने झूलने दिया! उसका लँड सीधा हवा में था, जाँघ गोरी और चिकनी थी! भूरी भूरी झाँटें थी! लडके का हुस्न बढिया था, गदरायी नमकीन जवानी थी! वो हल्के हल्के अपने लँड की मुठ मारने लगा!
"मुठ क्यों मार रहे हो?" मैने तेज़ साँसों के बीच सूखते गले से पूछा!
"आप तो कुछ कर ही नहीं रहे हो... इसलिये मुठ ही मारनी पड रही है..."
"क्या करूँ?"
"अब क्या पूछते हो... जो दिल करे, कर लो... अब जब लौडा निकाल ही दिया है तो समझो लाइसेंस दे दिया है... अब क्या पूछना..."
मैं बेड से उतर के कुर्सी के पास उसके पैरों के पास बैठ गया और अपने होंठों से उसकी जाँघ सहलाते हुये उसके लँड को अपने हाथ में ले लिया!
"बहन के लौडे, तुम्हें देखते ही ताड लिया था!"
"कैसे?"
"बताया ना... हम उडती चिडिया पहचानते हैं... वो तो बिज़ी था थोडा, वरना शाम में ही तुम्हारा काम कर लिया होता..."
"उफ़्फ़... आसिफ़्फ़्फ़्फ़..." मैने कहा और थोडा ऊपर उठ के अपनी छाती को उसके घुटने पर रगडते हुये उसके लँड को अपने मुह में लिया और चूसना शुरु कर दिया! उसने अपना सर पीछे की तरफ़ कर लिया, टाँगें फ़ैला ली और आराम से मज़ा लेने लगा! मैने उसकी जीन्स पूरी उतार दी! उसकी व्हाइट अँडरवीअर मैली थी और आँडूओं के पास से तो काली हो गई थी! मैने उतारते हुये उसको सूंघा और फ़िर उसके खूबसूरत आँडूओं को चूमा तो वो भी उछले!
"लो ना, मुह में ले लो..." उसने कहा!
मैने पहले ज़बान से उसके आँडूओं को चाटा, वो उसकी जवानी की तरह नमकीन थे! फ़िर आँडूओं के साइड में उसकी जाँघ को सूंघा और चाटा और उसके बाद अपना मुह बडा सा खोल कर उसके आँडूओं को अपने मुह में गुलाब जामुन की तरह भर कर अपनी ज़बान से उनको चाटते हुये ही चूसने लगा! साथ में हाथ से उसके अजगर जैसे लौडे को सहलाने लगा! वो कुर्सी पर ही जैसे लेट सा गया! अब उसकी गाँड कुर्सी के बाहर थी! मैने उसको दोनो हाथों से पकड के सहलाना शुरु कर दिया!
"चलो ना, बेड पर चलो..." मैने उसके लँड से उसको पकडते हुये कहा!
"चलो..." उसने खडे होते हुये कहा! हम जैसे ही खडे हुये, मैं उससे लिपट गया और हल्का सा उचक के उसके लँड को अपनी जाँघों के बीच फ़ँसा लिया और अपनी जाँघों को कसमसा कसमसा के उसके लँड की मालिश करने लगा! मैने अपना एक हाथ अपनी गाँड की तरफ़ से घुमा के उसके लँड को हाथ से भी सहलाना शुरु कर दिया तो आसिफ़ ने मस्त होकर मुझे कस कर पकड लिया! हम अब पूरे नँगे थे! मैं अपनी टाँगे फ़ैला के उचक उचक के उसका सुपाडा अपने छेद पर भी लगा रहा था!
"चलो बेड पर..."
"अभी रुको, ऐसे मज़ा आ रहा है..." आसिफ़ ने कहा! उसका जिस्म गठीला और चिकना था! मैं कभी उसके बाज़ू को, कभी उसकी छाती को, कभी उसके कंधे को चाट और चूस रहा था! वो भी खूब मेरी गाँड और जाँघें वगैरह दबा दबा के सहला रहा था!
"चलो ना... बेड पर चलो..." उसने कामातुर होकर कहा!
मैं बेड पर लेटा तो वो ऊपर चढ गया! तब तक मेरी गाँड पूरी खुल चुकी थी! उसने थूक लगाया और देखते देखते उसका लँड मेरी गाँड के अंदर समाता चला गया!
"सिउउउहहहहह..." मैने सिसकारी भरी!
"अआह... अब मज़ा आया... साला... गाँड मारूँगा तेरी अब..." कहकर उसने लँड बाहर खींचा फ़िर अंदर दे दिया और फ़िर वैसे ही अंदर बाहर करने लगा! कुछ देर बाद उसने मुझे सीधा लिटाया!
