RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मूतना खतम होने पर हम दोनों शावर के नीचे खूब नहाये. जब बदन सुखाते हुए बाहर आये तो मैं तो उससे लिपट लिपट जाना चाहता था पर उसने मुझे शांत होने को कहा. बोला कि सामान जमा लें और फ़िर थोड़ी पढ़ाई कर लें. फ़िर दोपहर का खाना खाकर मस्ती करेंगे.
हम दोपहर को बाहर खाना खाकर वापस आये तो लंड तने लेकर. सीधे कपड़े उतारे और एक दूसरे से लिपट गये. हम सोफे पर बैठकर चूमा चाटी कर रहे थे तभी हेमन्त ने कहा, "चल यार गांड मारते हैं. लंड ऐसे खड़े हैं कि जो पहले मरवाएगा उसे बहुत मजा आयेगा. तू बिना झड़े घंटे भर मरवा सकता है? बोल? मरवाता है तो एक मस्त
आसन तुझे दिखाता हूं."
मैं बहुत उत्तेजित था और झड़ना चाहता था. पर इस हालत में हेमन्त के उस मोटे ताजे लंड से मराने की कल्पना मुझे बड़ी प्यारी लग रही थी. मैंने किसी तरह उछलते लंड को थोड़ा शांत किया और तैयार हो गया. हेमन्त सोफे पर बैठ गया और उसके कहने पर मैं उसके बाजू में खड़ा हो गया. बड़े प्यार से उसने मेरे गुदा में मक्खन लगाया और मैंने उसके लौड़े पर.
फ़िर वह टांगें फैला कर बैठ गया और मुझे उसकी तरफ़ पीठ करके अपनी टांगों के बीच खड़ा कर लिया. "गोद में बिठा कर मारूगा मेरी रानी. अब झुक जा और गांड खोल ले."
मैं थोड़ा झुका और अपने हाथों से अपने चूतड़ फैलाये. हेमन्त ने सुपाड़ा छेद पर जमाया और बोला. "गांड ढीली छोड़"
मैंने जैसे ही गुदा ढीला किया, पक्क से उसने एक बार में सुपाड़ा अंदर कर दिया. एक दर्द की टीस मेरे गुदा में उठी पर कल से दर्द कम था और मजा भी बहुत आया. अब उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींचा और बोला. "मेरे लौड़े को अंदर ले ले और बैठ जा मेरी गोद में."
कहने को आसान था पर इस सूली पर चढ़ने में दो मिनिट लग गये. कल की मराई से मेरी गांड खुल जरूर गयी थी पर अब भी उसके लंड की मोटाई के हिसाब से काफ़ी टाइट थी. उसकी गोद में बैठने की कोशिश करते हुए एक एक इंच करके लंड मैंने कैसे अंदर लिया, मैं ही जानता हूं. जब आखरी तीन इंच बचे तो उसने जोर से मेरी कमर पकड़ कर खींचा और पूरा लंड सटाक से अंदर लेकर मैं धम्म से उसकी गोद में बैठ गया. फ़िर से गांड में कस कर दर्द हुआ और न चाहते हुए भी मैं हल्का सा चीख उठा. फ़िर सारी बोला.
उसने मुझे बांहों में कसा और मेरे गालों को चूमता हुआ मुझे प्यार करने लगा. "सारी मत बोल यार, जितना चिल्लाना है उतना चिल्ला. तेरे कुंवारेपन की निशानी है, मुझे तो बहुत मजा आता है जब तू कसमसाता है. अच्छ
लगता है के मेरा लंड इतना बड़ा है कि तेरे जैसे प्यारे गांडू को ठीक से चोद सकता है."
दर्द के बावजूद मैं सुख में डूबा हुआ था. उसने एक हाथ से मेरे लंड को सहलाना शुरू किया और दूसरे से मेरे निपल हौले हौले मसलने लगा. मैंने मुंह घुमाया और हम दोनों एक दीर्घ चुंबन में जुट गये. वह अब धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर अपने लंड को मेरे पेट के अंदर मुठियाता हुआ मेरी गांड मार रहा था.
मुझे इतना मजा आ रह था कि मेरी आंखें पथरा गई थीं. मेरी उत्तेजना देख कर हेमन्त का लंड मचलकर मेरी गांड में और गहरा घुस गया. आखिर उससे न रहा गया और वह मुझे वहीं सोफे पर पटक कर मेरे ऊपर चढ़ बैठा और
हुमक हुमक कर मेरी गांड मारने लगा.
पूरे प्रयास के बावजूद वह अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाया और दस मिनिट में ही झड़ गया. मेरा लंड अब इतना उत्तेजित था कि उसके पूरा झड़ते ही मैं उसे हटाकर उठ बैठा और उसे पलटकर उसपर चढ़ने की कोशिश करने लगा.
"दस मिनिट रुक यार, मुझे दम लेने दे, फ़िर मैं जैसे कहूं वैसे मार मेरी गांड . आज तेरे इस मस्ताने लौड़े से मन भर कर मरवाऊंगा. बस थोड़ा लंड खड़ा हो जाने दे" मुझे रोकते हुए हेमन्त बोला.
तब तक मैं हेमन्त के भारी भरकम चूतड़ सहलाता रहा. उसकी गांड में मक्खन लगाया और उसने मेरे लंड को चिकना किया. जब उसका लंड फ़िर कुछ उठने लगा तो वह उठा और सोफ़े की पीठ पकड़कर झुककर खड़ा हो गया.
"अब डाल यार अंदर धीरे धीरे और मार मेरी खडे खडे" अपनी गांड ढीली करता हुआ वह बोला.
मैंने तुरंत उसकी गांड में लंड डाल दिया. धीरे धीरे नहीं, एक ही बार में सट से. वह थोड़ा हुमका और फ़िर बोला. "चल कोई बात नहीं, आज तो तू तैश में है, पर राजा कल से धीरे धीरे डालना और घंटे भर मारना. आज भी कम से कम आधे घंटे मार यार नहीं तो सब मजा किरकिरा हो जायेगा."
उसके चूतड़ पकड़कर पंजों के बल खड़े होकर मैंने उसकी मारना शुरू कर दी. पहले स्ट्रोक थोड़े धीमे थे पर फ़िर उसके कहने से मैं घचाघच चोदने लगा. मेरा पेट बार बार उसके नितंबों से टकराता और फ़च फ़च फ़च आवाज होती. बीच बीच में मैं रुक जाता जिससे झड़ न जाऊ. अति वासना के बावजूद अब मैं अपने आप पर कंट्रोल कर पा रहा था इसलिये उसकी खूब देर मार पाया जैसी उसकी इच्छा थी.
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