RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
7:00 बजे सभी मेहमान आ चुके थे और सभी अमन का इंतजार कर रहे थे, खास तौर पे रेहाना। पर अमन था कि लड़कियों की तरह तैयार हो रहा था। जब वो अपने रूम से बाहर आया तो सब उसे देखते ही रह गए। अमन ब्लैक जीन्स, स्काइ ब्लू शट़ और उसपे जैकेट पहने किसी राजकुमार की तरह लग रहा था। और उसकी चौड़ी छाती उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रही थी।
सबसे पहले रेहाना उसके पास आती है, और अमन को गले लगाकर मुबारक बाद देती है-“धीरे से अमन के कान में हैपी बर्थ-डे जानू…” कहती है।
अमन रेहाना को बाहों में ले लेता है, पर उसका दबाव कुछ ज्यादा था जिससे रेहाना की चुचियाँ उसकी चौड़ी छाती में धँस जाती हैं।
हीना-अरे भाई, हमें भी मिलने दो।
अमन-खाला जान, आप कितनी प्यारी लग रही हैं?
हीना जाकई में बहुत खूबसूरत लग रही थी किसी 20 साल की लड़की की तरह-“आ जा मेरा बच्चा…” और हीना अमन को अपने गले से लगा लेती है-“साल गिरह बहुत-बहुत मुबारक हो बेटा…”
अमन हीना को अपने गले लगा लेता है। हीना उससे थोड़ी छोटी थी इसलिये अमन उसे गले लगाकर ऊपर उठा लेता है, और कस लेता है। जिससे हीना की सुडौल चुचियाँ अमन की छाती में धँस गई थीं।
हीना ‘अह्म्मह’ की एक हल्की सी सिसकी के साथ अमन को घूरते हुए-“तुम सच में बड़े हो गये हो अमन…”
अमन-“हाहाहाहा… खाला जान…” और एक बार और कस के हीना को कस लेता है।
ये सिर्फ़ कुछ सेकेंड की बात थी पर इसकी वजह से तीन लोग बहुत बुरी तरह से जल-भुन गये थे, रजिया, रेहाना और अनुम।
फिर सभी अमन से बारी-बारी मिलते हैं। पर अमन की नज़र हीना की बेटी शीबा पे जाकर रुकी। शीबा एक बेहद हसीन 18 साल की जवान लड़की थी, गुलाबी होंठ, पतली कमर, थोड़े सी छाती बाहर, और जब वो हँसती थी तो उसके गालों में पड़ते गड्ढे, अमन को पागल बना रहे थे। जब शीबा अमन के गले लगी तो अमन ने वहीं किया जो उसने रेहाना और हीना के साथ किया था।
शीबा थोड़ा गुस्सा हो जाती है, और अमन को खा जाने वाली नज़रों से देखने लगती है।
सभी ने अमन को गले लगाकर विश किया और अच्छे अच्छे गिफ्ट भी दिए। रेहाना थोड़ी जेलस थी, शायद वजह ये थी की आज अमन ने उसपे कुछ खास ध्यान नहीं दिया था। रेहाना तो चाहती थी कि इस वक्त यहाँ कोई ना हो, सिर्फ़ वो हो और अमन हों।
पार्टी भी हुई, अमन ने केक भी काटा और सभी को खिलाया भी। डिनर के बाद सभी हाल में बैठे बातें कर रहे थे। पर अमन उसकी अम्मी रजिया को घूर रहा था, क्योंकी रजिया ने अमन को कोई गिफ्ट नहीं दी थी।
11:00 बजे तो सबसे पहले हीना और शीबा ने, फिर रेहाना ने रजिया को अच्छी पार्टी और डिनर के लिये शुकिया कहा और अपने घर की तरफ चली गई।
अनुम और फ़िज़ा किचिन में रजिया के साथ सफाई कर रही थीं।
फ़िज़ा ने रजिया से कहा-“बड़ी अम्मी, आज अनुम दीदी हमारे घर रुक सकती हैं? मुझे उनसे कुछ नोटस की डिस्कशन करनी है…”
रजिया कुछ सोचते हुए-“बिल्कुल बेटा, ये भी कोई पूछने वाली बात है?”
