RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
"नहीं अम्मा, ऐसे थोड़े फ़टेगी! साली पूरी चुदक्कड़ है. देख अब इसकी कैसी दुर्गत करता हूँ!" कहकर रतन ने आगे लंड पेलना शुरू किया. मैं दर्द से चीखने लगा. आज सच में मेरी गांड ऐसे दुख रही थी जैसे कोई घूसा बना कर हाथ डाल रहा हो. अब मेरा लंड भी बैठ गया था. सारी मस्ती उतर गयी थी. आंखों से आंसू बह रहे थे. रतन ने
और जोर लगाकर जब तीन चार इंच लौड़ा और मेरी गांड में उतार दिया तो मैं बेहोश होने को आ गया.
"अरे अरे, बेहोश हो रही है बहू. फ़िर क्या मजा आयेगा इसके बेजान शरीर को चोदकर. रतन, उसकी चूची मसल, अभी जाग जायेगी." अम्मा की इस सलाह पर रतन ने मेरे गाल पकड़कर ऐसे कुचले कि दर्द से बिलबिलाकर मैं फ़िर होश में आ गया और हाथ पैर पटकने की कोशिश करने लगा.
"अब ठीक है, डाल दे पूरा लंड अंदर" अम्मा ने कहा. रतन ने मेरे चूतड़ पकड़े और घच्चसे पूरा एक फुट लौड़ा मेरे चूतड़ों के बीच गाड़ दिया.
में ऐसे चिल्लाया जैसे हलाल हो रहा होऊ! मेरे दर्द की परवाह न करके रतन मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरी चूचियां हाथ में पकड़कर बोला. "अब हट जाओ अम्मा. हेमन्त तू अब जा और मां को चोद ले. मुझे अपनी पत्नी को चोदने दे ठीक से. अब देख मैं कैसे इसे रंडी की गांड का भुरता बनाता हूं." और मेरी रबड़ की ब्रा में कसी नकली चूचियां मसल मसल कर वह मेरी गांड मारने लगा.
अगले आधे घंटे मेरी जो हालत हुई, मैं कह नहीं सकता. मैं रोता बिलखता रहा और मेरा पति हांफ़ता हुआ ऐसे मेरी
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गांड मारता रहा जैसे पैसा वसूल करने किसी रंडी पर चढ़ा हो. मुझे ऐसा लग रहा था कि किसीने पूरा हाथ मेरे चूतड़ों के बीच गाड़ दिया हो और उसे अंदर बाहर कर रहा हो. आज मुझे पता चल गया था कि हलाल होते बकरे को कैसा दर्द होता होगा या फ़िर भयानक बलात्कार की शिकार कोई युवती क्या अनुभव करती होगी!
उधर हेमन्त अपनी मां पर चढ़ कर उसे चोद रहा था. अम्माजी भी चूतड़ उछाल उछाल कर अपने छोटे बेटे से चुदवाती हुई बड़े बेटे को शाबासी दे रही थीं. "बस ऐसे ही बेटा, दिखा दे बहू को चुदाई क्या होती है! हेमन्त ने तो बड़े प्यार से मारी होगी इसकी गांड! अब जरा यह देखे कि असली गांड मराना किसे कहते हैं."
आखिर रतन एक हुंकार के साथ झड़ा और हांफ़ता हुआ मेरे ऊपर लेट कर आराम करने लगा. मां और हेमन्त मेरी यह निर्मम चुदाई देखकर पहले ही झड़ चुके थे. उनकी वासना शांत होने पर अब वे मुझसे थोड़ा नरमी का बर्ताव करने
लगे.
"बहू, ठीक से चुदी या नहीं तू या कोई तमन्ना बाकी है?" मांजी ने पूछा. मुझे रोते देखकर तरस खाकर बोलीं. "बहुत अच्छा चोदा तूने रतन पर अब इसे जरा पानी पिला दे. प्यास लगी होगी. और हेमन्त जरा अपनी भाभी के लंड पर ध्यान दे, देख कैसा मुरझा गया है. जरा मजा दिला उसे. तब तक मैं रतन को शहद चखाती हूं. रतन मजा आया बेटे?"
"मस्त मुलायम गांड है अम्मा अनू की. हेमन्त तू सही बीवी लाया है चुन कर मेरे लिये. अब देखना कैसे इस कली को मसल मसल कर इसका भोग लगाता हूं. इसकी मलाई चखने का मन हो रहा है अब" रतन मेरे गुदा में से लौड़ा खींचते हुए बोला.
अम्माजी ने रतन का मुंह अपनी चूत में डाल लिया और उसे अपने बुर के पानी और हेमन्त के वीर्य का मिला जुला अमृत पिलाने लगीं. मैं अब सोच रहा था कि काश मैं उसकी जगह होता. रतन का लंड निकल जाने के कारण अब मेरी गांड में होती भयानक यातना कम हो गयी थी फ़िर भी गांड ठन ठन दुख रही थी.
हेमन्त ने पहले रतन का लंड चूस कर साफ़ किया. फ़िर वह मेरे गुदा पर मुंह लगाकर अंदर का माल चूसने लगा. मुंह उठाकर बोला. "वाह, भाभी की मुलायम गांड में से भैया का वीर्य चखने का मजा ही कुछ और है अम्मा" वह साथ में मेरे लंड को सहला रहा था. उसे मालूम था कि मुझे क्या अच्छा लगता है और उसके अनुभवी हाथों ने जल्द ही मेरा लंड खड़ा कर दिया. लंड खड़ा होने के बाद गांड का दर्द मुझे अब इतना जान लेवा नहीं लग रहा था.
रतन आखिर अपनी मां की चूत पूरी चाट कर उठा और मेरा सिर अपनी गोद में लेकर लेट गया. मेरे मुंह में अपना लंड डालते हुए बोला. "अनू रानी, चल अब अपने पति का शरबत पी ले." फ़िर वह मेरे सिर को अपने पेट पर भींच कर मेरे मुंह में मूतने लगा.
उसने दस मिनिट मुझे अपना मूत पिलाया. लगता है घंटों वह मूता नहीं था. मैंने आंखें बंद करके चुपचाप अपने स्वामी का मूत पिया. वह खारा गरमागरम मूत मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मेरे चेहरे परके भाव देखकर रतन और मांजी बहुत खुश हुए. "सच बड़ी अच्छी ट्रेनिंग दी है हेमन्त ने अपनी भाभी को कैसे पी रही है जैसे भगवान का प्रसाद हो!" मांजी बोलीं.
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