Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:09 PM,
#27
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रजिया उसे 9:00 बजे उठा देती है। 

अमन की आँखें लाल थीं वो रजिया को देखते हुए-“साली मेरी जान की दुश्मन…” 

रजिया अमन के होंठों पे-“गुड मॉर्निंग जानू, ख़ान नीचे आपका इंतजार कर रहा है…” 

अमन-वो तेरा शौहर है साली। 

रजिया-“बाप होगा वो अनुम का, मेरी तो चूत का दुश्मन है…” और दोनों हँसने लगते है। दोनों अब माँ-बेटे नहीं मियां-बीवी जैसी बातें करने लगे थे। 

नाश्ता करके अमन ख़ान साहब से मिलता है। वो उसे वही बात बताते हैं, वो रात में रजिया ने उससे कहा थे रजिया की माँ के घर जाने की। 

अमन-“ठीक है अब्बू, मैं चाचू के यहाँ चला जाऊँगा…” और अमन फैक्टरी के लिये निकल जाता है। आज वो थोड़ा लेट हो गया था। वो सीधा फैक्टरी के वर्किंग एरिया में चला जाता है। 

महक पिंक रंग की साड़ी में वहीं खड़ी थी-“आ गये अमन? ये तुम्हारी आँखें लाल क्यूँ हैं?” 

अमन-(मन में-रात में रजिया को देर तक चोदा ना इसलिये) आ शायद इन्फेक्सन हो गया होगा। 

महक-“तुम थोड़ा रेस्ट क्यों नहीं कर लेते मेरे ओफिस में?” 

अमन-“नहीं, मैं ठीक हूँ…” और महक को स्माइल देते हुए-“यू आर लुकिंग गोजि़यस…” 

महक-“थैंक यू अमन…” और महक और इतराने लगती है। 

अमन दिल में-एक बार चुदवा ले रानी, दिन रात नंगा रखूंगा मेरे नीचे…” 

महक अमन को खोया देखकर-“क्या हुआ अमन? आर यू आल राइट?” 

अमन-“हाँ, चलो केबिन में कुछ देर बैठते हैं…” और दोनों केबिन में चले जाते हैं। 

***** ***** 
इधर रेहाना का बिना चुदे बुरा हाल था। उसे थोड़ी देर पहले पता चला था कि आज रात अमन यहाँ रुकने वाला है। पर मलिक उसका क्या? यही सोचते हुए वो खाना बना रही थी।

तभी फ़िज़ा उसके पीछे से-“क्या हुआ अम्मी? बड़ी खुश लग रही हो, कोई आने वाला है क्या?” हालांकी फ़िज़ा को भी खबर मिल चुकी थी। 

रेहाना-तुझे पता है सब, नाटक मत कर। 

फ़िज़ा नीचे आकर अपना हाथ रेहाना की चूत पे रख देती है। 

रेहाना-“अह्म्मह… क्या कर रही है? अफफ्र्फ…” 


फ़िज़ा-“देखने दो, आपकी चूत पानी छोड़ रही है कि नहीं अमन का सोच-सोच के?” 

रेहाना-“उंन्ह… वो तो छोड़ेगी ही ना… मेरे शौहर वो आने वाले हैं आज रात…” 

फ़िज़ा-“अम्मी मुझे भी अमन से मिलना है…” 

रेहाना-“मिल लेना रात में तो आएंगे ही…” 

फ़िज़ा-ऐसे नहीं अम्मी। 

रेहाना-फिर? 

फ़िज़ा-“आपके साथ बिना कपड़ों के…” 

रेहाना फ़िज़ा को देखने लगती है-क्या? 

फ़िज़ा-“हाँ… मुझे भी वो चाहिए…” 

रेहाना-“नहीं बेटा, शबसे पहले तो ये गलत है। क्यों अपनी लाइफ बर्बाद कर रही है?” 