कुछ देर बाद अनुम फ़िज़ा के साथ उनके घर चली जाती है। अब घर में सिर्फ़ रजिया और अमन थे। अमन सोफे पे बैठा अपनी गिफ्ट्स देख रहा था और रजिया किचिन में साफ बरतन शेल्फ में लगा चुकी थी। रजिया अमन के पास सोफे पे आकर बैठ जाती है।
अमन उसे उदास चेहरे से देखती हुए-“अम्मी, आपने मुझे कोई गिफ्ट नहीं दिया, ना ही वो प्रोमिस, वो आपने मुझसे किया था।
रजिया-“ह्म्मम्म्म्म… तो अमन को अपना गिफ्ट चाहिए?”
अमन खुश होते हुए-हाँ हाँ चाहिए।
रजिया अमन के सर को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए उसके आँखों में देखते हुए-“उसके लिये तुम्हें थोड़ा सा इंतजार करना पड़ेगा…”
अमन-“और इंतजार नहीं ना होता…”
रजिया-“इतना इंतजार किए और थोड़ा नहीं कर सकते?”
अमन-ठीक है।
रजिया सोफे से उठते हुए-“अमन यहीं बैठो, और जब तक मैं ना बुलाऊँ, मेरे रूम में मत आना…”
अमन-“ओके…”
रजिया अपने रूम में चली जाती है। तकरीबन आधे घंटे बाद अमन परेशान होने लगता है। उसे लगने लगता है कि रजिया ने उसे बेवकूफ़ बनाया और सोने चली गई। अमन उठकर रजिया के रूम में जाकर देखने का सोचता है।
तभी रजिया की आवाज़-“अमन, यहाँ आओ…”
अमन खुशी के मारे दौड़ता हुआ रजिया के रूम में चला जाता है। रूम की लाइट आफ थी और एक अजीब से रूम फ्रेशनर की खुश्बू उसे चौंका देती है। अमन लाइट ओन कर देता है, और वो सामने उसे दिखाई देता है… वो तो उसने अपने ख्वाब में भी नहीं देखा होगा ना कभी सोचा था।
रजिया लाल रंग की साड़ी में बेड के बीचो-बीच दुल्हन बनी बैठी थी। बेड पे गुलाब की पंखुड़ियाँ फैली हुई थीं और रजिया सर पे घूँघट डाले बैठी थी। अमन का मुँह खुला का खुला रह जाता है, और वो कुछ सेकेंड के लिये जैसे कोमा में चला गया था।
जब अमन कोई रेस्पॉन्स नहीं देता तो रजिया उसे आवाज़ देती है-“यहाँ आइए ना…”
अमन खुशी और जोश में बेड पे जाकर बैठ जाता है, और धीरे-धीरे रजिया का घूँघट उठा देता है। रजिया किसी 18 साल की जवान दुल्हन की तरह लग रही थी, होंठों पे हल्की सी लाल लिपिस्टिक, हल्का सा मेकअप, बाल खुले हुए और होंठों पे आने वाले लम्हों की खुशी साफ-साफ दिखाई दे रही थी। अमन रजिया का चेहरा ऊपर
उठाता है। अमन जान चुका था कि रजिया आज से उसकी दुल्हन है। इसीलिये वो भी उसे दुल्हन की तरह ट्रीट करना चाहता था।
अमन-ऊपर देखो रजिया।
रजिया अपनी नज़रें ऊपर उठाते हुए-“एक बार और कहो ना…”
अमन-क्या?
रजिया-“मेरा नाम आपके मुँह से कितना अच्छा लगता है…”
अमन-“रजिया… रजिया… रजिया मेरी जान…” और अमन रजिया के गुलाबी होंठों पे अपने होंठ रख देता है। दोनों माँ बेटे एक दूसरे की बाँहों में आ जाते है। इस पल का दोनों को बेसबरी से इंतजार था। दोनों को कोई जल्दी नहीं थी। दोनों किसी बिछड़े प्रेमी के तरह एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे।
अमन रजिया की ठोड़ी ऊपर उठते हुए अपनी जीभ रजिया के मुँह में डालने लगता है।
रजिया-“गलप्प्प-गलप्प्प मआह्म्मह… मुअह्म्मह… हुंन्ह…” और रजिया अमन को कस लेती है।
अमन-“मआह्म्मह… मुअह्म्मह… अया… रजिया मेरी दुल्हन आह्म्मह…”
रजिया-“हाँ हाँ अमन… आपकी दुल्हन… आंह्म्मह आज से आपकी हुई… आह्म्मह… लगा दो मुझपे अपनी मुहर उंह्म्मह… मुउह्म्मह…”
