RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
रतन का मूत पीने के बाद हेमन्त और मांजी ने भी अपना अपना मूत मुझे पिलाया. हेमन्त ने तो वैसे ही लौड़ा मुंह में देकर पिलाया पर मांजी ने खड़े होकर मुझे अपनी टांगों के बीच बिठाकर मेरे मुंह में मूता जैसे कोई देवी सामने बैठे भक्त पर अहसान कर रही हो. पहले चेतावनी भी दी. "बहू, अगर जरा भी नीचे गिराया तो आज तेरी टांगें तोड़ दूंगीं. अपनी सासूमां का यह बेशकीमती उपहार मन लगा कर पी." मैं जब बिना छलकाये सारा पी गया तो वे बहुत खुश
मेरा पेट अब लबालब भरा था और मुझे डकार आ रही थी. तीनों मिलकर यह सोचने लगे कि अब मेरे साथ क्या किया जाये?
"भैया, तुमने इसका एक छेद तो चोद डाला, अब दूसरा चोदो. मुंह चोद डालो, मस्त पूरा घुसेड़ कर पेट तक उतार दो. बहुत अच्छी चुदती है यह लौंडी मुंह में, अभी ठीक से सीखी नहीं है इसलिये गोंगियाती है, बहुत मजा आता है. तब तक मैं अपनी भाभी की गांड मार लेता हूं. आखिर इसकी सुहाग रात है, गांड खूब चुदनी चाहिये नहीं तो सोचेगी कि कैसे लोग हैं, बहुओं को ठीक से चोदना भी नहीं जानते. और अनू अम्मा की गांड मार ले तब तक!
आखिर बहू से गांड मराने में जो मजा है, वह मां भी चख ले जरा." हेमन्त ने सुझाव दिया.
रतन को बात जच गयी. उसने अपनी मां को बिस्तर पर लेटने को कहा. अम्माजी अपनी पहाड़ सी गांड ऊपर करके लेट गयीं. मुझे उनपर चढ़ा दिया गया और मेरा लंड उनकी गांड में घुसेड़ दिया गया. काफ़ी फुकला गांड थी मेरी सासूमां की, आखिर दो दो बेटों के मतवाले लंडों से सालों चुदी थीं. पर उस मुलायम छेद का मजा ऐसा था कि मैं तुरंत अपनी सास की गांड मारने लगा. हेमन्त मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरी गांड मारने लगा. उसके प्यारे जाने पहचाने लंड के अपने गुदा में होते स्पर्श से मुझे बहुत अच्छा लगा.
रतन मेरे सामने बैठ गया और अपना झड़ा लंड मेरे मुंह में डालकर मेरा सिर अपने पेट पर दनाकर हमारे सामने बैठ । गया. "चलो शुरू हो जाओ अब"
अगले आधे घंटे यह सामूहिक चुदाई चलती रही. मैं मांजी के मम्मे दबाता हुआ उनकी गांड मार रहा था और हेमन्त मेरी. धीरे धीरे रतन का लंड खड़ा हुआ और मेरे गले में समाने लगा.
जल्द ही मैं दम घुटने से छटपटा रहा था. मेरे पति का एक फुटीया लंड मेरे सीने तक उतर गया था. अब मैं हाथ पैर मारकर छूटने की कोशिश कर रहा था. मेरा गला दुख रहा था और सांस रुक गयी थी. पर वे तीनों मां बेटे मुझसे चिपटे रहे और मुझे भोगते रहे.
आखिर मेरे झड़ने के बाद वे रुके. हेमन्त और रतन ने अपने अपने तन्नाये लंड मेरी गांड और मुंह से निकाले और बारी बारी से अपनी मां की गांड में से मेरा वीर्य चूसा. मैं हांफ़ता हुआ अधमरा सांस लेने की कोशिश करता हुआ लस्त पड़ा रहा. मांजी उलाहना देते हुए बोलीं. "तुम लोग झड़े नहीं बहू के शरीर में?"
"अब तो मौका आया है दुल्हन की असली चुदाई का अम्मा! अब हम लगातार इसकी गांड मारेंगे. एक मिनिट को भी इसकी गांड में लंड चलना बंद नहीं होना चाहिये. आखिर हमारे खानदान की इज्जत का सवाल है. सुहागरात में बहुएं बिना रुके रात भर चुदना चाहिये ऐसी प्रथा है हमारे यहां अम्मा." हेमन्त अपनी मां की चूचियां दबाता हुआ बोला.
"कितनी फ़िकर है मेरे जवान बेटों को अपनी बहू के सुख की!" अम्मा भाव विभोर होकर बोलीं. "बहू तू अब बाथरूम हो आ. फ्रेश हो ले, फ़िर तुझे तेरे मस्त चोदा जायेगा, तू बड़ी बेताब है उसके लिये मुझे मालूम है."
मैं किसी तरह बाथरूम गया. अंग अंग दुख रहा था. आंखों में आंसू आ गये थे. अब तक मेरी मस्ती हवा हो गयी थी. मन में रुलाई छूट रही थी कि कहां फंस गया. पर अब मैं कहां जाता.
पंद्रह मिनिट बाद भी मैं जब नहीं निकला तो रतन बुलाने आया. मैंने दरवाजा खोला तो पहले उसने मुझे एक करारा तमाचा मारा. मैं रोने लगा. वह बोला. "अनू रानी, मुझे लगा था कि तू फ़टाफ़ट खुशी खुशी आयेगी पर तू तो रो रही है! यह नहीं चलेगा. तू गुलाम है हमारी, जैसा कहते हैं वैसा करना नहीं तो तेरी ऐसी हालत करेंगे कि तुझसे सहन नहीं होगी."
मुझे पकड़कर वह बिस्तर पर लाया.
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