Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:08 PM,
#20
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रजिया-“ठीक हूँ, आप थक गये होंगे। फ्रेश हो जाइए, मैं खाना लगा देती हूँ…” 

ख़ान साहब-“नहीं भाई, मुझे थोड़ा सोने दो…” और ख़ान साहब अपने रूम की तरफ चल देते हैं। 

अनुम बैग्स खोलने में लगी थी, पता नहीं अब्बू मेरे लिये क्या लाए हैं। और सामने अमन और रजिया एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। रजिया की आँखों से कुछ जाहिर नहीं हो रहा था। 
पर अमन की आँखें रजिया को साफ कह रही थी-“हो जा खुश… अब तो आ गया तुझे चोदने वाला। अब तुझे किसी की क्या परवाह?” और अमन एक घिनोनी हँसी चेहरे पे लाते हुए अपने रूम में चला जाता है। 

जितनी परेशान रजिया थी, उतना ही अमन था। उसकी रजिया और रेहाना अब किसी और के लण्ड से चुदायेंगी, ये बात उसे परेशान कर रही थी। वो नहीं चाहता था कि कोई उसकी लगाए हुए मोहर को हटाकर अपनी मोहर लगा दे। 

दूसरी तरफ चाची रेहाना के घर में भी यही हाल था। ख़ान जमाल मलिक रेहाना के शौहर के घर में आने से वहाँ फ़िज़ा बहुत खुश थी, वहीं रेहाना के तो जैसे होश उड़ गये थे। वो सदमे में थी। पर चेहरे पे मुश्कान के साथ वो भी अपने ना-पसंदीदा सख्श का वेलकम हँसते हुए करती है। 

दोनों घरों के मर्द आ चुके थे। अमन के लिये रास्ता थोड़ा मुश्किल नज़र आ रहा था। पर कहते है ना… वहाँ चाह वहाँ राह। 

रात के खाने के बाद ख़ान साहब अपने परिवार के सदस्यों को गिफ्ट देते हुये, वो अमन के लिये 4 ड्रेस, अनुम के लिये दो ड्रेस, और रजिया की लिये 3 साड़ी लाए थे जिसे देखकर सभी ने खुशी का इज़हार किया खास तौर पे रजिया ने। पर वो अमन को ही देख रही थी। आज रात वो अमन को मनाकर उससे जमकर चुदना चाहती थी । पर शायद ये दूरियाँ कुछ और लंबी होनी थीं। 

ख़ान साहब-“अरे अमन बेटा, ये ड्रेस मैं फ़िज़ा के लिये लिया था, ज़रा उसे दे आना तो…” 

अमन-“जी अब्बू…” और अमन रजिया को देखते हुए रेहाना की तरफ चला गया। 

रजिया अंदर ही अंदर जल भुन गई। 

अमन मलिक को सलाम करते हुए-“चाचू जान…” और दोनों गले मिलते हैं। 

रेहाना किचिन में थी। अमन की आवाज़ सुनकर दौड़ते हुए रूम में आ जाती है। रेहाना अमन को आज 9 दिन के बाद देख रही थी। उसके आँखों में खुशी और चमक दोनों साफ देखी जा रही थी। 

अमन रेहाना के तरफ देखते हुए-“वो चाचू, अब्बू ने ये फ़िज़ा बाजी के लिये भेजे हैं…” 

मलिक-“अरे, ये भैय्या भी ना… मैं भी तो कितने ड्रेस लाया हूँ फ़िज़ा के लिये…” 

रेहाना-“अब वो इतने प्यार से दे रहे हैं, तो ले लीजिए…” 

मलिक-“ठीक है भाई। अरे, तुम खड़े क्यूँ हो बैठो बेटा…” फिर रेहाना से-“जाओ हमारे बेटे के लिये कुछ खाने के लिये लाओ…” 

रेहाना-अभी लाई। 

फ़िज़ा अपनी रूम में पढ़ाई कर रही थे, और किकेट मैच देख रही थी। 

रेहाना किचिन में से-“अमन, ज़रा इधर आना तो… ये डिब्बा ज़रा ऊपर से उतार दो…” 

अमन-“जी…” और उठकर किचिन में चला जाता है। 

किचिन में जाकर रेहाना अमन से चिपक जाती है, और अमन भी रेहाना को अपनी बाहों में भर लेता है। 

रेहाना-“मुझे यहाँ से ले चलिये कहीं भी। मैं यहाँ नहीं रहना चाहती…” और अमन के होंठों को चूमने लगती है। 

अमन भी रेहाना की चुचियाँ दबाते हुए होंठ चूसने लगता है। उन दोनों को कोई परवाह नहीं थी कि घर में मलिक और फ़िज़ा दोनों हैं, और किसी भी वक्त यहाँ आकर इन दोनों को रंगे हाथ पकड़ सकते हैं। 

अमन-“बस कुछ दिन मेरी जान… फिर तू मेरी होंगी। भगा ले जाऊँगा मैं तुझे इन सबसे…” अमन शायद जज्बाती हो गया था। 

रेहाना-“उंह्म्मह… हाँ उंह्म्मह… हाँ…” उसकी चूत में पानी आने लगा था। 

मलिक-“रेहाना, नाश्ता तैयार हुआ कि नहीं? मुझे भी भूख लगी है…” 

रेहाना अमन से अलग होते हुए-“जी अभी लाई…” 

अमन नाश्ता करते हुए रेहाना को ही देख रहा था। अब वहाँ फ़िज़ा भी आ चुकी थी और उसकी नज़र भी अमन पे थी। वो अमन और रेहाना दोनों को देख रही थी और अंदाजा लगा रही थी कि ये एक दूसरे को कितना चाहते हैं। 

अमन-अच्छा मैं चलता हूँ। 

रेहाना-बैठो ना… खाना खाकर जाना। 

मलिक-हाँ बेटा बैठो। 

अमन-नहीं, अभी मैं खाना खाकर आया था। मैं चलता हूँ। 

मलिक-“कल जल्दी आ जाना बेटा, मुझे तुमसे कुछ खास बातें करनी है…” 

अमन-“जी…” और अमन अपने घर की तरफ चल देता है। 

रात 10:00 बजे-

सभी अपनी-अपनी रूम में जा चुके थे। आज ख़ान साहब का बड़ा मूड था रजिया को चोदने का और उधर मलिक का भी। पर दोनों औरतें शायद इसके लिये तैयार नहीं थी। और इत्तेफाक देखिए दोनों एक ही बहाना बनाती हैं। मुझे एम॰सी॰ पीरियड आज से शुरू हुए हैं। 

ये सुनकर दोनों मदों के खड़े लण्ड भी ठंडे पड़ जाते है। 

ख़ान साहब-“मैं सो जाता हूँ…” और थके हारे मर्द सो जाते हैं। 

रजिया ऊपर फैन को देखते हुए दिल में सोचती है-“आखिर कब तक तू ख़ान साहब को दूर रख पाएगी? सिर्फ़ 7 दिन उसके बाद तो तू चुदेगी ही…” 

यही सोच-सोचकर रेहाना भी परेशान थी। वो चाहती थी कि मलिक फिर से वापस दुबई चला जाए और फिर कभी लौट के ना आए। 
इनहीं ख्यालों में सुबह हो जाती है। 
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