अमन तो जैसे पागल हुए जा रहा था-“हाँ रज्जो, मेरी जान आज से तू मेरी है। आह्म्मह… सिर्फ़ मेरी…” फिर अमन रजिया का आँचल निकाल देता है, और अपना हाथ पीछे लेजाकर रजिया का ब्लाउज खोल देता है। आज रजिया अमन को किसी भी बात के लिये रोकने वाली नहीं थी।
जिस दिन अमन ने रजिया को पहली बार किस किया था उसी वक्त रजिया के दिल में अमन के लिये प्यार की कली ने सर उठा लिया था। उस दिन से वो अमन को अपना बेटा नहीं, बल्की अपने बेटे से कहीं ज्यादा मान चुकी थी।
अमन रजिया की ब्रा खोल चुका था, कहा-“रज्जो खड़ी हो…”
रजिया जल्दी से खड़ी हो गई। अमन ने रजिया की साड़ी की गाँठ सामने से निकाल दे और साथ ही उसके लहंगे का नाड़ा भी खींच लिया लहंगा नीचे गिरते ही रजिया नंगी हो गई क्योंकी उसने पैंटी नहीं पहनी थी। रजिया ‘अह्म्मह’ करती है और शरम के मारे अमन से चिपक जाती है। अमन अपना हाथ नीचे लेजाकर रजिया की चूत सहलाने लगता है।
रजिया-“उंह्म्मह… उंन्ह… अमन्न्न उंह्म्मह…” 37
अमन रजिया के बाल पकड़कर खींचता है, जिससे रजिया का सर ऊपर उठ जाता है। अमन उसकी आँखों में देखते हुए-“साली नाम लेती हैं? मेरे जानू बोल…”
रजिया-“हाँ हाँ जानू… मेरे जानू अह्म्मह… उंह्म्मह…”
अमन-“चल मुझे नंगा कर… कर जल्दी…”
रजिया अमन की शट़ उतार देती है। उसके हाथ काँप रहे थे।
अमन थोड़ा तेज आवाज़ में-“पैंट कौन उतारेगा? तेरी बहन?”
रजिया पैंट उतारते हुये-“गुस्सा क्यों होते हो?” और रजिया अमन की पैंट उतार के नीचे कर देती है।
पैंट नीचे उतरते ही अमन का लण्ड अंडरवेअर में तन जाता है। फिर ‘अह्म्मह’ करके रजिया अमन के लण्ड को अंडरवेअर के ऊपर से पकड़ लेती है।
अमन-“अह्म्मह… रज्जीऊऊऊ…”
रजिया अंडरवेअर भी नीचे कर देती है-“अह्म्मह… जानूऊउ…”
अमन रजिया का कंधा पकड़कर नीचे बैठा देता है-“चल मुँह खोल…”
रजिया मुँह खोल देती है। और अमन अपना लण्ड रजिया के मुँह में डाल देता है।
रजिया-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह… उंह्म्मह…” तभी रजिया का फोन बजता है।
अमन फोन देखते हुए-“अब्बू का फोन है…”
रजिया कोई जवाब नहीं देती, वो तो बस अमन के लण्ड को मुँह की गहराईयों में उतारती चली गई थी-“गलप्प्प-गलप्प्प…”
अमन-हेल्लो।
अमन के अब्बू-“अमन, हैपी बर्थ-डे बेटा। कैसे हो?”
अमन-“अह्म्मह… मैं ठीक हूँ अब्बू…”
अमन के अब्बू-अरे, क्या हुआ? तुम्हारी आवाज़ लड़खड़ा क्यों रही है?”
अमन-“ अब्बू कुछ नहीं अब्बू… आपका फोन उठाने भागता हुये आया ना इसलिये साँस फूल गई है…”
रजिया उसके मुँह में लण्ड लिये देखती हुई लण्ड को दाँतों से थोड़ा दबाती है।
अमन-“अह्म्मह…” और अमन रजिया के बाल पकड़कर खींचता है।
अमन के अब्बू-तुम ठीक तो हो ना बेटा?
अमन-“जी… जी अब्बू… वो पैर पे सोफा लग गया, अंधेरा है ना हाल में…”
अमन के अब्बू-अच्छा… तुम्हारी अम्मी कहाँ हैं?
अमन-“ वूऊऊ सो गई हैं अब्बू…”
अमन के अब्बू-“अच्छा ठीक है। सुनो, मैं और तुम्हारे चाचू 10 दिन बाद इंडिया आ रहे हैं…”
अमन-ठीक है अब्बू… मैं अम्मी से बोल दूंगा। बैटरी लो है, बाद में बात करता हूँ। बाययी…” और अमन फोन रख देता है।
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