"लाओ, पैर कंधे पर रखो..." उसने मुझे फ़ैला के मेरे पैर अपने कंधों पर रखवा लिये तो मेरी गाँड बडे प्रेम से उसके सामने खुल गयी और वो धकाधक धक्के दे-देकर मेरी गाँड मारने लगा!
"कैसा लगा, इलाहाबादी लौडा कैसा लगा?"
"बहुत बढिया है... आसिफ़... बहुत बढिया है..."
"हाँ बेटा, लो..." वो खूब अच्छे से धक्के लगा रहा था! मेरी टाँगें उसके कंधे पर झूल रही थी! उसने उनको पकडा और हवा में उठा दिया! मेरे दोनो तलवे पकड के फ़ैला दिये! टाँगें, जितनी मैक्सिमम फ़ैल सकती थीं, फ़ैला दीं और अपनी गाँड खूब कस कस के मेरी गाँड में अपना लँड अंदर बाहर देने लगा!
उसके बाद उसने मेरे घुटने मेरे सीने पर मुडवा दिये! अब तो मेरी गाँड भोसडे की तरह खुल के उसके सामने आ गई थी और वो उसको चोदे जा रहा था! अचानक उसने लँड बाहर निकाल लिया!
"एक मिनिट रुक..." उसने कहा और अपना फ़ोन उठा के कुछ करने लगा!
"क्या कर रह्य हो?"
"कुछ नहीं..." उसने कहा और इस बार वो मेरी गाँड में लँड घुसा के मारने लगा और साथ में उसका एम.एम.एस. क्लिप बनाने लगा!
"ये क्यों?"
"बस, ऐसे ही रिकॉर्ड रहेगा ना... कि तेरी मारी थी..." वो कभी फ़ोन अपने हाथ में ले लेता, कभी मेरे हाथ में दे देता... हमने करीब २० मिनिट की फ़िल्म बनायी! फ़िर उसका झडने लगा तो फ़ोन साइड में रख दिया और हिचक-हिचक के भयँकर धक्के देने लगा! उसने मुझे पलट के लिटा दिया और कूद कूद के मेरी गाँड में लँड डालने लगा और उसके बाद उसने मेरी गाँड के अंदर अपनी वीर्य का बारूद भर दिया! हम वैसे ही लिपट के लेटे रहे!
"तुमने अच्छा चोदा आसिफ़..." मैने उसको बाहों में भरते हुये कहा!
"हाँ बेटा, हम जो काम करते है... अच्छा ही करते हैं... अलीगढ आ जाना, वहाँ आराम से होगा... जब दिल करे, आ जाना..."
"अआह... हाँ, आऊँगा... अब तो आना ही पडेगा..."
"और लौंडे चाहिये तो मिलवा भी दूँगा..."
"हाँ, मिलवा देना... कौन हैं?"
"बस हैं ना... तू आम खा, गुठली से मतलब मत रख... वसीम को देगा?"
"हाँ, दे दूँगा..."
फ़िर ना जाने कब मुझे नींद आ गयी! मगर जब बगल में इतना गदराया हुआ नमकीन लौंडा पूरा नँगा लेटा हो तो कहाँ चैन आता है! मैने ना जाने कब नींद में, साइड होकर अपनी जाँघ, सीधे लेटे आसिफ़ पर चढा दी! इससे मेरा लँड उसकी कमर में भिड गया और हल्के हल्के उसकी गर्मी पाकर ठनक गया! उस रात उस पर बहुत ज़ुल्म हुआ था! साले को माल नहीं मिला था, कई बार खडा हुआ और हर बार बिना झडे ही उसको बैठ जाना पडा!
मैने नींद में ही आसिफ़ की छाती और पैर सहलाये! फ़िर मेरी नींद कुछ टूटी तो अफ़सोस हुआ क्योंकि ना जाने कब आसिफ़ ने पैंट पहन ली थी! खैर मैं फ़िर भी उसका जिस्म रगडता रहा! जब उसी अवस्था में मेरा हाथ उसके लँड पर पहुँचा तो पाया कि वो भरपूर खडा था! मैं उससे आराम से दबा दबा के खेलता रहा! आसिफ़ ने अपनी एक बाज़ू फ़ैला रखी थी, मैने अपनी नाक वहाँ घुसा दी और उसके मर्दाने पसीने को सूँघता रहा! आलस के मारे, उसने जीन्स के बटन और ज़िप भी बन्द नहीं किये थे!
