Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
05-18-2019, 01:36 PM,
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
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१७७ 
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"अब आप तीनों इस सुहागन के सुहाग को पूर्ण करने के लिए इसका शरीर सुहागरात के लिए स्वीकार कीजिये ," मम्मी बोलीं और नानू ने उनकी नथ उतार दी। हमेशा की वर्षगाँठ की तरह यह क्रिया सुहागरात शुरू होने का द्योतक थी। 
एक भाई ने मम्मी की साड़ी उतारी तो दुसरे भाई ने उनका ब्लाउज़ खोल कर उतार दिया। उनके विशाल उन्नत को उनकी ब्रा मुश्किल से संभाल पा रही थी। नानू ने अपनी बेटी के दोनों भारी गुदाज़ उरोजों को मुक्त कर दिया ब्रा के बंधन से। 
नानू ने नाड़ा खोल दिया मम्मी के पेटीकोट का और सिल्क का पेटीकोट सरसरा कर उनके तूफानी झांगों के ऊपर सरक कर फर्श पर गीत पड़ा। मम्मी की सिल्क की लाल सुहागवली कच्छी में से उनके घुंगराली झांटें उत्सुकता से दोनों ओर बाहर झाँकने लगीं।
मम्मी ने बारी बारी से नानू के और अपने भाइयों के वस्त्र उतार दिए। 
सबसे पहला हक़ तो पिता का ही होता है अपनी बेटी के ऊपर। मम्मी ने अपने पापा का हाथ पकड़ा और बिस्तर की तरफ चल पड़ीं ,"पापा सुशी भाभी ने दस दिनों से मेरी चूत और गांड में वि-टाइट और सो-टाइट लगा कर वायदा लिया है की हमारी सुहागरात की चादर पर यदि मेरे कौमार्यभंग होने वाले जितना खून न दिखे तो वो बहुत नाराज़ होंगीं अपने बाबूजी, पति और जेठ जी से। "मम्मी की इस बात से तीनों का दानवीय लंड मानों एक दो इंच और लम्बा मोटा हो गया।
नानू ने मम्मी को चित्त लिटा कर उनके पहली रात की तरह उनके चूमते हुए उनकी घुंगराली झांटों ढकी चूत के सुहाने द्वार पे अपनी जीभ लगा कर उसके कसेपन का अहसास किया। मम्मी की सिसकारियां निकलीं बंद ही नहीं हुईं। आखिर कितनी भाग्यशाली वधुओं को तीन वृहत लण्डधारी पतियों से साथ सुहगरात मनाने का सौभाग्य प्राप्त होता है।
नानू ने अपनी बेटी की भारी जांघें फैला कर चौड़ा दीं। उनके दोनों भाइयों ने अपनी इंद्र की परियों से भी सुंदर बहन की एक एक जांघ अपने हांथों में संभाल ली। दोनों बही अपनी बहन का दुसरे कौमार्यभंग का जहर क्षण देखना कहते थे। 
नानू ने अपना बड़े सेब जैसा सुपाड़ा मम्मी की कसी चूत के द्वार में फंसा कर अपने दोनों बेटों की ओर इशारा किया। मम्मी के दोनों भाइयों ने अपने खाली हाथों से मम्मी के कंधे दबा कर उनके निस्सहाय कर दिया आगे आने वाले दर्द के सामने। नानू ने बेदरद निर्मम धक्का मारा और तीन इन्चें ठूंस दीं अपने चार इंच मोटे लंड की अपनी बेटी की 'कुंवारी ' चूत में। मम्मी की चीख में मर्मभेदी दर्द भरा था। नानू ने उतनी निर्ममता से अपनी बेटी के चुचकों को खींचते हुए डोर्स धक्का मारा और एक तिहाई मोटा लंड उन्स्की चूत में ठूंस दिया। दो और धक्के और नानू के लंड दो और तिहाई भाग मम्मी की चूत फाड़ते हुए जड़ तक फंस गए। 
मम्मी बिलबिलाते हुए चीखीं। उनके आंसू बहने लगे। जो भी दवाई बुआ ने लगायी थी वास्तव में जादू जैसी थी। मम्मी मर्मभेदी दर्द से न केवल रो रहीं थीं पर नानू से रुकने की गुहार भी कर रहीं थीं। पर यह तो उनकी सुहागरात थी। और उनके पहले नंबर के 'पति 'कहाँ रुकने वाले थे उनके आंसू बहाने से। शीघ्र ही नानू ने अपना लंड बाहर खींचा और उनके लंड के साथ मम्मी की से भरभरा के लाल गाड़ा खून बहने लगा जैसे उनकी पहले कौमार्यभंग की रात हुआ था पच्चीस साल पहले। 
नानू ने मम्मी की चूचियां मसलते जो छोड़ना शुरू किया उस निर्मम वासनामयी अगम्यगमनी प्रेम को देख मैं सिहर उठी। नानू ने आधे घंटे तक मम्मी की चूत को बिना रुके मारा। दस मिनटों के बाद मम्मी दर्दभरी हिचकियाँ बंद हो गयीं और ' नववधू ' की सिसकारियों से सुहागरात का कमरा गूँज उठा। नानू ने मम्मी को दस बारह बार झाड़ कर उनके दुसरे पति के लिए उनकी चूत निकाल लिया। बड़े मामू ने अपनी सिसकती 'सुहागन पत्नी 'की चूत के रस को उनके पेटीकोट से सूखा दिया और फिर नानू जैसे भीषण धक्के से अपना लंड ठूंस दिया चार धक्कों में, आखिर बेटे किसके थे बड़े मामू। मम्मी की चूत गाड़ा खून रिसने लगा। बड़े मामू ने भी आधे घंटे तक मम्मी की 'कुंवारी ' चूत का मर्दन कर उन्हें अनेकों बार झाड़ दिया। फिर बारी थी छोटे भैया की। वो सवा सेर नहीं तो पूरे सेर से कम भी नहीं थे। उन्होंने भी अपने बड़े भाई की देखा देखी अपनी बहन की चूत सूखा कर अपने लंड से उन्हें तिबारा 'कुंवारेपन ' दर्द से भर दिया। 
उसके बाद मम्मी के तीनो ‘पतियों ‘ने उन्हें बारी बारी हर मुद्रा में चोदा। क्योकि तीनो रुक रुक कर चोद रहे थे । मम्मी की चुदाई कई घंटों तक चली। मम्मी न जाने कितनी बार झड़ चुकीं थीं। मम्मी अब थकने लगीं थीं। और उनके 'पतियों 'ने अपनी नव-वधु की थकान को देख कर इस बार दनादन चोदते हुए अपने वीर्य की गरम बारिश अपनी पत्नी के गर्भ के ऊपर न्यैछावर कर दी। 
मम्मी हफ्ते हुए बिस्तर पे ढलक कर गिर गयीं। ऐसी सुहागरात का सुख तो किसी सौभाग्यशाली नव-वधु के भाग्य में ही लिखा होता है। 
"बेटी अब तो इस सुहगरात की खास शैम्पेन बनाने का समय है ," नानू ने मम्मी को याद दिलाया। मम्मी जैसे ही उठने लगीं तो दर्द से कराह कर बिस्तर पे गिर गयीं। 
नानू अपनी बेटी को सहारा देकर चांदी के विशाल कटोरे के ऊपर ले आये। मम्मी ने अपने होंठों को दांतों से भींच कर अपनी 'कुंवारी ' चूत में से उबलते दर्द को सहने का निरर्थक प्रयास किया। जैसे ही उनके सुनहरी शर्बत ी धार निकली तो एक तेज़ दर्द की लहर ने मम्मी को बेचैन कर दिया। 

