RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
"जल्दी कर रानी" रतन बोला. उसे मेरी जीभ का स्पर्श मतवाला कर रहा था.
"बहू को मजा करने दे मन भर कर. तू कर बहू क्या करना है।
मैंने मन भर कर अपने पति की गांड चुसी और अखिर जब मस्ती से पागल सा हो गया तब उसपर चढ़कर उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया. तन कर खड़ा होने के बावजूद लंड आराम से गया. आखिर वह अपने छोटे भाई हेमन्त से मरवाता था, गांड ढीली होनी ही थी.
मैं उससे चिपटकर अपने पति के गांड मारने लगा. मेरी चूचियां उसकी पीठ पर दब रही थीं. उससे रतन को भी मजा आ रहा था. रतन भी मुझे हिम्मत दे रहा था. "मार रानी, मार मेरी गांड . अम्मा ! मैं पहला पति होऊंगा जिसने सचमुच के लंड से अपने पत्नी से गांड मरवायी है।"
तीव्र सुख के साथ मैं अचानक झड़ गया और रोने लगा. रुलाई खुशी की भी थी और इस अफ़सोस से भी थी कि
और देर मैं यह सुख नहीं ले पाया.
अम्मा ने मुझे दिलासा दिया. "बहू अब तो रोज मार सकती है तू. दिल छोटा न कर, तेरा ही आदमी है. ऐसा किया कर कि रोज सुबह इसकी गांड मारा कर. बहुत मजा आएगा. और हेमन्त तू आज बच गया. चल कल मरा लेना."
फ़िर वे अपने दोनों मस्ताये बेटों से बोलीं. "अब बहू को स्नान करने दो, साफ़ होने दो. बाद में इसे इस घर के तौर तरीके सिखा देंगे. एक टाइम टेबल भी बनाना है. चन्दा आती होगी. उसे कहूंगी बहू को नहला दे."
किसीने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया. मांजी बोली. "लो चन्दा आ गयी. आ जा चन्दा, तेरी ही रह देख रहे थे."
दरवाजा खुला और पैंतीस की उम्र की एक सांवली भरे पूरे बदन की औरत अंदर आयी. एकदम सेक्सी और देसी माल था. बड़ा सिंदूर, आधी खुली चोली जिसमें से बड़े बड़े मम्मे दिख रहे थे, और गांव की स्टाइल में बांधी साड़ी जिसमें से उसकी मोटी चिकनी टांगें दिख रही थीं. होंठ पान से लाल थे.
मुझे घूरते हुए वह बोली. "तो ले आये बहू को? मैं तो मरी जा रही थी देखने को पर आप ने कहा कि सुहागरात के बाद ही आना इसलिये कल रात ऐसे ही सड़का लगाकर सब्र कर लिया. बड़ी सुंदर है बहू, कितनी चिकनी है, कोई कह नहीं सकता कि लड़का थी, बस इस लंड से पता चलता है. लंड तो बहुत प्यारा है दीदी. और मम्मे? मैं तो वारी जाऊं, क्या चूचियां हैं? पर बड़ी मसली कुचली और थकी लग रही है बहू रानी. लगता है खूब मस्त सुहागरात हुई है दीदी." और हंसने लगी.
अम्माजी मुझे बोली. "बहू, यह है चन्दा. हमारी नौकरानी है पर घर की है. इससे कोई बात छिपी नहीं है. मेरी खास सहेली है. हम दोनों ने बहुत मजा की है, अब तेरे साथ और करेंगे. आज से यही तेरा खयाल रखेगी. तुझे हमारे भोग के लिये तैयार किया करेगी. इसका भी तुझ पर इतना ही हक है जितना हमारा. इसका कहा मानना. चन्दा तू बहू को नहला दे और तैयार कर. फ़िर बहू को सब समझाना है"
मुझे चंदा के सुपुर्द करके वे तीनों चले गये. जाते जाते रतन उसकी चूची दबा कर बोला. "अब चढ़ मत जाना बहू पर चन्दा बाई, हमने काफ़ी ठुकाई की है।"
"अरे तू जा ना! मैं देख लूंगी बहू के साथ क्या करना है" उलहना देकर उसने सब को बाहर निकाला और दरवाजा लगा लिया. फ़िर कपड़े उतारते हुए बोली. "आओ बहू रानी तुम्हें नहला दें. पेट तो भर गया ना? कब से तैयारी हो रही थी तुम्हें खिलाने पिलाने की." कहकर वह एक कुटिल हंसी हंसी और मेरा निपल जोर से मसल दिया. मैं कराह उठा. लगता है वह भी अपनी मालकिन और उसके बेटों जैसी दुष्ट थी. पर थी बड़ी सेक्सी.
उसके मोटे मम्मे, घनी झांटें और तगड़ी जांघे देखकर मेरा लंड उछलने लगा. "ओहो, तो मैं पसंद आयी बहू रानी को! मुझे भी तू बहुत पसंद है बहू, बस अपने आप को मेरे हवाले कर से, देख मैं तुझे कहां से कहां ले जाती हूं.
चल अब नहा ले"
चंदा ने मुझे खूब नहलाया. मेरे बदन की मालिश की, मेरे बाल धोये और अंत में मेरा लंड चूस डाला. दो मिनिट में मुझे झड़ाकर मेरा वीर्य पीकर वह उठ खड़ी हुई. मैं ना ना करते रह गया क्योंकि मुझे डर था कि उन लोगों को पता चल गया कि मैं झड़ गया हूं तो न जाने क्या करें.
चन्दा ने मुझे दिलासा दिया. "बहुत स्वाद है तुझमें बहू. तू मत डर, किसी को पता नहीं चलेगा, अभी तुझे फ़िर मस्त कर देती हूं, और पता चल भी जाये तो क्या, मेरा भी हक है तेरे बदन पर, अब चल, मेरी बुर चूस, तेरी सास तो दीवानी है इसकी, तू भी चख ले. फ़िर दूध पिलाती हूं तुझे" ।
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