वो भी अचानक नींद में हिला और मेरी तरफ़ पीठ करके दोबारा नींद की गहरी आग़ोश में खो गया! कमरे में सिर्फ़ एक साइड का नाइट बल्ब जल रहा था, मगर उसमें भी काफ़ी रोशनी थी! मैं पीछे से ही आसिफ़ से चिपक गया और इस बार उसकी पीठ पर अपने होंठ रख दिये और उसके मर्दाने जिस्म की दिलकश खुश्बू और उसकी गदरायी मसल्स का मज़ा लेता रहा! उसका जिस्म गर्म था, जिस वजह से सर्दी की उस रात में, उससे चिपकने में मज़ा आ रहा था! अब मैं आराम से उसकी गाँड पर अपना लँड भिडाने लगा था! मेरा लँड खुला था पर उसकी गाँड जीन्स में बन्द थी! उसने चड्डी नहीं पहनी थी! मैने उसकी कमर सहलायी, फ़िर पीछे से उसकी जीन्स के अंदर हाथ घुसाने की कोशिश की! शुरु में तो हाथ केवल उसकी फ़ाँकों के ऊपरी पोर्शन तक ही गया! उसकी गाँड माँसल थी, और चिकनी भी... शायद बाल भी होंगे तो हल्के हल्के ही होंगे! फ़िर मुझे याद आया कि उसकी गाँड पर तो हल्के से रेशमी भूरे बाल थे! मैने उसकी कमर से जीन्स थोडा नीचे खिसकायी तो अब उसकी फ़ाँकें आधी खुल गयी! उसकी गाँड की फ़ाँकों का वो ऊपरी हिस्सा, जो बस उसकी पीठ से शुरु होता था और जहाँ से गाँड उठान लेती थी, मेरे सामने आया तो मैने उसको कस के रगड दिया! फ़िर मैं हल्के हल्के उसकी दरार पर उँगलियाँ फ़िरा के मज़ा लेने लगा! पर वो चुपचाप सोया रहा... बस एक साइड करवट करके अपने घुटने हल्के से आगे की तरफ़ मोड के अपनी गाँड पर मेरे हाथों को महसूस करता हुआ! मैं उससे और चिपक गया जिस कारण मेरा लँड उसकी पीठ पर रगडने लगा! अब मेरी ठरक जग चुकी थी, मैं आसिफ़ की गाँड मारना चाहता था! मुझे ऐसे मर्दाने लडकों की गाँड मारने का बहुत शौक़ है जिनको अपने लौडे पर घमंड होता है! उनकी गाँड का अपना ही मज़ा होता है... कसमसाया हुआ, कशिश भरा, बिल्कुल मिट्टी पर पहली पहली बारिश की खुश्बू के मज़े की तरह... मगर मुझे ये पता नहीं था कि आसिफ़ की गाँड के सुराख की मिट्टी पर ना जाने कितने लँड बारिश कर चुके हैं!
फ़ाइनली जब मैने उसकी जीन्स, उसकी जाँघों तक सरका दी तो उसकी खुली घूमी गाँड, उसके कटाव, मस्क्युलर गोलाई, कमसिन चिकनाहट, और चुलबुला मर्दानापन देख कर मुझसे ना रहा और मैं नीचे खिसक कर ऐसा लेटा कि उसकी गाँड की दरार और सुराख मेरे मुह के पास आ गये! मैने पहले उसके छेद को प्यार से सहलाया! वो बस नींद में हल्का सा कसमसाया, एक बार पैर हल्के से सीधे किये, फ़िर वापस मोड लिये! मैने उसकी दरार को हाथों से हल्का सा फ़ैलाया और फ़िर उसके छेद पर नाक लगा का एक गहरी साँस लेकर उसके मर्दानेपन को सूंघा!
"उम्म...अआहहहह.." मैने उसके छेद की खुश्बू सूंघते हुये गहरी साँस ली! उसके छेद पर पसीने की खुश्बू थी! मैने अपनी ज़बान से हल्के से उसको छुआ, फ़िर जैसे अपनी ज़बान उस पर चिपका दी... वो फ़िर कसमसाया, मैने जब उँगली रखी तो उसका छेद बिल्कुल सिकुडा हुआ था... कसा हुआ टाइट, बिल्कुल चवन्नी के आकार का! मैने उसको कुछ और चाटा और साथ में उसकी जाँघ सहलाते हुये उसकी जीन्स और नीचे उतार दी! उसका जिस्म सच में बडा माँसल, सुडौल, कटावदार और चिकना था!
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