लेकिन आखिर सालों का नियमभंग थोड़े ही होने देतीं मेरी मम्मी। खास तौर पे पच्चीसवीं वर्षगाँठ की सुहगरात का। उनका सुनहरा अमृत छलछल करता चंडी के कटोरे को भरने लगा। मम्मी की धार बंद हुई तो उन्होंने सुबकते हुए अपनी दर्दीली चूत के भगोष्ठों को फैला कर आखिरी बूँद भी बाहर टपका दी। इस अमृत से भरे चांदी के कटोरे में मिलायी गयी पच्चीस साल पुरानी शैम्पेन, ठीक उसी दिन बनायीं गयी शैम्पेन। अब बारी थी मम्मी के 'पतियों 'की। दुसरे चांदी के कटोरे में उनके तीनो पतियों का सुनहरी शर्बत इकठ्ठा करके उसमे भी शैम्पेन मिलायी गयी। मम्मी ने भरा अपने गिलास अपने पतियों के अमृत से मिली शैम्पेन ने अपनी नव वधु के अमृत से रमणीय शैम्पेन को लालचीपन से पिया।जब चारों ने अपनी ख़ास शैम्पेन खत्म कर ली तो ना केवल मम्मी थोड़ी सी नशे में थीं पर उनके आगे आने वाले दर्द के लिया थोड़ा नशा शायद अच्छा था। 

फिर शुरू हुआ मम्मी की गाड़ के दूसरे कुंवारेपन का हरण। नानू ने उतनी बेदर्दी से ही मम्मी की गांड का दूसरा उद्घाटन किया जैसा पच्चीस साल पहले किया था। उसके बाद दोनों भाइयों ने भी। हर बार मम्मी के तीनो पतियों ने मम्मी की गांड से ताज़ा खून की धाराएं बह कर उनकी सुहगरात को पूरा परवान चढ़ा रहीं थीं। मम्मी की गांड आखिरकार उनके तीनो पतियों के वीर्य से भर गयी। 

हर वर्ष की तरह दोनों मामाओं ने मम्मी को उल्टा लटका दिया और नानू ने नयी शैम्पेन की बोतल के गर्दन को मम्मी की दर्दीली गांड में ठूंस कर शैम्पेन से उनकी गांड भर दी। मम्मी ने जितनी देर तक हो सकता था उतनी देर तक शैम्पेन को अपनी गांड में रोका फिर उनसे नहीं रहा गया। 

इस बार नए चांदनी के कटोरे में भर गयी मम्मी की गांड सी निकली शैम्पेन की नदी और मम्मी की मथी हुई गांड का मथा हुआ मक्खन। मम्मी के तीनो पतियों ने दिल खोल कर इस अमृत का गिलास भर भर के जलपान किया। मम्मी के कई बार कहने के बाद ही नानू ने उन्हें एक-दो घूँट दिए अपने गिलास से।

उसके बाद सब कुछ खुला खेल था। मम्मी की सुहगरात सुबह तक चली। उनकी दोहरी चुदाई हुई बारी बारी से। आखिर कार मम्मी आनंद के अतिरेक से बेहोश हो गयीं। उनके तीनों पतियों ने अपने लंड के वीर्य की बारिश से उनका सुंदर चेहरा नहला कर उनकी नासिका, दोनों आँखें भर दीं। सुबह जागने पर मम्मी को बहुत जलन होगी। 

फिर चारों सो गए सुहागरात मना कर। मैं अपनी मम्मी की सुहागरात के सफल समापन से ख़ुशी के आंसू बहतो अपने कमरे में जाकर बिस्तर पे ढलक कर गहरी नींद की बाँहों में समा गयी।
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