RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मैं अब कामुकता में डूबा हुआ हांफ़ते हुए कुतिया जैसे मरवा रहा था. इतना मजा आ रहा था कि मैंने सोचा कि अगर हेमन्त मेरे ऊपर पूरा चढ़ जाये तो क्या मजा आयेगा. मैंने उससे कहा तो वह जोर से सांस लेता हुआ बोला कि बस दो मिनिट बाद. असल में उसके स्खलन का समय करीब आ रहा था.
कुछ देर बाद उसकी सांस और तेज चलने लगी. मुझे बोला "संभाल राजा, गिरना नहीं" और उचक कर उसने अपना पूरा वजन मेरे ऊपर देते हुए अपनी टांगें उठा कर मेरी जांघों के इर्द गिर्द फंसा लीं और मुझ पर चढ़ कर हचक हचक कर मेरी गांड चोदने लगा. उसका पचहत्तर किलो वजन मेरे ऊपर आ गया और मैं लड़खड़ा गया.
अब वह पूरे जोर से लंड करीब करीब पूरा बाहर निकालकर और फ़िर अंदर पेलते हुए मुझे चोद रहा था. मेरे ऊपर वह ऐसे चढ़ा था जैसे घोड़े पर सवार चढ़ता है! उसके इन शक्तिशली धक्कों को मैं न सह पाया और चार पांच प्रहारों के बाद मुंह के बल बिस्तर पर गिर गया. हेमन्त मुझे चोदता रहा और अगले ही क्षण वह भी झड़ गया. उसके गर्म वीर्य का फुआरा मेरी गांड में छूटा और मैं धन्य हो गया. ।
कुछ देर सुस्ताने पर उसने धीरे से अपना लंड मेरी चुदी गांड के बाहर निकाला. वह अब सिकुड़ गया था पर उसपर हेमन्त का वीर्य लगा हुआ था. मेरा लंड भी अब तन्नाया हुआ था, उसे देखकर वह बोला "जल्दी आ जा मेरे यार, सिक्सटी नाइन कर लेते हैं."
फ़िर बोला. "मेरा झड़ गया तो क्या हुआ, उसपर काफ़ी मलाई लगी है, चूस ले." हम एक दूसरे के लंड मुंह में लेकर लेट गये. मेरी गांड का स्वाद लगे उस लौड़े का स्वाद ज्यादा ही मतवाला हो गया था. जब तक मैंने उसका वीर्य से लिपटा लंड साफ़ किया, उसने भी बड़ी सफ़ाई से मेरा लंड चूस कर मुझे झड़ा दिया.
घड़ी में देखा तो रात के दो बज गये थे. चार पांच घंटे कैसे निकल गये पता ही नहीं चला. हम दोनों तृप्त थे, लिपट कर एक दूसरे को चूमते हुए पति पत्नी की तरह सो गये. मेरी गांड अब ऐसे दुख रही थी जैसे किसीने उसे घूसों से अंदर से पीटा हो. हेमन्त को बताया तो वह हंसने लगा. "तेरा कौमार्य भंग हुआ है, सील टूटी है तो दुखेगा ही! पर
आज दोपहर तक ठीक हो जायेगा. तू नींद की गोली ले ले और सो जा."
सोते समय उसने मुझे समझाया. "यार गांड मारने के बाद लंड हमेशा चूस कर साफ़ करना, पोंछना नहीं, अरे यह तो हमारे शरीर का अमृत है, इसे व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिये. शुरू में गांड में से निकले लंड को चूसने में थोड़ा गंदा लगता है पर फ़िर आदत हो जाती है. वैसे सेक्स में शरीर की कोई भी चीज़ गंदी नहीं होती." मैंने उसे बताया कि मेरी गांड में से निकला उसका लंड चूसने में मुझे जरा भी गंदा नहीं लगा था.
हम सुबह दस बजे सो कर उठे. दोनों के लंड फ़िर खड़े थे. गांड में होते दर्द के बावजूद मैं तो इतना आतुर था कि फ़िर कामक्रीड़ा में जुट जाना चाहता था पर उसने कहा कि अब दोपहर को करेंगे. बहुत बार करने से लंड थक जायेगा
तो सुख की वह धार निकल जायेगी.
चाय पीकर हम नहाने गये. हेमन्त बोला. "तू चल, मैं पांच मिनट में आता हूं, जरा सामान जमा लू." मैं बाथरूम गया. शावर लगाया और नहाने लगा. इअने में हेमन्त अंदर आया. "यार सामान बाद में जमा लेंगे, अपनी रानी के साथ नहा तो लूं." और मुझे बांहों में भरकर चूमने लगा.
हमने खूब नहाया और मजा किया. एक दूसरे को साबुन लगाया, मालिश की और एक दूसरे के बदन को ठीक से देखा और टटोला. दोनों के लंड खड़े हो गये थे पर हमने अपने आप पर काबू रखा.
नहाते समय पेशाब लगी तो एक दूसरे के सामने ही हम मूते. मैं जब मूत रहा था तो उसने धार में अपना हाथ रख दिया. "मस्त लगता है गरम गरम, तू भी देख़" मैंने भी उसके मूत्र की तेज धार हाथ में ली तो वह गरम गरम फुहार मन में एक अजीब गुदगुदी कर गयी. जरा भी अटपटा नहीं लगा. वह अचानक मूतते मूतते रुका और मेरे सामने बैठकर मेरी धार अपने शरीर पर लेने लगा. मैंने हड़बड़ा कर मूतना बंद कर दिया तो बोला. "रुक क्यों गये राजा? मूत मेरे ऊपर, मेरे चेहरे पर धार डाल, मुझे बहुत अच्छा लगता है."
मैंने फ़िर मूतना शुरू किया. वह हिल डुल कर उस धार को अपने चेहरे और होंठों पर लेते हुए बैठ गया. मेरा मूतना
खत्म होते होते उसने अचानक मुंह खोल कर कुछ बूंदें अंदर भी ले लीं. जीभ निकालकर चाटता हुआ बोला. "मस्त स्वाद है यार, खारा खरा." मैं अब तैश में था. मैं उसके सामने बैठ गया और उसे भी वैसा ही करने को कहा.
जब उसके मूत की मोटी तेज धार मेरे चेहरे को भिगोने लगी तो मैंने मन को कड़ा कर के मुंह खोला. आधी धार अंदर गयी और उस गरम गरम खारे कसैले स्वाद से मेरा लंड और उछलने लगा. मुंह खोलने के पहले मैं थोड़ा परेशान था कि अगर गंदा लगे तो मेरे चेहरे के भाव से हेमन्त नाखुश न हो जाये पर यहां तो उलटा ही हुआ, मुझे ऐसा मजा आया कि उसका मूत खतम होने पर मैं कुछ निराश हो गया कि वह और क्यों नहीं मूता.
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