RE: non veg kahani नंदोई के साथ
एक शाम को उन्होंने बुलाया- “नीला फटाफट तैयार होकर आ जा..." उनकी आवाज में खुशी झलक रही थी।
क्या हुआ... मुझे भी तो बताओ..”
अरे तेरे होने वाले नंदोई जी शाहरुख की पिक्चर वीरजारा का टिकेट लेकर आए है। आज ही फिल्म रिलीज हो। रही है। बस हम तीनों रहेंगे। शाम का खाना भी बाहर कहीं ले लेंगे...”
मैं खुशी से उछल पड़ी। मैं जल्दी से तैयार होकर उनके घर पहुँची। हम तीनों वहाँ से पिक्चर हाल पहुँचे। पिक्चर बस चालू ही हुई थी। पूरा हाल खचा खच भरा हुआ था। हमें अपनी अंधेरे में सीट तलाशनी पड़ी। हमारी सीट बीच में थी। सबसे आगे राजकुमार जी थे उनके पीछे दीदी और फिर मैं। राजकुमार जी अपनी सीट ढूँढ़कर बैठ गये। दो सीट छोड़कर रेशमा दीदी भी बैठ गई। मेरे लिए दोनों ने अपने बीच की सीट छोड़ दी थी। लेकिन मैं स्क्रीन पर चल रही फिल्म को देखते-देखते धम्म अपनी सीट पर बैठने की जगह राजकुमार जी की गोद में बैठ गई।
राजकुमार जी शायद ऊपर वाले से यही दुआकर रहे थे। क्योंकी इससे पहले की मैं सम्हालती उनकी बाहें मेरे बदन को अपने आलिंगन में जकड़ लिया। मेरे दोनों स्तन उनकी बाहों के नीच दब गये थे। मैंने उस छणिक गलती के दौरान अपने नितंबों के बीच उनके लिंग का आभार महसूस किया। मैं टपक से अपनी गलती सुधारते हुए उनकी गोद से छटक कर खड़ी हो गई। दोनों मेरी गलती पर हँसने लगे। मैं तो शर्म से पानी-पानी हुई जा रही थी। मैं अपनी नजरें झुकते हुए अपनी सीट पर बैठ गई।
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