फ़िज़ा-“होने दो… मुझे आज रात चाहिए… मतलब चाहिए…” और फ़िज़ा किचिन से निकल जाती है। जिस दिन से उसने अमन का लण्ड देखा था, उस दिन से उसकी चूत उसे अपनी अंदर लेना चाहती थी… अपना पहला लण्ड अपनी चूत के पर्दे को फाड़ने वाला लण्ड…” 

रेहाना दिल में मुस्कुराते हुए-“अगर फ़िज़ा अमन से चुद गई तो वो मेरी मुट्ठी में होगी हमेशा के लिये और उसका भी तो हक है। अपने अब्बू अमन पे…” ये सोचकर कि आज फ़िज़ा की सील टूटेगी उसके जिस्म में अजीब सी लहर दौड़ रही थी, बस उसे फिकर थी तो मलिक की। क्या करूं इसका? यही सोच उसे परेशान कर रही थी। 

लंच टाइम हो चुका था। अमन और महक लंच कर चुके थे। 

महक-चलो अमन। 

अमन-कहाँ? 

महक-“अरे भूल गये? ड्राइविंग सिखाने वाले थे ना तुम मुझे?” 

अमन-ओह्म्मह… हाँ चलो। 
और दोनों एम॰जी॰रोड चल देते हैं। कार अमन ड्राइि कर रहा था और साइड में महक बैठी थी। 

अमन-“अब तुम यहाँ बैठो…” और अमन नीचे उतरकर महक को ड्राइविंग सीट पे बैठा देता है, और खुद उसके साइड में बैठ जाता है-“देखो महक, ये है गियर, ये नीचे एक्सीलेटर और साइड में ब्रेक। अब चलो कार स्टार्ट करो, गियर में डालो और एक्सिलेट करो…” 

महक-“मुझे डर लग रहा है अमन, मैं नहीं कर पाऊँगी…” 

अमन-“पहली बारे में सबको डर लगता है, फिर नहीं। चलो शाबाश…” 

महक कार स्टार्ट कर देती है। और जैसे ही गियर डालकर एक्सिलेट करती है, कार बंद हो जाती है। 10 से 12 कोशिश के बाद भी यही होता है-“मुझसे नहीं होगा अमन…” 

अमन-“एक काम करो तुम मेरी गोद में बैठ जाओ…” 

महक-कहाँ? 

अमन खुद ड्राइविंग सीट पे बैठ जाता है। और महक को अपनी गोद में बैठने को कहता है। 

महक झिझकते हुए अमन की गोद में बैठ जाती है। महेक को अमन की गोद में बैठने में थोड़ी प्राब्लम हो रही थी। वो आगे पीछे हो रही थी, जिससे अमन का लण्ड खड़ा होने लगा था। 

अमन महक को पकड़कर-“यहाँ बैठो महक…” 

और महक चुपचाप बैठ जाती है। 

अमन महक का हाथ ड्राइविंग व्हील पे रख देता है। और उसके हाथ पे अपना हाथ रख देता है-“महक अपना एक पैर एक्सीलेटर पे रखो, ब्रेक पे मैं पैर रखता हूँ। जब मैं कहूँ एक्सिलेट करना ओके?” 

महक-ठीक है। 

अमन कार स्टार्ट करता है-“चलो अब गियर चेंज करो और धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाओ…” 

महक जैसे ही करती है, और कार चलने लगती है-“अरे अमन, देखो मैं चला रही हूँ…” वो खुश होने लगती है। 

अमन-“अब सेकेंड गियर डालो और थोड़ी और स्पीड बढ़ाओ…” और अमन अपने हाथ धीरे-धीरे ऊपर सरकाते हुए महक के पेट पे रख देता है। महक का चिकना मखमली पेट अमन को पागल करने लगता है, और अमन का लण्ड नीचे से महक की गाण्ड में चुभने लगता है। महक का पेट सहलाते हुए उसके कान के पास धीरे-धीरे-“महक तुम अच्छा कर रही हो…” 

महक को भी अपनी नाज़ुक गाण्ड में अमन का लण्ड अच्छा लग रहा था। उसके हाथ काँपने लगते हैं 
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